Author: nishankji-user

इन्‍दिरा गांधी राष्‍ट्रीय जनजाति विश्‍वविद्यालय, अमरकंटक का दीक्षांत समारोह

इन्‍दिरा गांधी राष्‍ट्रीय जनजाति विश्‍वविद्यालय, अमरकंटक का दीक्षांत समारोह

 

दिनांक: 22 फरवरी, 2021

 

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

इन्‍दिरा गांधी राष्‍ट्रीय जनजाति विश्‍वविद्यालय, अमरकंटक केदीक्षांत समारोह में उपस्थित विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्‍यक्ष प्रो. डी.पी. सिंह जी और इसविश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.श्री प्रकाशमणि त्रिपाठी जी और आज हमारे साथ यहां आशीर्वाद देने के लिए सांसद श्रीमती हिमाद्रीसिंह जी,सभी उपस्थित कार्यपरिषद् के सदस्यगण,सभीअध्यापकगण, सभी कर्मचारी,प्रियछात्र छात्राओं और सभी अभिभावकगण,अन्‍यउपस्थित सभी अतिथिगण और इस कार्यक्रम से जुड़े सभी भाई बहनों का अभिवादन कर रहा हूं और छात्रों को इस अवसर पर बहुत बधाई देना चाहता हूं कि आज तृतीयदीक्षांत समारोह हो रहा है और इस दीक्षांत समारोह में आपके बीच अपनेको पाकर मैं आज शुभकामना देता हूं। मैं यह समझता हूं कि यहक्षणआपके लिए अविस्मरणीय है। जब इस संस्थान में आप आए होंगे तबसोच के साथ,और उन शुभकामनाओं के साथ इतनेलंबे समय तक शिक्षा ग्रहण करने के बाद आज आपडिग्री अथवाउपाधि लेकर के जाएंगे। आप में से बहुत सारे लोग स्वर्ण पदक लेकर के जा रहे हैं तो आज दीक्षांत समारोह के बाद आपके लिए पूरा मैदान खाली है। हम सभी लोग आपको बधाई देने के लिए यहां सम्‍मिलित हैं।आपमैदान में जाकर एक योद्धा की तरह कार्य करें और अभी तो तमाम मन-मस्तिष्क में बहुत सारी चीजें उथल-पुथल भी मचा रही होंगी। आपकेअध्‍यापगण भी खुश हैं कि उन्‍होंनेआपको जोशिक्षादी आप अनुभव का एवं  ज्ञान का उपयोग अपने व्यक्तिगत जीवन के उत्थान के लिए तथासमाज के उत्थान के लिए विभिन्न माध्यमों से आप करेंगे।इस अवसर पर मैं आपको बहुत बधाई देना चाहता हूं, आप सभी में बहुत ही अद्भुत प्रतिभा है और आपज्ञान,विज्ञान तथाविभिन्‍नविधाओं में नेतृत्व की क्षमता रखते हैं। आपआत्मनिर्भर भारत केकारक भी हैं और कारण भी हैं और मुझे विश्वास है कि सभी अपनी पूर्ण क्षमता के साथ देश को बेहतर बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देंगे।दीक्षांत समारोह विद्यार्थियों  के जीवन में एक महत्वपूर्ण समय होता है तथा उसेवो जीवन में भुला नहीं पाता है। यह वो दिन है जब संसार को झकझोर देने वाले विरोधाभास आपके सामने है, लेकिनआपउसका मुकाबला करते हुए अद्भुत संभावनाओं को उजागर करेंगे औरअपनेकदमों आगे बढ़ाएंगे। इन्‍दिरागांधीजनजातीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह मेंमुझे हमारे आदर्श बिरसा मुंडा जी का यह कथन स्मरण होता है, जब उन्होंने कहा था कि देशप्रेमकी ललक एक वरदान है। यह जो देशप्रेम है यह अन्‍दर से उमड़ता है, जो मनुष्य कोउत्सर्ग के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। मुझे भरोसा है कि मुंडा जी के इस कथन को हम हर कदम पर अनुसरण करेंगे। मैंदेख पा रहा हूं कि इन्‍दिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के छात्रों की आंखों में राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में अपना अनोखाऔर अनूठा योगदान देने का संकल्प हैं क्‍योंकिनजरों में नज़र डालकर ही आत्मविश्वास होता है। मुझे भी गर्व महसूस होता है कि जनजाति विश्वविद्यालय ने सीमित आबादी में ही विकास की यात्रा की है और इस यात्रा में भी इस विश्‍वविद्यालय ने गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ अनुसंधान को भी बढ़ावा दिया है, परिशुद्धता को प्राप्त किया है और एक अच्छा वातावरण तथा एक अच्छी संस्कृति का परिवेश तैयार किया है। मध्यप्रदेश के अमरकंटक में विश्वविद्यालय का मुख्यालय है और इसी विश्‍वविद्यालय द्वारा मणिपुर में जो क्षेत्रीय परिसर प्रारंभ किया गया है उस क्षेत्र की उच्च शिक्षा की आवश्यकताओं को निश्चित तौर पर पूरा करने की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण योगदान देगा। मुझे भरोसा है कि मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि नॉर्थ ईस्‍ट के विकास में यहविश्‍वविद्यालयबहुत बड़ा योगदान देगा।जैसा कि आप जानते हैं कि इन्‍दिरागाँधी राष्ट्रीय जनजाति विश्‍वविद्यालय की स्‍थापना एक विशिष्‍ट उद्देश्य से की गई है।इसका उद्देश्‍य भारत के जनजातीय समुदाय को उच्च शिक्षा के अवसर प्रदान करना, शोध की सुविधाएं उपलब्ध कराना,जनजाति क्षेत्र में निवास करने वाले युवाओं को नई दिशा देना,शिक्षा के माध्यम से और नवाचार के माध्यम से जनजातियों का विकास करना,शोधअनुसंधान नवाचार के माध्यम से जनजाति कासमग्र विकास करना है और यह विश्‍वविद्यालय उनकी शिक्षा के उत्थान के क्षेत्र में महत्‍वपूर्णकदमउठा रहा है। जनजाति समुदाय की एक समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा रही है और जनजाति क्षेत्रों की एक विशिष्टता बिल्कुल अलग प्रकार की हैं। उनमेंअनेक संभावनाएं हैं। एक विद्यालय अनुसंधान नवाचार और सशक्तिकरण के माध्यम से जनजाति क्षेत्रों को संवर्धित बना सकता है। इस विश्‍वविद्यालय की जनजातीय क्षेत्र के विकास में निश्चित ही महत्वपूर्ण भूमिका होगी और यह साबित करेगा कि जिसउद्देश्य से भारत सरकार ने इस जनजाति विश्‍वविद्यालयको बनाया है,उस दिशा में यह एक मील का पत्थर साबित होगा। मुझे खुशी है कि विश्वविद्यालय जनजातीय कला संस्कृति के विकास के साथ-साथ शिक्षा में और विशेषकरउच्च शिक्षा के क्षेत्र में जो सुविधाएंउपलब्ध कराएगा। यह विश्‍वविद्यालय कला, परंपराओं और संस्कृति के वैज्ञानिक अध्ययन को प्रोत्‍साहित करेगा और सामाजिक तथा सांस्कृतिक एकरूपता के साथ प्राकृतिक संसाधनों से संबंधित प्रौद्योगिकी के विकास हेतु शोधऔर अनुसंधान की सुविधाएं भी उपलब्‍ध करवाएगा।मेरे देश के प्रधानमंत्री श्रीनरेंद्र मोदी जी ने जिस बात को कहा कि 21वीं सदी का स्‍वर्णिम भारत चाहिए और निश्‍चित ही जो यहक्षेत्र है, यह एकसमृद्ध क्षेत्र है।यदि आप देखेंगे तो इस क्षेत्र में जोपरिवेश है उसमें शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में समग्र तरीके से आर्थिक मजबूती देने का भी अवसर है।हमअपनी लगन से इस क्षेत्र काया पलट करेंगे। एक समय था जब हम इस बात की हौड़ करते थे कि हमको पैकेज की दौड़ में जाना है लेकिन अब हमको पैकेज की दौड़नहीं लगानी है क्योंकि नौकरी पाने वाला हमकोनहीं बनना है और हमें नौकरी देने वाला बनना है, पेटेंट की दौड़ हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है और इसलिए अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर जनजातियों के सांस्‍कृतिक जीवन,नृत्य और शोध एवं अनुसंधान से संबंधित पक्ष शोध और अनुसंधान के रूप में आप उभार के ला रहे हैं। मुझे लगता है कि आपका यह जो कदम हैजनजन तक पहुँचने का यह बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है और इससे इस क्षेत्र की आर्थिकी को अनिवार्य रूप में बल मिलेगा मुझे विश्‍वास है कियहां के जो लोकल संसाधन हैं उनकोआपउजागरऔर आर्थिक रूप से तथा सांस्कृतिक एवंसामाजिक रूप से सशक्त करेंगे। किसी भी विश्वविद्यालय को प्रतिष्ठित करने का यही उद्देश्‍य है कि वह उस क्षेत्र में अध्‍ययन करे, रोजगार के अवसरों को सृजित करे। स्थानीय उद्योगों को और विकसित करके राष्ट्र की मुख्यधारा में लाकर उसको ओर तेजी से आगे बढ़ा सके। मुझे इस बात की खुशी है कि इस विश्‍वविद्यालय को61.8करोड़ की धनराशिसामान्य विकास सहायता के लिए प्रदान की गई। जबकि उसकेविकास के लिएसैकड़ों करोड़ रुपया भारत सरकार ने सुनिश्चित किया है और एक आदर्श विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित करने की दिशा में कदम आगे बढ़ाए हैं। मुझे खुशी है कि इस विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भीलाने की कोशिश हुई है। आदिवासी युवाओं संपर्क स्‍थापितकरने की भी आपकी जो संकल्पना है वो युवाओं को रोजगार की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण है तथा अभियान्त्रिकी महाविद्यालय भी आपने उनके भविष्य के लिए खोलाहै। चिकित्सा महाविद्यालय आपने खोला है,नर्सिंग प्रशिक्षण केन्द्र को भीखोलेन की आपकी योजना है।आपने देखा है कि हम नई शिक्षा नीति के तहत कक्षा छह से ही वोकेशनल एजुकेशन ला रहे हैं और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस हम स्कूली शिक्षा से पढ़ायेंगेऔर इंटर्नशिप के साथ वोकेशनल शिक्षा देंगेताकिउस क्षेत्र का छात्र अपने इर्द-गिर्दजो संपदायेंबिखरी हुई हैं, उनके साथ सामंजस्य स्थापित कर सके और उसको आगे बढाने की दिशा में विचार कर सके। मुद्रा ऋण योजना और स्टैंडअप इंडिया योजना भारत सरकार की प्रमुख योजनाएं हैं, जिनका लाभ छात्र उठा रहे हैं।इसके अन्तर्गत युवाओं को नए व्यवसाय आरंभ कर उद्योगपति के रूप में देश के आर्थिक विकास में अपनी भागीदारी निभाने का अवसर प्राप्त होगा। मुझे विश्वास है कि आपका यह प्रयास भारत निर्माण में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएगा। आपसबको पता है कि देश के प्रधानमंत्री जी ने जहां आत्मनिर्भर भारत की बात है, वहीं 5 वहां 5 ट्रिलियन डॉलरअर्थव्यवस्था के लिए भी उन्‍होंने कहा है। जहां देश ज्ञान की महाशक्ति के रूप में स्थापित होने की दिशा में तेजी से आगे बढ रहा है वहीं देश आर्थिक दृष्टि से सशक्‍त बनकरपूरी दुनिया को लीडरशिप भी दे सकता है। हम जीवन मूल्यों की दिशा में भी सशक्त हों, हम तकनीकी की दिशा में सशक्त हों, हम ज्ञान और विज्ञान की दिशा में भी सशक्‍त हों और हम आत्मनिर्भर भारत जो वोकल फॉरलोकल है और लोकल फॉरग्लोबल है उसके तहत हमें यह भी करना होगा कि अंतिम छोर के व्यक्ति को किस तरीके से हम तकनीकी ज्ञान दे सकते है। उसके लिए मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया इन सभी को कैसे करके गांवतक पहुंचा सकते हैं। उसके स्किल का विकास करके उसको मेक इन इंडिया से जोड़ सकते हैं, अपने स्टार्ट अप खड़े कर सकते हैं और आपने देखा इस समय पूरे देश का वातावरण इस तरीके से बदला हुआ है जहां हमारे नौजवानों में जोश है और वैसेभी आगे 35-40 सालों तक यह देश यंग इंडिया रहने वाला है और ऐसे समय में हमारे जोनौजवान हैं इनके अंदर जितनी क्षमता है पूरी ताकत के साथ इस क्षमता का उपयोग करेंगे और हर क्षेत्रमें हम शिखर को प्राप्त करेंगे, ऐसा मेरा भरोसा है। मुझे यहभी बताया गया कि आपने कई गांवों को गोदलिया है। गांव को गोद लेने औरउनके समग्र विकास के लिए हमाराउन्नत भारत अभियान चलता है उसमें आपनेकईगांवों को लिया है औरमैंजरूर इन गांव का दर्शन करना चाहूंगा।मैंछात्र-छात्राओं को बधाई देना चाहता हूं और इस संस्थान को भी बधाई देना चाहता हूं और अध्यापकों को भी कि जो आपके यहगांवहैंइनमें विकास दिखना चाहिए और पता लगना चाहिए कि यह विश्‍वविद्यालय के गांव हैं।वहां आत्मनिर्भरता भी हो,स्वच्छता भी हो, शालीनता भी हो,वहां का छात्र प्रखर भी हो, वहां समग्र शिक्षा भी हो और हमें प्रयास करना है किहरक्षेत्र में कैसे यह 5 गांवआत्मनिर्भर बन सकते हैं। मुझे भरोसा है कि आप इसदिशा में काम कर रहे हैं।मुझे इस बात की भी खुशी है कि वैज्ञानिक शिक्षकों के लिए भी आपने यंग साइंटिस्ट अवार्ड घोषित किया है और उसके तहत युवा वैज्ञानिक शिक्षकों को एक लाख रुपये और प्रशस्ति पत्र तथा आकस्मिक प्रयोगशाला खर्चके लिए पांच साल के लिए एक लाख रुपया सुनिश्चित किया है तो यह निश्चित रूप में शोध और अनुसंधान तथानवाचार के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा। आपको तो मालूम है कि शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में हम स्‍पार्क के तहत दुनिया के शीर्ष 127 विश्वविद्यालयों के साथ शोध और अनुसंधान कर रहे हैं।अभी जब हमारे देश के प्रधानमंत्री ने कहा कि अनुसंधान की जरूरत है और इसलिएअनुसंधान के लिए 50 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।  हमारी सरकार के द्वारा नेशनल रिसर्च फाउंडेशन का गठन किया जा रहा है और दूसरी तरफ अंतिम छोर तक को तकनीकी ज्ञान देने के लिए ‘नेशनल एजुकेशन टेक्नालॉजी फोरम’ का भीगठन किया जा रहा है। इन दोनों के गठन से शोध और अनुसंधान की दिशा में बहुत व्यापकता आएगी और हम आगे बढ़ सकते हैं। कृषि, जैव प्रौद्योगिकी और औषधीपौधों के विकास तथा ऊर्जा उत्पादन एवंदेशज ज्ञान के प्रचार और प्रसार तथाइसकेअनुप्रयोग के लिए अमरकंटक में अपारसंभावनाएं हैं। मुझे भरोसा है कि इस संभावनाओं का पूरा उपयोग शोध और अनुसंधान के साथ विद्यार्थी और शिक्षकदोनों मिलकर एक नया परिवेश बनाएंगे और इसके लिए अलग से एक उदाहरण प्रस्तुत होगा। इस विश्वविद्यालय की पर्यावरण के प्रति भी मैं देख रहा हूं की संवेदनशीलता है। विश्‍वविद्यालय में छात्रों को वृक्षारोपण के प्रति भी प्रोत्‍साहित किया जाता है। वृक्षोंकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक वरिष्‍ठ प्रोफेसर प्रो. की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है जो विद्यार्थियों,शिक्षकों एवं कर्मचारियों को वृक्षारोपण कोसुनिश्चित करनेहेतु प्रेरित करता रहता है। हम जानते हैं कि यह जो पर्यावरण है और जिस तरीके से मौसम परिवर्तन की चुनौतियों से पूरी दुनिया गुजर रही है,इसकाहमको मुकाबला करना है और फिर आप ऐसे क्षेत्र में हैं जहां पर्यावरण और वन के साथ एकात्मकता चाहिए।किस तरीके से उनका संरक्षण एवं व्यवस्थित दोहन हो तथाकैसे जड़ी बूटियों का संरक्षण हो, इन दोनों चीजों के समन्‍वय की जरूरत है और आप लोग इसकोकर रहे हैं और आगे इसकी बहुत सारी संभावनाएं हैं।जल शक्‍ति योजना के तहत आपनेजनजागरण नुक्कड़ नाटक, नृत्य चित्रों के माध्यम से भी विश्‍वविद्यालय के आस-पास के गांवों में जल संरक्षण, जल संवर्धन संबंधी जागरूकता के आप अभियान चला रहे हैं। इसके बाद ‘एक वृक्ष एक छात्र’ अभियान भी आपनेकियाथा और हमने यहकहा था कि यह अभियानकिसी भी छात्र का चाहे जन्मदिन है या उसके परिवार के किसी भी सदस्य का जन्मदिन है हमें एक वृक्ष को रोपित करना है और फिर उसके संरक्षण के साथ उसको बड़ा करनाहै। यहविश्व विद्यालय इस संस्कृति को तेजी से आगे बढ़ा रहा है,इसकीमुझे खुशी है।विश्‍वविद्यालय परिसर में मॉडल स्कूल और केन्‍द्रीय विद्यालय के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जा रही हैं और निश्चित रूप में स्कूली शिक्षा में भी यहां के बच्‍चे बहुत अच्‍छे तरीके से काम कर रहे हैं। मुझेविश्‍वास है कि यह विश्‍वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति कोपूरी तरीके से लागू करके प्रभावी कदम उठाएंगा, जिसकी आज जरूरत है। मुझेभरोसा है कि जिस तरीके से इस विश्वविद्यालय ने नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए 13 समितियों का गठन किया है और उन समितियों को अलग-अलग शैक्षणिक सत्र के साथ जोड़ा जा रहा है, इससे विश्‍वविद्यालय की गम्‍भीरता का पता चलता है। मैं इस विद्यालय के कुलपति और सभी आचार्य गण को यह अनुरोध जरूर करूंगा कि आप एक मिशन मोड औरजुनून के साथ इस एनईपी 2020 को लागू करें जिसे न केवल देश ने बल्‍कि दुनिया नेसराहा है। पूरी दुनिया ने इसको सबसे बड़ा  रिफॉर्म  बताया है और तमाम विद्यालयों ने इसकी सराहना की है तो उसको लागू करने के लिए आप पूरी ताकत के साथ जुटेंगेऐसा मेरा भरोसा है। इस दीक्षांत समारोह के अवसर पर मैंछात्रों से निवेदन करूंगा कि प्रधानमंत्री जीका जो 21वीं सदी का स्वर्णिम भारत का विजन है,जोसशक्त भारत हो, जो समृद्ध भारत हो, जो आत्‍मनिर्भर भारत हो,जोश्रेष्ठ भारत हो,उसश्रेष्ठ भारत कोस्थापित करने की दिशा में आप आगे आएंगे और योगदान देंगे। मुझे भरोसा है कि आपकी आगे बढ़ने हेतु जो छटपटाहट है, वो राष्ट्र को शिखर पर पहुंचाने का काम करेगी। उसमें आप चट्टान की तरह खड़े हो करके आगे बढ़ेंगे। मुझे आदरणीयअटल बिहारी वाजपेयी जी  की कुछ पंक्‍तियां याद आ रही हैं कि‘‘विश्‍व गगन पर अनगिनत गौरव के दीपक अब भी जलते हैं, कोटि-कोटि नैनों  में स्‍वर्ण युग के सपने बनते हैं’’यह जो नया युग है हमें उसका अपनी आंखों में ऐसा सपना संजोना चाहिएऔर सपने भी ऐसे जो सोने न दें। कलाम साहब ने कहा था कि सपनेज़रूरी हैं, लेकिन ऐसे सपने जो सोने न दें,जबतक कि हम उस लक्ष्य तक पहुंच नहीं जाते। मेरा भरोसाहै कि आप सभी छात्र-छात्राएं जो आज डिग्री लेकर जा रहे हैं, आप हर क्षेत्र में उन्‍नति के शिखर को प्राप्‍त करेंगे, इस शुभकामना के साथ मैं आपको बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. श्रीमती हिमाद्री सिंह, संसद सदस्‍य (लोक सभा)
  3. प्रो. डी.पी. सिंह, अध्‍यक्ष, विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग,
  4. डॉ. मुकुल शाह, कुलाधिपति,इन्‍दिरा गांधी राष्‍ट्रीय जनजाति विश्‍वविद्यालय, अमरकंटक
  5. श्री प्रकाशमणि त्रिपाठी, कुलपति,इन्‍दिरा गांधी राष्‍ट्रीय जनजाति विश्‍वविद्यालय, अमरकंटक

 

 

 

21 फरवरी, 2021 – शिक्षा और समाज के समावेश के लिए एवं बहुभाषावाद को बढ़ावा देने हेतु अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी

शिक्षा और समाज के समावेश के लिए एवं बहुभाषावाद को बढ़ावा देने हेतु अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी

दिनांक: 21 फरवरी, 2021

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

महात्माश गांधी अंतर्राष्ट्री य हिन्दीय विश्वनविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश शुक्लष जी, केंद्रीय हिन्दीा संस्था1न, आगरा के उपाध्ययक्ष श्री अनिल कुमार शर्मा जी, केंद्रीय हिन्दीी निदेशालय के निदेशक डॉ. रमेश पाण्डेरय जी, एनबीटी के निदेशक कर्नल युवराज मलिक जी, हमारे तेलगु भाषा परिषद् के निदेशक सहित सभी पदाधिकारीगण, सभी भाषा-निदेशालयों के अधिकारीगण, सभी विश्वरविद्यालयों के कुलपतिगण और देश के कोने-कोन से विभिन्नष भाषाविद् जो आज हमारे साथ जुड़े हैं, मैं इस अवसर पर जबकि अंतर्राष्ट्री य भाषा दिवस मनाया जा रहा है और भाषाओं के प्रति चेतना का उद्गम हो रहा है, ऐसे अवसर पर मैं आप सभी के प्रति बहुत आभार प्रकट करता हूं और विशेषकर मैं अपने महामहिम उप-राष्ट्र पति जी, जिनके सानिध्यर में हम लगातारभारतीय भाषाओं के सशक्तिरकरण की दिशा में चिंता कर रहे हैं बल्कि् भारतीय भाषाओं के सशक्तिनकरण की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहे हैं।
मेरा मानना है कि भाषा की महत्ताक न केवल राष्ट्री य एकता और अखंडता से जुड़ी है बल्किा हमारी संस्कृाति और संस्कातरों से भी जुड़ी है। जैसाकि हमारे मंत्री जी ने कहा है भारत में विभिन्न भाषाओं की लंबी समृद्ध परंपरा है और मैं यह समझता हूं कि महर्षि पाणिनी हो और चाहे महर्षि कातायन हो, पातंजली हो,इन विद्वानों का भाषा के विकास में महत्वीपूर्ण योगदान रहा है। पीछेकेसमय मुझे अच्छार लगा जब हम महामहिम उप-राष्ट्रहपति के सानिध्ये में नैलुरू में भाषा संस्थागन की स्थािपना कर रहे थे तो वहां के तेलुगु तथा कन्न-डं के लेखकों का भी हमने सम्मावन किया था।
मैं समझता हूं कि पाणिनी ने अष्टाेध्याायी को लिखाहै और ऐसा किसी भी पुस्तीक में मिलना तो दूर-दूर तक भी सामान्ये नहीं है बल्कि् बहुत ही दुर्लभ है। विवेकानन्द। जी की भी बात हमें हमेशा याद रहती है उन्होंरने कहा था कि विचारों को लोगों की भाषा में सीखाना चाहिए।हमारी विवेकानन्दज एवं गांधी जी ने भाषाओं के माध्योम से जिन-जिन बिन्दुीओं को कहा है उनके माध्यरम से यदि देखेंगे तो उन्होंीने बहुत ही सशक्तष माध्यनम के रूप में मातृभाषा को लिया है।
मुझे याद आता है कि एक दीक्षांत समारोह में रवीन्द्र नाथ टैगोर जी ने कहा था कि सीखने की प्रक्रिया से मातृभाषा का एक गहरा समन्वंय है।अनेक साक्ष्यि एवं केस स्टीडी हमारे पास मौजूद हैं जो यह साबित करती है कि हर मानव के ज्ञान अर्जन को उत्कृसष्टयता तक तभी ले जाया सकता है जब उसका माध्य म उसकी मातृभाषा हो। उन्होंीने यह भी कहा कि शिक्षा में मातृभाषा का वही स्थाकन है जो एक नवजात शिशु के लिए मां के दूध का है।इससे भी आगे जा करके रवीन्द्र नाथ टैगोर जी कहते हैं कि जिस प्रकार हमें खुद ही भोजन को मुंह में डालना पड़ता है उसी प्रकार ज्ञान को अपने ही परिवेश, अपनी ही मातृभाषा में सीखा जा सकता है।
इसका मतलब जो भी ज्ञानहम अर्जित करते हैं उसको हम अपनीमातृभाषा में ही अपने अन्दोर समाहित कर सकते हैं। यदि मैं विवेकानन्दत जी के बारे में चर्चा कंरू तो जिनको हम अपना आदर्श मानते हैं और भारत की शिक्षा नीति में भी हमने उनका दर्शन कराया है। उन्होंकने कहा कि हमेंभाषा को विस्ताएर देना चाहिए। यह मानव सृजन की अनिवार्य शर्त है कि अगर वह एक से अधिक भाषा को सीखना है तो अनिवार्य है कि पहली भाषा अपनी मातृभाषा हो और उसके बाद दूसरी भाषा हो तभी मानव का विकास हो सकता है। हमारे विवेकानन्द जी ने कहा कि दुनिया की तमाम भाषाओं को सीखा जा सकता है और सीखना भी चाहिए। यदि बच्चेे की विलक्षणता को बाहर लाना है तो उसकी पहली शर्त है कि उसको उसकी मातृभाषा में सिखाया जाना चाहिए।
वो यहां तक भी कहते हैं कि शिक्षा और भाषा का एक अनन्य संबंध है। अच्छाल शिक्षक वही होता है जिसकी भाषा सरल हो और सरलता तभी संभव है जब आपके विचार सरलता से समझाए जा सकें और विचार केवल मातृभाषा रूपी रथ पर ही आगे बढ़ सकते हैं। यदि हम पीछे से भी देखेंगे तो सभी ने शुरू से लेकर के पाणिनीसे लेकर जो आज तक जितने भी हमारे भाषावैज्ञानिक हैं उन्होंने और आज भी यूनेस्कोल का आपने जिक्र किया, यूनेस्को ने भी लगातार यह अनुरोध किया है कि अपनी मातृभाषा में ही शिक्षा दी जानी चाहिए और उसी में ज्यादा सार्थकता होगी।
यदि हरिश्चन्द्र जी को देखें तो उन्होंने अपनी कविता में ही लिख दिया कि ‘निज भाषा उन्नति सब उन्नति को मूलबिनु निज भाषा ज्ञान के मिटत न हियो को शूल’तो यह हमारे उन लोगों ने हमेशा कहा और मनोवैज्ञानिकों ने भी इस बात को कहा है कि अपनी मातृभाषा में बच्चेू की 80 से 90 प्रतिशत तक अभिव्यवक्ति बाहर निकलती है। हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी के सक्षम नेतृत्व में जिस तरीके से भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाया है उस दृष्टिकोण का हम एनईपी 2020 में लाये हैं। हमने एनईपी के तहत बाल्यकाल से ही मातृभाषा में पढ़ने और पढ़ाने का निर्णय किया है और इसको पूरी दुनिया ने स्वीकार किया है।
मैं समझता हूं कि एनईपी के आने के बाद हम मातृभाषा से प्रारंभिक शिक्षा शुरू करेंगे और कोई भी प्रदेश यदि उच्च शिक्षा तक भी अपनी मातृभाषा में देना चाहता है तो उसको भी खुली छूट होगी और मैं समझता हूं कि पूरी दुनिया ने इसको स्वीकार किया है और हर्ष व्यक्त किया है तथा देश के कोने कोने से जो समाचार मिलते हैं उससे पता लगता है कि हर समाज एवं हर क्षेत्र के लोगों ने इसका स्वागत किया और हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने तो कहा कि अब मातृभाषा में हमारे इंजीनियर भी होंगे और डॉक्टर भी होंगे और यदि इंजीनियर और डॉक्टभर हमारी मातृभाषा में होंगे तो मैं सोचता हूं कि हम अपनी मातृभाषा को न तो शब्दों का समन्वनय कहते हैं बल्कि उसकी संस्कृति है। मातृभाषा में ही हमारा विज्ञान,आचार-व्यवहार एवं उसकी परंपराएं हैं।
हमारे संविधान की अनुसूची 8 में में तमिल, तेलुगू, मलयालम, कन्नड़, गुजराती, मराठी, बंगाली,असमिया,संस्कृत, हिन्दी, उर्दू सहित 22 भारतीय भाषाएं हैं जिसकी खुशबू है और हम बहुत आभारी हैं। मैं देखता हूं किश्रद्धेय वैंकेया जी जहां भी रहे होंगे, उनके लेख भाषा के प्रति चाहे समाचार पत्रों में हों चाहे वे अंग्रेजी मेंहो,हिन्दी में हो,चाहे कन्नड़ भाषा में हो, उनका देश की भाषाओं के प्रति तथा अपनी भाषा के प्रति आग्रह है।हमारा देश इस मार्गदर्शन को अपने मन और मस्तिष्क में लेकर क्या आगे बढ़ता है राज्यसभा में भी जिस तरीके से हमने देखा है आप सबको कहते हैं कि अपनी भाषा में बोलो। जब अपनी भाषा में कोई बोलता है तो आपके चेहरे की मुस्कराहट और खुशी को मैं महसूस कर सकता हूँ।
मैं यह समझता हूँ कि जिस तरीके से आपके निर्देशन में भाषाओं का संरक्षण हो रहा है उससे हम इन भाषाओं के संरक्षण-संवर्धन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और इनको तकनीकी तरीके से और बहुभाषी तरीके से हम लोग नयी शिक्षा नीति में लेकर आये हैं।हमारी यह भी कोशिश है कि हम इसको किसी तरीके से ओर आगे बढ़ा सके तथा इनकी गुणवत्ता भी सुनिश्चित कर सकें। इसी सोच के साथ भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर राष्ट्रीय परीक्षण सेवा द्वारा भारतीय भाषाओं और साहित्य के क्षेत्र में मूल्यांकन हेतु सामग्री और प्रशिक्षित मानव शक्ति के विकास के लिए लगातार काम कर रहा है। इसी दिशा में चाहे सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन लैंग्वेज हो,चाहे वो हिन्दी संस्थान आगरा हो, चाहे वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग हो, हिन्दी निदेशालय हो, नेशनल काउंसिल फॉर प्रमोशन ऑफ उर्दू लैंग्वेज हो, महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय हो, यह सभी संस्था न भारत सरकार के साथ मिलकर भाषाओं के उत्था न तथा विकास के लिए काम कर रहे हैं।
अभी राष्ट्रीय अनुवाद मिशन तथा भारतीय भाषा संस्थान मैसूर द्वारा उच्च शिक्षा की पाठ्यपुस्तकों का अनुवाद करके उन्हें भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराने का अभियान जारी है और वहीं दूसरी ओर संस्थान द्वारा अन्य भाषायी स्रोतों का भी निर्माण किया जा रहा है ताकि भारतीय भाषाओं का सशक्त तरीके से विकास हो सके। भारत वाणी परियोजना के माध्यम से हम आज सभी 121 भाषाओं के विकास के लिए कार्य कर रहे हैं जो लुप्तरप्राय: हो गई हैं एवं उनके बोलने वालों की संख्या 10 हजार से ऊपर है। इसको ओर विस्तार देने की जरूरत है ताकि ये भारतीय भाषाएं लुप्त न हों।
संस्कृत, तमिल, कन्नड़, तेलुगू, मलयालम, उडिया जैसी शास्त्रीय भाषाओं में उपलब्ध प्राचीन ज्ञान और विज्ञान की पहचान करके उनके संवर्धन और संरक्षण की दिशा में सरकार काफी तेजी से काम कर रही है। भारतीय भाषा विश्वविद्यालय की स्थापना की दिशा में भी आगे काम हो रहा है और निश्चित रूप से जो वैश्विक सद्भाव में जो हमारे एक आदर्श बहुभाषिक प्रयत्न है वो भी इसमें आगे काम करेगा जो प्रस्तावित भारतीय अनुवाद एवं निर्वचन संस्थान है।हम अन्य अंतर भाषिक अनुवादों तथानिर्वचन कार्यों को ले करके इसके प्रस्थान कर रहे हैं और इसके माध्यम से सभी मातृभाषाओं में बड़े पैमाने पर रोजगार काभी सर्जन हो सकेगा।
एक समय था जब अटल बिहारी बाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में मातृभाषा में अपना भाषण दिया था और हिन्दुस्तान ने तो उसको न केवल हर्षऔर उल्लास का विषय माना बल्कि पूरी दुनिया ने भी उसकी सराहना की थी। हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी हमेशा ही कहा और उस संकल्प से सिद्धि की ओर जाने की बात की और सभी भाषाओं के सशक्तिकरण की लगातार उन्होंने चर्चा की, उनका भी हम लोगों पर आशीर्वाद लगातार रहा है।
स्कूली स्तर पर जो एक त्रिभाषा फॉर्मूला हमने लगातार किया है, अब वो मातृभाषा के रूप में निश्चित रूप से बहुत सशक्तिकरण के साथ आगे आएगा क्योंकि हमने शुरू से कहा कि किसी भी राज्य पर कोई भाषा थोपी नहीं जाएगी बल्कित जो वहां की भाषा है उसका सशक्तिकरण ज़रूर किया जाएगा और इसीलिए ये जो भारतीय भाषा विश्वविद्यालय अनुवाद संस्थान के लिए इस समय इस बजट में 50 करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया और भारतीय भाषाओं के सशक्तिकरण के लिए संस्थानों को 433 करोड़ रुपए आबंटित किये। उसके लिए अलग से बजट में प्रावधान किया और मुझे इस बात की खुशी है कि हिंदी भाषा संस्थान मैसूर और क्षेत्रीय भाषा केन्द्र को 57 करोड़ रुपये की अभी स्वीकृति भी हुई है, तो मैं समझता हूं कि इस दिशा में आज बहुत सारे संकल्पों को लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं। भारत और भारतीयता के अमर गायक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जी की पंक्तियों को पढूंतोलगभग डेढ़ सौ वर्ष पहले उन्होंने कहा था कि ‘विविध कला, शिक्षा,अंक ज्ञान, अनेक प्रकार, सब देशन से ले कराऊं भाषा माही प्रचार’ यह जो उन्होंने कहा है, निश्चित रूप से उसी उसी रास्ते पर हम बढ़ रहे हैं और इस अंतर्राष्ट्री य भाषा दिवस पर संस्कृत में जो परंपराएं समाहितहैं उनके पुनर्जागरण और उनके सशक्तिकरण की जरूरत है।
हम भारत की सभी भारतीय भाषाओं के सशक्तिकरण के लिए संकल्पबद्ध हैं और एक बार ह्रदय की गहराइयों से सभी भाषाविदों,अपने देश के यशस्वी उपराष्ट्रपति जी जिनका हमें हमेशासंरक्षण एवं मार्गदर्शन मिला जिन्होंाने पूरी ताकत के साथ बिना किसी लाग लपेट के भारतीय भाषाओं की उन्नति की दिशा में सशक्तता से अपने न केवल विचार प्रकट किए बल्कि उसका रास्ता भी प्रशस्त करने के लिए हमारा मार्गदर्शन किया है।
ऐसे अवसर पर मैं एक बार हृदय की गहराई से अपने उप-राष्ट्रपति जी का अभिनंदन करता हूं और देश तथा पूरी दुनिया से आज इस अवसर पर जुड़े हजारों अपने सभी उन साथियों को जो भाषा के प्रति चिंतितहैं और उनके संरक्षण के लिए संकल्पित हैं, उन सबका भी मैं इस अवसर पर अभिनंदन करता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद!

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थियति:-

1. श्री वैंकेय्या नायडु, माननीय उप-राष्ट्रपपति, भारत
2. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
3. श्री संजय शामराव धोत्रे, माननीय शिक्षा राज्यप मंत्री, भारत सरकार
4. प्रो. रजनीश कुमार शुक्ला, कुलपति, महात्माी गांधी अंतर्राष्ट्रीअय हिंदी विश्वाविद्यालय, वर्धा,
5. प्रो. अनिल कुमार शर्मा, उपाध्यरक्ष, केन्द्री य हिन्दीर संस्था्न, आगरा
6. डॉ. रमेश पाण्डेश, निदेशक, केन्द्री य हिन्दीन निदेशालय
7. कर्नल युवराज मलिक, निदेशक, एनबीटी

एसोचैम द्वारा आयोजित 14 वां राष्‍ट्रीय शिक्षा सम्‍मेलन

एसोचैम द्वारा आयोजित 14 वां राष्‍ट्रीय शिक्षा सम्‍मेलन

 

दिनांक: 18 फरवरी, 2021

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

          आज के इस महत्‍वपूर्ण कार्यक्रम में मेरे साथ जुड़े सभी माननीय लोगों का मैं अभिवादन करता हूं। सबसे पहले तो मैं कहना चाहता हूं कि हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने स्‍वर्णिम भारत की बात की है और उसके लिए एक रास्‍ता भी हमको दिया है, जिसके लिए यह नई शिक्षा नीति आई है। मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्‍किल इंडिया, स्‍टार्ट अप इंडिया और स्‍टैंड अप इंडिया। आप उस मेक इन इंडिया को डिजिटल इंडिया से जोड़कर केदेखिए कितना क्रांतिकारी परितर्वन हो रहा है। अन्‍यथा, जब यह कोरोना की महामारी आई थी तो उसने शैक्षणिक संस्‍थाओं को एक वर्ष पीछे कर दिया। छोटे-छोटे देश जो मेरे जिले के बराबर भी नहीं है, मैं जहां हरिद्वार से आता हूं वहां 24-25 लाख तो मतदाता हैं तो ऐसी स्‍थिति में उन छोटे देशों ने भी अपने आप को एक वर्ष पीछे कर दिया। ऐसी स्‍थिति में यह ताकत हिन्‍दुस्‍तान की ही हो सकती है कि हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी की अगुवाई में जब दुनिया इस त्रासदीसेगुजर रही थी, सब लोग अपने घरों में कैद हो गए थे ऐसे वक्‍त पर भी हमने शिक्षा को ऑनलाइन माध्‍यम से जारी रखा तथा बच्‍चों को अवसाद में जाने से बचाया। दुनिया का यह शायद पहला उदाहरण है जब रातों-रात हम 33 करोड़ छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन शिक्षा पर लाये, इसलिए हमारी ताकतबढ़रहीहै। क्‍यों मेक इन चाइना हो, क्‍यों मेक इन जापान हो, पूरी दुनिया में मेक इन इंडिया क्‍यों न हो? इसकी ललक के साथ अब हम आगे बढ़ने लग गए हैं। आपने देखा होगा कि हमारे तमाम स्‍टार्ट अप शुरू हो रहे हैं। इस कोरोना काल में भी हमारे ऐसे शोध और अनुसंधान आये हैं। आशुतोष जी भी ‘दीक्षा’ में जुड़े हैं और इनके मार्गदर्शन में भी तमाम शोध और अनुसंधान हुए हैं और आज हम गर्वके साथ कह सकते हैं कि जब दुनिया घरों में कैद थी तो ऐसे वक्‍त पर मेरे छात्र शोध और अनुसंधान कर रहे थे। एआईसीटीई के चैयरमैन यहां पर बैठे हुए हैं इनके‘युक्‍ति-2’ पोर्टल पर आप विजिट करिये कि हमारे छात्रों ने कितना शोध एवं अनुसंधान किया है। आज दो-दो वैक्‍सीन देश में है जो दुनिया के लोगों की रक्षाके लिए है और हमारे देश के प्रधानमंत्री मदद कर रहे हैं तो यह छोटी बात नहीं है। इसलिए जो आपकी संस्‍था है यह पुरानी संस्‍था है। हमारे देश को विश्‍वगुरू कहा गया है।‘‘एतद् देश प्रसूतस्य शकासाद् अग्रजन्मन:, स्वं-स्वं चरित्रं शिक्षरेन् पृथ्वियां सर्व मानव:’’ अर्थात्पूरी दुनिया ने तो हमारे तक्षशिला, नालन्‍दा और विक्रमशिला जैसे विश्‍वविद्यालयों से आकर के ज्ञान, विज्ञान, नवाचार सीखा है।उस समय दुनिया में कौन-सा विश्‍वविद्यालय था? हमारे पास तकनीकी, वास्‍तुकला और तमाम विभिन्‍न दिशाओं  में ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में आप देखेंगे तो हम पूरी दुनिया में समृद्ध थे तथा हमने पूरी दुनिया को लीडरशिप दी है। इसलिए यह जो नई शिक्षा नीति आई है यह भारत केन्‍द्रित होगी और साथ ही शोध और अनुसंधान एवं नवाचार से युक्‍त होगी, आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस को पढ़ाने वाला भारत पहला देश होगा जो स्‍कूली शिक्षा से हम शुरू कर रहे हैं। इस शिक्षा नीति के तहत हमने मूल्‍यांकन का तरीका भी हमने टोटली बदल दिया है। अब बच्‍चे का 360 डिग्री होलस्‍टिक मूल्‍यांकन होगा इस नीति के तहत छात्र स्‍वयं भी अपना मूल्‍यांकन करेगा,उसका अभिभावक भी उसका मूल्‍यांकन करेगा तथा उसका शिक्षक भी उसका मूल्‍यांकन करेगा एवं उसका साथी भी उसका मूल्‍यांकन करेगा। अब हम बच्‍चे को रिपोर्ट कार्ड नहीं बल्‍कि प्रोगेस कार्ड देंगे कि बच्‍चा क्‍या प्रगति कर रहा है।  अब विषयों की भी कोई पाबंदी नहीं है, आप किसी भी विषय के साथ कोईभी विषय ले सकते हैं। आपविज्ञान के साथ संगीत ले सकते हैं,तथा साहित्य के साथ गणित ले सकते हैं। किसी भी विषय के साथ कोई भी विषय ले सकते हैं लेकिन हां आपको दौड़ना है औरआपको लक्ष्य पर पहुँचना है।इस शिक्षा नीति के अंतर्गत यदि कोई 4 वर्ष का कोर्स है और यदि कोई छात्र दो साल में परिस्‍थितिवशछोड़के जा रहा है  तो पहले उसका पैसा एवं वर्ष दोनों खराब हो जाते थे लेकिन अब उसकोनिराश नहीं होना पड़ेगा।यदि आप परिस्‍थितिवश एक वर्षमें छोड़ कर जा रहे हैं तो उसको सर्टिफिकेटदेंगे,दो साल में छोड़ कर जा रहा है तो डिप्लोमा देगें, तीन साल में छोड़कर जा रहा है तो उसकोडिग्री देंगे लेकिन यदि फिर वह लौट कर अपने भविष्य को संवारना चाहता है तो फिर जहां से उसने छोड़ा था वहीं से शुरू कर सकता है। उसके लिए हम एक ऐसा क्रेडिट बैंक बनायेंगे जहां उसके सारे क्रेडिट जमा होंगेइसलिए उसके लिए आगे बहुत आपार संभावनाएं है।शोध और अनुसंधान में तो आपको मालूम है कि हमारे देश के प्रधानमंत्री ने जयअनुसंधान कहा था औरलालबहादुर शास्त्री जी ने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया।आदरणीय अटल बिहारी बाजपेयी ने जय विज्ञान का नारा देकर के आपको मालूम है कि परमाणु परीक्षण करके दुनिया में हिंदुस्तान का माथा ऊँचा किया था, अपनी ताकत को दिखाया था हमारे वर्तमान प्रधानमंत्रीजी ने एक कदम आगे जाकर के जयअनुसंधान का नारा दिया है। अनुसंधान यदि होगा तो मैं समझता हूं चाहे वो औद्योगिक क्षेत्र है चाहे कोई दूसरा क्षेत्र लेकिन बिना अनुसंधान के कोई खड़ा नहीं हो सकता,बिनाशोध के आगे बढ़ा नहीं जा सकता। इसलिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन जो प्रधानमंत्री के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार की अध्यक्षता में होगा उससे शोध और अनुसंधान का परिवेश बनेगा। अभी तक हम इस पार्ट पर थोड़ा सा कमजोर थे,बीच का कालखंड आया था जब हमारे बच्चों में होड़ लगी थी दुनिया में जाने की तथा पैकेज की होड़ लगी। अब पैकेज की होड़ नहीं होगी बल्‍कि पेटेंट की होड़ होगी। हम टैलेंट को भी विकसित करेंगे उसका विस्तार भी करेंगे और उस टैलेंट को उत्कृष्ट कोटि का कंटेंट देंगे और उससे पेटेंट निकालेंगे। पूरी दुनिया में हम बताएंगे कि हां, हममें क्षमता है। हम शोध और अनुसंधान के साथ ही आगे बढ़ सकते हैं और देश के प्रधानमंत्री जी ने आत्मनिर्भर भारत की बात की है।जिसको सोने की चिडिय़ा कहते थे मेरे भारत को आज वो आत्मनिर्भर भारत गांव से हो करके गुजरेगा तथा इन आइडिया से वो होकर करके गुजरेगा एवंशोधतथाअनुसंधान से होकर गुजरेगा। तकनीकी के लिए नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम का भी गठन किया जा रहा है।‘वोकल फोर लोकल’ अर्थात् अंतिम व्यक्ति तक भी तकनीकी का विकास होगा और अंतिम व्यक्ति भी लोकल फॉरग्लोबल तक अर्थात् अन्तरराष्ट्रीय स्तर तक जाएगा।इसलिए आपने देखा इस समय जो आपने अभी कहा था कि ‘स्टडी इन इंडिया’ आओ, भारत में सीखो और इसमें होड़ लग गई है। अभी पीछे के समय में इस कोरोना काल में भी पचास हजार से भी ज्यादा रजिस्ट्रेशन हुए।एक हजार से अधिक छात्र हमारे यहां शोध और अनुसंधान के लिए आसियान देशों के आ रहे हैं और अब तो हमने ‘स्टे इन इंडिया’कहाहै। आज हमारे देश के आठ लाख छात्र प्रतिवर्ष बाहर पढ़ रहे हैं। प्रति वर्ष मैंने मोटा मोटा आंकलन किया था कि दो लाख करोड़ रुपया हिंदुस्तान का जाता है। न तो हमारा पैसा वापस आ पाता है और न ही हमारी प्रतिभा वापस आ पाती है।इन देशों के उत्थान में हमारे युवा खप रहे हैं और इसीलिए मुझे लगता है कि अब समय आ गया जब हम सारी संस्थाएं मिलकर के शोध और अनुसंधान कासमन्वय करके आगे बढ़ें और इसलिएदुनिया के शीर्षतम विश्वविद्यालयों को भी हम हिन्दुस्तान की धरती पर आमंत्रित कर रहे हैं तथा हमारे विश्वविद्यालय भी दुनिया में जाएंगे।हम शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में ‘स्‍पार्क’के तहत दुनिया के 128 शीर्षविश्वविद्यालयों के साथ शोध और अनुसंधान कर रहे हैं। वहीं ‘स्‍ट्राइड’के तहत अंतर विषयक शोध और अनुसंधान कर रहे हैं। हमने ट्रिपलआईटी पीपीपी मोड में भी किया जिसमें केन्द्र सरकार का 50 प्रतिशत हिस्सा तथा राज्य सरकार का 35 और औद्योगिक क्षेत्र के लोगों का 15 प्रतिशत हिस्‍सा रखा है। हम बच्चे को पाठ्यक्रम में चाहते है किवो उद्योगों के साथ जुड़कर के आगे बढ़े। अब हमारा छात्र केवल अपना इंटर्नशिप ही नहीं करेगा,बल्‍किवोप्रैक्टिकल भीकरेगा और पूरी ताकत के साथ उन उद्योगों को और उन परस्थितियों को तथा बिखरी समस्याओं, उसके समाधान की दिशा में आगे आएगा। मुझे बहुत खुशी है कि आप लगातार इस दिशा में काम कर रहे हैं। आपने पहले भी किया और आपने इस बात की भी चिंता की कि अंतिम छोर में अंतिम परिवेश में रहने वाला बच्चा कैसे पढ़ सकता है, जिसके पास अभी बहुत सारे संसाधन नहीं हैं। हमने ‘स्वयं’और ‘स्‍वयं प्रभा’के माध्यम के साथ हीसामुदायिक रेडियो के माध्यम से भी बच्‍चे तक गए। मैं जब सब राज्यों से निकाला तो तांगे पर स्पीकर लगाकर के पढ़ाने की प्रक्रिया देखी और छत के ऊपर स्पीकर लगा कर के गांव के बच्चे दूर-दूर बैठ करके पढ़ते हुए देखे। हमने बच्चे का भविष्य खराब नहीं होने दिया। इसलिए मुझे भरोसा होता है कि मेरा देश जो ठान लेता है उसको करता है औरआगे तो 21वीं सदी हमारी सदी है।मुझे भरोसा है कि जो देश के प्रधानमंत्री ने 5ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की बात की है और निश्चित रूप में हमने इस कोरोना काल के संकटमें भी अपने को साबित किया है। आप सभी लोग रात दिन खपतेहैं आपका जो शिक्षा सम्मेलन होता है उसमें शिक्षा के प्रति आपकी समर्पितता दिखाई देती है और शिक्षा ही किसी समाज के तथा राष्ट्र के उत्थान की दिशा में आधारशिला होती है शिक्षा नहीं तो कुछ भी नहीं है।मेरेउद्योगभी शिक्षा पर ही आधारित हैं यदि उन उद्योगों में शोध और अनुसंधान नहीं होगा तो हम किसी से भी प्रतिस्पर्धा कर ही नहीं पाएंगे और इसलिए यह बहुत जरूरी है कि औद्योगिक क्षेत्र के लोग इन शैक्षणिक क्षेत्र के लोगों के साथ जुड़ करके ऐसा पाठ्यक्रम तैयार करें ताकि छात्र की प्रतिभा तथा उसका शोध और अनुसंधानइसदेश के कामआये और हम जहां पर खड़े हैं उससे शिखर तक जा सकें।पूरी दुनिया को बता सकें कि नहीं, यह देश विश्वगुरु रहा हैजिस देश में तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय रहे हैं और जिसने पूरीदुनिया का मार्गदर्शन किया। शल्‍यचिकित्सा का जनक इस देश में पैदा होता है। आज भी संजीवनी बूटियों का भंडार मेरे देश के अंदर है। हम दुनिया के तन और मन को भी ठीक कर सकते हैं। योग के पातंजलि हों और चाहे भारतीय भाषा वैज्ञानिक पाणिनीहो और चाहे वो रसायन शास्त्री नागार्जुन हों और अभी पीछे के दिनों में कैम्‍ब्रिज ने कहा कि दुनियाभारत की आभारी है कि दुनिया को भारत ने अंकगणित और बीजगणित दिया है। चाहे वो आर्यभट्टहों,चाहे भास्कराचार्य हों,उनकी श्रृंखलाको आप देखेंगे तो दुनिया को आज जरूरत है क्योंकि वो सारी सम्पति और संपदा हमारे पास है।मुझे भरोसा है कि जिस तरीके से आप लोग सब जुटे रहते हैं निश्चित रूप में मेरा शैक्षणिकक्षेत्रऔर हम सब लोग मिलकर के भारत को ज्ञान की महाशक्ति के रूप में स्थापित करेंगे और जितने लोग आज जुड़े हैं मैं उनका अभिनंदन करना चाहता हूं। मेरी इच्छा थी कि मैं सब लोगों को सुनूं और इससे मेरा भीज्ञान बढ़ता है। मुझे भीसौभाग्य मिलता कि सबके सुझाव मुझे मिलते। लेकिन आप जानते हैं कि चाहते हुए भी हम लोगों की ऐसीविवशताहोती हैं।समय तो तेजी से दौड़ रहा है और हमको उसको पकड़ने की जरूरत है। यदि हम समय को नहीं पकड़ेंगे तो समय आपको छोड़ देगा और इसीलिए इस समय को पकड़ना बहुत जरूरी है। एक बार पुन: सब लोगों को बधाई देना चाहता हूं और आपकी जो ऐसोचैम की पूरी टीम को और विशेष कर के शैक्षणिक परिषद के प्रशांत भल्ला जी आप अध्यक्ष हैं, मैं देखता हूं कि आपलगातार अपनी पूरी टीम के साथ जुटे रहते है। इसलिए विनीत जी आपको, प्रशांत जी आपको और आपकी पूरी टीम को मैं बहुतबधाई देना चाहता हूं और शुभकामना देना चाहताहूं एक बार जल्‍दी ही अवसर निकालकर फिर आपके साथ हम संवाद करेंगे। मैं एक बार फिर सभी अतिथिगणों का भी मैं अभिवादन कर रहा हूंऔर जो लोग देश के कोने कोने से जुड़े हैं उनका भी मैं अभिनंदन करता हूं।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

 

नई शिक्षा नीति 2020 पर राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन

नई शिक्षा नीति 2020 पर राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन

 

दिनांक: 17 फरवरी, 2021

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

आज इस अवसर पर आयोजित इस महत्‍वपूर्ण बेवीनार में जो नई शिक्षा नीति को लेकर के दो दिन तक लगातार चलने वाला है इसमें उपस्थित सभी अतिथि गण, इस विश्वविद्यालय की प्रबंधन समिति के सभी पदाधिकारियों का और देश तथा दुनिया से जुड़े सभी छात्र-छात्राएं हैं, अभिभावक हैं, उन सभी का मैं अभिनंदन करता हूं, मैं स्वागत करता हूं। मुझे बहुत खुशी है कि नयी शिक्षा नीति 2020 को लागूकरने के लिए विश्वविद्यालयों ने जिस तरीके से पहल की है और एक संकल्‍पके साथ आज इस राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया है जिसमें हमारे साथ जुड़े हैं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रो. डीपी सिंह जी जिनकेके बारे में हम सभी लोग जानते हैं कि वे विभिन्‍न विश्वविद्यालयों के न केवल कुलपति रहे हैं बल्कि विभिन्न दायित्वों से होकर करके और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की अध्यक्ष के रूप में उच्च शिक्षा का मार्गदर्शन कर रहे हैं। अभी जिनका मार्गदर्शन हमको मिला प्रो. अनिल सहस्‍त्रबुद्धे एआईसीटीई के चेयरमैन हैं। हमारे के.के अग्रवाल, अध्‍यक्षराष्ट्रीय प्रत्‍यायन बोर्ड जो विभिन्न पदों पर भी रहे हैं। श्री रामगोपाल जी निदेशक हैं आईआईटी दिल्ली के, उनके मार्गदर्शन में भी बहुत काम हो रहा है। मैं देख रहा था कि प्रो. विनय पाठक, डॉ. अश्‍विनी जो क्‍यू एस रैंकिंग वाले हैं, वे सभी लोग भी जुड़े हुए हैं और बहुत सारे देश और दुनिया के शिक्षाविद् इस महत्वपूर्ण सेमीनार से जुड़े हुए हैं और मुझे खुशी है कि इस गलगोटिया विश्‍वविद्यालय के कुलाधिपति श्री सुनील गलगोटिया जी और उनके साथ उनके मुख्य कार्यपालक अधिकारी हैं श्री ध्रुव गलगोटिया जी, वे जब पीछे के दिनों में आये थे और उन्होंने कहा कि इतनी सुन्दर शिक्षा नीति बनी है जिसको लेकर उनके मन में विचार आया कि वो पहले से ही इस तरीके का मन करते हैं और उसी मन से इस विश्वविद्यालय को चला रहे हैं तो हमने विचार किया है कि हम इस संकल्प के साथ जायेंगे जहां यह विश्वविद्यालय शत-प्रतिशत नई शिक्षा नीति को लागू करेगा और देश के लिए एक ऐसा उदाहरण बनने के लिए आगे आया है जिसका परिणाम यह सेमिनार है तथा उसकी परिणति के रूप में हम सभी एकत्रित हुए हैं और इसलिए मैं विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. प्रीति बजाज को भी शुभकामना देना चाहता हूं। इन तीनों लोगों कुलाधिपति और सीईओ तथा कुलपति और आपकी पूरी टीम जिन्होंने यह इच्छा प्रकट की और यह संकल्प लिया और उस संकल्प के समाधान की दिशा में  आज वो कार्य शुरू कर दिया है जो पीछे के समय से वो काम कर रहे थे, उसको ताकत के साथ आगे बढाने की उनकी मंशा हैं जिसके लिए मैं बहुत शुभकामनाएं देने के लिए आया हूं। आप जितने भी विद्वतगण हैं, मैंआप सबके पीछे एक सहयोगी के रूप में हूँ क्योंकि इस नई शिक्षा नीति को निश्चित रूप से आपको ही क्रियान्वित करना है लेकिन मुझे खुशी है कि पूरे देश के शिक्षाविद्, अभिभावक, छात्र और सभी लोगों का ऐसा मानस बना है। इस बीच पूरे देश के अंदर लोगों को लगता है कि हां, उनकी अपनी नीति आ गई है। जो भारत विश्व गुरु था उस विश्व गुरु भारत की जो जड़ें थी उनको उखाड़ कर फेंकने की कोशिश हुई वो फिर अपनी जमीन पर आज पुन: पल्लवित होंगे, पुष्पित होंगे और फिर एक बार मेरा वही भारत बनेगा जो विश्व गुरु था। जिसके बारे में हमेशा से कहा गया है ‘एतद् देश प्रसूतस्य शकासाद् अग्रजन्मन:, स्वं-स्वं चरित्रं शिक्षरेन् पृथ्वियां सर्व मानव:’ अर्थात् जिससे पूरी दुनिया आकर के सीखती थी, ज्ञान लेती थी, ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान, नवाचार जीवन मूल्य क्या-क्या नहीं सीखते थे यहां से, विश्‍व में लीडरशिप ली है मेरे देश ने और आज हमको इस बात की खुशी है कि ऐसा वक्त आ गया जब हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व फिर देश उसी ताकत के साथ बढ़ता जा रहा है। आज उसी विचार को ताकत मिल रही है तथा जो हमारा खोया हुआ ज्ञान, विज्ञान एवं अनुसंधान था जिसे हमने छोड़ा नहीं था बल्कि हमसे छुड़वाया गया था। जिस तरीके से देश को गुलामी की जंजीरों द्वारा उन सब चीजों को हमसे दूर रखने के जो प्रयास हुए थे, अब देश स्वाधीन हो गया है और जब हमको मालूम है कि हमारी जड़ें गहरी हैं उनमें ताकत है, उसमें मानवता है, उसमें सहिष्णुता है, उसमें सौम्यता है, ज्ञान है, विज्ञान है, उसमें जीवन मूल्य हैं और उसमें हर चीज समाई हुई है क्योंकि हमारा जोजीवन-दर्शन है वो यी कहता है कि मनुष्य ईश्वर की सबसे सुंदरतम कृति है और मैं यह समझता हूं कि मनुष्य तो सब जगह एक ही है और इसीलिए वो जो मनुष्य है उसके सुख एवं शांति और समृद्धि के लिए उसके उज्ज्वल जीवन और भविष्य के लिए जो हमारा विजन था, जो हमारा मिशन था वो फिर हम ताकत के साथ बढ़ाएंगे, उठाएंगे और जैसे अभी सुनील जी चर्चा कर रहे थे कि तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय इस देश के अंदर थे और कोई कमी नहीं थी इसदेश में, और यह देश विश्वगुरु कहलाता था। उसी दृष्टि से यह देश इतना सक्षम था और सोने की चिड़िया भी हिंदुस्तान को कहते थे। देश को सोने की चिड़िया बनाने के लिए मेरे देश के प्रधानमंत्री जी ने आत्मनिर्भर भारत की बात की है और जो विश्व भारत है उस विश्वगुरु भारत के लिए फिर नई शिक्षा नीति लेकर के आए हैं जो भारत को ज्ञान की महाशक्ति के रूप में स्थापित करेगी और यह नई शिक्षा नीति जिसके लिए आपने संकल्प लिया है जो बहु आयामी तथा बहु व्यापक परिवर्तनों के साथ विभिन्‍न नए आयामों के साथ जो भारत केन्द्रित होगी और जो तीन वर्ष के बच्चे से शुरू होगी तथा जो मातृभाषा पर खड़ी होगी और वही शिक्षा नीति स्कूली शिक्षा में आगे बढ़ती हुई चली जाएगी। पहले तोयह नीति 5+3+3+4 की संरचना के तहत व्यक्तित्व का विकास करेगी और क्षमाताओं को बाहर निकालेगी औरजो विजनके साथ मिशन में तब्दील कर उसको नया आयाम प्रदान करेगी, उसके लिए यह नयी शिक्षा नीति लेकर आये हैं। जब हम मातृभाषा की बात करते हैं तो यूनेस्को सहित दुनिया के सभी वैज्ञानिकों का भी कहना है किजो अभिव्यक्ति बच्चा अपनी भाषा में कर सकता है, वह दूसरी थोपी हुई भाषा में नहीं कर सकता तो उसकी जो पूरी अंदर की ऊर्जा है, वह तरीके से स्‍वयं की भाषा में प्रकट हो इसलिए उस अवसर को खोने नहीं देना चाहिए। यूनेस्को ने भी बार-बार इस बात की चिंता की है कि प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए और फिर हमारा तो देश विविधताओं से युक्त है। हमारे देश के संविधान ने हमको तमाम भाषाएं दी हैं। हिन्दी, तमिल, गुजराती, मराठी, असमिया, संस्कृत, सारी ऐसी भाषाएं हैं जो बहुत खूबसूरत हैं। संविधान द्वारा प्रदत्‍त इन 22 भारतीय भाषाओं को और सशक्त करने की जिम्मेदारी हमारी ही है क्योंकि वो केवल भाषा नहीं है। उसमें आचार है, व्यवहार हैं परंपराएं हैं और उसमें वो चीज है जो देश की विविधता में एकता का प्रकटीकरण करती है और इसलिए पीछे के दिनों में भी हमने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ का अभियान लिया था जिसके तहत हमने तय किया था कि एक प्रदेश दूसरे प्रदेश की भाषा और संस्कृति को तथा खान-पान को एवं रहन-सहन को और विचारों को तथा उसके जीवन मूल्यों को आदान-प्रदान करे एवं एक दूसरे से सीखे। हमारा देश तमाम विविधता का देश है लेकिन अनेकता में एकता ही हमारी विशेषता है जो पूरी दुनिया में न्यारी भी है और सम्‍पूर्ण दुनिया में यह प्यारी भी है तथा ऐसा दृष्‍टिकोण कहीं नहीं मिल सकता और इसलिए हमारा जो विचार था वो बड़ा विचार था जिसको हमने ताकत के साथ बनाया क्योंकि पूरी दुनिया में हमारा अपने ढंग का विचार रहा है। पूरी वुसधा को हमने अपना परिवार माना है और ऐसा विचार केवल मेरे हिन्दुस्तान का हो सकता है और न केवल यह विचार है बल्कि यह भी कहा है कि जो यह पृथ्‍वी है यह हमारी मां है और इस  मां के हम बस पुत्र-पुत्रियां हैं। यह जो हमारा मां का रिश्ता है धरती से वो हमको ऊंचाइयों तक पहुंचाता है और इसीलिए हमने ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया, सर्वे भ्रदाणी  पश्‍यन्‍तु मा कश्‍चिद् दु:ख भाग्‍भवेत’ की प्रार्थिना की है कि धरती पर जब तक एक भी प्राणी दु:खी रहेगा तब तक मैं सुख का अहसास कैसे कर सकता हूं। इसका मतलब है कि केवल उतना ही रखो जितनी आपको जरूरत है बाकी दूसरों में बांट दो। हमने कहा कि हम साथ-साथ चलेंगे, साथ-साथ पुरुषार्थ करेंगे। यदि कोई पीछे छूटता है तो उसको पकड़कर साथ चलेंगे। यह है हमारा विचार, हमने अपने लिए कभी सोचा भीनहीं है। हम तो समग्रता में सोचते हैं तथा हमारा जीवन मूल्यों का बिल्कुल अलग दृष्टिकोण रहा है जिससे दुनिया अनुप्राणित होती है। पूरी दुनिया आज भी गीता को अपने साथ लेकर के जिंदा रहना चाहती है, जीवित रहना चाहती है तथा आगे बढ़ना चाहती है एवं उसको समझना चाहती है। गीता कहती है कि यह जो शरीर है, इससे ज्‍यादा मोह नहीं करना चाहिए क्योंकि आत्मा को परमात्मा से मेरी गीता ने जोड़ा है। आत्‍मा तो अजर-अमर है, इसको तो कोई खत्म कर ही नहीं सकता इसलिए इसकी चिंता नहीं करनी चाहिए वो आत्मा अच्छी रहनी चाहिए। पवित्र काम होना चाहिए सब कुछ साथ मिलके चलना चाहिए। आज दुनिया में क्यों ऐसी परिस्‍थितियां आ गई है, क्यों सार्वभौमिकता की भावना नहीं है। इसलिए कि जो विचार हमारा था, वो विचार आज कमजोर हुआ है। दुनिया को जो हम देते थे वो हमारी धरती पर भी थोड़ा सा कमजोर हुआ देश की गुलामी के कारण लेकिन हां, हमारी जड़ें खत्म नहीं हुई हैं। हम तेजी से बढ़ेंगे और दौड़ेंगे तथा हम उस आसमान को छू लेंगे, जिस आसमां की जरूरत पूरी दुनिया के लोगों को है और प्राणी मात्र है।इसलिएयह नई शिक्षा नीति भारत केंद्रित है लेकिन साथ ही ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान और नवाचार से युक्त भी है। यह नेशनल भी है, इंटरनेशनल भी है, ये इम्पैक्टफुल है, यह इंटरेक्टिव भी है, यह इनोवेटिव भी है और यदि इसकी आधारशीला देखें तो यह इक्विटी, क्‍वालिटी और एक्‍सेस की आधार शिला पर खड़ी है। यह जो नई शिक्षा नीति आई है वो निश्चित रूप में बहुत अच्छी है, यह बहुत खूबसूरत नीति है, जिसकी देश में ही नहीं बल्‍कि पूरी दुनिया में इस समय बहुत प्रशंसा ही नहीं हो रही है बल्कि लालायित है दुनिया के लोग भारत की नीति को अपने देश में ही लागू करने के लिए और आपने देखा कि कैंब्रिज विश्वविद्यालय ने कहा है कि जो यह नई शिक्षा नीति भारत की आई है यह बहुत व्यापक परिवर्तन के साथ आई है और यह बहुत बड़े रिफॉर्म के रूप में आई है। आप को याद होगा उन्होंने मेल भेजकर के यह भी कहा है कि हम भारत के आभारी हैं, जिसने गणित और बीजगणित को दुनिया को दिया है। हमने केवल गणित को हीनहीं दिया यदि आप पीछे से देंखें तो आपको पता लगेगा कि हमारी पीढ़ी को उस पीछे के ज्ञान से काट दिया गया। हमको उस ज्ञानका दर्शन नहीं कराया गया तथा उसको शोध और अनुसंधान के साथ आगे बढ़ाने के लिए परिवेश नहीं दिया गया। अन्यथा ऋषि कणाद अणु और परमाणु का विश्‍लेषण करने का जो उनका अपना रास्ता था कौन उसको नकार सकता है ऋषि कणाद के ज्ञानको आखिर उस पर शोध और अनुसंधान के साथ हमें आगे बढ़ाना चाहिए था। जो आयु का विज्ञान है आयुर्वेद, उसके जनक ऋषि चरक की चरक संहिता आज भी हमारे पास है। आज भी पूरी दुनिया उस आयुर्वेद के पीछे खड़ी है। रसायनशास्त्री नागार्जुन को कौन नकार सकता है। गणितज्ञ रामानुज जी को कौन नकार सकता है, आर्यभट्ट को कौन नकार सकता है, भास्कराचार्य जैसे व्यक्तित्व को दुनिया में कौन नकार सकता है सुश्रुत शल्य चिकित्सा का जनक भी तो मेरे देश में पैदा हुआ है और इसीलिए जितने भी लोगों को बौधायन से लेकर के, बारह मीहिर से लेकर के यदि मैं उसकी श्रृंखला को यहां पर कहूंतो आप कह सकते हैं आज दुनिया को उनकी ज़रूरत है और इसलिए यह जो नयी शिक्षा नीति आई है हम उसमें इस ज्ञान को भी लेकर आगे बढ़ेंगे जिस पर हम दुनिया को दे सकते हैं। नये परिवेश के साथ दुनिया को दे सकते हैं और इसलिए मैं सोचता हूं की चाहे वो कृषि के क्षेत्र में हो और चाहे वो नीति के क्षेत्र में हो विदुर नीति हो, चाणक्य नीति हो, चाहे वो हमारे अर्थशास्त्र कौटिल्य का अर्थशास्त्र हो, भाषा विज्ञान के क्षेत्र में,मैं यह समझता हूं कि पाणिनी से बड़ा भाषा वैज्ञानिक कौन हैं,आप अध्‍ययन तो करें और उस अभियान को आगे बढ़ाएं और यदि देखेंगे तो जो पतंजलि है और जो पातंजलि का योग है इसने तो पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया है। हमारे देश के प्रधान मंत्री जी जब विश्व के सबसे बड़े फलक पर कहते कि हां, यह मनुष्य ईश्‍वर की सबसे सुंदरतम कृति है। मेरे भारत का विचार है किइस मनुष्‍य को स्वस्थ रहना चाहिए। इसकी खुशी में हम क्या कर सकते हैं, क्या योग इसके लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। दुनिया ने स्वीकारा और शायद दुनिया का पहला उदाहरण है कि जब इतने कम समय में 197 देशों ने उस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर हीं नहीं किए बल्कि 21 जून को पूरे विश्व में योग दिवस मनाया जाता है। अपने स्वास्थ्य की चिंता की दृष्टि से उस अभियान को आगे बढ़ाना है और इसीलिए चाहे वास्तु कला हो, चाहे ज्ञान हो, विज्ञान हो और चाहे ज्योतिष विज्ञान हो और खगोल शास्त्र हो किसी भी क्षेत्र में मेरा हिंदुस्तान कभी पीछे नहीं रहा है और इसीलिए अनुसंधान और नवाचार के साथ इस शिक्षा नीति को जोड़कर चल रहे हैं। हम कक्षा 6 से ही वोकेशनल एजुकेशन ला रहे हैं, हम बच्‍चे को केवल अंक ज्ञान और शब्द ज्ञान नहीं देना चाहते बल्कि उसके हाथों को मजबूती देना है उसका जो कौशल है वो भी विकसित हो तो इसलिए उसको इंटर्नशिप के साथ ला रहे हैं और उसके विकास के लिए तीन चीजों के तहत अलग-अलग थीम कि एक साथ ही उसका अंक ज्ञान, अक्षर ज्ञान, प्लस उसका वोकेशनल एजुकेशन वो भी इंटर्नशिप के साथ करेगा। अब हमारा बच्‍चा केवल किताबों में नहीं पढ़ेगा और उसके अलावा जो खेलकूद है,उसके सांस्कृतिक कार्यक्रम में तमाम जीवन की जो गतिविधियां है और उसके साथ ही स्कूली शिक्षा से ही आर्टिफिशल इंटेलिजेंस को भीला रहें हैं। मुझे लगता है हिन्‍दुस्‍तान दुनिया का पहला देश होगा जो स्कूली शिक्षा से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ला रहा है और उसी भावना के साथ उसी मिशन के साथ ला रहा है कि यह जो बच्चा है, यह एक अच्छा नागरिक भी बनना चाहिए। यह विद्यार्थी इस देश का अच्‍छा नागरिक ही नहीं बनना चाहिए बल्कि उससे भी ऊपर उठ करके विश्‍व मानव बनना चाहिए क्योंकि विश्‍व की लीडरशिप चाहिए और उतना ही बड़ा विजन चाहिए तथा उतना ही बड़ा मिशन चाहिए और हर क्षेत्र में चाहिए। इसीलिए बहुत अच्छे तरीके से यह शिक्षा नीति में विद्यार्थी का 360 डिग्री मूल्यांकन करने का भी तरीका टोटली बदल गया। अब हम उसको रिपोर्ट कार्ड नहीं दे रहे हैं बल्‍कि प्रोग्रेस कार्ड दे रहे हैं कि उसकी क्‍या प्रगति हो रही है तो इस नीति के तहत छात्र स्‍वयं अपना मूल्यांकन करेगा, जब आदमी स्‍वयं का मूल्यांकन करता है तो उसको पता होता है कि उसकी कमजोरी क्‍या है। जिस दिन वो अपना मूल्यांकन करना शुरू कर देगा, तभी से वह अपने अंदर की कमजोरियों को ताकत के साथ दूर करेगा इस नीति में वह स्वयं भी मूल्यांकन करेगा और स्वयं केमूल्यांकन के साथ-साथ उसका अभिभावक भी मूल्यांकन करेगा। यदि अभिभावक मूल्यांकन करेगा तो अध्यापक भी मूल्यांकन करेंगे और इतना ही नहीं उसका साथी भी उसका मूल्यांकन करेगा। नई शिक्षा नीति में विषयों के चुनाव के लिए तो पूरा मैदान खाली छोड़ा है। अब आप कोई भी विषय लो और किसी भी विषय के साथ कोई भी विषय ले सकते हो, कोई प्रतिबंध नहीं है।इस शिक्षा नीति के अंतर्गत यदि कोई 4 वर्ष का कोर्स है और यदि कोई छात्र दो साल में परिस्‍थितिवश छोड़के जा रहा है  तो पहले उसका पैसा एवं वर्ष दोनों खराब हो जाते थे। लेकिन अब उसको निराश नहीं होना पड़ेगा। यदि वह परिस्‍थितिवश एक वर्षमें छोड़ कर जा रहा है तो उसको सर्टिफिकेट देंगे,दो साल में छोड़ कर जा रहा है तो डिप्लोमा देगें, तीन साल में छोड़कर जा रहा है तो उसको डिग्री देंगे लेकिन यदि फिर वह लौट कर अपने भविष्य को संवारना चाहता है तो फिर जहां से उसने छोड़ा था वहीं से शुरू कर सकता है। उसके लिए हम एक ऐसा क्रेडिट बैंक बनायेंगे जहां उसके सारे क्रेडिट जमा होंगे इसलिए उसके लिए आगे बहुत आपार संभावनाएं है। मुझे अच्छा लगा जब ध्रुव ने अपने विश्वविद्यालय के 12 संकल्पों को बताया और मैं बहुत आनंदित हूं। मुझे भरोसा है कि यह विश्वविद्यालय जिसने यह तय किया है कि इस नई शिक्षा नीति को शत प्रतिशत लागू करने वाला पहला विश्वविद्यालय बनेगा और जब देश के अंदर सारे आप जैसे लोग जब खड़े हो जाएंगे तो दुनिया की कोई ताकत मेरे देश को भविष्य बनाने से रोक नहीं सकती। जब आप संकल्प के साथ जब आगे आएंगे तो देखिए शोध और अनुसंधान की दिशा में कैसे आगे बढ़ेंगें और ऐसा नहीं हैकि आज भी हम अनुसंधान की दिशा में पीछेहैं। हमारे यूजीसी के चेयरमैन एवं हमारे ए आई सी टी ई के अध्‍यक्ष यहां पर हैं। हम ‘स्‍पार्क’ के तहत दुनिया के शीर्ष127 विश्वविद्यालयों के साथ शोध एवं अनुसंधान कर रहे हैं। हम ‘स्टार्स’ के तहत कार्य कर रहे हैं। जब देश के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी थे तो आपको याद होगा कि सीमा पर हम संकट से जूझ रहे थे और देश में भी खाद्यान का बहुत संकट था। उस समय लालबहादुर शास्त्री जी ने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया था और पूरा देश इकट्ठा हो गया और हमने दोनों संकटों कोमात किया। उसके बाद मेरे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी आए तो उनको लगा कि अब विज्ञान की जरूरत है और उन्होंने ‘जय विज्ञान’ का नारा दिया तथा परमाणु परीक्षण करके उन्होंने हिंदुस्तान को पूरे विश्व की महाशक्ति के रूप में आगे बढ़ाने का काम किया। विज्ञान में भी हम कभी पीछे नहीं रहे और अब हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा कि एक कदम और आगे जाने की जरूरत है और उन्‍होंने ‘जय अनुसंधान’ का नारा दियाऔर यह जो अनुसंधान है आज इसकी जरूरत है। इसलिए हम अब नेशनल रिसर्च फाउंडेशन के माध्‍यम से शोध एवं अनुसंधान की संस्कृति को विकसित कर रहे हैं, प्रधानमंत्री जी के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार की अध्यक्षता में हम लोग ‘नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’ की स्‍थापना कर रहे हैं। तकनीकी को अंतिम छोर तक कैसे लेकर के जा सकते हैं इसके लिए भी हम ‘नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम’ का गठन कर रहे है।‘नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम’ का गठन करके इन दोनों को साथ जोड़कर हम शोध की संस्कृति को आगे बढ़ा रहे हैं क्‍योंकि जब अश्‍विनी जी यहां पर जुड़े हैं जो क्‍यूएस रैंकिंग के दक्षिणी एशिया के हैड हैं, इनके साथ भी मैं जब-जब परामर्श करता हूं तो मैं देखता हूं कि आखिर हमारे संस्थान शीर्ष संस्थान हैं, कहां कमी है तो थोड़ा सा यह लगा कि अभी शोध और अनुसंधान की दिशा में कमी रह गई है, उसको भी हम पांटेंगे क्योंकि अभी तक पैकेज की होड़ लगी थी। कहां पैकेज मिलेगा, देश-विदेश में जहां भीअच्छा पैकेज मिले उसके लिए होड़ थी। इस समय में अब छात्रों के मन में भी आगया, पूरे देश के मन में आ गया और विशेषकर युवाओं के मन में आ गया कि नहीं, अब हमारी दौड़ पैटेंट की होनी चाहिए और इसलिए जो नई शिक्षा नीति है, यह टैलेंट की खोज भी करेगी, उसका विकास भी करेगी और उसका विस्तार करेगी और टैलेंट को उत्कृष्ट कोटि का कंटेंट देगी और टैलेंट प्लस कंटेंट बराबर पेटेंट को तैयार करेगी और जिस दिन पेटेंट की होड़ लगेगी तो हम दुनिया के शिखर पर होंगे।यह देश तो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है जिसमें मैं बार-बार यह कहता हूं कि जहां एक हजार से अधिक विश्वविद्यालय हों, पचास हजार से अधिक डिग्री कॉलेज हों, पंद्रह सोलह लाख स्कूल हों, एक करोड़ दस लाख से भी अधिक अध्यापक हैं, और अमेरिका की कुल जितनी जनसंख्या नहीं है उससे भी अधिक 33 करोड़ छात्र-छात्राएं हैं। हम क्‍या नहीं कर सकते और हमने किया भी है। अभी कोरोना काल में जिस तरीके से हमने शोध और अनुसंधान किया और रामगोपाल जी हमारे साथ जुड़े हुए हैं जब देश के प्रधानमंत्री जी ने युवाओं का आह्वान किया कि ऐसी विषम परिस्‍थितियों में जब पूरी दुनिया इस कोरोना की महामारी से गुजर रही थी, संकट से गुजर रही थी और देश भी अछूता नहीं था तब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने आह्वान किया था कि युवाओं आप क्या कर सकते हो यह छोटी बात नहीं है कि जब लोग अपने घरों में सुरक्षा की दृष्टि से कैद रहे होंगे, ऐसे वक्‍त पर हमारे शोध छात्रों ने और हमारे प्राध्यापकों ने अपनी प्रयोगशालाओं में एक से बढ़कर एक चीज को किया। यदि मैं केवल दिल्ली आईआईटी का आधार लूं तो जो टेस्टिंग किट मुझे याद है जब रामगोपाल जी ने इसकी शुरूआत कराई और उसके बाद जब वो तैयार हो करके उसको स्‍टार्टअप के साथ जोड़ा। आज तो वो बहुत ही कम समय में और बहुत अच्‍छा रिजल्‍ट देने वाला टेस्‍टिंग किट बन चुका है। हमने तकनीकी ड्रोन बनाए, मास्क बनाए, वेंटीलेटर बनाए, टेस्टिंग किट बनाए और उन्‍हें पूरी दुनिया को दिया। यह है हमारी ताकत और इसलिए हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने कहा कि आज अनुसंधान की जरूरत है और हमको बढ़ना है पूरी दुनिया में, छलांग मारकर शिखरपर पहुँचना है। हमको ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘लोकल फॉर ग्लोबल’ तक पहुँचना है और इसीलिए अनुसंधान की दिशा में ‘नेशनल रिसर्चफाउंडेशन’ का भी गठन किया जा रहा है और इससे प्रधानमंत्रीजी के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार की अध्यक्षता में शोध की संस्कृति आगे बढ़ेगी। तकनीकी दृष्टि से अंतिम छोर तक के व्यक्ति को कैसे तकनीकी का ज्ञान हो सकता है, वो तकनीकी से युक्त हो करके कैसे ग्लोबल तक पहुंच सकता है इसके लिए‘नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम’ का भी गठन किया जा रहा है। नई शिक्षा नीति के तहत मैं समझता हूं कि हम शोध और अनुसंधान की दिशा में भी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं इसलिए मैं कह रहा था कि जिस तरीके से इस विश्वविद्यालय ने यह पहल की है और मुझे यहभी खुशी है कि देश के सभी मुख्यमंत्रियों से, सभी शिक्षा मंत्रियों से, सभी शिक्षाविदों से मेरी लगातार बातचीत होती रही है और तभी नई शिक्षा नीति भी लेकर हम आए थे। यह दुनिया का सबसे बड़ा नवाचार होगा कि 33 करोड़ छात्रों से, छात्र-छात्राओं के माता-पिता से, शिक्षक से लेकर शिक्षाविद, वैज्ञानिकों से लेकर, ग्राम प्रधान और प्रधानमंत्री जी तक, गांव से लेकर संसद तक किसी भी क्षेत्र में हमने परामर्श छोड़ा नहीं था। मैंने यूजीसी के चेयरमैन साहब और ए आई सी टी ई के चेयरमैन को यह अनुरोध किया है कि कोई भी इंजीनियरिंग कॉलेज, कोई भी विश्वविद्यालय अछूता न रहे जहां टास्क फोर्स न बन गई हो। इस बीच तेजी से सभी राज्यों के शिक्षा मंत्रियों से संवाद करते हुए उन्‍होंने बताया कि अधिकांश शिक्षा मंत्रियों ने और मुख्‍यमंत्रीगण ने अपने अपने राज्य में टास्कफोर्स बना दिए हैं। कौन-कौन से बिंदुपर, राज्य को क्या-क्या करना है और केन्द्र सरकार को क्या करना है इस दिशा में युद्ध स्तर पर काम हो रहा है। बहुत सारे राज्यों ने भी यह कहा है कि हम पहला राज्य होंगे जो इस शिक्षा नीति को शत प्रतिशत क्रियान्वित करेंगे और मुझे आज खुशी है कि आज यह जो विश्वविद्यालय हैं इस संकल्प के साथ आगे बढ रहा है कि हम आज तो हमनई शिक्षा नीति को शत प्रतिशत क्रियान्वित करने वाला पहला विश्वविद्यालय होने का सौभाग्य प्राप्त करेंगे। इसलिए मैं आज आपको शुभकामना देने के लिए आया हूं। मुझे भरोसा है कि नीति और उसके क्रियान्वयन के बीच की जो महत्वपूर्ण कड़ी यह लीडरशिप है जो यहांसब बैठी हुई हैं जो अध्यापक हैं, जो कुलपति हैं यह सारे लोग नेतृत्‍व करने वाले लोग हैं जिनके नेतृत्व में ही यह शिक्षा नीति अंतिम छोर तक जाएगी और देश में एक नया वातावरण पैदा होगा। पूरी दुनिया ने भी देखा था कि पीछे के दिनों ब्रिटेनकी पूर्व शिक्षा मंत्री जी हमारे साथ जुड़ी थी और अभी वहां के विदेश मंत्री जी यहां आए तो उनसे मुलाकात होने का अवसर मिला तथा अभी कुरूसाओ के प्रधानमंत्री जी ने भी कहा कि आपकी शिक्षा नीति बहुत अच्छी लगी, मॉरीशस ने भी कहा हमको भी यह नीति बहुत अच्छी लगी, संयुक्‍त अरब अमीरात के शिक्षा मंत्री जी ने बाकायदा संवाद स्थापित करके कहा कि हम इस चीज को आगे बढ़ाना चाहते हैं। सारी दुनिया में एक उत्‍साह और उमंग है। हमारे देश के प्रधानमंत्री जीने 21वीं सदी के स्वर्णिम भारत की बात की है जो स्वच्छ भारत होगा, स्वस्थ भारतहोगा, सशक्त भारत होगा, आत्मनिर्भर भारत होगाजो उन्‍होंने हमे मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया और स्‍टैंडअप इंडियाका मार्ग दिखाया है और उस मार्ग की आधारशिला यह एनईपी 2020 आई है। मुझे भरोसा है कि हम ज्ञान में, भी विज्ञान में भी और अनुसंधान में भी आगे बढ़ेंगे। मैं सीबीएसई के स्कूलों के ढाई करोड़ छात्रों के साथ भी लगातार जुड़ता हूं। यूजीसी के चेयरमैन के साथ और इनके एक हजार विश्वविद्यालयों के साथ में लगातार जुड़ता हूं। मुझे बहुत खुशी होती यह देखकर कि इस समय शिक्षा का वातावरण तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे समय में जब विकसित देशों ने भीअपने को इस कोरोना काल में पीछे धकेल दिया था और स्‍वयं को एक साल पीछे कर दिया था लेकिन हमने बच्चे का एक साल बर्बाद नहीं होने दिया हमने समय पर परीक्षा करवाई तथा समय पर रिजल्ट दिया। हमने जेईई की परीक्षाएं करवाई, नीट जोदुनिया की कोरोना काल की सबसे बड़ी परीक्षा थी, उसका भी परिणाम जारी कराने में हम सफल रहे। कोई सोचता भी नहीं था कि हिन्दुस्तान के 33 करोड़ छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन शिक्षा मिल पायेगी और उनके घर ही स्कूलों में तब्दील हो जाएंगे लेकिन हम बच्चे के पीछे चट्टान की तरह खड़े रहें। हम शैक्षणिक कलेंडर लगातार बदलते रहे तथा लगातार बच्‍चों को सामग्री भी देते रहे। भारत की शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ तरीके से खड़ी रही है और आज भी हमारी अपनी शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ता से आगे बढ़ रही है। मुझे भरोसा है कि देश के प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हम इस नई शिक्षा नीति को तेजी से लागू करेंगे। इसके बाद सुखद परिणाम पूरी दुनिया के सामने होंगे। देश मजबूती से खड़ा होगा। आत्म निर्भर भारत और विश्वगुरु भारत यह दोनों उभर करके आ रहे हैं, बच्चे के मन में भी यह दोनों चीजें हैं। मैं एक बार पुन: जो लोग मुझसे जुड़े हैं उन सभी लोगों का मैं अभिवादन करता हूं और मैं विशेष करके सुनील जी को धन्‍यावद देना चाहता हूं क्‍योंकि आपका बहुत मधुर व्यवहार है लेकिन उतनी ही प्रखरता और उतनी ही आप में संकल्पशीलता है। ऐसे ही लोग परिवर्तन का कारण भी बनते हैं और ध्रुव ने जिस तरीके से अभी जिन बातों को कहा है मुझे भरोसा है आप इस आधार पर निश्चित रूप से इस विश्वविद्यालय को एक उदाहरण के रूप में सबके सामने रखेंगे कि हां, जब इच्छा शक्ति हो तो सब कुछ होसकता है, कोई दिक्कत नहीं है। मेरी शुभकामनाएं और आप जो सभी लोग जुड़े है उनको मेरा अभिवादन।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. श्री सुनील गलगोटिया, कुलाध्‍यक्ष, गलगोटियस विश्‍वविद्यालय
  3. श्री ध्रुव गलगोटिया, सीईओ, गलगोटियस विश्‍वविद्यालय
  4. डॉ. प्रीति बजाज, कुलपति गलगोटियस विश्‍वविद्यालय
  5. प्रो. डी.पी. सिंह, अध्‍यक्ष, यूजीसी
  6. प्रो. अनिल सहस्‍त्रबुद्धे, अध्‍यक्ष, एआईसीटीई
  7. श्री के.के. अग्रवाल, अध्‍यक्ष, राष्‍ट्रीय प्रत्‍यायन बोर्ड,
  8. प्रो. वी. रामगोपाल राव, निदेशक, आईआईटी दिल्‍ली

 

 

नीट 2.0 का उद्घाटन कार्यक्रम

नीट 2.0 का उद्घाटन कार्यक्रम

 

दिनांक: 16 फरवरी, 2021

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

         

मैं इस महत्‍वपूर्ण कार्यक्रम में आप सबका बहुत अभिनंदन कर रहा हूं और हिमालय, बद्री केदार और गंगा की धरती से मैं सब उन संस्‍थानों को, छात्रों को और इस कार्यक्रम में जुड़े सभी अधिकारी वर्ग को भी मैं बहुत सारी शुभकामनाएं देना चाहता हूं। इस अवसर पर हमारे एआईसीटीई के अध्‍यक्ष प्रो. अनिल सहस्‍त्रबुद्धे जी, उपाध्‍यक्ष प्रो. एम.पी. पूनिया जी, सचिव एआईसीटीई प्रो. राजीव कुमार, सभी संकाय सदस्‍य और सभी छात्र तथा सभी उद्योग जगत के भाइयो और बहनों। मुझे बहुत खुशी है कि आज जो काम हो रहा है वो देश का आर्थिक सशक्‍तिकरण करेगा और नीट 2 के शुभारम्‍भ के अवसर पर मेरा आप लोगों को बधाई देने का मन कर रहा है क्‍योंकि जब हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने शुरू में कहा था कि अब एक नये भारत की जरूरत है जो भारत स्‍वच्‍छ, समृद्ध, सशक्‍त, आत्‍मनिर्भर, श्रेष्‍ठ एवं एक भारत होगा और उस आत्‍मनिर्भर भारत के लिए उन्‍होंने कहा कि इसका रास्‍ता मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्‍किल इंडिया, स्‍टैंड अप इंडिया और स्‍टार्ट अप इंडिया से होकर जाता है। इन सभी का आपस में कैसे समन्‍वय हो सकता है? आज हम उसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। भारत के सुनहरे भविष्‍य के लिए हमने योग किया, विचारवान, प्रगतिशील और रचनात्‍मक व्‍यक्‍तियों को विकसित करने और गुणवत्‍तापूर्ण उच्‍च शिक्षा प्रदान करने का हमारा यह संकल्‍प है। पिछले चार वर्षों में तकनीकी शिक्षा की गुणवत्‍ता सुधारके लिए जो हमने विभिन्‍न पहलें की हैं जिसके परिणामआधारित, मॉडल पाठ्यक्रम छात्रों को उनके वातावरण में सहज महसूस करने के लिए प्रेरक कार्यक्रम एआईसीटीई ने किये हैं। मुझे व्‍यक्‍तिगत भी बहुत खुशी है कि मैं एक बार नहीं लगातार एआईसीटीई के कार्यक्रमों से जुड़ता रहा हूं। मैं देख रहा हूं कि एआईसीटीई बहुत सारी गतिविधियां को कैसे कम समय में कर रहा है और वो गतिविधियां भी कैसे करके रिजल्‍ट को लाने में सक्षम हो सकती हैं और आज नीट का दूसरा चरण यहां पर हो रहा है। बहुत सारेकार्यक्रमों के साथ शिक्षा मंत्रालय ने परीक्षा सुधार के लिए केवल विषय ज्ञान का परीक्षण नहींकिया है बल्‍कि कौशल, प्रयोगात्‍मक, रचनात्‍मकता और समझ पर ज्‍यादा जोर दिया है और साथ ही हमने शिक्षक प्रशिक्षण और छात्रों के लिए अनिवार्य इंटर्नशिप, इनोवेशन और स्‍टार्ट अप जैसे विकास की प्रमुख चीजों को किया है।इसके लिए जितने भी बहुत महत्‍वपूर्ण संस्‍थान हैं उन संस्‍थानों को आधार बनाया है। मुझे यह बताते हुए खुशी है कि नई शिक्षा नीति प्रत्‍येक छात्र के लिए लागू हो रही है और आंकड़ों के माध्‍यम से यदि देखेंगे तो 25.8 प्रतिशत जो वर्तमान में हमारा जीईआर है तथा जिस तरीके से हमारा व्‍याप है और भविष्‍य  में हमारी नई शिक्षा नीति के तहत हमें 50 प्रतिशत तक अपना जीईआर करना है तो ऐसे में लगता है कि लगभग 7.3 करोड़ छात्र उच्‍च शिक्षा में सभी प्रकार की शिक्षा को प्राप्‍त कर सकेंगे और मुझे लगता है कि यदि आप देखेंगे तो बहुत सारे देशों की कुल आबादी 7.5 करोड़ नहीं है जितना अकेल उच्‍च शिक्षा में हमारा छात्र पढ़ेगा। आप यदि शिक्षा के परिदृश्‍य को देखेंगे तो हमारी उच्‍च शिक्षा हो, या स्‍कूली शिक्षा हो उच्‍च शिक्षा में ही यदि देखेंगे तो 1000 से अधिक विश्‍वविद्यालय हैं, हजारों तो केवल इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, कुल कॉलेजों की संख्‍या यदि देखेंगे तो 50000 के आसपास हैं, तो मैं यह समझता हूं कि यह जो व्‍याप है और लगभग सैंकड़ों राष्‍ट्रीय महत्‍व के संस्‍थान हैं जो अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर भी हमारा सम्‍मान बढ़ाते हैं।ऐसे में इतने बड़े पैमाने पर शिक्षा मंत्रालय सभी क्षेत्रोंमें ध्यान केंद्रित कर रहा है। प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी विशेष सोपानों के साथ दो मंत्रालय प्रतिबद्ध है। अभी आपको मालूम होगा कि हम शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में ‘स्पार्क’ के तहत पूरी दुनिया के लगभग 127 शीर्ष विश्वविद्यालयों के साथ शोध कर रहे हैं।इम्‍प्रिंट, इम्‍प्रैस और स्‍ट्राइड के साथ जो महत्त्वपूर्ण इस समय जो अभियान होगा वो नेशनल रिसर्च फाउंडेशन का होगा।इससेशोध और उसकी संस्कृति तैयार होगी और तकनीकी के क्षेत्र में ‘नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम’ का गठन करके अंतिम छोर के व्यक्ति को किस तरीके से तकनीक साथ जोड़ा जा सकता है और जो देश के प्रधानमंत्री बार-बार कहते हैं किवोकल फोर लोकल के लिए कैसे तकनीक विकसित की जा सकती है और उसके बाद उसको विकसित करके तथाकौशल का विकास करके उसेतकनीकी के आधार पर ग्लोबल तक कैसे भेजा जा सकता है तो यह जो रास्ता है यह रास्ता निश्चित रूप सेहमारे शोध और अनुसंधान के क्षेत्र कोसशक्‍तकरेगा। आज से पहले जो हमारे छात्र थे वे बी.टेक करने के बाद, एमटेक करने के बाद,एमसीए करने के बाद, विभिन्न डिग्रियों के बाद उनकेदिमाग में एक ही बातरहतीथी कि कहां अच्छा और बड़ा पैकेज मिल जाए। लेकिन मुझे लगता है कि इस समय अब वे पैकेज की दौड़ न हो कर पेटेंट की दौड़ में आ रहे हैं। मुझे खुशी है कि मेरे छात्र-छात्राएं अपना स्टार्ट अप तैयार करने की ताकत रख रहे हैं।मैं पीछे से दो वर्षों से लगातार देख रहा हूं और लगातार संवाद भी कर रहा हूं। तो मुझे खुशी है कि लोगों में उत्सुकता है, छटपटाहट है, आगे बढ़ने की औरभारतकी यह बड़ी ताकत है। इसी ताकत के आधार पर दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है मेरा भारत। मैंने अभी उच्च शिक्षा के बारे में बताया और स्कूली शिक्षा को लेकर के जोड़ें तो कुलएक करोड़ 10 लाख के आसपास अध्यापक ही है। जैसे मैंने कहा किएक हजार विश्वविद्यालय, 50 हजार डिग्री कॉलेज और यदि स्कूलों की संख्या देखें तो लगभग 15-16 लाख होती है और टोटल छात्रों की संख्या देखेंगे तो अमेरिका की भी जनसंख्या से ज्यादा 33 करोड़ छात्र-छात्राएं हैं।हमबहुत अच्छे तरीके से नई शिक्षा नीति में तकनीकी को अब बचपनसे ही जोड़ना चाहते हैं। आपने देखा होगा कि हम नयी शिक्षा नीति के तहत स्कूली शिक्षा से ही वोकेशनल एजुकेशन ला रहे हैं वो भी इंटर्नशिप के साथ ला रहे हैं ताकि स्कूली शिक्षा तक पहुंचते ही योद्धा के रूप में हमारा छात्र खड़ा होसके। वो किसी के कदमों पर खड़ा न हो बल्कि स्कूली शिक्षा को समाप्त करते हुएवहआत्‍मविश्‍वास से इतना भरा हो कि वह किसी क्षेत्र में कोई भी काम करने के लिए सक्षम हो सकता है और हमइसीलिए स्कूली शिक्षा से ही वोकेशनएजुकेशन दे रहे हैं।अंक ज्ञान और अक्षर ज्ञान के साथ-साथ खेलकूद और उसका सांस्कृतिक क्षेत्र भी सशक्‍त होगा और तीसरा जो वोकेशनल वाला पक्ष है इन तीनों पक्षों को मजबूत करने और स्कूली शिक्षा से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कीपढाईकरने वाला दुनिया का हमारा पहला देश होगा। मुझे लगता है कि शिक्षा में तेजी से सुधार के लिए वर्तमान की स्थितियां चल रही हैं। मुझे यह कहते हुए खुशी होती है और मैं अपने सभी अध्यापकों और अभिभावकों को इस दिशा में बधाई भी देना चाहता हूं कि जब कोरोना का महासंकट काल चल रहा था तो अच्छे खासे देशों ने जो विकासशील देश हैं उन देशों ने भी अपने शैक्षणिक सत्र कोएक साल पीछे कर दिएऔरवे हिम्मत नहीं जुटा पाये कि वो परीक्षा करा सकें और ऑनलाइनपाठ्यक्रम को शुरू करा सकें। हिंदुस्तान दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और हमारे अध्यापकों ने जिस तरीके से एक योद्धा के रूप में फ्रंट पर आकर के और हमारे अभिभावकों ने बच्चे को केन्द्रित बनाकरके ऑनलाइनएजुकेशन के आधार पर लाये। कोई सोच भी नहीं सकता कि33करोड़ बच्चों को एक साथ ऑनलाइन पर लाना, घर को ही हमने विद्यालय में बदल दिया था।समय पर हमने परीक्षाएं करवाई,जेईई की परीक्षाएं करवाई। दुनिया का सबसे बड़ी नीट की परीक्षा करवाई और बहुत ही सफलतम तरीके से सुरक्षित तरीके से सबकुछ को हमने किया और इसीलिए जो हमारे डिजिटल प्‍लेटफॉर्म जैसे स्वयं है, स्वयं प्रभाहै,एनडीएलहै, दीक्षा है, विभिन्न माध्यमों से हमने इनको और सशक्त कर दिया है। पीएम ई विद्या के तहत हम अब‘वन नेशन वन डिजिटल प्लेटफॉर्म’ केनारेके साथ दौड़ रहे हैं और आगे बढ़े हैं और ‘वन क्लास वन चैनल’ भी हमने किया है जिसमें प्रत्‍येक कक्षा के लिए एक चैनल होगा और डीटीएच से लेकर के टाटा स्काई और बहुत सारे चैनलों पर उसका प्रसारण होगा ताकि अंतिम छोर पर रहने वाला जोबच्चा है, जिसके पास यदि स्‍मार्टटेलीफोन नहीं है तथा इंटरनेट नहीं उपलब्ध है तो भी वह विकल्पों को पूरी ताकत के साथ ले सके और वो आगे बढ़ सके। इसीलिए आपने देखा होगा कि हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा देश हो गया जिसने ऑनलाइन एजुकेशन को दिया और जो सफलतम रहा है। हम इधर पाठ्यक्रम को सुनिश्‍चितकरते रहे और समय-समय पर नए शैक्षणिक कलेण्डर देते रहे। मुझे मालूम है कि यहां पर भी हमारे अधिकारी हैंएआईसीटीई के और हर दिन किस तरीके से परिस्‍थितियोंको देखते हुए छात्रों के साथ एकजुटता से उनकी सुरक्षा और भविष्य का बेहतर तरीके से समन्वय किया है। तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा के संस्‍थान प्रौद्योगिकी अपनाने की दिशा में बहुत आगे रहे हैं। पंडित मदन मोहन मालवीय नेशनल मिशन टीचर्स एंड ट्रेनिंग इसके माध्यम से भी आपनेकई टीचिंग लर्निंग सेंटर स्थापित किए और बहुत सारे डिजिटल प्‍लेटफॉर्म भी आपने तैयार किये। वैसे तो हम अभी‘अर्पित’ और‘लीप’ दोनों कार्यक्रम अध्यापक प्रशिक्षण के लिए चला रहे थेलेकिन हमारी बहुत प्रबल धारणा शुरू से रही है कि जब तक अध्यापक पूरी ताकत के साथ सब कुछ ज्ञान अर्जन नहीं करता तब तक वो छात्र को पूरे तरीके से मैदान में जाने के लिए तैयार नहीं कर सकता है और इसीलिए हमारीपहलीजो चुनौती हैजो पहला काम है, जो पहला संकल्प है वो अध्यापकों को हर दृष्टि से सक्षम बनाना है और उस दिशा में लगातार एआईसीटीई ने बहुत अहम भूमिका निभाई है। मुझे मालूम है जो शिक्षार्थी केन्द्र बनाये हैं जो देशकी आवश्यकता के अनुरूप सीखने की प्रक्रिया और उसे अनुकूलित कैसे किया जाए उसदिशा में लगातार यह कोशिश करते रहें हैं।इसके लिए वे केवल कोशिश ही नहीं करते रहें हैं बल्‍कि उसकी बार-बार समीक्षा भी करते रहें हैं और इसका रिजल्ट भी देखते रहें हैं।जैसे कि हम जानते ही हैं कि परिवर्तनों के समायोजन की दिशा में हम स्टार्टअप गतिविधियांअपने अनुकूल तथा अपनी योग्‍यता, आवश्‍यकता एवं लाभ के तरीके से विकसित कर सकते हैं, उसके लिए आपने तमाम प्रकार के संकल्प और कई प्रकार के प्रेक्टिकल किए हैं और एक के बाद एक ऐसे उदाहरण तैयार किये हैं जिसमें हम कह सकते हैं कि इस प्रोजेक्‍ट को आपने बहुत अच्छे तरीके से आगे बढ़ाया गया। शिक्षा केविभिन्‍नमॉडलों के माध्यम से भी आपनेतकनीकी को आगे बढाया है और बहुत सारी कंपनियों के साथ राष्ट्रीय गठबंधन निर्मित करके इसकोआगेपेश किया तो यहभी एक अच्छा उदाहरण है।‘लीप’ को तो दुनिया का सबसे अच्छा अनुकूलित शिक्षण मंच बनाने की हमारी पूरी उम्मीद है और मुझे भरोसा है कि जितने भी संस्थान हैं निश्चित रूप सेउनका शैक्षणिक स्तर बढ़ेगा। जो बच्चे आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है और पिछड़े क्षेत्र से आते हैं तथाप्रतिभाशाली भी हैं, लेकिन उनको प्रवेश नहीं मिल रहा था तो आज उनको अच्छे से प्रवेश मिलेगा और इसमें कोई दोराय नहीं है कि युवाओं की रोजगार क्षमता को बढ़ाने के लिए और शिक्षा प्रौद्योगिकी में सर्वश्रेष्ठ तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए और नीट का यहपोर्टल बनाया गया है यह निश्चित रूप में नवाचार की गुणवत्ता और रोजगार बढ़ाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा ऐसा मेरा भरोसा है।मुझे याद आता है कि पिछले वर्ष जब हमारे एआईसीटीई के चेयरमैन साहब ने कहा था कि इस तरीके का कार्यक्रम करना है, उस समय पर देहरादून में ही इरा ग्राफिक हिल यूनिवर्सिटी में जो कार्यक्रम हुआ था उसमें 13 कंपनियां आई थीं। मुझे याद है उस दिन भी हमारे छात्रों और उद्योग जगत से जुड़े लोगों ने संयुक्‍त रूप से अपने अनुभव बताए थे तबभी मेरा विश्वास कहता था कि हमारा रास्ता बहुत मजबूत रास्ता है  इससे हमारी प्रतिभा और हमारे उद्योग इन दोनों का जबजुड़ाव होगा उस दिन एक नई चीज निकल करके आएगी और आज मुझे इस बात की खुशी है कि जिन 13 कंपनियों ने अपने उत्पादों को छात्र हित में प्रयुक्त करने का संकल्प और समझौता किया था, वो आज फलीभूत हो रहा है और एआईसीटीईके साथ जुड़ा हुआ है। आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के छात्रों को नि:शुल्क उच्चतम गुणवत्तायुक्त शिक्षा और सामग्री तथापरिवेशप्रदान करने का जो यह अभियान है निश्चित रूप से यह अभियान हमारे देश के उन छात्रों के लिए हैजिनके पास प्रतिभा तो है लेकिन उनके पास संसाधन नहीं हैं और उनके पास आगे बढऩे के प्लेटफॉर्म नहीं हैं, यह उनके लिए बहुत अच्छा होगा। हालांकि पीछे के समय में जब कोरानाकाल था और हमारे देश की प्रधानमंत्री जी ने नौजवानों से कहा था कि ऐसे अवसर पर वो क्‍या कर सकते हैं तो आपको याद होगा हमने युक्ति-1 किया था और उस युक्‍ति पोर्टल पर हमारी सभी आईआईटीज, एनआईटी, आईसर तथा विश्वविद्यालय से हमारेजितने भी विद्यार्थीथे, हमने उनको कहा था कि जो भीवो आज नवाचार कर रहे हैं, शोध एवंअनुसंधान कर रहे हैं उसको युिक्त पोर्टल पर डालें। मैं इसके लिए आग्रह करूंगा कि आपइसको जरूर देखें। एक से एक बढ़करकिस तरीके के शोध और अनुसंधान में पूरी दुनिया ने इसको आश्‍चर्यचकित माना और हमनेसस्ते बहुत प्रमाणिक और उत्कृष्ट कोटि के वेंटिलेटर हों, मास्‍क, पीपीई किट, ड्रोन बनाया जिसका लाभ देश तथा सम्‍पूर्ण विश्‍व की मानवता को मिला।हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि यदि हर चुनौती का मुकाबला ठीक से होता है तोवह अवसरों में तब्दील हो जाती है। हमने देखा हमारे छात्रों ने, हमारे अध्यापकों ने इस चुनौती का मुकाबला करके उसको अवसरों में तब्दील किया। यही कारण है कि हमारे देश से जो चीजें उत्पादित हुईं वो पूरी दुनिया में गई हैं। मानवता के कल्याण के लिए आपको तो मालूम है कि यह हमारे ही देश की क्षमता है और हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने जिस तरीके से नेतृत्‍व किया है, उसके तहत हमारापूरी दुनिया में पहला देश है जो दो-दो वैक्सीन ले करके आया है और 130 करोड़ से अधिक जनसंख्या का देश आज आत्मविश्वास से भरा हुआ है और पूरी दुनिया आज भी हिंदुस्तान को देख रही है, मेरे देश के प्रधानमंत्री को देख रही है और इसीलिए मैं समझता हूं कि यह जो नई शिक्षा नीति आयी है वो नयी शिक्षा नीति इन सब नए आयामों को ले करके नये परिमाणोंतक जाने के लिए और नये भारत के निर्माण के लिए तैयार है। उसी भारत को पुन: खड़ा करने के लिए जो गौरवशाली भारत, जो विश्वगुरु भारत है जिसमें तकनीकी से लेकर विज्ञान और अनुसंधान से लेकर के जीवन मूल्य तक कोई भी अंग और स्थान नही छूटा है जिस पर उसने पूरी दुनिया का मार्गदर्शन ना किया हो। इसलिए यह नई शिक्षा नीति हम लाये हैं जो भारत केंद्रित है और मुझे लगता है कि यह हमारे देश के प्रधानमंत्री जी के आत्मनिर्भर भारत की आधारशिला भी है और 21वीं सदी का जो स्‍वर्णिमभारत है जिसके लिए पूरा देश एकजुट है, यह उसकी भी आधारशिला है।हमारी नई शिक्षा नीति नेशनल भी है और इंटरनेशल भी है। यह इम्पैक्टफुल भी है,यह इनोवेटिव भी है, यह इनक्लूसिव भी है और यदि इसको गौर से देखेंगे तो यहइक्विटी पर आधारित है, यह क्वालिटी पर आधारित है, यह एक्‍सेस पर आधारित है। मुझे भरोसा है कि यह शिक्षा नीति टैलेंट को भी खोजेगी और टैलेंट काविकास भीकरेगी और टैलेंट का विस्तार भी करेगी और टैलेंट को उत्कृष्ट कंटेंट के साथ जोड़ करकेनए पेटेंट के साथ आगे बढ़ेगी। इससेपूरे देश में एक नया उत्सव होगा। आज मुझे ख़ुशी है कि आज 48 से भी अधिक कम्‍पनियां सामने आ रही हैं जबकि पिछली बार एक वर्ष में केवल 13 कंपनियां सामने आई थी लेकिन आज 48 से 50 कंपनियां जो सामने आई है, आप समझ सकते हैं कि उससे कितना बड़ा माहौल बना। अभी अध्‍यक्षसाहब को मैं सुन रहा था जब उन्होंने विस्तारपूर्वक कहा कि चाहे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हो, मशीन लर्निंग हो, कोडिंग प्रबंधन हो, इन सभी क्षेत्रों में लगभग 50 हजार विद्यार्थियों को जो आर्थिक रूप से पिछड़े औरसक्षम नहीं हैं, उन सभी विद्यार्थियों को इसका हिस्सा बनाया है। यह बड़ी बात है और इससे उनको भी फायदा मिलेगा तथा इन संस्थानों को भी इसका निश्चित रूप में फायदा मिलेगा, ऐसा मेरा भरोसा है। मुझे यकीन है कि आत्मविश्वास से परिपूर्ण हमारी युवा शक्ति है, इसके पास तकनीकी भी होगी, इसके पास इच्छाशक्ति भी होगी और विश्वास होगा और आत्मनिर्भर भारत का इसकेपास सपनाहोगा और सपना भी ऐसा होगा जिसके बारे में कलाम साहब कहते थे कि सपने जो सोने न दें ऐसे सपने होंगे जब तक उस सपने को साकार नहीं कर देता तब तक वह चैन से न बैठे। इस तरक्की के सपने होंगे मुझे पूरा भरोसा है कि आज जिन संस्थानों को अभी हमारे अध्‍यक्षसाहब और हमारे अतिथिगण सम्मान दे रहे थे और जिनको आज विभिन्न प्रकार का प्रोत्साहन के रूप में सम्मानित कर रहे थे वो सभी लोग एक मिशन मोड में, एक जुनून के साथ इस कार्य में जुटेंगे ऐसा मेरा भरोसा है और मैं इस मौके पर टेक कंपनियों को विशेष करके धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने आज समझौता ज्ञापन किया है। मुझे भरोसा है कि इसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर कीकंपनियां तेजी से आगेआएंगी और आप इस अभियान के तहत विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा 2500से भी अधिक उत्पादों का नि:शुल्क मूल्यांकन किया गया है जिसके लिए मैं विशेषज्ञों को धन्‍यवाददेना चाहता हूं औरमैंउनकी प्रशंसा करना चाहता हूं। इसलिए जो नीट-2 है वह न सिर्फ सशक्तिकरण का माध्यम बनेगा बल्कि इससे शिक्षा उद्यमिता और रोजगार को बहुत बढ़ावा मिलेगा और इसी से मेरा समृद्ध भारत और आत्मनिर्भर भारत का सपनापूरा होगा। हमारे हिन्दुस्तान में तेजी से बदलाव आ रहा है। हम अपनी मुट्ठियों में पूरे विश्वास और आत्मविश्वास को भरकर के पूरी दुनिया में बहुत तेजी से बढ रहे हैं तथा हम फैल रहे हैं और मुझे भरोसा है कि यह भारत बहुत जल्दी हीविश्‍व गुरु औरज्ञान का महान केन्द्र बनने की दिशा में तेजी से बढ रहा है। मुझे लगता है इस सदी में जिस तरीके से भारत चौतरफा आगे बढ़ रहा हैं इसमें शायद ही कोई देश इतनी गतिपूर्वक विभिन्न क्षेत्रों में आपनी ताकत का ही बढा रहा होगा। हमारी  सरकार के द्वारा  उच्च शिक्षा छात्रों को जो प्रदान की जाएगी वो बहुत ही प्रासंगिक होगी और जो कंपनियां जुड़ रही हैं उनके लिए यह जो नीट प्लेटफॉर्म है जोबहुत बड़ा काम करेगा।इससेबड़ा व्यापक परिवर्तन का काम होगा और एक व्यापक विस्तार का काम होगा जो रुचि भी बढ़ाएगा और उनकी प्रतिभा को उसके साथ समन्‍वय करके उन उद्योगों को भी एक नई दिशा देगा। मुझे पूरा भरोसा है और कला कौशल के क्षेत्रमें भी कैसे मजबूती लाई जा सकती है,इसदिशा में भी निश्चित रूप से हमारे संस्थान काम कर रहे हैं और मैं विशेष बधाई देना चाहता हूं। एआईसीटीई जिस तरीके से लगातार छात्र, अध्यापक उद्योग, अभिभावक और परिस्थितियां कालगातार समन्‍वय कर रहा है। उससे सभी को नया उत्‍साह मिला है। मुझे भरोसा है कि हम जिस 21वीं सदी के स्वर्णिम भारत की बात करते हैं वो मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया और स्टार्ट अप इंडिया तथा स्‍टैंडअप से हो  करके गुजरेगा। अभी 5 साल पहले क्या होता था लेकिन अब देखिए कितना बदलाव आया है और दुनिया के तमाम देश हमसेजुड़ते हैं तो मुझे इस बात का गौरव महसूस होता है कि यहाँ दुनिया के लोगों ने ठान लिया है, समझ गए हैं किअब21वीं सदी भारत की सदी है। हमारा देश आगे 35 वर्षों तक यंग इंडिया रहने वाला है। हम सभी का प्रयास यह होना चाहिए कि इस युवा की जो जवानी है,जोउसकी प्रतिभा है, जो उसका विजन हैउनको मिशन में तब्दील करके हमेंएक नये भारत के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ाना है। जो आत्मनिर्भर भारत और5ट्रिलियनडॉलर की अर्थव्यवस्था की जो बात हमारे प्रधानमंत्री जी कही है मुझे बहुत भरोसा होता है कि उस दिशा में जो संकल्प हैं, उस संकल्प को मेरे नौजवान साथी और मेरे उद्योग क्षेत्र से जुड़ीजितनी भी कंपनियां हैं, वे इसको नई दिशा देंगी। मुझे भरोसा है कि जब अगले वर्ष हम एक बार पुन: चर्चा करेंगे तो इस एक वर्ष की जो यात्रा होगी वो छलांग मारकर के शिखर पर पहुँचने की होगी और मैं एआईसीटीईके चैयरमेन साहब को कहना चाहता हूं कि ऐसी कंपनियां जिन्‍हेंहमलोग सम्मानित कर रहे हैं और कुछ ऐसी कंपनियों भी हैं, जिनका उदाहरण हम पूरे देश को विभिन्‍नक्षेत्रों में दे सकते हैं। ऐसी श्रेष्‍ठ कंपनियां क्या-क्या कर सकती हैं यह परामर्श लगातार बना रहना चाहिए और मैं छात्रों को भी शुभकामनाएं देना चाहता हूं। छात्र-छात्राओं आपको आजवक्त मिला है, अवसर रोज नहीं मिला करते हैं। जो अवसरों को खोते हैं, अवसर उनको खो देता है। इसलिए जो समय के साथ नहीं चलता समय उसको पीछे छोड़ देता है तो आपको समय के साथ दौड़ने की जरूरत है। पूरी दुनिया आपको निहार रही है। हमारा देश वैसे भी समृद्ध भारत है। भारत पहले भी सोने की चिड़िया कहलाता था। आज भी मेरे भारत में सोने की चिड़िया कहलाने की पूरी ताकत है और उसको साबित करने की क्षमता है और यह आपसे होकर गुजरता है तथा मेरी इनकंपनियों से होकर गुजरेगा। लीडरशिप देने वाले मेरे चाहे प्राध्यापक हैं,चाहे निदेशक  हैं, मेरे कंपनी के जो निदेशक हैं जो उनकी टीम है और जो अनुसंधान करने वाले लोग हैं इनके साथ मिल करके काम करने  की जरूरत है। आपने युक्ति-2 जो किया था उसपर सारे बच्चों के आइडियाज आप लायें थे, शायद यहदुनिया को सबसे बड़ा प्लेटफार्म हो जाएगा। मुझे बहुत खुशी है कि मेरा देश का छात्र युद्ध स्तर पर जुनून के साथ शोध और अनुसंधान में निकल पड़ा है आगे वो यह साबित भी करेगा कि दुनिया के लोगों यह वो देश है जिसने आर्यभट्ट को जन्म दिया। यह वो देश से जिसने शल्य चिकित्सा के जनक सुश्रुत को जन्म दिया, यहवो देश हैजिसने पाणिनी को जन्म दिया,जिसने योग गुरू पातंजलि को जन्म दिया, यह वो देश से हैजिसने पूरी दुनिया को अंकगणित और बीजगणित गणित दिए।अभीइस नई शिक्षा नीति पर कैम्‍ब्रिजने एक बहुत सुंदर पत्र लिखा था और उन्होंने अपने एशियाहैड को भेज करके सम्मान पहुंचाया था और अपने पत्र में उन्होंने लिखा कि हम भारत के ऋणी है जिसने पूरी दुनिया को बीज गणित और अंक गणित को दिया है। पूरी दुनिया आज भी जानती है कि भारत ज्ञान का बड़ा केंद्रथा और अब नईशिक्षा नीति आने के बाद फिर भारत उसी तरीके से उभर कर के सामने आयेगा। पूरी दुनिया हम को देख रही है और मुझे भरोसा है कि यह रास्ता आपसे होकरके गुजरता है। मुझे बेहद खुशी है कि जो एआईसीटीई ने शुरु किया था यहअभियान रुकेगा नहीं और मैं तो पीछे के दिनों देख रहा था कि मेरे देश में लगभग पांच करोड़ से भी अधिक लघु उद्योग हैं। यदि यह पांच करोड़ लघु उद्योग मेरेएक-एक छात्र के आइडियाजको ले करके जाए और नवाचार के साथ नए अनुसंधान के साथ उस यूनिट को खड़ा करे।अगरएक यूनिट में भी एक लघु उद्योग में भीपांच लोगों को रोजगार मिलेगा तो हम अब रोज़गार पाने नहीं, रोज़गार देने वाले लोगों में हम शामिल होंगे। हम यह संकल्प लेकर के आगे बढ़ रहे हैं औरआप केवल 5-5 लोगों को भी रोजगार देंगे तो तो 25 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है। मुझे लगता है कि यहदेश कुछ भी कर सकता है। देश के प्रधानमंत्री कहते हैं कि130करोड़ लोगों का देश है हम यदि एक कदम भीआगे बढ़ते हैं तो उस एक कदम से 130 करोड़ कदम आगे बढ़ते हैं।यहहमारी ताकत है और इससे मुझे भरोसा है कि इस ताकत का हमपूरा उपयोग करेंगे और आप सब आज जो यहांपर सम्मानित हुए हैं,मैंआप सबका बहुत अभिनंदन करता हूं और मुझे खुशी है कि जो लोग जुनून के साथ जुट रहे हैं वो निश्चित हीएक अच्छा रिजल्‍ट देंगे और एक अच्छा वातावरण बनाएंगे। आप सभी एक ऐसा परिणाम देंगे कि देश को आप पर गौरव हो सके और इसी संकल्प के साथ में जितने आज हमारी कंपनी के लोग आएं। मैं आप सभी का अभिनन्‍दन करता हूं और आपसे आशाएं भी कर रहा हूं तथा आपको शुभकामना भी दे रहा हूं।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. प्रो. अनिल सहस्‍त्रबुद्धे, अध्‍यक्ष, एआईसीटीई
  3. प्रो. एम.पी. पूनिया, उपाध्‍यक्ष, एआईसीटीई
  4. प्रो. राजीव कुमार, सदस्‍य सचिव, एआईसीटीई

 

 

पब्‍लिक स्‍कूल ऑफ फोरम के वार्षिक सम्‍मेलन का उद्घाटन

पब्‍लिक स्‍कूल ऑफ फोरम के वार्षिक सम्‍मेलन का उद्घाटन

 

दिनांक: 06 फरवरी, 2021

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

          पब्‍लिक स्‍कूल ऑफ फोरम के वार्षिक उत्‍सव समारोह में आप सबका मैं अभिवादन कर रहा हूं। ‘ग्रीन रूम ऑफ एजुकेशन एम्‍पॉवरिंग फ्युचर’यह विषय इस सम्‍मेलन का है, और इस अवसर पर हम लोगों के बीच एनसीईआरटी के पूर्व निदेशक डॉ. सेनापति जी और अनुपमा भारद्वाज जी, जो अध्‍यक्ष पब्‍लिक फोरम ऑफ स्‍कूल से हैं, रोहित बजाज जी, उपाध्‍यक्ष, सुश्री अंजना नारायण जी, सचिव शकुन्‍तला जी, कोषाध्‍यक्ष, सभी अन्‍य अधिकारीवर्ग, शिक्षकगण और जिन्‍हें आज सम्‍मानित किया जा रहे हैं वे सभी शिक्षाविद्, छात्र-छात्राओं और शिक्षा के प्रति समर्पित इस संस्‍थान के सभी सदस्‍यगण! आप जिस तरीके से‘ग्रीन रूम ऑफ एजुकेशन एम्‍पॉवरिंग फ्युचर’ विषय पर यह सम्‍मेलन कर रहे हैं, यह बहुत ही महत्‍वपूर्ण अवसर है और मुझे ऐसा लगता है कि यह वैश्‍विक बुनियादी ढांचे के लिए भी और शिक्षार्थियों में उच्‍च कोटि कावातावरण बनाने के लिए यह महत्‍वपूर्ण है। बहुत सारे विषय ऐसे हैं जिन पर आप आज यह सम्‍मेलन कर रहे हैं।

आपको तो मालूम है कि भारत की संस्‍कृति में गुरू का स्‍थान हमेशा ऊंचा रहा है और हमने हमेशा कहा है कि ‘‘गुरूर ब्रह्मा, गुरूर विष्‍णु, गुरूर देवो महेश्‍वरा:, गुरू साक्षात: पारब्रह्म तस्‍मै श्री गुरवै: नम:।’’ गुरू को भगवान से भी ऊंचा दर्जा दिया गया है क्‍योंकि गुरू ने ही हमें भगवान तक पहुंचने का रास्‍ता दिखाया है। यह हमारी परम्‍परा रही है और यदि भारत की सांस्‍कृतिक धरोहर को देंखें तो यह हमको दृष्‍टिगोचर होता है कि किस तरीके से राष्‍ट्र का निर्माण होता है, किस तरीके से चरित्र का निर्माण होता है, किस तरीके से संस्‍कारों को उदयीमान करके एक राष्‍ट्र का निर्माण हो सकता है।

आप सभी शिक्षकगण एक धुरी बनकर के राष्‍ट्र-निर्माण की दिशा में अहम भूमिका निभा रहे हैं निश्‍चित रूप में आपका जो योगदान है, वह अतुलनीय है। इस श्रेष्‍ठम कार्य के लिए ही शिक्षकों को भारतीय समाज में सर्वोत्‍तम स्‍थान पर माना गया है। विवेकानन्‍द जी ने कहा था कि सच्‍चा शिक्षक वह है जो छात्र की मनोस्‍थिति को समझ सके, अपनी आत्‍मा को छात्र की आत्‍मा में स्‍थानांतरित कर सके। ऐसा शिक्षक ही वास्‍तव में कुछ सिखा सकता है और कोई नहीं। शिक्षा सामाजिक संदर्भों में हो या विभिन्‍न पृष्‍ठभूमियों में हो, सभी लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करने के लिए राष्‍ट्र की आकांक्षाओं के प्रति उत्‍तरदायी और संवेदनशील होने जैसे विषयों का जो मार्गदर्शन होता है वह एक शिक्षक ही होता है। शिक्षार्थी की बदलती हुई सामाजिक जरूरतों के प्रति भी जागरूकता और अतीत के अनुभवों को राष्‍ट्र के विकास के लक्ष्‍यों एवं शैक्षणिक प्राथमिकताओं के साथ उसका समन्‍वय करके उसको आगे बढ़ाने का जो मिशन है उसे एक अध्‍यापक ही कर सकता है।

मुझे भरोसा है कि आप इस दिशा में निश्‍चित रूप से काम रहे हैं और आगे इस दिशा में हमेंऔर काम करना है। वर्तमान में विश्‍वपटल परशिक्षा के जोनये परिवर्तन हो रहे हैं उनसे विज्ञान और तकनीकी नवाचारों को बल मिल रहा है। ताकि विद्यार्थियों में जो दबी हुई प्रतिभा है उनको दिशा मिल सके और उसकी संवेदनशीलता पर ‘आत्‍मनिर्भर भारत’खड़ा हो सके। हमदेश के लिए एक अच्छा नागरिक तैयार कर सके,क्योंकि हमने सदैव ‘वसुधैवकुटुम्बकम’ कहा है। हम चाहते हैं कि हमारा जो छात्र है व न केवल अच्छा नागरिक हो बल्कि विश्व मानव के रूप में उसकाजो विचार है, जो उसका व्यक्तित्व है, जो उसका काम है,वो विश्‍वको अपना परिवार समझ कर उसपरिवार को सक्षम बनाना और उस प्रकार परिवार की प्रगति के लिए समर्पित होने जैसे महान व्यक्तित्व की आज जरूरत है। कोविडकी महामारी के संकट से पूरी दुनिया गुजरी है और हमारा देश भी इससे अछूता नहीं रहा है।

आपको मालूम है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देशहै और इसकी शिक्षा का वैभव देखें तो एक हजार से अधिक विश्वविद्यालय हैं, एक करोड़ 9 लाख अध्यापक हैं,15-16 लाख स्कूल हैं और पैंतालीस हजार से अधिक डिग्री कॉलेज हैं,विद्यार्थियों की संख्या को देखें तो अमेरिका की कुल आबादी जितनी नहीं है उससे भी ज्यादा हमारे छात्र-छात्राएं हैं। जब पूरा देश और दुनिया कोविड की कारण कैदहो गई और ऐसे समय में विद्यार्थियों को घर से बाहर निकलने की मुश्किलें हों और पूरा वर्ष बर्बाद होने की कगार पर हो तब ऐसे समय में उसके वर्ष को बर्बाद न करना औरमनो:स्थिति को अवसाद में न जाने देने जैसी विषम चुनौतियां शिक्षा विभाग के सामने थी।

लेकिन मैं शिक्षकों काअभिनंदन करना चाहता हूं आपने योद्धा की तरह विषम और विपरीत परिस्थितियों में डट करकेइनचुनौतियों का मुकाबला किया है और दुनिया में आज यह बड़ा उदाहरण बन गया है। हिन्दुस्तान के33करोड़ छात्रों को एक साथ आप ऑनलाइन पर लाये हैं, तो इसके लिए मैं आपका हमेशा अभिनंदन करता हूं। मुझे भरोसा है कि जिस तरीके से, जिस योद्धा के रूप में आपने फ्रंट लाइन पर आकर अपने छात्रों को बचाया है और उनको अवसाद में नहीं जाने दिया। समय पर पाठ्यक्रम को पूरा भी किया है तथा परीक्षाएं भी कराई हैंऔर रिजल्ट भी दिया है यह छोटा विषय नहीं है। स्‍वयं है, स्‍वयं प्रभा है, दीक्षा है, ई-पाठशाला है तमाम माध्यमों से, रेडियो के माध्यम से, टेलीविजन के माध्यम से और‘वन क्लास, वन चैनल’ इसको प्रायोजित करके बच्चे तक पहुँचने की हमने कोशिश की है। इस महामारी के समय में हमने पीएमई-विद्या और वैकल्पिक शैक्षणिक कलेण्डर केदिशा निर्देश और डिजिटल शिक्षा भारत रिपोर्ट और लर्निंगदिशा निर्देश बहुत सारी चीजें ऐसी हैं जैसे मनोदर्पण से लेकर के और ऑनलाइन शिक्षा के तमाम प्रयास किये हैं।

ऐसी महामारी के समय भारत ने जो किया है आज पूरी दुनिया उसेमान रही है। शिक्षक और शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए भी निष्ठा जैसा दुनिया का सब से बड़ा कार्यक्रम किया है और आपको मालूम होगा  कि जो हमारे बजट को घोषित हुआ है उसमें भी यह कहा गया की निष्ठा के तहत92लाख अध्‍यापकों का प्रशिक्षण करेंगे। कोविड के समय में भी किस तरीके से इन विषम परिस्थितियों में रास्ता निकाला जा सकता है, निष्ठा के तहतजो आपने मॉड्यूल तैयार किये वे शिक्षण प्रशिक्षण की दृष्‍टि से अद्भुत थे। नईशिक्षा नीति जो आई है आप उसकी खूबसूरती को जानते हैं और इसको लेकर पूरे विश्व में बड़ा उत्साह है और यह बड़े परार्मश औरविचार-विमर्श तथानवाचार के साथ आई है। शायद यह पहली शिक्षा नीति है जिसपर इतना व्यापक परामर्श हुआ है और आज पूरी दुनिया उसको लेकर के उत्साहित है और लगभग-लगभग दर्जनों देश उसे अपने यहां भी लागू करना चाहते हैं जो लगातार हम लोगों से परामर्श कर रहे हैं।नई शिक्षा नीति को देखेंगे तो यह मातृभाषा से शुरू होती है।

बच्‍चेअपनी मातृभाषा में स्कूली शिक्षा से वोकेशनलएजुकेशन तक कर सकेंगे। हम वो भी इंटर्नशिप के साथ कर रहे हैं। बच्‍चाकेवल अक्षर ज्ञान और किताब ज्ञान न पढे।आर्टिफिशल इंटेलिजेंस स्कूली शिक्षा से ही शुरू करने वाला हमारा देशदुनिया का पहला देश होगा। नई शिक्षा नीति मेंमूल्यांकन का भी टोटलीपूरा रास्ता बदल दिया है। अब 360 डिग्री होलिस्टिक मूल्यांकन होगा इसके तहत छात्र अपना भीमूल्यांकन करेगा,अभिभावक भी उसका मूल्यांकन करेगा, अध्यापक तो मूल्यांकन करेंगे ही साथ ही उसके साथी भी उसका मूल्यांकन करेंगे इससे पूरी तरीके से आत्म विश्वास के साथ खड़ा हो सकता है।आपउच्च शिक्षा तक किसी भी विषय को लीजिए। किसी भी विषय के साथ कोई दूसरा भी विषय लीजिए आपकोपूरी छूट है। अबकोई बाध्यता नहीं है तथासब बाधाएं दूर कर दी हैं।

इस शिक्षा नीति के अंतर्गत यदि कोई 4 वर्ष का कोर्स है और यदि कोई छात्र दो साल में परिस्‍थितिवशछोड़के जा रहा है  तो पहले उसका पैसा एवं वर्ष दोनों खराब हो जाते थे लेकिन अब उसकोनिराश नहीं होना पड़ेगा।यदि आप परिस्‍थितिवश एक वर्षमें छोड़ कर जा रहे हैं तो उसको सर्टिफिकेटदेंगे,दो साल में छोड़ कर जा रहा है तो डिप्लोमा देगें, तीन साल में छोड़कर जा रहा है तो उसकोडिग्री देंगे लेकिन यदि फिर वह लौट कर अपने भविष्य को संवारना चाहता है तो फिर जहां से उसने छोड़ा था वहीं से शुरू कर सकता है।

उसके लिए हम एक ऐसा क्रेडिट बैंक बनायेंगे जहां उसके सारे क्रेडिट जमा रहेंगेइसलिए उसके लिए आगे बहुत आपार संभावनाएं है। यह पूरी दुनिया के लिए बहुत खूबसूरत है।यह शिक्षा नीति सामान्य नहीं है। यह नेशनल भी है, इंटरनेशनल भी है, यह इंटरेक्‍टिवभी है, इम्पैक्टफुल भी है,इनोवेटिवभी है और यहइक्विटी, क्वालिटी और एक्सेस की आधारशिला पर खड़ी होती है।हम इसमें कंटेंट भी पैदा करेंगें और उसको टैलेंट केसाथ भीजोड़ेगें और उसका पेटेंट भी करायेंगे।

आज भी देश के अन्‍दर छात्रों में केवल पैकेज की होड़लगीहै।इस पैकेज की होड़ को खत्म करके पेटेंट के होड़को तैयार करना होगा तभी देश प्रगति के पथ पर आगे बढ़ सकता है। यह शिक्षा नीति लोकल से ग्लोबल तक जाने का रास्ता तय करेगी। अनुसंधान केक्षेत्र में नेशनल रिसर्चफाउंडेशन का गठन किया जा रहा है तथा तकनीकी के लिए नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम का गठन किया जाएगा। अंतिम छोर तक के बच्चे को तकनीकी की शिक्षा दी जाएगी। इसमें शिक्षकों के प्रशिक्षण की भी बहुत सुदृढ योजना है क्योंकि शिक्षक जब समर्थहोगा और जब शिक्षक आत्मविश्वास से भरा होगा,तभीवहज्ञान कापुंजहोगा और तभी वो अपने छात्रों को आगे बढ़ा सकते है।

शिक्षकों के लिए बिल्कुल अलग से मानक तैयार किये जा रहे हैं और शिक्षक भी बनना अब सामान्य नहीं होगा। भी शिक्षकों का अलग ही महत्व है और हमने इसके लिए कार्यबल गठित किया है। राष्‍ट्रीयपाठ्यचर्याजो एनसीएफ हैउसका भी जल्दी से जल्दी गठन हो रहा है और जो पाठ्यक्रम होगावहभारत केंन्‍द्रित होगा। वह भारत के ज्ञान, विज्ञान अनुसंधान और सांस्कृतिक परंपराओं की भी आधारशिला के साथ ही आगे बढ़ता रहेगा। मुझे भरोसा है कि आप लोग जिस तरीके से काम कर रहे हैं और आपकी संस्था जिस तरीके से राष्ट्र निर्माण की दिशा में और जीवन मूल्यों के संरक्षण की दिशा में काम कर रही है। उससे भारत निश्‍चित रूप से विश्‍वगुरू बनेगा।आज यह अवसर है जब इस संस्था के लोगों का मैं अभिनंदन करता हूं तथा विशेषकर उनशिक्षकों का अभिनंदन करता हूं जो सम्मानित हो रहे हैं।

आप इसी तरीके से समाज की अग्रिम पंक्ति में खड़े हो करके छात्र के निर्माण में, राष्ट्र के निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभाते रहें।मैंएक बार आपको इस सम्मेलन की बहुत सारी बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. डॉ. ऋषिकेश सेनापति, पूर्व-निदेशक, एनसीईआरटी,
  3. डॉ. अनुपमा भारद्वाज, अध्‍यक्ष, पब्‍लिक स्‍कूल ऑफ फोरम,

 

आसियान-इंडिया हैकाथॉन का समापन समारोह

आसियान-इंडिया हैकाथॉन का समापन समारोह

 

दिनांक: 04 फरवरी, 2021

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

भारत के यशस्‍वी प्रधानमंत्री आदरणीय नरेन्‍द्र मोदी जी की प्रेरणा से आज के इस ऐतिहासिक आसियान-इंडिया हैकाथॉन में उपस्‍थित सभी अतिथियों का मैं स्‍वागत करता हूं। इस अवसर पर हमारे साथ जुड़े भारत के यशस्‍वी विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर जी,श्री हाजी सुलेमान जी, माननीय शिक्षा मंत्री, ब्रुनेई, माननीय डाक एवं दूरसंचार मंत्री, कम्‍बोडिया,डॉ. नोरेनी अहमद माननीय उच्‍च शिक्षा मंत्री, मलेशिया, श्री लारेंस वोंग माननीय शिक्षा मंत्री, सिंगापुर, डॉ. नताफोल तेप्पसुवान माननीय शिक्षा मंत्री, थाईलैंड,डॉ. कोंगसी सेंग्मनी माननीय उप-शिक्षा मंत्री, लाओस, मेरे साथ जुड़े एआईसीटीई के चैयरमेन प्रो. अनिल सहस्‍त्रबुद्धे, हमारे साथ जुड़ी सचिव, विदेश मंत्रालय सुश्री रीवा गांगुली दास, शिक्षा मंत्रालय के अपर सचिव श्री राकेश रंजन जी, मुख्‍य नवाचार अधिकारी, शिक्षा मंत्रालय, डॉ. अभय जैरे, विदेश मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय और आसियान देशों के सभी अधिकारी, छात्र-छात्राएं। मैं आज इस बहुत ही महत्‍वपूर्ण कार्यक्रम में आप सबका स्‍वागत कर रहा हूं। पिछले तीन दिनों से सभी 54 टीमों ने कई समस्‍याओं पर बहुत ही मेहनत की है।

मुझे ज्‍युरी और मेंटर्स ने जो अवगत कराया है कि  वो इस हैकाथॉनके दौरान प्रतिभागियों द्वारा किये गये काम की गुणवत्‍ता एवं प्रखरता से काफी खुश हैं। आज की इस वैश्‍विक माहमारी के दौर में चुनौती के साथ-साथ मानव जाति के लिए नए अवसरों को भी प्रस्‍तुत किया है। ऐसे समय में आप सबका आसियान इंडिया हैकाथॉनके लिए एक साथ उपस्‍थिति होने पर मैं अभिनंदन करता हूं और मुझे बहुत खुशी हो रही है। हालांकि इस हैकाथॉन की 11 विजेता टीम है परंतु मेरा मानना है कि आप सभी 11 देशों के छात्र-छात्राओं ने जिन्‍होंने इसमें भागीदारी की है, आप सभी विजेता हैं। मैं आप सभी को आपकी सक्रिय सहभागिता के लिए बहुत बधाई देना चाहता हूं।

मैं इस अवसर पर नील आर्मस्‍ट्रांग के उन शब्‍दों का उल्‍लेख करना चाहता हूं जो उन्‍होंने चांद पर पहला कदम रखते हुए कहे थे कि यह मनुष्‍य के लिए एक छोटा सा कदम है परंतु मानव जाति के लिए बड़ी छलांग है। उसी तरह यह हैकाथॉनचाहे एक छोटी-सी शुरूआत है लेकिन मुझे भरोसा है कि भविष्‍य में आसियान क्षेत्र के विकास का मार्ग प्रशस्‍त करेगा। आप जानते हैं कि विज्ञान ही नवाचार और प्रौद्योगिकी को सक्षम बनाता है, उसी प्रकार आसियान इंडिया हैकाथॉनको भी विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार योजना के दृष्‍टिकोण के साथ रेखांकित भी किया गया है। भारत सभी क्षेत्रों में काम करते हुए आसियान देशों को सहयोग प्रदान करने के लिए सक्षम है। सार्वजनिक निजी भागीदारी के तहत स्‍थापित हमारे पहले दुनिया के बेहतरीन आईआईटी हैं तथा स्‍थापित उद्योगों का भी सहयोग है,जिनका उपयोगआसियान क्षेत्र के विकास के लिए किया जा सकता है।

हम ज्ञान योजना के माध्‍यम से भारत में उच्‍च शिक्षा संस्‍थानों के साथ अपने जुड़ाव को प्रोत्‍साहित करने के लिए अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर वैज्ञानिकों, उद्यमों और प्रतिभाओं के उपयोग को बढ़ावा दे रहे हैं। इस ध्‍येय को हमने ज्ञान के आवंटन में भी बजट के उद्देश्‍य से 1.6 मिलियन अमेरिकन डॉलर से दोगुना किया है। साथ ही, अनुसंधान पारिस्‍थितिकी, प्रधानमंत्री अध्‍येतावृत्‍ति, स्‍पार्क, स्‍ट्राइड, इम्‍प्रिंट, इम्‍प्रैस सहित अन्‍य शोध योजनाओं को भी हम बढ़ावा दे रहे हैं। एंटरप्राइजेस स्‍पोर्ट आत्‍मनिर्भर भारत में रोजगार सृजन करते हुए सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उपक्रमों के आकार में वृद्धि हेतु सबलता से काम किया जा रहा है। 6.3 मिलियन लघु उद्योग हैं। आसियान देश अपनी अर्थव्‍यवस्‍थाओं को बढ़ाने के लिए भारत के संसाधनों का बहुत अच्‍छी तरीके से उपयोग कर सकते हैं। जनजागरण का विकास, आसियान और भारतीय समुदाय में नवाचार, पैटेंट के बारे में जागरूकता विकसित करने की आवश्‍यकता है, हम छात्रों में व्‍यावहारिक जागरूकता विकसित करने के लिए इंटर्नशिप के माध्‍यम और प्रावधान को भी ध्‍यान में रख रहे हैं इंटर्नशिप को बढ़ावा देने के लिए यह एक अच्‍छा विचार है कि हम आसियान देशों और भारतीय छात्रों के बीच शिक्षा क्षेत्र में गतिशीलता के लिए एक पारस्‍परिक कार्यक्रम शुरू करें। हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी के कुशल नेतृत्‍व में शिक्षा तंत्र व्‍यापक सुधारों और परिवर्तनों का साक्षी बन रहा है।

चार वर्ष पहले हमने भारत में हैकाथान के माध्‍यम से समस्‍याओं को हल करने की शुरूआत की थी। यह सब हमारे स्‍मार्ट इंडिया हैकाथॉन पहल के साथ शुरू हुआ और अब कई राज्‍य, शहरों यहां तक की छोटे-छोटे शहरों में भी भारत में नवोन्‍मेषी विचार प्राप्‍त करने और समस्‍याओं को हल करने के लिए युवाओं को प्रोत्‍साहित करने के लिए हैकाथॉन का आयोजन किया जा रहा है। चाहे स्‍मार्ट इंडियाहैकाथॉनहो, सिंगापुर इंडियाहैकाथॉनहो, कोविड ड्रग डिस्‍कवरी हैकाथॉनहो, टॉय हैकाथॉनहो, इन सभी के माध्‍यम से अनुसंधान और विकास तंत्र को हम लगातार मजबूत कर रहे हैं। चाहे आसियान देशों के 1000 पीएच.डी फैलोशिप का प्रावधान हो, चाहे अब आसियान-इंडिया हैकाथॉन यह सभी प्रयास भारत द्वारा की गई प्रगति को दर्शातें हैं। हाल ही में घोषित वार्षिक बजट में हमने आसियान देशों के छात्रों को पीएच.डी करने हेतु बजट आवंटन को दोगुने से भी अधिक 1.3 मिलियन अमेरिकी डॉलर कर दिया है जो हमारी प्रगति का द्योतक है।

मैं इस अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी और उनके मार्गदर्शन और समर्थन के लिए धन्‍यवाद देनाचाहता हूं जिनके कारण आसियान देशों के साथ शिक्षा मंत्रालय शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए सक्षम हो रहा है। हम 34 वर्षों के बाद राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति भी लेकर आये हैं और मुझे यकीन है कि राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आने से यह संबंध ओर भी मजबूत होंगे। राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की जो घोषणा हुई थी उसके लिए इस बजट में 6.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर की स्‍वीकृति हुई है, इसके लिए भी हम अपने प्रधानमंत्री जी का आभार प्रकट करते हैं। मेरे आसियान देशों के प्रतिभागी छात्र और छात्राओं, इस हैकाथॉनके दौरान मैंने आप सभी के भीतर असीम क्षमताओं का का अनुभव किया है। मुझे पता है इस हैकाथॉन के द्वारा जो समस्‍याएं आपके सामने रखी गईं थीं वो मुख्‍यत: ब्‍लु  इकॉनामी  एवं शिक्षा से संबंधित थी। हमारे प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि ब्‍लु इकॉनामी भारत के विकास के लिए बहुत अहम है। हम अपने भारत-प्रशांत क्षेत्र की ब्‍लु इकॉनामी को एक साथ मजबूत करने के लिए कटिबद्ध हैं।

मुझे लगता है कि इस हैकाथॉन में सबसे दिलचस्‍प जो समस्‍या है वो समुद्री अपशिष्‍ट का मापन और समुद्र के किनारे जमे कूड़े को कम करना है यह समुद्री अपशिष्‍ट भारत के लिए ही नहीं बल्‍कि आसियान देशों के लिए बहुत बड़ा मुद्दा है। हमें एक साथ यह सुनिश्‍चित करने की आवश्‍यकता है कि हम अपनी झीलों, नदियों, समुद्र और महासागरों को स्‍वच्‍छ रखें। यह मुद्दा मेरे दिल के बहुत करीब है 2009 में जब मैं उत्‍तराखण्‍ड का मुख्‍यमंत्री था, तब मैंने एशिया का वाटर टॉवर कहे जाने वाले हिमालय में पवित्र गंगा एवं उसकी सहायक नदियों के संरक्षण, सफाई और संवर्धन  के लिए बहुत बड़े पैमाने पर स्‍पर्श गंगा अभियान शुरू किया था और आज वो सफल हो रहा है और मुझे इस बात की खुशी है। तटीय सुरक्षा के समाधान पर टीमों ने नवीनतम तंत्र विकसित किया है, जिसमें आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस, उपग्रह चित्रों, शिपिंग मंत्रालय द्वारा प्रदान किये गये विशाल डेटा पर मशीन लर्निंग जैसे नवीनतम तंत्रों का उपयोग किया गया है, इन तकनीकों से तटीय सुरक्षा को और बढ़ाया जा सकता है तथा यह हमारी तटीय सीमाओं को समुद्री लड़ाकों और आतंकवादी हमलों से बचाने में भी मदद कर सकते हैं। मुझे आशा है कि इस समाधान को हमारे शिपिंग मंत्रालय द्वारा आगे बढ़ाया जाएगा।

मैं इस अवसर पर समाधान की उपयुक्‍तता को देखने और इन युवाओं के साथ प्रस्‍तावित समाधान को और बेहतर बनाने का अनुरोध करता हूं ताकि ठोस और सार्थक परिणाम निकल सके। मुझे आशा है और बहुत खुशी भी है कि आप इस समस्‍या के अभिनव समाधान की दिशा में बहुत बढ़-चढ़कर काम कर रहे हैं। हमने भारत में अपने प्रधानमंत्री जी के आह्वान पर स्‍वच्‍छ भारत अभियान आरंभ किया। इस आन्‍दोलन में हमने अपने नागरिकों की भागीदारी सुनिश्‍चित की।

लोग विभिन्‍न सामाजिक और डिजिटल प्‍लेटफार्मों का उपयोग करके कूड़े को कम करने हेतु बहुत बड़े पैमाने पर इस अभियान में सम्‍मिलित रहे। आसियान-इंडिया हैकाथॉन टीमों ने जो समाधान यहां प्रस्‍तुत किये हैं वह विभिन्‍न मिशनों के संदर्भ में बहुत ही प्रासंगिक हो सकते हैं। इस हैकाथन ने निश्‍चित रूप में भारत और आसियान देशों के युवाओं के बीच आपसी सहयोग, नेतृत्‍व एवं कार्य के आदान-प्रदान के लिए सुविधा उपलब्‍ध कराई है। आसियान समूह भारत का चौथा सबसे बड़ा व्‍यावसायिक साझेदार है जिसमें लगभग 86.9 मिलियन डॉलर का व्‍यापार होता है।

मुझे उम्‍मीद है कि इस हैकाथॉन की वजह से हम जल्‍द ही 100 मिलियन डॉलर के व्‍यापार से भी अधिक आगे बढ़ेंगे। मुझे इस बात की भी खुशी है कि यह हैकाथॉन सांस्‍कृतिक मूल्‍यों के एकीकरण के साथ इन देशों के बीच सहयोग में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस हैकाथॉन के माध्‍यम से आप सभी ने शांति और सद्भाव के साथ समस्‍याओं के समाधान को भी निकालना सीखा है। इन सब उद्देश्‍यों के साथ इस हैकाथॉन का प्रमुख उद्देश्‍य हमारे  राष्‍ट्रों को आत्‍मनिर्भर बनाने हेतु रोजगार सृजन करते हुए सतत विकास के लिए प्रोत्‍साहन प्रदान करना भी है। आज भारत-आसियान के देश अन्‍य देशों के लिए ऊर्जा, तालमेल, अंतर्राष्‍ट्रीय सौहार्द और सहयोग का आदर्श उदाहरण बन सकते हैं।

यदि भारत और आसियान देशों के प्राकृतिक संसाधनों और मानव संसाधनों का समुचित उपयोग किया जाये तो मेरा मानना है कि मानवता एवं पूरी दुनिया के कल्‍याण के लिए एक नया आयाम खुल सकता है। एक बड़े जनसांख्‍यिकीय लाभांश के साथ विश्‍व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश होने के नाते मुझे यकीन है कि भारत का उदय समावेशी होगा और अन्‍य देशों को भी उसका लाभ मिलेगा। इसलिए मैं एक बार व्‍यक्‍तिगत रूप से भी आप सभी को अभूतपूर्व उपलब्‍धि के लिए बधाई देना चाहताहूं। मैं सभी से अनुरोध करना चाहता हूं कि इन सभी विचारों को स्‍टार्ट अप उद्यम में परिवर्तित करने की संभावना का पता लगाएं ताकि इन विचारों को तार्किक रूप से आगे बढ़ाया जा सके। मुझे यह भी निवेदन करना है कि यह आसियान इंडिया हैकाथॉन अब हर वर्ष आयोजित किया जाये।

मुझे उम्‍मीद है कि अगले वर्षफिर हम नये अवसरों एवं संभावनाओं के साथ आगे आएंगे। मैं सभी आसियान देशों के लोग जो हमसे जुड़ेहैं उन सभी को बहुत-बहुत धन्‍यवाद देता हूं।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. डॉ. एस. जयशंकर, माननीय विदेश मंत्री, भारत सरकार
  3. हाजी सुलेमान, माननीय शिक्षा मंत्री, ब्रुनेई
  4. डॉ. नोरोनी अहमद, माननीय उच्‍च शिक्षा मंत्री, मेलिशया,
  5. श्री लारेंस वोंग, माननीय शिक्षा मंत्री, सिंगापुर,
  6. डॉ. नताफेल तेप्‍पसुवान, माननीय शिक्षा मंत्री, थाईलैंड,
  7. डॉ. कोंगसी सेंग्‍मनी, माननीय उप शिक्षा मंत्री, लाओस,
  8. सुश्री रीवा गांगुली दास, सचिव, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार
  9. प्रो. अनिल सहस्‍त्रबुद्धे, अध्‍यक्ष, एआईसीटीई
  10. डॉ. राकेश रंजन, अपर सचिव, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार
  11. डॉ. अभय जैरे, मुख्‍य नवाचार अधिकारी, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार