आईआईआईटीएससी चित्‍तूर में इलैक्‍ट्रानिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वित्‍त पोषित प्रौद्योगिकी व्‍यवसाय इन्‍क्‍यूवेटर- ज्ञान सर्कल वेंचर्स का उद्घाटन

आईआईआईटीएससी चित्‍तूर में इलैक्‍ट्रानिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वित्‍त पोषित प्रौद्योगिकी व्‍यवसाय इन्‍क्‍यूवेटर- ज्ञान सर्कल वेंचर्स का उद्घाटन

 

दिनांक: 08 अक्‍टूबर, 2020

 

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

ज्ञान सर्कल वेंचर के उद्घाटन के अवसर पर यहां उपस्‍थित आईआईआईटी श्रीसिटी बीओजी के अध्‍यक्ष श्री बाला एम. एस जी, हमारे उच्‍च शिक्षा के सचिव श्री अमित खरे जी,आईआईटी के सचिव श्री अजय प्रकाश साहनी जी, आंध्र प्रदेश के विशेष मुख्‍य सचिव श्री सतीश चन्‍द्रा जी, आईआईआईटी के निदेशक प्रो. जी. कन्‍नावरन जी, श्रीसिटी फाउंडेशन के अध्‍यक्ष श्री श्रीनवासाराजू जी,  सभी संकाय सदस्‍य, छात्र-छात्राएं! आंध्र प्रदेश के सभी अधिकारी और हमारे साथ जुड़े विभिन्‍न संस्‍थाओं के सभी उपस्‍थिति भाइयो और बहनों! मुझे आज इस सेन्‍टर का उद्घाटन करते हुए बहुत खुशी हो रही है और पीछे के समय में जब मैं आंध्र प्रदेश के प्रवास पर था तब श्रीसिटीकेबारे मुझे अवगत कराया गया था वो बहुत सारी आशाओं का संचार करता है,उससे मुझको एक नयी किरण महसूस होती है और आज उस अभियान को आपने आगे बढ़ाया है, इसके लिएमैं बहुत बधाई देना चाहता हूं। आज मैं समझता हूं कि हिन्दुस्तान में आईआईआईटीपीपीपी मोड का यह बहुत खूबसूरत मॉडल है। पूरी दुनिया के लिए यह बहुत ही सुंदरतम है और देश के लिए भीबहुत सुंदरतम हैं।

जबमैंट्रिपलआईटी की समीक्षा करता हूं तो मुझे बहुत खुशी मिलती है कि ऐसा पीपीपी मॉडल जिसमें केंद्र सरकार, राज्य सरकार और उद्योगों के लोग जुड़े सभी लोगों की सहभागिता है। इसमें 50 प्रतिशत का जो अंशदान है वो केंद्र सरकार करती है और 35 प्रतिशत का राज्य सरकार करती है और शेष15 प्रतिशत में उद्योग जगत की सहभागिता होती है। बहुत खूबसूरत तरीके से हमारे देश भर में पच्चीस आईआईआईटीसंचालित हो रहे हैं जिसमें केवल पांच सरकारी हैं और जो शेष 20 हैं वो पीपीपी मोड में हैं और बहुत अच्छा काम कर रहे हैं यदि इनकी अवस्थापना से लेकर के  इस विकास की यात्रा को मैं देखता हूं तो मुझे खुशी होती है और यह निश्चित रूप में नई आशा को बोते हैं, नई आशा का संचार करते हैं। मैं बीओजी के चेयरमैन श्री बालाजी जिनको अभी हाल में ही हम लोगों ने नियुक्त किया है, मैं आपको शुभकामना देना चाहता हूं। आपने ज्वाइन करते ही यहबहुतअच्छा कार्यक्रम आयोजित किया है।

मैं समझ सकता हूं कि आपमें क्या छटपटाहट है? मेरे निदेशक और आप दोनों मिल करके जो मंशा मेरे देश के प्रधान मंत्री जी की आत्मनिर्भर भारत और21वीं सदी के स्वर्णिम भारत की है जो समर्थ भारत होगा, जो सशक्‍त भारत होगा,जो आत्मनिर्भर भारत होगा और जो श्रेष्ठ होगा। ऐसा भारत जो मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया,स्टेंडर्ड इंडियाके रास्ते से होकरके विश्व की प्रतिस्पर्द्धा पर 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की दिशा में 2024 तक खड़ा होगा । ऐसे भारत की उस यात्रा में जहां इस समय नई शिक्षा नीति उसका आधार स्तंभ बन कर के होगी ।

जिस नई शिक्षा नीति के बारे में आपने देखा है कि यह नेशनल भी होगी,यह इन्टरनेशनल भी होगी, यह इन्क्लूसिव भी होगी तो इम्पैक्टफुल भी होगी तो इसमें इक्विटी भी होगी, क्वालिटी एवंएक्सेस इसकी आधारशिला होगी। मैं समझता हूं कि जो यह नई शिक्षा नीति आई है वह भारत केंद्रित होगी लेकिन ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान, प्रौद्योगिकी और नवाचार की दिशा में पूरे विश्व की प्रतिस्पर्धा पर कहीं भी खड़ी होगी।

ऐसे वक्त पर आपके संस्थान ने इस समय जोयह शुरुआत की है मैं समझता हूं यह बहुत अच्छी शुरुआत है औरमुझे मालूम है कि 2013 में श्री सिटी प्राइवेट लिमिटेड की भागीदारी के साथ हम लोगों ने यह संस्थान शुरू किया है और कंप्यूटर विज्ञान और अभियांत्रिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार अभियान्त्रिकी में जो बी.टेक कार्यक्रमों के अतिरिक्त आपने जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग मेंएम.टेक और पीएचडी के कार्यक्रम शुरू किये हैं इसकी भी मैं आपको बधाई देना चाहता हूँ। उभरते हुए क्षेत्रोंमें विशिष्‍ट इंजीनियर्स तैयार करने की एक अन्य नई पहल के साथ ही आपने कुछ और भी अभी पाठ्यक्रम शुरू किए हैं।

\मैं समझता हूँ कि आज सूचना प्रौद्योगिकी के सन्‍दर्भ में जैसाअमित खरे जी ने कहा और साहनी जी ने भी जिस बात को कहा है और साहनी जी ने बहुत सारी चीजों को कहा है जो मेक इन इंडिया और डिजिटल इण्डिया और इनतीनों को जोड़तेहैं। बालाजी हमइन तीनों के बीच की कड़ी को आईआईआईटी औरआईआईटी जैसे हमारे उन संस्थानों के हाथों में देते हैं तो मैं यह समझता हूँ कि निश्चित रूप में जो आज यह शुरूआत हुई है यह बहुत गर्व की बात है और यह शुरुआत निश्चित रूप से अन्य अवसर प्रदान करेगी और नवाचार कोनिश्चित रूप में आगे बढ़ाएगी।

अभी हमारे आन्ध्र प्रदेश के मुख्य विशेष सचिव ने कहा है तो मैं उन्‍हें भरोसा दिलाता हूं कि आन्ध्र को हमने संभवत जितना दियाहै जैसेतीन-तीन तो केन्द्रीय विश्वविद्यालय मैंने आपके हाथों में सौंपे हैं, एक जनजाति विश्वविद्यालय दिया है और एक संस्कृत विश्वविद्यालय भीदिया हैजो आपका पहले डीम्ड था अब उसको केन्द्रीय विश्वविद्यालय बना दिया है। आपका आईआईटी, एनआईटी, आईसर सारा सब कुछ हमने आंध्र को दे दिया। यह देश के इतिहास में एक वर्ष में सबसे ज्यादा केन्‍द्र की योजनाओं का लाभ मिलने वाला कोई प्रदेश है तो वह आंध्र प्रदेश है तथा साथ ही हजारों करोड़ रुपए भी दे रहे हैं। आप अपने चीफ मिनिस्टर साहब को मेरी शुभकामना दीजिए और उनको कहिए कि हम चाहते हैं कि आन्ध्र प्रदेश तथा इस श्रीसिटी पर पूरा ध्यान केन्द्रित होना चाहिए।

हम भी इस दिशा में इन सबके एक संयुक्‍त प्रबंधन बनाने के बारे में विचार कर रहे हैंताकिश्रीसिटी को एक विश्व के लेबल का संस्‍थान हम बना सकें। देश और दुनिया के लोग हमारे पास आकर के कुछ ले करके जाएं। अभी इसकी जरूरत है और अभी उसकी शुरूआत हो गई है। हमारा देश अबकरवट ले रहा है और भारत अभी कहीं भी पीछे नहीं है। विज्ञान एवं अनुसंधान की दिशा में हम लोग आगे बढ़ रहे हैं। जब अभी कोरोना के इस संकट काल में भी मैंने देखा जब हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने कहा कि इस विषम परिस्थिति में मेरे नौजवान क्या कर सकते हैं? तो मेरे आईआईटी,आईआईआईटी और हमारे विश्वविद्यालय के लोग आगे आए। जब लोग अपने घरों में होंगे तब मेरे छात्रों, मेरे अध्यापकगणों ने प्रयोगशालाओं में जुटकर के कई सस्ता वेंटीलेटर और कहीं वो मास्‍कतैयार कर रहे थे तो कहीं वो ड्रोन तैयार कर रहे थे जो स्‍वत: संचालित सभी कार्य करता हो तथा कहीं वे टेस्‍टिंग किट के निर्माण की दिशा में सक्रिय थे आपको याद होगा इससे पहले देश में ऐसी कुछ परिस्‍थितियांनहीं थी और हम बहुत कम टेस्ट कर पाए थे लेकिन हमारे आईआईटी के छात्रों ने ऐसे टेस्टिंग किट का निर्माण किया जो कम समय में और लगभग शत-प्रतिशत रिजल्ट देने की क्षमता  रखते हों और आज दुनिया को हम उसको दे रहे हैं। कोरोना की महामारी से जो चुनौतियां उत्‍पन्‍न हुई थीं उन चुनौतियों को हमने अवसरों में तब्दील किया है और इसलिए मैं कह सकता हूं कि हमारे इन संस्थानों में बहुत ताकत है।

21वीं सदी में पूरे विश्व को भारत से बहुतउम्मीदें हैं। हम टैलेंट और टेक्नोलॉजी इन दोनों का समन्वय करेंगे। हमारे पास टैलेंट की कमी नहीं है। दुनिया की बड़ी से बड़ी कम्‍पनियों केसीईओ बन कर के हमारे यहां का छात्र उसको लीडरशिप देता है और इसीलिए जैसे अभी अमित खरे जी ने कहा है कि विद्यार्थियों में क्रिटिकल थिंकिंग और इनोवेटिव थिंकिंग के माध्यम से हमें शिक्षा को बढाना है और आज इसी की जरूरत है। पाश्‍चात्‍य विद्वान अनातोली फ्रांसिस ने एक जगह लिखा था कि शिक्षा का यह मतलब नहीं है कि आपने कितना कुछ याद किया हुआ है या यह नहीं है कि आप कितना जानते हैं। शिक्षा का मतलब है कि आप जो जानते हैं और जो नहीं जानते हैं उसमें अंतर कर पाते हैं कि नहीं कर पाते। उस दिन दोनों के बीच अंतर ही वास्‍तविक शिक्षा है।मैं यह समझता हूँ कि आज के समय में जानने और समझने तथाउसके बीच के अंतर को निश्चित रूप से हमें टेक्नोलॉजी के माध्यम से दूर करना है।

मैं समझता हूं कि कैसे करकेइसकी और संभावनाओं को तलाशना है। आज भौगोलिक और सामाजिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षण सामग्री कैसे हम प्रदानकर सकते हैं इसकी भी जरूरतहै।वैसे भी हिन्दुस्तान आगे 25 वर्षों तक यंग इंडिया रहने वाला है। पूरी दुनिया के सामने हिंदुस्तान यंग इंडिया के रूप में रह कर कुछ भी कर सकता है और उसके लिए यह बहुत अच्छा अवसर है। आज वैश्विक अर्थव्यवस्था के प्रमुख चालकों में से एक ‘ज्ञान’ अर्थव्यवस्था है यदि ‘ज्ञान’ अर्थव्यवस्था कोदेखंगे तो इस पर निर्भर करता है कि ज्ञान और उद्यमशीलता को पनपने के लिए उन्नत संस्थान  से ज्ञान के प्रसार के लिए दक्ष कार्यबल वाला शिक्षित समाज खड़ा हो रहा है कि नहीं। तीसरा शैक्षिक विमर्शों, सिविल सोसाइटी और निजी संस्थानों के मध्य में एक अच्छे अनुसंधान और अन्वेषण की दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं कि नहीं और जो चौथा है वह यह है कि सूचना और संचार प्रौद्योगिकी एक समान पहुंच कैसे हो सकती है।यह हमारे सामने चुनौती है और इन चुनौती का जब हम मुकाबला करेंगे तो यह अवसर में तब्दील होगी। मुझे खुशी है कि ज्ञान सर्किल वेंचर्स जैसे केन्द्रों से युवाओं मेंउद्यमिता की भावना पैदा करने और उनको नवाचार के साथ आगे बढ़ने का एक बहुत सुखद अवसर मिलेगा। भारत विश्व कीतेजी से उभरती अर्थव्यवस्था है।

आपने देखा होगा कि यह संभवत दुनिया के इतिहास में पहला अवसर था जबभारत को 200 बिलियन से 3 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने में केवल 5 वर्ष लगे हैं और अब हमारे देश के प्रधानमंत्रीजी ने कहा है 2024 में 5 ट्रिलियनअर्थव्यवस्था की ओर जाना है। आत्मनिर्भर भारत का जो रास्ता है वह आपसे होकर गुजरता है और इसीलिए हमने जो यहपीपीईमॉडल रखा है जिसमें ट्रिपलआईटी का जो यह कार्यक्रम कर रहे हैं। अभी तक क्या था कि हमारे आईआईटीज जो पाठ्यक्रम चलाते थे, सिखाते थे, जो आगे बढना दिखाते थे वो और इन उद्योगों के बीच अंतर था। हमने इसके अंतर को पाटा है। उद्योगों को हम अपनी आईआईटीकेसाथ जोड़ करके पाठ्यक्रम तैयार कर रहे हैं ताकि उद्योगों को पाठ्यक्रम औरपाठ्यक्रम को उद्योगों की आवश्‍यकता समझ में आ सके इसीलिए इस नई शिक्षा नीति में हम वोकेशनल स्ट्रीम के साथ इंटर्नशिप के साथ लाये हैं।अबहम कक्षा 6 से ही वोकेशनल ट्रेनिंग देंगे। शायद दुनिया का पहला देश होगा हिंदुस्तान जो स्कूली शिक्षा से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को पढ़ाएगा। एक समय था जब देश सीमाओं पर सुरक्षा के संकट से जूझ रहा था और उसीसमय देश आन्तरिक खाद्यान के संकट से भीजूझ रहा था। लालबहादुर शास्त्री जी जब देश के प्रधानमंत्री थे तब इन दोनों संकटों को एक साथ देश ने झेला और लालबहादुर शास्त्री जी ने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया तथा पूरा देश खड़ा हो गया दोनों संकटों का हमने मुकाबला किया।

उसके बाद जब भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी जी देश के प्रधानमंत्री बने तो अटल जी ने ‘जय विज्ञान’ का नारा दिया था और परमाणु परीक्षण करके पूरी दुनिया को बताया था कि हिंदुस्तान कमजोर नहीं है औरतीसरी महाशक्ति के रूप में उभरने का रास्ता दिखाया था और हमारेवर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा है कि ‘जय जवान जय किसान’,‘जय विज्ञान’ के बाद अब ‘जय अनुसंधान’ की जरूरत है। हमारे पास जो कुछ भीहै उसे हमनवाचार एवं अनुसंधान के साथउच्चतम शिखर तक ले जाना चाहते हैं। पूरी दुनिया की प्रतिस्पर्धा पर आना चाहते हैं इसलिए अनुसंधान की दिशा में भी ऐसा नहीं है कि हम चुप हैं। हम ‘स्पार्क’ के तहत पूरी दुनिया के 127शीर्ष विश्वविद्यालयों के साथ शोध कर रहे हैं।

अभी आसियान देशों केएकहजार बच्चे हमारे आईआईटी में शोध और अनुसंधान के लिए आ रहे हैं और अब हमनेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना कर रहे हैं जो प्रधानमंत्री के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार की अध्यक्षता में हो रहा है। मैं जब-जब इन संस्थानों की समीक्षा करता हूं और विश्व स्‍तरपर उनकीप्रतिस्पर्धा का आकलनकरता हूं तो मुझे लगता है शोध और अनुसंधान हमारी कमजोर कड़ी है। हम पेटेंट की दिशा में अभी पीछे हैं। हम उस खाई को भी तेजी से पाटना चाहते हैं और नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं।

वहीं टेक्नालोजी के क्षेत्र में नेशनलटेक्नोलॉजी फोरम का गठन करके हम तेजी से टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी‘वन नेशन वन डिजिटल प्लेटफार्म’ के माध्यम से इस दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं और यह नयी शिक्षा नीति इसी दिशा में एक सशक्त कदमहै। मुझे भरोसा है कि हम इस दिशा में आगे बढ़ेंगे और वैश्विक नवाचार तथा ग्लोबल ब्रांड के रूप में हम शानदार प्रदर्शन अभी भी कर रहे हैं।हमनेग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2020 में चार पायदानों पर छलांग लगायी है औरविश्व बौद्धिक संपदा संगठन की वार्षिक रैंकिंग में सर्वोच्च 50 नवाचारी राष्ट्रों की सूची में अभी हम 48वें नंबर पर आये हैं तो इसका मतलब जो रैंकिंग में सुधार की लगातार गतिमयता को हम सार्वजनिक और निजी स्रोत संगठनों की सहभागिता से शानदार प्रदर्शन दुनिया में कर पा रहे हैं।

इसीलिए मैं समझता हूं कि ठीक है लाखों समस्याएँ हमारे सामने हैं लेकिन उन समस्याओं के निदान के लिए लाखों नहीं करोड़ों मस्तिष्क हमारे पास हैं। हम उन समस्याओं के समाधान की दिशा में तेजी से आगे बढ़ेंगे, ऐसा मेरा विश्वास है। आज इस कार्यक्रम मेंआईआईआईटी श्रीसिटी और शिक्षा मंत्रालय के नवाचार प्रकोष्ठ भाग ले रहे हैं और हमारा भी नवाचार प्रकोष्ठ जिसने अभी स्मार्ट इंडिया हैकाथन किया था और आपको मालूम है कि उसमें किस तरीके से हमारे बच्‍चे बड़ी तेजी से बढ़ कर के आगे आये थे तो मैं यह समझता हूँ कि जो आज का कार्यक्रम शुरू हो रहा है निश्चित रूप में ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान, कौशल विकास आदि सभी क्षेत्रों में हम इस नयी शिक्षा नीति के साथ इन चीजों को उभरते हुए आगे विश्वपटल पर हिंदुस्तान को पूरे विश्व में ज्ञान की महाशक्ति के रूप में हम स्थापित करने में सफल होंगे। हम विश्वस्तरीय कंटेंट से लेकर के पेटेंट तक रिफॉर्मभी करेंगे,ट्रांसफॉर्मभी करेंगे और परफॉर्म भी करेंगे तथा निश्चित रूप में हम हर क्षेत्र में आगे बढ़ेंगे और इसीलिए मैं एक बार जो आज यहबहुतसुखद और बहुत अच्छी जो एक नई शुरुआत आपनेकी है उसके लिए आपको बधाई देता हूं और मैं साहनी जी से कहना चाहूंगा कि मैदान आपके लिए खाली है।

मैं अमित जी से भी कहना चाहूंगा आप दोनों लोग मिल करके कुछ भी कर सकते हैं। मेरे आईआईआईटी, मेरे आईआईटी, मेरे एनआईटी,मेरे आईसर तथाहमारे विश्वविद्यालय पूरी ताकत के साथ सामने खड़े हैं। मैदान भी खाली है अब तो दौड़ने की ज़रूरत है और नवाचार के साथ, नए अनुसंधान के साथ, नई तकनीकीके साथ, नए विचारों के साथ और जो आत्मनिर्भर भारत का एक सूत्र हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने दिया है हमें उस रास्‍ते पर आगे बढ़ने की आवश्‍यकता है।हमने आज शुरूआत की है जोन केवल आन्ध्र प्रदेश को सशक्त करेगी बल्कि मेरे देश को भी सशक्‍त करेगी और देश में इसकापरिवेशभी बनेगा। पूरी दुनिया के लोग तो हिंदुस्तान में पहले भी आते थे।

अभी हमारे बीओजी के चेयरमैन ने भगवद् गीता के कई उदाहरण दिए और मैं कहना चाहता हूँ कि इस देश के बारे में एक उक्ति है ‘एतद्देशप्रसूतस्य सकाशादग्रजन्मनः स्वं स्वं चरित्रं शिक्षेरन्पृथिव्यां सर्वमानवाः’ सारी दुनिया के लोग हमारे यहाँ आकर के सीखते थे। तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय हमारे पास थे जो ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान के शिखर पर थेशल्‍य चिकित्सा का जनक सुश्रुत,भास्कराचार्य जैसा वैज्ञानिक,योग के आचार्य पतंजलि से लेकर नागार्जुन तथा आर्यभट्ट जैसे विद्वान हमारी ही धरती  पर पैदा हुए हैं इसलिए  ज्ञान और विज्ञान की पराकाष्‍ठा पर हम रहे हैं।

पूरी दुनिया इस बात को जानती है कि दुनिया में ज्ञान और विज्ञान का कोई खजाना था तो हिन्दुस्तान था। वह मेरा हिन्दुस्तान इस समय करवट ले रहा है और निश्चितरूप से वो फिर विश्वगुरु के रूप में आगे बढ़ेगा और इसकी आधारशिला में हम लोग साक्षीबन करके काम करेंगे। मैं एक बार फिर आपको शुभकामनाएं देता हूं और बधाई देता हूं।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. श्री अमित खरे, सचिव, उच्‍चतर शिक्षा, शिक्षा मंत्रालय
  3. श्री अजय प्रकाश साहनी, सचिव, आईआईटी
  4. श्री सतीश चन्‍द्रा, विशेष मुख्‍य सचिव, आंध्र प्रदेश सरकार
  5. श्री बाला एम.एस, अध्‍यक्ष बीओजी, आईआईआईटी श्रीसिटी, आंध्र प्रदेश
  6. प्रो. जी. कन्‍नावरन, निदेशक, आईआईआईटी श्रीसिटी, आंध्र प्रदेश
  7. श्री श्रीनिवासाराजु, अध्‍यक्ष, श्रीसिटी फाउंडेशन