अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विश्‍वविद्यालय, तेलंगाना द्वारा निर्मित मोबाइल एप का शुभारम्‍भ

अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विश्‍वविद्यालय, तेलंगाना द्वारा निर्मित मोबाइल एप का शुभारम्‍भ

 

दिनांक: 31 अगस्‍त, 2020

 

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

आज के इस कार्यक्रम में एक बहुत हीमहत्वपूर्ण ऐप के निर्माण में हमारा यह अच्छा विश्वविद्यालय जिसका शिक्षा जगत में बड़ा नाम है वहमहत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। वहां से ऐसेऐप को जन्म मिला है जिसकी वर्तमान में जरूरत थी और इस कार्यक्रम में हमारे बहुत ही अनन्य सहयोगी आदरणीयसंजय धोत्रे जी,जिनका भी हमको मार्गदर्शन मिला है और जो इंजीनियरिंग क्षेत्र से हैं और विविधक्षेत्रोंमें जिनको बहुत महारत हासिल है जोमृदु स्वभाव और प्रखरता का अद्भुत संगम भी है। हमारे इस विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.सुरेश कुमारजी और मैं देख रहा हूँ कि सभी फैकल्टी जुडी हुई हैं और कार्यपरिषद् सहित सभी परिषदों के सभी आदरणीय सदस्यगण जुड़े हुए हैं। कुलपति जी ने बताया है कि तमाम छात्र आज इस कार्यक्रम से जुड़े हैं सबसे पहले तो मैं आपको ढ़ेर सारी बधाई देना चाहता हूँ क्योंकि विश्वविद्यालय ज्ञान का ऐसा कोष है जहांसे हर चीज़ को बाहर निकलना ही निकलना है। जो छात्र वहां पढ़ रहे हैं और जो अध्यापक शोध कर रहे हैं यह सभी लोगमिल करके प्रतिदिन कुछ नया क्या हो सकता है यहशोध अनुसंधान की जो अभिलाषा है इसको लेकर के जिस तरीके से यहां काम शुरू हुआ है उसके लिए मैं बहुत बधाई देना चाहता हूं और सामाजिक दायित्व के तहत आपने यह किया है क्योंकि यहशिक्षा का एक ऐसा केन्द्र है जिसपर सबकीनिगाह है,यह हमारा भविष्य है। जो छात्र हैवो स्‍वयंअपनी आशाओं का तो केन्द्र हैं,अपने परिवार की भी आशाओं एवं अपेक्षाओं का केन्द्र हैं, मेरे देश की आशाओं का केन्द्र है और मैं कह सकता हूँ जैसे हमारे माननीय मंत्री संजय जी ने अभी बताया कि यह देश सामान्य देश नही रहा है और इस देश में तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय रहे हैं जहाँ से पढ़कर के पूरी दुनिया में हमारा ज्ञान-विज्ञान-अनुसंधान गया है और हमने लीडरशिप ली है। हमारे देश नेविज्ञान में, ज्ञान में, प्रौद्योगिकी में किसी भी क्षेत्र में आप देखेंगे तो पूरी दुनिया को एक लीडरशिप दी तब तो दुनिया में कोई विश्वविद्यालय नहीं होते थे। जब तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला जैसे इसभारत में विश्वविद्यालय होते थे तो दुनिया के लोग हमसे सीखनेके लिए आते थे और शिक्षा ग्रहण करके जाते थे। मैं यह समझता हूँ कि वह आपको याद रखना है और उसको याद रख कर के वर्तमान से जोड़ना है और वर्तमान से छलांग मारकर हमको वैश्विक शिखर पर जाना है, यहहमारा रास्ता है और उस रास्ते  पर जाने के लिए हमें बहुत ताकत के साथ आगे बढ़ना है क्योकि मेरे देश के प्रधानमंत्री जी ने हमको हमेशाकहा है कि नए भारत के निर्माण की जरूरत है।ऐसाभारत जो विश्वगुरु रहा है जिसके बारे में संस्कृत में एक उक्ति है‘एतद्देशप्रसूतस्य सकाशादग्रजन्मनः स्वं स्वं चरित्रं शिक्षेरन्पृथिव्यां सर्वमानवाः’ जहां पूरी दुनिया हमारे पास आकर खड़ी हो जाती थी और वैसे भी यह देश विश्व बंधुत्व की बात करता है, मानव कल्याण की बात करता है। इसलिए मेरे देश के प्रधानमंत्री कहते हैं कि नए भारत के निर्माण की जरूरत है।ऐसा भारत जो स्‍वच्‍छ भारत हो, जो स्‍वस्‍थ भारत हो, जो सशक्त भारत हो, जो समृद्ध भारत हो, जो श्रेष्ठ भारत हो, जो एक भारत हो तो वहीश्रेष्ठता हमें लानी है और अभीजैसा हमारे माननीय मंत्री जी ने कहा कि उसका रास्ता भी हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने हमको बताया है और सूत्र रूपमेंबताया है। इसका रास्‍ता‘मेक इन इंडिया’,‘डिजिटल इंडिया’,‘स्किल इंडिया’,‘स्टार्ट अप इंडिया’ और ‘स्‍टैंड अप इंडिया’ से होकर गुजरता है। क्‍यों‘मेक इन जापान’ हो,क्‍यों ‘मेक इन चीन’हो?मेरे हिन्दुस्तान में प्रतिभा की कमी नहीं है, विजन की कमी नहीं है, विजन को मिशन में क्रियान्वित करने की कोई कमी नहीं है फिर पूरी दुनिया में ‘मेक इन इंडिया’ क्‍यों नहीं हो सकता है क्योंकि ‘मेक इन इण्डिया’,‘डिजिटल इण्डिया’,‘स्टार्टअप इंडिया इन तीनों का बहुत अद्भुत समन्वय रहा है।आपने भारतीय शैली में अंग्रेजी बोलने के लिए जोऐप तैयार किया हैताकि कोई भी छात्र अपने को कमजोर महसूस न करें। हमें तो पूरी दुनिया मेंजाना है, दुनिया हमको देख रही है। तमिल, तेलगू, मलयालम, कन्नड़, गुजराती, मराठी, बंगाली, उड़िया, उर्दू, हिन्दी, संस्कृत, पंजाबी एवं अन्‍य भाषाएं जो हमारे संविधान की अनुसूची 8 में हैं, हमारे देश की जो 22 भाषाएं हैं उनके साथ पूरे विश्व के फलक पर दौड़ना हैतो अंग्रेजी सहित विश्व की तमाम भाषाओं को मेरे छात्र-छात्राएं कैसे सीख सकते हैं इसके लिए जो प्रयास आज आपने किया है, जितने भी छात्र, अध्यापकगण इस मिशन में जुटे हुए हैं, मैं उनको बधाई देना चाहताहूं।आपको मालूम होगा कि अभीपीछे के दिनों में भारत सरकार ने कई विदेशी ऐप पर प्रतिबन्ध लगाया था जो भारतीय मानकों पर खरी नहीं उतरते थे।मैं छात्रों से कहना चाहता हूँ कि आपके लिए पूरा मैदान खाली है और जो नई शिक्षा नीति आ रही है जिसमें पूरा मैदान आपके लिए खाली छोड़ा हैआप कोई भी विषय चुन सकते हैं, आप विज्ञान के साथ साहित्य ले सकते हैं,भाषा का भी कोई बंधन नहीं है और न विषयों का बंधन है। आप किसी भी भाषा को ले सकते हैं, मातृभाषा में शुरू कर सकते हैं। यूनेस्को सहित दुनिया के तमामविशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने कहा है कि बच्चा अपनी मातृभाषा में ज्यादा सीखता है और तीन से छह वर्ष की आयु समूह के बच्‍चों में मस्‍तिष्‍क का विकास सर्वाधिक होता है।इसलिएहम उस आयु समूह को भी पकड़ना चाहते हैं क्योंकि बच्चा हमारी निधि है। मेरे देश की निधि हैं, देश की धरोहर है,देशका भविष्य है। इसलिए हमने नई शिक्षा नीति में 10+2 को खत्‍म करके5+3+3+4 किया है,हम उस बच्चे के विजन के साथ, जो वहबच्चा सोचता है उसको साथ लेकर आगे बढ़ना चाहते हैं।यह शायद दुनिया का पहला देश होगा जो स्कूली शिक्षा सेआर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को पढ़ायेगा और हम इसको वोकेशनल स्ट्रीम के साथ, इंटर्नशिप के साथ आगे बढ़ाएंगे। अब हम बच्चे को रिपोर्ट कार्ड नहींदेंगे बल्‍किप्रोग्रेस कार्ड देंगे कि वह क्‍या प्रगति कर रहा है। अब हम उसका360 डिग्री होलिस्टिक मूल्यांकन करेंगे।बच्‍चा स्‍वयं भी अपना मूल्यांकन करेगा, उसका अध्यापक भीमूल्यांकन करेगा, उसका अभिभावक भीमूल्‍यांकन करेगा और उसका साथी भी उसका मूल्यांकन कर सकेगा।जब वह स्कूली शिक्षा से बाहर निकलेगा तो वो स्किल से भरा योद्धाहोगा,वहकौशलयुक्‍तहोगा औरउसेदर-दर भटकने जरूरत नहीं पड़ेगी।उधर हम लोगों ने आईआईटी, ट्रिपलआईटी, आईसीआर,आईआईएमसे यह कह दिया कि आप उद्योगों के साथ मिलकर पाठ्यक्रम बनाओ। ऐसा नहीं होना चाहिए कि मेरा छात्र पढ़ कुछ और रहा है औरउद्योग कुछ और चाहते हैं। इसलिए हम जो यह नई शिक्षा नीति लेकरआये हैं उसमें आप किसी भी विषय को ले सकते हैं और इतना ही नहीं,मैं छात्रों से कहना चाहता हूँ इस शिक्षा नीति के अंतर्गत यदि कोई 4 वर्ष का कोर्स है और यदि कोई छात्र दो साल में परिस्‍थितिवशछोड़के जा रहा है  तो पहले उसका पैसा एवं वर्ष दोनों खराब हो जाते थे लेकिन अब उसकोनिराश नहीं होना पड़ेगा।यदि आप परिस्‍थितिवश एक वर्षमें छोड़ कर जा रहे हैं तो  आपको सर्टिफिकेटदेंगे,दो साल में छोड़ कर जा रहा है तो डिप्लोमा देगें, तीन साल में छोड़कर जा रहे हैं तो उसकोडिग्री देंगे लेकिन यदि फिर वह लौट कर अपने भविष्य को संवारना चाहता है तो फिर जहां से उसने छोड़ा था वहीं से शुरू कर सकता है। उसके लिए हम एक ऐसा क्रेडिट बैंक बनायेंगे जहां उसके सारे क्रेडिट जमा होंगेइसलिए उसके लिए आगे बहुत आपार संभावनाएं है।मुझे लगता हैकि जिस तरीके का परिवेशहै,प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भीहम बहुत तेजी से आगे बढ़ेंगे। हम लोगों ने शोध और अनुसंधान के क्षेत्र मेंतय किया है क्योंकि मुझे लगता है कि जब मैं अपने संस्थानों कीविश्‍व के शिखर के संस्थानों के साथ समीक्षा करता हूं तोटाईम्‍सरैंकिंग होया क्‍यूएसरैंकिंग हो, उसमें हम कहां पर थोड़ा सा कमजोर हैं, तो मुझे लगता है कि हम थोड़ा सा शोध और अनुसंधान में कमजोर हैं और इसलिए हम उस कमी को भी दूर करना चाहते हैं। हम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में,जहाँ हमारी प्रौद्योगिकी नवाचार से युक्‍त होगी,गुणवत्तापरक होगी, उत्कृष्टता से युक्त होगी, उदारवादी होगी और अंतिम छोरपर बैठे रहने वाले व्यक्ति तक जाने में भी समर्थ होगी और यह समावेशी भीहोगी तथा सार्वभौमिक भी होगी। मैं समझता हूं कि जिस तरीके से स्‍वायत्‍ताके क्षेत्र में, संबद्धता के क्षेत्र में और ‘नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम’ को गठित करके चाहे ‘स्वयं’ है,‘स्‍वयं प्रभा’ है,‘एनडीएल’ है,‘ई-पाठशाला’ है,‘दीक्षा’हैइसको हम‘वन नेशन वनडिजिटल प्लेटफॉर्म’ पर लाना चाहते हैं और ‘वन क्लास वन चैनल’कोविकसित करना चाहते हैं और यदि मैंनिचोड़ में बोलूं कि इसको क्या कह सकते हैं तो मैं कहना चाहता हूं यह शिक्षा नीति नेशनल भी है, इंटरनेशनल भी है, यह इंटरेक्‍टिवभी है, इम्पैक्टफुल भी है,इनोवेटिवभी है और यहइक्विटी, क्वालिटी और एक्सेस की आधारशिला पर खड़ी होती है।हमारेदेश के प्रधानमंत्री समय-समय पर कहते हैं कि ‘सबका साथ सबका विकास’हमसबको साथ ले करके चलना चाहते हैं। यदि देश को, राष्ट्र को मजबूत करना है तो अंतिम छोर के बच्चे को, अंतिम छोर के व्यक्ति को भी साथ ले करकेदौड़ना पड़ेगा।यह जो नई शिक्षा नीति आई है इसने आपके लिए पूरा मैदान खाली छोड़ाहै। अभी हम दुनिया के जो शिखर के विश्वविद्यालय हैं उनको अपनी धरती पर आमंत्रित कर रहे हैं क्योंकि लोगों की यी मनोस्थिति बन गई हैकि अगरउनको विदेश में जाना है तो विदेशों में पढ़ाई करनी  चाहिए। मैं छात्रों से कहनाचाहता हूं कि दुनिया में हमारी शिक्षा उत्कृष्ट शिक्षा है। यदि अमेरिका केमाइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसी विश्व कीशीर्ष कंपनियों का सीईओ मेरी धरती से पढ़ कर जाने वाला युवक होता है और जब मैंने अपनेआईआईएमसे लेकर के अपने विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों की सूची को देखा तो मैं आश्चर्यचकित था, मेरा छात्र पूरी दुनिया के तमाम देशों केमहत्वपूर्ण क्षेत्रों में लीडरशिप दे रहाहै।हमने ‘स्‍टडी इन इंडिया’ के तहत कहाकि दुनिया के लोगों हमारे पास आओ, हमारे पास क्षमता है,अभी हम 5 तारीख को अध्यापक दिवस के अवसर पर बड़ा कार्यक्रम मना रहे हैं और उसमें हम लोगों ने कहा ‘आचार्य देवो: भव:। यह जो गुरु है यह ज्ञान का पुंजहै, यह सब कुछ कर सकता है। इसलिए जोहमारे टीचर हैं यह सामान्य नहीं है यह इस देश केवो विजनरी योद्धा हैं जो अपने छात्र को किसी भी सीमा तक बढा सकता है और बढ़ा रहे हैं और अब एक बार फिर परिवेशबन रहा है। आपको मालूम है कि ‘स्टडी इन इंडिया’ के तहत लगभग 50 हजार से भी अधिक छात्रों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया हैऔरआसियान देशों के लगभग एक हजार छात्र हमारे यहां शोध और अनुसंधान के लिए आ रहे हैं।शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में हम ‘स्पार्क’ के तहत दुनिया के शीर्ष127 देशों के विश्‍वविद्यालयों के साथ शोध एवं अनुसंधान कर रहे हैं, हम ‘स्‍ट्राइड’के तहत अंतर-विषयी शोध कर रहे हैं। हम ‘स्टार्स’ के तहत शोध कर रहे हैं,‘इम्‍प्रिंट’और ‘इम्प्रेस’ के तहत सामाजिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शोध एवं अनुसंधान कर रहे हैं।नई शिक्षा नीति लोकल से ग्लोबल तकहोगी, इसमेंलोकस भी होगा, इसमें फोकस भी होगा। इसमें टैलेंट भी हेागा,इसमें पेटेंट भी होगा। यह सामान्य नहीं है,इसमें हम टैलेंट को उभारेंगे भी और टैलेंट का विस्तार भी करेंगे।इसलिए यह जो नई शिक्षा नीति आ रही है इसमें जहां हमने‘स्टडी इन इंडिया’ बोला है वही हमने ‘स्टे इन इंडिया’ भी कहा कि भारत में रूकोक्‍योंकि हमारे देश से 7-8 लाख छात्र प्रतिवर्ष विदेशों में पढ़ने के लिए जा रहे हैं। हमारे देश का पैसा और प्रतिभा दोनों बाहर चली जाती हैं तो वापस वह हमारे देश में नहीं आती है। इसलिए हमने‘स्‍टे इन इंडिया’ किया  हमने  छात्रों को भरोसा दिलाया कि हमारे आईआईटी, एनआईटी, आईएसर, केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालयों में योग्‍यता है, क्षमता है आपको  बाहर जाने  की जरूरत नहीं है,अब लोगों की समझ में आ गया है। मुझे इस बात की खुशी है कि पीछे के समय जब हमने जेईई परीक्षाएं करवाई। मुझे इसबात की भी खुशी है कि दो लाख से भी अधिक छात्रों ने जोछात्रविदेश में जा रहे थेवे जेईई और नीट की परीक्षाओं में सम्‍मिलित हुए।  हम ‘स्‍टे इन इंडिया’ के तहत दुनिया के शीर्ष सौविश्वविद्यालयों को अपनी धरती पर आमंत्रित कर रहे हैं आपकोकहीं जाने की जरूरत नहीं है और यहां के जो शीर्ष विश्वविद्यालय हैं वेभीबाहर जा रहे हैं। यह आदान-प्रदान हम करेंगे।हमारे देश के प्रधानमंत्री जीने कहा कियह नई शिक्षा नीति 21वीं सदी केस्वर्णिम भारत कीआधारशिला है। मुझे पूरा भरोसा है कि जो देश के प्रधानमंत्री ने कहा है किएक नए भारत के निर्माण की जरूरत है। यह नई शिक्षा नीति उसकी आधारशिला बन करके यह साबित करेगी कि यहवही भारत है जो कभी विश्वगुरु के नाम से जाना पहचाना जाता था उसभारत का फिर युग आ गया है और इसलिए उस भारत के उस नए युग में, उस स्वर्णिम युग में कौन-सी संस्था, कौन सा व्यक्ति, कौन सा विभाग आधारशिला बन करके खड़ा है अब प्रतिस्पर्धा तो इसकी है और मुझे भरोसा है हमारेलोगों के मन में छटपटाहट है, ऐसा नहीं है कि हममें प्रतिभा की कमी है, ऐसा नहीं कि हममें विजन की कमी है, ऐसा नहीं कि विजनको क्रियान्वित करने की ताकत नहीं है। हममें विजन भी है,मिशन भी है, धैर्य भी है, प्रखरता भी है। हमइन सबका समन्वय करेंगे। अभी जो हमने‘स्टे इन इंडिया’ अभियान लिया है उसके तहत हजारों छात्रों ने तय किया है कि वह विदेश नहीं जाना चाहते। नई शिक्षा नीति को लेकर पूरे देश में उत्‍सव का माहौल है,इसनई शिक्षा नीति को देश के 99 प्रतिशत लोगों नेस्‍वीकार किया है,किसी ने कोई टीका-टिप्पणी नहीं की। कुछ लोग भाषा पर टीका-टिप्पणी करते थेकुछ लोग कहते हैं कि हमको ग्‍लोबल पर जाना है तो अंग्रेजी सीखनी पड़ेगी मैंने कहा  हम अंग्रेजी का विरोध नहीं  करते, अंग्रेजी ही नहीं और दो-तीन भाषाएं सीखों,लेकिन अपनी भाषाओं को मत छोड़ो। हमारेसंविधान ने हमें 22 खुबसूरत भाषाएं दी हैं हिन्दी, तमिल, तेलगू, मलयालम, कन्नड़, गुजराती, मराठी, बंगाली,ओडिया, असमिया, उर्दू,यहहमारी 22 खूबसूरत भाषाएँ हैं इनमेंअपना ज्ञान है,जीवंता है,तोक्यों हम अपनी भाषाओं को खोयेंगे।हमने अंग्रेजी का कभी विरोध नहीं किया लेकिन अंग्रेजी इस देश की भाषा नहीं है। हमें अंग्रेजीक्या पूरी दुनिया की भाषाओं को पढना है लेकिन मैं उन लोगों से पूछना चाहता हूं। क्या जो देशनीचे से लेकर उच्च शिक्षा तकअपनी मातृभाषा में शिक्षा देते हैं वो किसी से पीछे हैं, क्‍या जापान, फ्रांस, इंग्लैंड और दुनिया के तमाम जो विकसित देश हैं वो अपनी मातृभाषा में शिक्षा देते हैं क्‍या वो किसी से पीछे हैं,फिर ऐसे तर्क दे करके देश को कमजोर करने की बातक्यों की जाती हैं। भाषा का भी कोई विवाद नहीं रहा, कौन ऐसा चाहेगा कि उसका बच्चा आगे न निकले, प्रतिस्पर्धा में न आये, उसका पूरा विकास न हो। इस समय देश के सभी राज्योंमें नई शिक्षा नीति के क्रियान्‍वयन को लेकर होड़ मची हुई है। मुझे खुशी होती है जब मैं देश के सभी मुख्यमंत्रियों से बात करता हूं,देश के सभी शिक्षामंत्रियोंसे मैं बात करताहूं तो मुझे खुशी होतीहै कि नई शिक्षा नीति को लेकर लोगों में उत्साह है, उमंग है उनको लगता है कि भारत में पहली बार ऐसी शिक्षा नीति आई है जो भारत की धरती पर खड़े हो करके आसमान को छूने की ताकत रखती हैऔर इसीलिए  हम उसके क्रियान्वन के लिए मिशन मोड मेंआगे बढ़ चुके हैं। मेरा भरोसा है कि आपका यह विश्वविद्यालय इस नई शिक्षा नीति के साथनये आयाम को स्थापित करेगा क्योंकि इस विश्वविद्यालय की प्रगति को मैं देख रहा हूं। कुलपति की लीडरिशप में यह विश्वविद्यालय काफी आगे बढ़ रहा है।इसके लिए मैं आपको शुभकामनाएं देता हूँ। जो ऐप आपने सृजित किया है यहश्रृंखला रुकनी नहीं चाहिए, टूटनी नहींचाहिए, बाधित नहीं होनी चाहिए अब यहां से ऐसी ऊर्जा पैदा होगी कि जिससेछात्र कुछ नया करेंगे।मुझे भरोसा है क्योंकि आपमें छटपटाहट है और आपमें पूरी क्षमता है और आप उस क्षमता का पूरा उपयोग करेंगे तो इस अवसर पर मैं कुलपति को, उनके सभी सहयोगियों को, विश्वविद्यालय के पूरे परिवार को, मुझे बताया गया हैकि दूर-दूर से लोग मेरे साथ जुड़े हुए हैं, मुझे तो लोग फोन करके बोलते हैं कि हमको तोजेल्‍यसीहो रही है कि यह शिक्षा नीति पहले आती तो हमको भी स्वतंत्रता होती,अपनी इच्‍छानुसार विषय लेने की।आपकोमैंनई शिक्षा नीति की ढेर सारी शुभकामनाएं देना चाहता हूं और जो पांच सितंबर को अध्यापक दिवस आता है इस अवसर पर हम पूरे विश्व में एक ऐसा वातावरण बनायेंगेजिससे किपूरी दुनिया को लगे किगुरु माने क्या होता है। टीचर्स का अर्थ क्या होता है और 5 तारीख को हम इसको भी भव्य तरीके से मनाएंगे और 5 सितंबर से लेकर 25 सितंबर तकयह जो नई शिक्षा नीति आई है उसको  देश की ढाई लाख ग्राम समितियों तक लेकर जाएंगे। आप‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के अभियान में भीजुटे होंगे और जो ‘उन्नत भारत अभियान’ है उसमें भी आपने आस-पास केकुछ गांवों को लिया होगा।आप वहां भी सर्जनके बीज बो रहे होंगे क्‍योंकि इस विश्वविद्यालय केअगल-बगल में जो भी गांव है वो भी उन्‍नत होने चाहिए। मैं एक बार फिर आप सभी को धन्‍यवाद एवं शुभकामनाएं देना चाहता हूं।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. श्री संजय शामराव धोत्रे, शिक्षा राज्‍य मंत्री, भारत सरकार
  3. प्रो. सुरेश कुमार, कुलपति, अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विश्‍वविद्यालय, तेलंगाना
  4. अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विश्‍वविद्यालय, तेलंगाना के संकाय सदस्‍य, अध्‍यापकगण एवं कर्मचारी।