Author: nishankji-user

‘‘विश्‍व महिला दिवस’’ महिला नेतृत्‍व: कोविड-19 की दुनिया में समान भविष्‍य के अवसर प्राप्‍त करना

‘‘विश्‍व महिला दिवस’’

 महिला नेतृत्‍व: कोविड-19 की दुनिया में समान भविष्‍य के अवसर प्राप्‍त करना

 

 

दिनांक: 08.03.2021

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

प्यारे बच्चों! सबसे पहले तो मैं आप जो 5छात्राओं को बहुत बधाई देता हूं। गार्गी नौटियाल हिमालय से शुरू हुई थी और फिर आराधना, ध्रुवा देवी पटेल,नाकिया,कुमारी आर्या, मनोज और अंत में पद्मा ने सबको खुशी बांटी है और आपके जो विचार थे ना, बहुत आनंद आ गया। अब मुझे लगता है कि आज की इस मीटिंग की हमारी बहुत सार्थकता है कि आपके मन में जो बातें पल रही हैं, जो हो रही है। हमारे साथ सभी शिक्षा जगत के अधिकारी भी जुड़े हुए हैं और हमारे यहां पर सीबीएसई बोर्ड के चेयरमैन साहब सहित यहां पर भी अधिकारीगण अनीता जो सचिव हैं,उनके सानिध्य में सब लोग जुटे हुए हैं,साथ ही देश के विभिन्न क्षेत्रों से भीस्कूल जुड़े हुए हैं और मेरे प्रिय छात्र-छात्राओं जिस तरीके से आपने अपनी अभिव्यक्ति दी है हमको गौरव औरआप पर देश कोभी भरोसा है और आज जबकि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवसपूरी दुनिया मना रही है तो हमको अपने देश पर गौरव महसूस होता है कि हमने अपनी मातृशक्ति को, जो महिला शक्ति है उसको हमेशा सर्वोच्च स्थान पर देखा है। इस देश की संस्कृति रही है ‘यत्र नार्यस्तु पूजयन्‍ते रमन्ते तत्र देवता’ अर्थात् जहां नारी का सम्मान होता है जहां नारी को पूजा जाता है भगवान भी वहींपर खुशरहते हैं। भगवान का वास भी उसी स्थान पर होता है, उसी परिवार में होता है, उसी समाज में होता है जहां पर मातृशक्ति का सम्मान होता है। हम उस देश के लोग हैंऔर फिर दूसरी चीजमुझे अच्छा यह लगा कि गार्गी भारतीय प्रशासनिक सेवा में क्योंजाना चाहती हैं? अपने विजन को बहुत अच्छा किया कि हमेंएक विकासशील देश बनाना है और समतामूलक समाज बनाना है और भयमुक्त समाज के साथ किस तरीके से शिक्षा के क्षेत्र में भी उसने अपनी अभिव्यक्ति दी है। शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है जो कुछ भी कर सकता है, परिवर्तन ला सकता है। शिक्षा पर भी गार्गी ने जोर दिया और इच्छा व्यक्त की कि भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाकर के वो देश को अच्छी सेवा प्रदान करना चाहती है। हमारे सपनों का तोभारत आपको तो मालूम हैं कि हम तोविश्व गुरु रहे हैं और सभी ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान के क्षेत्र में हमने पूरी दुनिया को लीड किया है और उसमें भी हमारी महिलाएं सबसे पहले कदम पर हमेशा से रही हैं और क्रांतिकारी भी रही हैं। आप सबको मालूम है चाहे रानी झांसी को हम पढ़ातेहैं, रानी दुर्गावती को पढ़ाते हैं,पन्ना धाय को पढ़ाते हैं एक लंबी श्रृंखला को देखेंगे तो गौरव से हमारा माथा ऊँचा उठता है कि हिन्दुस्तान की पूरी दुनिया में एक पहचान रही है। हमाराऐसा इतिहास रहा है जिसने गौरवान्वित किया पूरी दुनिया के लोगों को, तो मेरी शुभकामना गार्गी और आराधना जो आसाम से जुडी है। %

दिल्‍ली-कोटद्वार के बीच सिद्धबली जनशताब्‍दी एक्‍सप्रैस ट्रेन का शुभारम्‍भ

दिल्‍ली-कोटद्वार के बीच सिद्धबली जनशताब्‍दी एक्‍सप्रैस ट्रैन का शुभारम्‍भ

 

दिनांक: 03 मार्च, 2021

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक

 

आज के इस आयोजन में उपस्‍थित महंत दिलीपसिंह रावत जी,जो लैंसडाउनके विधायक हैं,आशुतोष जी जो महाप्रबंधक हैं और पी.एस. मिश्राजी जो सदस्य रेलवे हैं, सभी अधिकारी वर्ग और कोटद्वार के सभी उपस्थित भाइयो और बहनो! आज दिल्ली से भी शायद लाखों लोग जुड़े होंगे और गढ़वाल कोटद्वार क्षेत्र से तो लोग जुड़े ही हुए हैं। आज हम लोगों के लिए एक खुशी का ऐसा अवसर है जब बहुत लंबे समय से लोगों के मन में यह बात थी कि सिद्धबली साक्षात जिसको हम मानते हैं उस सिद्धबली से कोई सेवा शुरू हो क्‍योंकि दिल्ली में लगभग-लगभग 28 लाख उत्तराखंडी हैं और जिसमें बड़ी संख्या में इस क्षेत्र में ऐसे भी लोग हैं, जो चाहते हैं कि दिल्ली सेजिनको सीधे-सीधे इसकी सुविधा मिल सके तो आज सिद्धबली जनशताब्दी एक्सप्रेस का शुभारम्‍भ हमारे माननीय रेलमंत्री पीयूष भाई के हाथों से हो रहा है, मैं इस अवसर पर उनकाअभिनंदन कर रहा हूं और मैं उनका स्वागत कर रहा हूं तथादेवभूमि उत्तराखंड की ओर से उनका कोटि-कोटि धन्यवाद देता हूं और प्रिय अनिल बलूनी को भी उनके सतत प्रयासों के लिए मैंधन्यवाद देना चाहता हूं। मुझे लगता है कि इस एक्सप्रेस से न केवल जिम कार्बेट पार्क जो पूरी दुनिया में लोकप्रिय है और पर्यटकों का बहुत बड़ा आकर्षण का स्थल है यहां पर हमारा लैंसडाउनहै, उधर हमारा खिर्सू है। यदि देखेंगे तो ऊपर का जो यह क्षेत्र है यह बहुत ही खूबसूरत है। यहप्राकृतिक सौन्दर्य से युक्त है जोकण्‍वनगरी के नाम से जाना जाएगा।इसकास्टेट सरकारने कण्‍व नगरी के नाम से नामंकन किया है, वो कण्वाश्रम जहां भरत ने जन्म लिया है। यह ऐसे भरत की जन्मस्थली है जो चक्रवर्ती सम्राट भरत था।इससे बड़े गौरव का विषय क्या हो सकता है कि चक्रवर्ती सम्राट भरत जोशकुन्तला के पुत्र थे, उन्‍होंने यहां जन्म लिया। कण्वाश्रम में उनकी जन्मस्थली से सिद्धबली एक्सप्रेस जो जा रही है तो निश्चित रूप में आज कण्वाश्रम भी पूरे देश और पूरी दुनिया के लिए एक ऐसा तीर्थस्थान बनेगा जहां कण्व दर्शन कर सकेंगे जो चक्रवर्ती सम्राट भरत की मालिनी तट पर उन यादों को भी ताजा कर सकेंगे तथा अपनी पुरानी चीजों को याद कर सकेंगे। मैं पीयूष भाई आपका बहुतआभारी हूं क्‍योंकि ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे लाइन साढ़े सोलह हजार करोड़ की हम सोच भी नहीं सकते थे और यह हमारे लिए सपना था लेकिन आपने इसे संभव करके दिखाया है इसलिए मैं आपका अभिनंदन करना चाहता हूं और मैं आपका वंदन करना चाहता हूं। अभी आपने कुछ ही दिन पहले ऋषिकेश से योग नगरी प्रयागराज संगम तक हमको एक एक्सप्रेस दी थी और ऋषिकेश में भी ढाई सौ करोड़ रुपये की लागत  से अंतर्राष्ट्रीय स्टेशन दिया है। अभी कुछ ही दिन पहले आपने उधर पूर्णागिरी एक्सप्रेस, जन शताब्दी एक्सप्रेस टनकपुर से दिल्‍लीभी हमको दिया और आज उसी श्रृंखला में आप कोटद्वार से दिल्ली सिद्धबली जनशताब्दी एक्सप्रेस का शुभारंभ कर रहे हैं और इसके लिए मैं हदय की गहराइयों से आपका अभिनंदन करता हूं। मुझे लगता है कि देश की आजादी के बाद यह पहला अवसर है जब उत्तराखण्ड जोकि राष्ट के लिए हमेशा समर्पित रहा है, उत्तराखंड की जवानी और पानी देश के लिए हमेशा काम आई हैतथाऔसतन एक परिवार से एक व्यक्ति सेना में भर्ती होकर राष्ट्र की सीमाओं पर कुर्बानी देता है और दूसरी पंक्ति में उसकी मां और बहनें सेनानी के रूप में सक्षम तरीके से खड़ी रहती हैं और जहां आज इस कण्‍वनगरी में आप इसकाशुभारंभ कर रहे हैं। हमारे पेशावर कांड के महानायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की यादें भी इससे जुड़ी हैं औरऋषि कण्‍व की यादें भी जुड़ी हैं इसलिए मैं बहुत आपका अभिनंदन करता हूं। आपने उत्तराखंड के 20 रेलवे स्टेशनों को वाई फाई से जोड़ा है चाहे टनकपुरहो, काठगोदाम, हल्द्वानी लालकुआं, काशीपुर, पंतनगर आदि सभी स्‍टेशनों को आपने वाई-फाई से कनेक्‍ट किया है। पीलीभीत टनकपुर को आपने ब्रोड गेज में परिवर्तन किया है। अभी आपने तीन विशिष्ट परियोजनाओं के लिए 5686 करोड़ अलग से प्रदान किये हैं। आपनेओवर ब्रिज दिए, अंडरपास दिएऔरहम चाहेंगे कि हम उत्तराखंड की धरती पर आपको आनंदित करें।जहां2009 से लेकर के 2014 तक प्रति वर्ष 127 करोड़ रुपये केवल मेरे उत्तराखंड को मिलने थे लेकिन आपने 2014 से 2019 के बीच 672 करोड़ रुपया प्रति वर्ष 260 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ प्रदान किया है। आपका मैं अभिनंदन करना चाहता हूं, हमें गौरव होता है कि आपने रेल के क्षेत्र में पूरी दुनिया में एक मुकाम हासिल किया है। कोरोना काल में भी आपने हमारी रेलों को ही चिकित्सालयों के रूप में परिवर्तित कर दिया था। आपने उस काल में भी चट्टान की तरह खड़े हो करके लोगों की रक्षा की दिशा में अद्भुत अभिनव प्रयोग किए।मैं इस अवसर पर जबकि आप सिद्धबाल जन शताब्दी एक्सप्रेस कोटद्वार से दिल्ली का शुभारम्भ कर रहे हैं, मैं पूरे उत्तराखंड की जनता की ओर से भी आपका अभिनंदन करता हूं।

 

बहुत-बहुतधन्यवाद!

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. श्री पीयूष वेदप्रकाश गोयल, माननीय रेल मंत्री, भारत सरकार
  3. श्री अनिल बलूनी, माननीय संसद सदस्‍य, राज्‍य सभा
  4. श्री महंत दीलिप सिंह रावत, विधायक, लैंसडाउन, उत्‍तराखण्‍ड

गुजरात केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालय का तृतीय दीक्षांत समारोह

गुजरात केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालय का तृतीय दीक्षांत समारोह

 

दिनांक: 23 फरवरी, 2021

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

गुजरात केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालय के तृतीय दीक्षांत समारोह में उपस्‍थित प्रख्‍यात चिंतक, विचारक और बहुआयामी प्रतिभा के धनीहमारे भारत के राष्‍ट्रपति आदरणीय श्री रामनाथ कोविंद जी, गुजरात प्रदेश के प्रथम नागरिक और राज्‍यपाल श्री आचार्य देवव्रत जी, गुजरात के यशस्‍वी उप-मुख्‍यमंत्री श्री नितिन भाई पटेल जी, गुजरात केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. हसमुख अधिया जी, विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. रामशंकर दूबे जी, कार्यकारी परिषद् के सभी सदस्‍यगण, विश्‍वविद्यालय के सभी अध्‍यापगण, अभिभावकगण और प्रिय छात्र-छात्राओं! मैं इस अवसर पर जबकि हम आज दीक्षांत समारोह के महोत्‍सव में सम्‍मिलित हुए हैं, इस उल्‍लास के अवसर पर मैं राष्‍ट्रपति महोदय का स्‍वागत करता हूं। आज इस अवसर पर मैं दीक्षांत समारोह में उपाधि प्राप्‍त करने वाले सभी 265 छात्र-छात्राओं के परिजनों को भी शुभकामनाएं देना चाहता हूं। दीक्षांत समारोह किसी भी छात्र के जीवन में एक ऐसा पड़ाव होता है जब वह एक बड़ा फैसला लेने की दिशा में आगे बढता है कि शिक्षा का वास्तविक इस्तेमाल अब आप किस क्षेत्र में करने जा रहे हैं। आपको तय करना है कि आप अपनी प्रतिभा के अनुसार जीवन के लक्ष्यों को कब और कैसे हासिल करेंगे। आपको एक लक्ष्य चुनना है और इस लक्ष्य के प्रति खुद को समर्पित भी करना है तभी आप खुद के,अपने परिवार के, समाज के औरराष्‍ट्र के विकास में अहम भूमिका निभा पाएंगे। हमेशा स्वामी विवेकानंदजी जी एक ही बात कहते थे, उठो जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाता और यही सफलता की एकमात्र कुंजी भी है। मेरा मानना है कि गुजरात केन्‍द्रीय विश्वविद्यालय साबरमती के किनारे एक नए इतिहास की ओर आगे बढ़ रहा है। गुजरात की अपनी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि रही है।यहां हड़प्पाकालीन सभ्यता के अवशेष लोथल और धारीवाल में मिलते हैं तो वहीं बल्‍लभी विद्यापीठ जैसे महान शिक्षण संस्थान की जड़ें भी यहां दिखाई देती हैं। वैदिक संस्कृति के वाहक स्वामी दयानंद जी का जन्मस्थान भी यहीं पर है तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का जीवन आदर्श भी यहां के कण-कण में दिखाई पड़ता है। इसी गुजरात की पावन धरती ने दुनिया के सबसे लोकप्रिय और सामर्थ्यशाली नेता भारत के प्रधानमंत्री के रूप में श्री नरेन्द्र मोदी को भी दिया है। यह गुजरात के धरती ने पिछले दो दशकों में विकास की यात्रा में एक नई पंक्ति में आकर के खड़ी हो रही है। चाहे वह आर्थिक विकास हो, तकनीकी विकास हो या सांस्कृतिक का विकास हो, इसका श्रेय यहां के नेतृत्व को जाता है जिन्होंने लौहपुरुष सरदार पटेल की विजन को नई उंचाइयों को दिया है। विशेष रूप से वर्तमान में प्रधानमंत्री और तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक यहां के ढाँचे का विकास हुआ। शैक्षणिक सांस्कृतिको भी नया स्वरूप मिल सका और आज दीक्षा प्राप्त करने वाले सभी अपने युवा छात्र-छात्राओं से अनुरोध करना चाहता हूं कि सरदार पटेल की प्रतिमूर्ति बन करके वो दिग्‍दिगंत में जाकर इसका गौरव एवं सम्मान बढ़ाएं। मैं शुभकामना देना चाहता हूं और गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय एक महत्त्वपूर्ण स्थान है और स्वाभाविक ही है कि इसका उत्तरदायित्व आपको शिक्षा प्रदान करना नहीं है बल्‍कि ऐसे शिक्षा तंत्र को आगे बढ़ाना है जो मानव का भी विकास करे और मूल्यों का भी सृजन करे तथा देश को सक्षम एवं आत्मनिर्भर भी बना सकें। माननीय प्रधानमंत्री जी अक्सर कहते हैं कि हमारे ज्ञान, विज्ञान अनुसंधान के दो ही लक्ष्य होने चाहिए। पहला जो उद्योग जगत को बढावा दे और दूसरा जो आम जनमानस के जीवन को सुखद बनाए। आपकी शिक्षा साक्षरता के लिए नहीं अपितु लक्ष्य आधारित हो। विश्वविद्यालय केवल एक शिक्षण संस्थान ही नहीं होता बल्कि राष्ट्र निर्माण की प्रयोगशाला भी होता है जहां राष्ट्र निर्माण को एक नई दिशा मिलती है। आपके पास उपकरण मौजूद हैं जो युवाओं को आगे बढाने के उत्तम प्लेटफॉर्म देता है। आप संसाधनों का प्रयोग करके देश तथा समाज की नई दिशा तय करेंगे और आगे बढ़ेंगे। मैं आशा कर रहा हूं किनई शिक्षा नीति 2020 आपके सपनों को नया स्वरूप देगी। माननीय राष्‍ट्रपति जी, हम आपके संरक्षण में आगे बढ रहे हैं और आपके नेतृत्व में गुजरात केन्द्रीय विश्वविद्यालय लगातार प्रगति के शिखर पर हैं ऐसे अपने परिवार के संरक्षक और दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के राष्‍ट्रपति आदरणीय रामनाथ कोविंद जी जिनका कदम-कदम पर इस नई शिक्षा नीति में हमको मार्गदर्शन मिला, मैं ह्रदय की गहराइयों से, शिक्षा परिवार की ओर से एक बार फिर आपका अभिनन्दन करना चाहता हूं, आपका वंदन करना चाहता हूं क्योंकि यह जो नयी शिक्षा नीति है, यह एक विजन डॉक्यूमेंट है जो आने वाली पीढियों को नए शिखर पर ले जाएगा। मैं समझता हूं कि यह विश्वविद्यालय भौगोलिक रूप से जहां पर खड़ा है, उसकी आधारशिला भी ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक है और निश्चित रूप से यह देश का एक ऐसा आधार स्तम्भ बनेगा जब दुनिया को उस पर गर्व होगा। मुझे लगता है कि हमारे देश के प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में और हमारे देश के यशस्वी और विचारक, चिन्तक और सहज स्वभाव के धनी राष्‍ट्रपति जी के मार्गदर्शन में जो यह नई शिक्षा नीति आई है यह नेशनल भी है,यह इन्टरनेशनल भी है, यह इम्पैक्टफुल भी है, यह इनोवेटिव भी है और इन्क्लूसिव भी है और यदि इसकी खूबसूरती देखेंगे तो इक्विटी, क्‍वालिटी और एक्सेस की आधारशिला पर खड़ी है। यह जबाबदेही भी है तो  वहनीयता से युक्त भी है। मुझे लगता है कि हम इस नई शिक्षा नीति से टैलेंट को खोजेंगे भी, उसका विकास भी करेंगे और उसका विस्तार भी करेंगे और टैलेंट को उत्कृष्ट केंटेट देकर के पेटेंट निकालेंगे ताकि दुनिया में हमारा देश शिखर पर जा सके। मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि आप इस दिशा में आगे बढ़ेंगे। मैं समझता हूं कि‘स्टडी इन इंडिया’ और‘स्‍टे इन इंडिया’ का यहजो हमारा अभियान है बहुत सक्रियता से आगे बढ़ेगा। नई शिक्षा नीति में नेशनल रिसर्च फाउंडेशन एवं नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम इन दोनों के गठन से एक बहु-आयामी शिक्षा जो हिंदुस्तान को पूरी दुनिया में शिक्षा का न केवल हब बनायेगी बल्कि महाशक्ति के रूप में स्थापित करेगी और अभी जैसे हसमुख जी चर्चा कर रहे थे कि कम समय में जिस तरीके से इस विश्वविद्यालय ने अपनी गतिविधियों को बढ़ाया है। अभी मैं देख रहा था कि स्वीडन, आस्ट्रेलिया, चीन और तस्मानिया जैसे अनेक देशों के साथ आपने अनुबंध किया है और अहमदाबाद जैसे शहर में आईआईटी भी है आईआईएम भी है, यह केंद्रीय विश्वविद्यालय भी है और हमारे संरक्षक तथा हमारे श्रद्धेय राष्ट्रपति जी का आशीर्वाद मिलेगा तो भविष्य में इस बजट में जो हमारे वित्तमंत्री जी ने घोषणा की है कि हम देश के अन्दर शिक्षा के हब को बनायेंगे। बस मैंअंत में यही कहना चाहता हूं कि दुनिया को गाँधी जैसा जिस क्षेत्र ने व्यक्तित्व दिया हो, सरदार पटेल जैसा लौहपुरूष दिया हो, नरेन्‍द्र मोदी जैसा सक्षम, यशस्वी और पूरी दुनिया का शक्‍तिशाली प्रधानमंत्री के रूप में भारत को दिया हो,‘नेशन फर्स्ट’,‘करेक्‍टर मस्‍ट’ की जिनकी सोच है, मैं अपने संरक्षक और माननीय राष्ट्रपति जी को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि यह विश्वविद्यालय न केवल गाँधी जी के दर्शन को आगे ले जाएगा बल्कि पटेल के विजन को भी साकार करेगा यह नये भारत का निर्माण करेगा। देश के प्रधानमंत्री जीने 21वीं सदी के स्वर्णिम भारत की बात की है जो स्‍वच्‍छ होगा, सुन्दर होगा,समृद्ध होगा, सशक्‍त होगा तथा आत्मनिर्भर होगा और निश्चित रूप में उसकी आधारशिला यह विश्वविद्यालय बनेगा और जिसके पास श्री हसमुख जी जैसे कुलाधिपति होंगे और डॉ. दुबे जैसे कुलपति हों उसमें शंका की कोई गुंजाइश नहीं रहती है और इसीलिये मैं अपने परिवार के मुखिया राष्ट्रपति जी को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि निश्चित रूप में हमारा यह विश्वविद्यालय गौरव का विषय बनेगा। एक बार पुनः मैं अपने सभी युवा छात्र-छात्राओं का अभिनंदन करता हूँ। आज ख़ुशी के क्षण हैं,आपके अभिभावक भी खुश हैं तो आपके अध्‍यापक भी खुश हैं तो आप भी खुश हैं। एक सपना ले करके आप आये जिसे आप यहाँ साकार करने की दिशा में, तालीम लेकर शिक्षा-दीक्षा लेकर आपवीर योद्धा के रूप में आगे बढ़ रहे हैं। हम आपको शुभकामना दे रहे हैं  कि आप सफल हों और हिन्दुस्तान का माथा पूरी दुनिया में ऊँचा कर सकें।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. श्री रामनाथ कोविंद, माननीय राष्‍ट्रपति, भारत गणराज्‍य
  2. आचार्य देवव्रत, माननीय राज्‍यपाल, गुजरात
  3. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  4. श्री नीतिन भाई पटेल, माननीय उप-मुख्‍यमंत्री, गुजरात सरकार
  5. डॉ. हसमुख अधिया, कुलाधिपति, केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालय, गुजरात
  6. प्रो. राम शंकर दूबे, कुलपति, केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालय, गुजरात

आईआईटी खड़गपुर का 66वां दीक्षांत समारोह

आईआईटी खड़गपुर का 66वां दीक्षांत समारोह

 

दिनांक: 23 फरवरी, 2021

 

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

आईआईटी खड़गपुर के 66वें दीक्षांत समारोह में उपस्‍थित अध्‍यापगणों का, छात्रों का, अतिथिगणों का और पूरे देश और दुनिया से पूर्व छात्र एवं अध्‍यापक जुड़े हैं मैं आप सभी का सबसे पहले तो इस महत्‍वपूर्ण अवसर पर जो आज उत्‍सव मनाया जा रहा है, इस अवसर पर आप सभी का सम्‍मान कर रहा हूं और इस अवसर पर हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी का आशीर्वाद हमारे छात्रों को लगातार मिलता रहता है, मैं उनको अभिनन्‍दित करता हूं क्‍योंकि वो लगातार हमारे छात्रों को आशीर्वाद देते हैं। मेरे अन्‍नय सहयोगी शिक्षा राज्‍य मंत्री श्री संजय धोत्रे जी, अमित खरे, सचिव उच्‍च शिक्षा, श्री संजीव गोयनका जो शासी मंडल के अध्यक्ष हैं,जिनकेमार्गदर्शन में आईआईटी खड़गपुर काफीआगे बढ़ रहा है औरयशस्‍वीनिदेशक प्रो.वीरेन्‍द्र कुमार तिवारी जी जो लगातार गतिविधियों को करके इस बात को सुनिश्चित कर रहे हैं। खड़गपुर पीछे नहीं है, देश की लीडरशिप ले रहा है औरतकनीकी के क्षेत्र में और ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में। प्रो.भट्टाचार्य,उपनिदेशक लंबे समय से जुड़ेहैं, स्‍टाफसहित सभी फैकल्टी और निदेशक, उप-निदेशक,विभागाध्यक्ष, सभी संकाय के सदस्यगणतथाछात्र-छात्राओं और अभिभावकगण एवं पूर्व छात्र-छात्राओं,मैंआज इस अवसर पर जबकि आप 66वें दीक्षांत समारोह में सभी एकत्रित हुए हैं,हम सब लोग गर्व का अनुभव महसूस कर रहे हैं और सबसे पहले तो मैं सभी मेधावी छात्र-छात्राओं को,जो आज डिग्री प्राप्त कर रहे हैं, उनका अभिनंदन करता हूं एवं शुभकामना देने के लिए आपके बीच आया हूं। इस ऐतिहासिक अवसर पर  मैं उन सभी शिक्षकों का भीअभिनंदन करना चाहता हूं जो इनयुवा छात्रों का उचित मार्गदर्शन देते हुए उनकेअध्‍ययनके दौरान उन्‍हेंनिरंतर प्रेरित एवंप्रोत्साहित करते रहे हैं। मुझे इस बात की खुशी है कि आज आईआईटी खड़गपुर के छात्र 66वें दीक्षांत समारोह के द्वारा अपने सपनों को एवं आकांक्षाओं को हासिल करने की एक नई यात्रा की शुरुआत करेंगे। मेरे प्रिय छात्र-छात्राओं, आज तक आपने जो दीक्षा ली है इस दीक्षा को लेकरके देश और दुनिया में छाने वाले हैं। और बहुत सारे सवाल आपके मन मस्तिष्क में आने वाले हैं तथाबहुतसारे सवालों से आपको जूझना है। अभी तक सवाल आपके मन और मस्तिष्क में आते थे और आप अपने अध्यापक से पूछते थे, वे उनका निदान करते थे। आज के बाद बहुत सारे सवाल आपके मानस के सामने खड़े रहेंगे और उन सभी सवालों का उत्तर भी स्‍वयं ही आपको देना है। मुझे भरोसा है कि जो दीक्षा और शिक्षा आपको यहां से मिली है वह हर मौके पर, हर मोड़ पर, हर परिस्‍थिति में वहआपको सवालों का उत्‍तर देने के लिए तैयार करेगी, ऐसा मेरा भरोसा है और ऐसे में मैं आपको शुभकामना देना चाहता हूं।आईआईटीखड़गपुर की इस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को यदि देंखे तो यह देश के अनेकों स्वाधीनता संग्राम सैनिकों का सर्वोच्च बलिदान की भूमि रही है। यह वह जगह है जहां आजादी की लड़ाई लड़ते हुए संतोष सुमन बिट्टा और तारकेश्वर सेन गुप्ता जैसे स्वाधीनता संग्राम सेनानियों को कैद में रखा गया था।16सितंबर,1931 उस दिन को कौन भूल सकता है मेरे नौजवान साथियों, तब उनको गोलियों से छलनी कर दिया गया था,जब आजाद हिन्‍द सेना के सेनानायक और आजादी के ध्वजवाहक नेताजी सुभाषचंद्र बोस इसबंदी शिविर में आये थे। इन वीरसपूतों के पार्थिव शरीर को लेने के लिए उस क्षण को कौन भूल सकता है,यह सामान्य घटना नहीं थी, इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। उनमें से एक गुरूदेवरवीन्‍द्रनाथ टैगोर भी थे जिन्होंने न केवल इस दर्द को महसूस किया था बल्कि अपनी सशक्त लेखनी के माध्यम से इसको बयां करके पूरे देश में उस भावना को एक आग की तरह देशभक्‍ति की ज्‍वाला को फैलाया था और ऐसा ऐतिहासिक स्थान जिसस्‍थानपर यी संस्थान है। यहवह संस्‍थान है जो आजादी के साथ-साथ में 224 विद्यार्थियों और 42 शिक्षकों के साथ शुरू हुआ था। आज इस आईआईटी खड़गपुर में 14 हजार से भी अधिक छात्र-छात्राएं हैं और 670 से भी अधिक संकाय हैं। इस संस्थान कीबहुत लंबी यात्रा इस बात का प्रतीक है कि तमाम उतार और चढ़ावों के बाद भी इस संस्थान में अपनी शिखरता को प्राप्त किया है। खड़गपुर पहला राष्ट्रीय महत्व का संस्थान है जिसे भारत सरकार के संसदीय अधिनियम के तहत स्थापित किया गया और तब से ही यह संस्थान राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आज उद्योग क्षेत्र में पुरस्कार विजेता, शिक्षाविद्, राजनेता, खिलाड़ी और रचनात्‍मक पेशेवर के रूप में उत्कृष्ट भूमिका निभानेवाले इस महान संस्थान के पूर्व छात्रोंकीसूची देखता हूं तो वे विश्व के पटल पर छाये हुए हैं और भारत का नाम रोशन कर रहे हैं। चाहे वोगूगल के सुंदर पिचाई हों जब मैं देखता हूं तो मेरे यहाँ से निकले मेरे पूर्व छात्र कहाँ-कहाँ पर अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं? हमारामाथा ऊँचा होता है कि हमारे छात्र पूरी दुनिया में छाये हुए हैंऔर पूरे देश का गौरव बढ़ा रहे हैं। मुझे खुशी है कि भगवद् गीता में जो कहा गया है कि कर्म में उत्‍कृष्‍टता ही योग है। इस सिद्धान्त को खड़गपुर ने अपने कैम्पस में समाहित कर लिया है। इसी का परिणाम है कि यह लगातार और लगातार आगे बढ़ रहे हैं। खड़गपुर अभियांत्रिकी प्रौद्योगिकी आधारित विज्ञान,जैवज्ञान प्रौद्योगिकी, सामाजिक विज्ञान, मानविकी प्रबंधन विधि और उद्यमिता से अनेक क्षेत्रों में शैक्षणिक कार्यक्रमों को एक विस्तृत श्रृंखला और विविध शैक्षणिक गतिविधियों और विषयोंके बारे में जाना-पहचाना और माना जा रहा है। आज ही संस्थान से वार्षिक चार हजार उद्धरणऔर स्टार्टअप के रूप में 21प्रौद्योगिकी के साथ दो हजार शोधप्रकाशित हुए हैं। यह इस बात को दर्शाता है कि आपका संस्‍थान शोध और नवाचार में आगे बढ़ रहा है और जैसी कि अभीमेरे सहयोगी मंत्री आदरणीय संजय धोत्रे ने कहा कि अब पूरे देश के अन्‍दर शोध और अनुसंधान की संस्‍कृति के लिए ‘नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’ जिसके लिए 50 हजार करोड़ रूपया स्‍वीकृत हुआ है।प्रियछात्र-छात्राओं,मैं आपसेअनुरोध करना चाहता हूं कि एक वक्त था जब हममें पैकेज की होड़ लगी कि कितना बड़ा पैकेज किसको मिलेगा। लेकिन आज देश स्‍वाधीनहो गया है। हमको अबनौकरी के लिए नहीं दौड़ना है।अबपैकेज के स्‍थान पर पेटेंट की दौड़ होगी। हम टैलेंट और उत्‍कृष्‍ट कोटि के साथ पैटेंटकोनिकालेंगे। हम नौकरी लेने वाले लोगों में नहीं, बल्‍कि नौकरियां देने वाले लोगों में खड़े होंगे, ऐसा मेरा विश्वास है और यही संकल्प लेकर आज मैं आया हूं। मैं यह देखकर बहुत हर्षित होता हूं कि भारत सरकार की योजनाओं में आईआईटी खड़गपुर ने ऊर्जा और उत्‍साह के साथ हर जगह बढ़-चढ़कर के मुझे दो साल इस मंत्रालय में होरहे हैं और जब भी मैं समीक्षा करता हूं तो कहीं न कहीं केन्द्र में मेरा खड़गपुर सामनेआता है।मुझे इस बात की बहुत खुशी है कि स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत इससंस्थान द्वारा विकसित के किए गए विविधशौचालय प्रणाली स्‍वच्‍छता का समाधान करने में सक्षम है और सुदूर क्षेत्र में लाभदायी भी है।जहां पानी की आपूर्ति नहीं है वेस्ट से वेल आपका यह अद्भुत उदाहरण है जो हमारे प्रधानमंत्री जी के सपने को साकार करता है। आप सबको मालूम है कि जब हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने ‘स्वच्छ भारत अभियान’ का आह्वान किया था तो बच्चा-बच्चा भी अपने घर का लीडर बन कर खड़ा हो गया था। स्वच्छता के इस अभियान के लिए पूरी दुनिया का अद्भुत अभियान हो गया था और आप उस अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं।मुझे बहुत खुशी है कि उच्चतर आविष्कार योजना के अंतर्गत संस्थान चार पहिया वाहन और छोटे स्तर पर तीन पहिया वाहनों के लिए विद्युत वाहन पर शोध और विकास कार्यों में आगे बढ़ रहा है। मुझेइस बात को लेकर खुशीहै कि मुझे यहभीबताया गया है कि उन्‍नत भारत अभियान के अन्तर्गत संस्‍थानके कृषि और खाद्य इंजीनियरिंग विभाग में सिंचाई औरखाद्य प्रसंस्करण को शामिल करते हुए कई तकनीकों का विकास किया जा रहा है जो पश्चिम बंगाल के 23 जिलों और पूर्वी भारत के अन्य राज्यों में विभिन्न गांव में 20 हजार से भी अधिक किसानों के उपयोग में लाई जा रहे थे। इस ग्राम स्‍वराजके अभियान की यह अनोखी पहल है और यहां के निदेशक प्रो. तिवारी को कहता हूं कि आपको कृषिऔर कृषि विज्ञान के क्षेत्र में महारत है और मेरे आस-पास खड़गपुरके गांव में यहां की सुगंध बढ़नी चाहिए ताकि लोगों को लगे कि हां, खड़गपुर या आसपास की सुगंध से गांव भी अनुप्राणित हो रहा है। शैक्षणिक संस्‍थान अपने क्षेत्रीय गांवोंकेकिसानों को विशेष लाभ पहुंचाने की दिशा में और आत्मनिर्भर भारत और आत्मनिर्भर गांव और आत्मनिर्भर राष्ट्र, इसका जो रास्‍ता है इसको आप निश्चित रूप में आगे बढ़ा रहे हैं। मुझे इस बात की खुशी है और प्रधानमंत्री जी हमेशा कहते हैं कि हमारे ज्ञान, विज्ञान एवंअनुसंधान के दो लक्ष्‍यहोने चाहिए। पहला ‘इज ऑफ बिजनेस’ कि उद्योग जगत को बढ़ावा दें और दूसरा ‘इज ऑफ लिविंग’ जो आम जनमानस के जीवनको सुखद बनाए। आपकी शिक्षा साक्षरता के लिए नहीं अपितु लक्ष्‍य आधारित शिक्षा होनी चाहिए,मानवता को समर्पित होनी चाहिए और हमारी संस्कृति से युक्त परंपराओं से भरी होनी चाहिए। मुझे भरोसा है कि इस संस्थान से निकलने वाले छात्र-छात्राएं हैं वोज्ञान की उस संस्कृति के ध्‍वजवाहक बनेंगेजिस संस्कृति ने पूरी दुनिया में भारत को विश्‍व गुरू के रूप में स्थापित किया था। मुझे गर्व है कि कोविड-19की विषम परिस्थितियों में भी आईआईटी खडग़पुर ने समाज की भलाईके लिए बहुत महत्वपूर्ण काम किया और इस दिशा में छात्रों की देखभाल की दिशा में लॉकडाउन की अवधि, मुझे याद आता है कि जैसे ही यहपरिस्‍थिति आई थी और मैंने निदेशक से पूछा था तो हजारों छात्र हमारे हॉस्टल में थे और मैं इस बात को लेकर लगातार चिंतित था कि हजारों छात्र हास्‍टल में हैं और इनपरिस्‍थितियोंमें हमारे निदेशक ने तब कहा था कि कैसे करके छात्रों को उनके घरों तक पहुंचाया जाए। मेरे को बताया गया कि छात्र चाहते हैं कि वो यही पर रहें और सुरक्षित रहे। इसकेलिए मैं बधाई देना चाहता हूं क्‍योंकि यह भी अपने आप में एक सुखद उदाहरण था। पश्चिम बंगाल देश का गौरव रहा है और यहां पर केन्‍द्रीय विद्यालय भी हैं और नवोदय विद्यालय भी है और बहुत सारे संस्थान हैं।यदिउच्च शिक्षा की बात मैंकरूं तो आईआईटी खड़गपुर हो, चाहे आईआईआईटी कल्याणी हो,नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कलकत्ता जैसे उच्च शिक्षा के विभिन्न उत्कृष्ट संस्थान प्रमुखता से अध्ययन और अध्यापन कार्य करा रहे हैं और वहीं दूसरी ओर जाधवपुर विश्वविद्यालय को आईओईका भी दर्जा भी मिला है और इसके अलावा भारत सरकार ने पिछले5साल में देखें तो लगभग897 करोड़ रुपये इन संस्थानों के लिए प्रावधानित किए हैं। टीचर्स ट्रेनिंग की दिशामें भी 10.6 करोड़ का आबंटन हुआ हैजोपश्चिम बंगाल के शिक्षकों की शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए दिए गए हैं। मुझे भरोसा है कि प्रधानमंत्री श्रीमोदीजी के नेतृत्व में एवंउनके मार्गदर्शन में नई शिक्षा नीति 2020 आई है निश्‍चित रूप में यह न केवल भारत के शैक्षणिक परिदृश्य को बदलेगा बल्कि मेरे भारत को पुनः विश्वगुरु के रूप में स्थापित करेगा ऐसा मेरा भरोसा है। सभी छात्रों को गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान करने के लिए जहां शोध कीसंस्कृति को विकसित करने की दिशा में नेशनल एजुकेशन टैक्‍नोलॉजी फोरम का भी गठन किया जारहाहै जो अंतिम छोर तक के छात्र को तकनीकी से समृद्ध करेगा और ‘वोकल फॉर लोकल’गांवतक जाएगा और ‘लोकल फॉर ग्‍लोबल’अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर तक जाएगाऔर जो आत्‍मनिर्भर भारत को बनाने की दिशा में एक सशक्त कदम होगा, ऐसा मेरा भरोसा है। मुझे आशा है कि एनईपीके क्रियान्‍वयन के लिए और शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण में हमारे अध्‍यापक अहम भूमिका निभाएगा। हमारे देश के पूर्व राष्‍ट्रपति अब्‍दुल कलाम जी ने कहा था कि सपने जो सोने न दे, जब तक वो क्रियान्‍वयन नहीं हो जाते तब तक आप लगातार आगे बढ़ें। मुझे इस बात की भी खुशी है कि आज चार युवकों को यहसंस्थान डीलिट की उपाधि प्रदान कर रहे हैं। मैं इन चारों लोगों के बारे में जितना जानता हूं इस संस्थान ने बहुत ऐसे लोगों को चुना है, मैं आप सभी को बहुत बधाई देना चाहता हूं। मेरे प्रिय छात्र-छात्राओं, मुझे भरोसा है कि आप आत्‍मनिर्भरभारत के ब्रांड एम्‍बेस्‍डर बनकर पूरी दुनिया में जाएंगे। इस देश को सशक्त करने के लिए मेरे देश के प्रधानमंत्री जी ने जिस 21वीं सदी के स्‍वर्णिम भारत  की बात की है ऐसा भारत जोस्‍वस्‍थ हो, सशक्‍त हो, समृद्ध हो,श्रेष्ठ हो और एक भारत को जिसका रास्ता मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्‍किल इंडिया,स्‍टार्टअप इंडिया और स्‍टैंडअप इंडिया से होकर गुजरता है। मुझे भरोसा है कि आप अपने सामर्थ्‍यसे प्रधानमंत्री जी के 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्‍यवस्‍था के विचार कोसाकार करेंगे। एक बार फिर मैं आपके अभिभावकों को, आपको और आपकेअध्यापकगण को बहुतसारी बधाई देता हूं।

 

बहुत-बहुत धन्यवाद!

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. श्री नरेन्‍द्र दामोदर दास मोदी, माननीय प्रधानमंत्री, भारत
  2. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  3. श्री संजय शामराव धोत्रे, माननीय शिक्षा राज्‍य मंत्री, भारत सरकार
  4. श्री अमित खरे, सचिव, उच्‍च शिक्षा, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार
  5. श्री संजीव गोयनका, अध्‍यक्ष, शासी मंडल, आईआईटी खड़गपुर
  6. प्रो. वीरेन्‍द्र कुंमार तिवारी, निदेशक, आईआईटी खड़गपुर
  7. प्रो. श्रीमन कुमार भट्टाचार्य, उप-निदेशक, आईआईटी खड़गपुर