आईआईईएसटी शिवपुर के डीएसटी-आईईएसटी सोलर पीवी हब का उद्घाटन
दिनांक : 27 अक्टूबर, 2020
माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
आपके इस उद्घाटन कार्यक्रम के अवसर पर उपस्थितिभारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी के सचिव श्रीआशुतोष शर्मा जी,अध्यक्षबोर्ड ऑफ गवर्नर डॉ.वासुदेव जी, संस्थान के निदेशक डॉ.पार्थसारथी चक्रवर्ती,प्रबंध निदेशकविक्रमसोलर लिमिटेड, श्री ज्ञानेश चौधरी जी,कुलसचिवडॉ.बिमान बंदोपाध्याय और प्रो.हीरा मंड्या शाहजी,मंत्रालयसे जुड़े हमारे साथ डीजी मदनमोहनजी, सभी डीन, विभागाध्यक्ष, फैकल्टी, बीओजी के सदस्यगण और छात्र-छात्राओं!मैं इस अवसर पर जबकि आप एक बहुत महत्वपूर्ण काम को आज यहां पर कर रहे हैं मैं आपको बहुत बधाई देना चाहता हूं और मैं शुभकामनाएं देने के लिए आपके बीच आया हूं। मुझे छात्रों को भी और फैकल्टी को भी विशेष करके इस अवसर पर बहुत बधाई देनी है। भारतीय अभियान्त्रिकी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी,शिवपुरआज का नहीं बल्कि यह सबसे पुराने संस्थानों में से दूसरे नंबर का संस्थान है।देश की आजादी के समय सन् 1956 में स्थापित इस संस्थान ने बहुत लम्बी यात्रा तय की है। जो पहले बंगाल इंजीनियरिंग कॉलेज के नाम से विख्यात था और अपनी इतनी लंबी यात्रा में इस संस्थान ने देश को बहुत सारी ऐसी प्रतिभाओं को दिया है जिन पर हम नाज कर सकते हैं। मुझे खुशी है की कि आज जिस सोलर हब के उद्घाटन के अवसर पर हम डिजिटल माध्यम से एकत्रित हुए हैं उसमें भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग का भी महत्वपूर्ण योगदान है और सौर ऊर्जा अथवा हरित ऊर्जा या इको फ्रैंडली ऊर्जाके क्षेत्र में, अनुसंधान विकास एवं प्रशिक्षण महत्त्वपूर्ण निर्माण कार्य को निश्चित रूप से पूरा करेगा। पूर्वी और उत्तर पूर्वी क्षेत्र में जो ऊर्जा की गतिविधियांहैं वो कई उद्योगों और अनुसंधान संगठनों को प्रत्यक्ष रूप में निश्चित मदद कर सकेंगे और नई तथाव्यावहारिक तकनीकी में जो कुशलता प्राप्त प्रशिक्षण होना है तथाजिसकी बारबार कमी कई बार महसूस होती है उसकी निश्चित रूप से यह संस्थान पूर्ति कर सकेगा और जैसे कि आप जानते ही हैं कि विश्व जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसीबहुत विकट परिस्थितियों का सामना पूरी दुनिया कर रही है और ऐसे समय में सबको लगता है कि पर्यावरण और प्रकृति से जुड़ी चीजों के साथ जुड़कर हम कैसे आगे बढ़ सकते हैं।मुझे भरोसा है कि जो यह हब जो आपके द्वारा प्रस्तावित हुआ है जिसकाआज हमनेशिलान्यास किया है इसके माध्यम से ऊर्जा संबंधित सभी जरूरतों को हम निश्चित रूप से पूरा करेंगे और न केवल पूरा करेंगे बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा और सतत विकास के लक्ष्यों जिसको लेकर के हमेशा युनेस्को चिंतित रहा है। इस तकनीकी के माध्यम से हम आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में भी सहयोग देंगे और जैसे कि आप सबको मालूम है कि हमारेदेश के प्रधानमंत्री चाहते हैं कि जो 21वीं सदी का भारत है वो स्वर्णिम भारत हो और वो स्वर्णिम भारत आत्मनिर्भर भी हो, वो सुंदर भी हो, वो स्वच्छ भी हो और स्वस्थ भी हो तथावो सशक्त भी हो,वो समर्थ भी हो और वो श्रेष्ठ भी हो तो यह जो आत्मनिर्भर तथाश्रेष्ठ एवंसशक्त भारत होगा जिसे वर्ष 2024 तक फाइवट्रिलियन डॉलर की आर्थिकी के रूप में हिन्दुस्तान को पूरे विश्व में एक और जहां बड़ी शक्ति के रूप में उभारना है वहीं अभी जो हमनयी शिक्षा नीति को लेकर के आये हैं जिसकेमाध्यम से हमतकनीकी के क्षेत्र में और विभिन्न ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत को पूरे विश्व का ज्ञान का हब एवं महाशक्ति बनाने की दिशा में हम आगे बढ़ेंगे। आपको मालूम होगा कि हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने पीछे के समय में विश्व में लीडरशीप दी है तो उसमें एक लीडरशिप यह भी थी किजहां उन्होंने पूरे आतंकवाद के खिलाफ पूरे विश्व को एक मंच पर खड़ा किया,वहीं उन्होंने पर्यावरण के क्षेत्र में जोचिंता है जो वैश्विक मौसम परिवर्तन की चिंता हैं, उसमें भी सारे विश्व को एक करके सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की लीडरशिप को आगे बढ़ाने का काम किया और मैं आपको याद दिला दूं की पीछे के समय में एशियाका सबसे बड़ा सौलर प्लांट जब शुरू किया था तब मोदी जी ने कहा था कि देश के किसानों को गरीब परिवारों को और आदिवासियों को जिस तरीके से सस्तीबिजली, साफ सुथरी बिजली और पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा की जरूरत थी, वह आज पूरी होने जा रही है। हमारी संस्कृति में सदैव सूर्य का वंदन किया गया है। सूरज की ऊर्जा को अपने अंदर समाहित करने की हमनेहमेशाबात की है,उसके महत्व को समझा हैऔर उसको उपासना के योग्य भी समझा है।सूर्य को हमने पवित्र समझा और उसकी जो ऊर्जा है उस ऊर्जा को चाहे वो आध्यात्म की ऊर्जा है,चाहेउसकी अद्भुत रोशनी आपकी ऊर्जा है, वो हमारी शक्ति मैंकिस तरीके से समाहित होकर के नए प्रकाश के रूप में बाहर निकल सकता है,यह हमारी भारतीय संस्कृति का चिंतन रहा है हमारेसूर्य देव की इस ऊर्जा को महसूस कर इस नये चिन्तन है उस चिन्तन के आधार पर पूरी दुनिया को इस संकट से उबरने के लिए निश्चित रूप से यह सौर ऊर्जा केन्द्र एक अभियान के तहतआगे बढ़ाएगा। आपका संस्थान बहुत पुराना संस्थान है वह निश्चित रूप से हमारे देश के प्रधानमंत्री के इन सपनों को साकार करेगा। उ हमारेदेश के प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी जी ने कहा कि बिजली पर हमारी आत्मनिर्भरता बढ रही है। उन्होंने कहा कि यदि यह देखा जाए तो सोलर एनर्जी में हम दुनिया के टॉप फाइव में हैं जिसमें अभी हमको नंबर एक पर आना है और आपका संस्थान जिस गति से और लगनसे कार्य कर रहा है तो निश्चित रूप में भले ही हम अभी दुनिया के टॉप फाइव देशों में पहुंचे हैं लेकिन हमें नंबर एक पर आना है। यह हमारा टारगेट है। एलईडी बल्बों के उपयोग से साढ़े चार करोड़ टन कार्बन डाई आक्साइड पर्यावरण में घुलने से अभी रुकी है, यह छोटी बात नहीं है।यदि इसका आंकलन करेंगे तो पर्यावरण के दुष्प्रभावों को रोकने में हमें सफलता पाई है, यह बहुत जरूरी है इसलिए भारत को तो इस पावर का निर्यात करना है। हमारा देश130करोड़ लोगों का देश है। दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्रिक देश मेरा भारत है और इसलिए भविष्य में जब हम सौर ऊर्जा का उत्पादन करेंगे तो हम विश्व के लिए बहुत बड़ा प्लेटफॉर्म बनेंगे और वैसे भी हमारे देश के प्रधानमंत्री बार बार कहते हैं कि आखिर ‘मेक इन इंडिया’ क्यों नहीं हो सकता?क्योंहमेशामेक इन चाइना और मेक इन जापान ही होता रहेगा मेक इन इंडिया हो अथवाडिजिटल इंडिया हम इन दोनों को जोड़कर के स्किल की जहां भी कमी रहेगी,उसको पूरी करेंगे। हमारे पास प्रतिभा की भीकमी नहीं है और विजन की भी कमी नहीं हैतथा मिशन की भी कमी नहीं है। यदि हमारे पास विजन, मिशन, प्रतिभा एवं आईडियाज की कोई कमी नहीं है तो फिर कहां कमी है, उस कमी को ही दूर करने के लिए आप जैसे संस्थानों को ताकत के साथआगे आने की जरूरत है और आपके पास लंबा अनुभव भी है। आपबहुतबड़े धैर्यपूर्वक तथा बड़े विजन के साथ आगे बढ़ें। इसलिए पूरे विश्व को जोड़ने की ताकत चाहिए आज हमको इसकी जरूरत भी है और जब हम घर से बाहर निकले तो किस तरीके से इस बात को सोचें और आगे बढ़ने के लिए कह सकें। हमारे प्रधानमंत्री जी भी हमारे पर्यावरण, हमारी हवा, हमारे पानी,इन सबको साफ बनाए रखने की दिशा में यह जो सौर ऊर्जा की नीति है यह सबसे जल्द सफल होगी। यदि पानी गंदा है तो फिर जिन्दगी बेकार है। यदि वायु दुषित है तो जिन्दगी कहां सुरक्षित है।सम्पूर्ण दुनिया की मानवता के लिए अच्छी हवा और शुद्ध पानी यहदोनों महत्वपूर्ण हैं और यह तभी संभव हो सकता है जब हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतोंकी दिशा में सशक्त तरीके से आगे बढ़ सके। प्रधानमंत्री जी ने अंतरराष्ट्रीय सौर ऊर्जा गठबंधन पूरी दुनिया में एकजुट करने के मकसद से शुरू किया। उसके पीछे वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड की भावना थी और हमने तो सदैव वसुधैव कुटुंबकम की बात की है। हम तो एक ओर कहते हैं कि‘अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्।।‘अर्थात् पूरी वसुधा को हमने कुटुम्ब माना है और हम वो लोग हैं जिन्होंने कहा कि यहभूमि मां है और हम इस पृथ्वी के सब पुत्र-पुत्रियां हैं। यदि हमने‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की बात की हैतो उस कुटुम्ब को संरक्षित रखने के लिए भी हमेशा ईश्वरसे प्रार्थना की है‘सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामया, सर्वे भ्रदाणी पश्यन्तु मा कश्चिद् दु:ख भाग्भवेत’ कि धरती पर एक भी व्यक्ति दुःखी नहीं होना चाहिए तब जाकर के मैंसुख का अहसास कर सकता हूं। हम लोग केवल अपने सुख के लिए नहीं जीते हैं, हम लोग केवल अपनी सुविधा के लिए नहीं जीते हैं बल्किहम विश्व के कल्याण के लिए जीतेहैं। यह हमारा विचार रहा है और इसी विचार ने हमको विश्वगुरू बनाया है। इसी विचार ने तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालयोंके माध्यम से सम्पूर्ण दुनिया को शिक्षा दी है। ‘एतद्देशप्रसूतस्य सकाशादग्रजन्मनः स्वं स्वं चरित्रं शिक्षेरन्पृथिव्यां सर्वमानवाः’यहां सारी दुनिया के लोग ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान और नवाचार को सीखने के लिए आये हैं। ऐसेसंस्थान हमारी धरती पर थे और इसलिए मैं समझता हूं अब अवसर आ गया है। ये अब हमें ज्ञान, विज्ञान को नवाचार के साथ तथा तकनीकी को नवाचार के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है। मुझे इस बात की खुशी है कि जो नई शिक्षा नीति हमारी अभी आई है उस नई शिक्षा नीति के तहत हम लोग इन तमाम क्षेत्रों में बहुत तेजी से आगे बढने की दिशा में सक्रिय हैं। आपने ज्ञान, विज्ञान, और शोध तथाअनुसंधान की दिशा में श्रेष्ठता से कार्य करते हुएकुल 250 फैकल्टी मेम्बर्स और 4000 छात्रों के साथ एनआईआरएफ रैंकिंग में पूरे भारत में 20वां स्थान प्राप्त किया है। यहबहुतबड़ी बात हैक्योंकिमेरे देश के अन्दर अब एक हजार विश्वविद्यालय हैं,45हजार डिग्री कॉलेज हैं, 15 लाख से अधिक स्कूल हैं,करोड़ 9 लाख से अधिक अध्यापक हैं और कुल जितनी अमेरिका की आबादी नहीं है उससे भी ज्यादा 33 करोड़ छात्र-छात्राएं हैं।यहभारत का वैभव है और इससे प्रतिस्पर्धा में अपने को बनाए रखना यह छोटी बात नहीं हैऔर मुझे खुशी है कि आप वास्तुकला में भी छठे नंबर पर आये हैं। मुझे भरोसा है कि क्यूएसरैंकिंग और टाइम्स रैंकिंग के लिए भी आप और तैयारी करेंगे क्योंकि आपका संस्थान बहुतपुराना संस्थान है, एक मार्गदर्शक संस्थान है और इससे भविष्य में हमारे को टारगेट चाहिए वो क्युएस रैंकिंग के लिए चाहिए। मुझे भरोसा है क्योंकि आपकेनिदेशक को जितना मैं समझ पाता हूं और आपकी टीम भी बहुतअच्छी है और उसको आप जो टारगेट देंगे तो निश्चित हीहमउस टारगेट को पा सकेंगे। अभी बौद्धिक संपदा के क्षेत्र में मैं देख रहा था कि आपने 60 के करीब पेटेंट फाइल किए हैं और मेरी चिंता सिर्फ यही रही है कि जब मैंदुनिया के संस्थानों के साथ अपनेसंस्थानों की तुलनाकरता हूं तो मुझको महसूस होता है कि अभी शोध तथा अनुसंधान और पेटेंट में कहीं न कहीं हमसे चूकहुईहै इसलिए उस गड्ढे को भी पाटने की जरूरत है। इसलिए नयी शिक्षा नीति में हम नेशनल रिसर्च फाउंडेशन लायें हैं जो प्रधानमंत्री जी के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार की अध्यक्षता में होगी। अब हम शोध और अनुसंधान का परिवेश बनाएंगे। आपको याद होगा एक समय था जब देश सीमाओं पर बहुत संकट से गुजर रहा था और देश के अंदर खाद्यान्नका संकट भी था, ऐसे वक्त में हमारे देश के प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री जी ने‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया था और पूरा देश उनके साथ खड़ा हो गया था और हमने दोनों संकटों को पार किया था। उसके बाद जब अटल बिहारी वाजपेई जी आये और बाजपेयी जी को महसूस हुआ कि देश को विज्ञान की जरूरत है और उन्हें ‘जय विज्ञान’ का नारा दिया और आपको याद होगा कि भारत नेपरमाणु परीक्षण करके पूरी दुनिया में देश को महाशक्ति के रास्ते पर बहुतताकत के साथ आगे बढ़ाया और अब जब हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी जी को लगा किअब एक कदम और आगे जा करके देश को विश्व के शिखर पर पहुंचाने की जरूरत है तब उन्होंने ‘जयअनुसंधान’ का नारा दिया और निश्चित रूप से ‘जय अनुसंधान’ के साथ देश आगे बढ़ेगा। तकनीकी दृष्टि से भी हम पूरी दुनिया में कैसे छा सकते हैं इसलिए हम‘नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम’ का भी गठन कर रहे हैं ताकि दोनों चीजें समर्थ और सशक्त तरीके से आगे बढ़ सकें। अभी भी हम ‘स्टार्स’ के साथ एवं ‘स्पार्क’ के माध्यम से दुनिया के 127 शीर्ष विश्वविद्यालयों के साथ पारस्परिक अनुसंधान कर रहे हैं।स्ट्राइड,इम्प्रिंट, इम्प्रेस और स्टार्स के माध्यम से लगातार शोध और अनुसंधान कर रहें हैं लेकिन इसको जुनून के साथ करना पडेगाक्योंकि मुझे लगता है पीछे के समय हमारे पेटेंट में कमी रही है। जब मेंचीन का विश्लेषण करता हूं तो दस या पंद्रह साल पहले वह पेटेंट मेंलगभग हमारे साथ थे और आज उसने इस सीमा तक छलांग मारी है कि उसको पकड़ने के लिए हमेंतेजी से भागना पड़ेगा। मेरा भरोसा है कि मेरी फैकल्टी इस बात को महसूस करेगी और मेरा जो संस्थान है वह शोध, अनुसंधान और रिसर्च के माध्यम से पेटेंट करेगा। अब पैकेज की यह होड़पैकेज से हट के पेटेंट की ओर जानी चाहिए और उस दिन काया पलट हो जाएगी हिन्दुस्तान की।हमने‘स्टडी इन इंडिया’ के तहत इस समय आह्वान किया है कि पूरी दुनिया के लोग भारत में आकर के सीखें, जानें तथा भारत को महसूस करें। आपको इस बात को लेकर खुशी होगी की जहां आज आसियानदेशों के एक हजार से भी अधिक छात्र हमारेआईआईटीज में अनुसंधान के लिए आरहेहैंजबकि ‘स्टडीइन इंडिया’ के तहत अभी तक50 हजार से भी अधिक छात्रों ने अपना रजिस्ट्रेशन किया है और ‘स्टे इन इंडिया’ के तहतहम चाहते हैं कि हमारे यहां जो बच्चों को विदेश में पढ़ाने की होड़ लगी है, वह कम होनी चाहिए क्या मेरी धरती पर अच्छे संस्थान नहीं हैं? क्या कोई कमी है?नहींकोई कमी नहीं है लेकिन पता नहीं हम लोगों ने अपने को क्यों कम आंका है। यदि हमारे संस्थानों में कोई कमी होती तो दुनिया में चाहे वो गूगल हो, चाहे माइक्रोसॉफ्ट जैसी जो कंपनियां हैं उसका यदि सीईओहै तो वो हमारी धरती से पढ़ने वाला छात्र है जो आज भी दुनिया को लीडरशिप दे रहे हैं। मैंने तो हमारे जितने भी आईआईटी और आपके अन्य संस्थान हैं सबके पूर्व छात्रों की सूची बनाई हैंमैं आपसे भी अनुरोध करूंगा। कि आप भीसूची बनाइए और पता किजिए कि आपकेपूर्व छात्रकहां-कहां हैं?जब मैं देखता हूं कि मेरे पूर्व छात्र पूरी दुनिया में फैले हुए हैं ऐसा कौन सा देश है जहां वो लीडरशिप नहीं दे रहा है। इसका मतलब स्पष्ट है कि हमारी धरती पर बहुत महत्वपूर्ण प्रतिभाएं हैं, हमें उनको परिवेशदेना है।आजलगभग 8 लाख छात्र विदेशों में पढ़ रहे हैं और हमारा लगभग डेढ लाख करोड़ रुपया प्रतिवर्ष हिन्दुस्तान से बाहर जाता है।मेरेदेश का पैसा भी एवं हमारे देश की प्रतिभा भी यह दोनों ही हमारे काम नहीं आते। हमारे संस्थानों मेंकौन सी कमी है उस कमी को हमपाटेंगे।अब नई शिक्षा नीति के तहत दुनिया के टॉप 100विश्वविद्यालयोंको हम हिन्दुस्तान के अंदर आमंत्रित करने जा रहे हैं तथा हम भी अपनेविश्वविद्यालयोंको दुनिया में भेज रहे हैं।जहां‘ज्ञान’ में हमने बाहर की फैकल्टी को अपने यहां आमंत्रित किया हैं वहीं‘ज्ञान प्लस’ में अब हमारी भी फैकल्टी बाहर पढ़ाने के लिए जाएगी। हमारे जो अध्यापकयौद्धा हैं उनमें विजन और मिशन की कमी नहीं है और इसीलिए उनको ताकतवर बनाने के लिए प्रशिक्षण और समय-समय पर अनुसंधान के साथ आगे बढ़ाना है। मेरा भरोसा है कि एक दिन पूरी दुनिया में हमारी फैकल्टी जाएगी और वहां दुनिया को भी पढ़ाएगी।लेकिन हम इस गैप को भरना चाहते हैंकिहमारा बच्चा बाहर नहीं जाना चाहिए। हम पर भरोसा होना चाहिए हमारे ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ जैसे विजन को गति देने की जरूरत है आखिरअखिरक्यों नहीं हो सकता मेक इन इंडिया?इसके लिए ज़रूरत है वातावरण बनाने की आजहमारे छात्र उन दूसरेदेशों की प्रगति में अपना आमूल चूल योगदान दे रहे हैं और इसलिए इसमें वातावरण निर्माण की जरूरत है कि किस तरीके से इसको बढ़ाया जाए। मुझे इस बात की भी खुशी है कि आपने इस दिशा में आगे बढ़ते हुए बहुत सारे विशेषज्ञ संस्थाओं के साथ समझौते किए हैं।मैंदेख रहा था कि आपने वर्ल्ड बैंक, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, विज्ञानप्रौद्योगिकी एवं इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी रिसर्च अकेडमी, सर्वे माइनिंग इत्यादि बहुत सारे संस्थानोंके साथ पारस्परिक समझौता करके विभिन्न क्षेत्रों में मिलकर आपकुछ अनुसंधान करने काम कर रहें हैं। मुझे बहुत खुशी है इसकी जरूरत थी इसी की बदौलत हमारी बौद्धिक संपदा बाहर निकलेगी जिसको आप पेटेंट कर सकेंगे। इसी दिशा में और आगे बढ़ते हुए आपने शोध परामर्श प्रकोष्ठ का भी एककेन्द्र बनाया है। उसके लिए भी मैं आपको बधाई देना चाहता हूं। यह भी बहुत अच्छा प्रयासहै।आपकेइस संस्थान को मैंने बहुत निकटता से देखा है भले ही मैं वहाँ नहीं आया हूँ लेकिनमेरे को सब मालूम है और मुझे पताहै कि आपकी फैकल्टी बहुत मेहनतीहै।अभी आपने जो चर्चा की है कि सरकार के आप कुछमदद चाहतेहैं और सरकार उस मदद को देने को तैयार है। आपने 300 से भी अधिकरिसर्च प्रोजक्ट 550 परामर्शी परियोजनाओं के माध्यम से इंडस्ट्रीज और अकादमिक के बीच गैप को कम करने का काम किया है। इंडस्ट्रीज और मेरे संस्थानों के बीच गैप था। इंडस्ट्रीज को क्या चाहिए और मैं क्या पढ़ा रहा हूं इसमें गैप था। इस समय हमने इंडस्ट्री और संस्थानों के गैप को भरने की कोशिश की हैजो इण्डस्ट्रीज है उसको क्या चाहिए वही पाठ्यक्रम हमबनाएंगे। हमारे फिफ्टी परसेंट छात्र यदि उन उद्योगों में काम करेगातो वे उद्योग बढ़ेंगे और इसका विजनभी प्रेक्टिकल रूप में बाहर आएगा। अभी जो अभी युक्ति पोर्टल हमने बनाया था और उसके बाद ‘युक्ति-2’जिसमें हजारों-हजारों, लाखों-लाखों छात्रों के आईडियाजएक बड़े प्लेटफॉर्म पर आये हैं। मेरे देश का कोई भी व्यक्ति, गांव का व्यक्ति इनआईडियाजको लेकर जा सकता है।हमारेदेश में लगभग छह करोड़ लघु उद्योग हैं। यदि इन छह करोड़ लघु उद्योगों में मेरे छात्र ठान ले कि सारे लघुउद्योग को मैं नीचे से ऊपर उठाऊंगा और एक लघु उद्योग में यदि मेरा एक छात्र भी जाएगा तो उस दिन व्यापक परितर्वन होगा। वो छात्र अपनी मेहनत से चार लोगों को भी रोजगार देगा तो चौबीसकरोड़ लोगों को उस दिन रोजगार हासिल होता है। इस पैमाने पर हमकोचलना पड़ेगा। इस टारगेट को अपने पास रखना पड़ेगा और मुझे भरोसा है कि पूरे देश में परिवर्तन हो रहा है हमारे प्रधानमंत्री जी ने 21वीं सदी का स्वर्णिम भारत कहा है उस स्वर्णिम भारत की ओर तेजी से आशान्वित होकर के मेरा नौजवान भी आज जा रहा है। वैसे भी हिन्दुस्तान आगे पच्चीस सालों तक यंग इंडिया रहने वाला है। उसको हम किस तरीके से आगे बढ़ा सकते हैं। मुझे भरोसा है कि आप इस दिशा में बहुत अच्छा काम कर रहे हैं।स्किल डेवलपमेंट के क्षेत्र में आप जो नित नए काम कर रहे हैं उसको देखते हुए बच्चों के बीच कहना पड़ेगा कि नौकरी के लिए तलाश करने की बजाय नौकरी देने वाला बनो।जिस दिन यहआत्मविश्वासहम उसमें डालेंगे उस दिन नयाभारत खड़ा हो जाएगा।यह जो नई शिक्षा नीति आई हैं यह बहुत खूबसूरत है तथापूरे देश के अंदर एक उत्सव एवंउल्लास का माहौल है। मैं जरूर चाहूंगा किआपइस नीति को लेकर हर विभाग में एक गोष्ठी करें। नई शिक्षा नीति को कैसे करके मेरा संस्थान सबसे पहले उसको क्रियान्वन की दिशा में आगे आ सकता है, इस विषय परचर्चा हो एवं क्रियान्वन की दिशा तय हो। लेकिन मैं आपको कहूंगा कि इसशिक्षा नीति से पूरी दुनिया में तथादेश के अंदर उल्लास और उत्सव का वातावरण बना है। दुनिया के तमाम देशों ने यह कहा है कि हमको भी भारत की एनईपी चाहिए। हमारी नई शिक्षा नीति छात्रों को खुला मैदान प्रदान करती है।अबछात्र चाहे जिस विषय को ले सकता है तथा किसी भी विषय के साथ किसी अन्य विषय को ले सकता है। अब उसकी कोई मजबूरी नहीं और जब चाहे वो प्रवेश ले सकते हैं और आप जब छोड़ना चाहते हैं तो छोड़ सकते हैं। लेकिन फिर यदि आपको लगता है कि आप अपने जीवन को तथा भविष्य को सुधारना चाहते हैं तो आप उसी स्थान से शुरू कर सकते हैं जहां से आपने छोड़ा है। आपका एक क्रेडिट बैंक बनेगा जिसमें जितने भी आपके क्रेडिट हैं वो उसमें जमा रहेंगे कि जहां पर उसने छोड़ा है वो लौट करके उसको आगे बढ़ा सकता है और इसलिए शोध और अनुसंधानके क्षेत्र मेंभी हम बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। हमने नई शिक्षा नीति में यह भी कहा है कि स्कूली शिक्षा में विद्यार्थी अपनी मातृभाषा में सीखे और किसी भी प्रदेश पर भाषा थोपी नहीं जाएगी लेकिन हां,हमारे संविधान की जो 22 भाषाएं हैं इनमें ज्ञान है,विज्ञान है, परम्पराएं हैं इनको हम कैसे छोड़ सकते हैं?हमें याद रखना होगा कि कोई भी देश अपनी ही भाषा पर ही आगे बढ़ा है। जो लोग तर्क देते हैं भाषा का मैं उनसे अनुरोध करता हूं कि भाषा माध्यम हो सकता है, भाषा ज्ञान नहीं हो सकता है। जो लोग भाषा की बात करते हैं मैं उन लोगों से कहना चाहता हूं कि जो देश अपनी मातृभाषा में पढ़ाते हैं क्या वो किसी से पीछे हैं? जापान, इटली, जर्मनी, अमेरिका, इजरायल सहित विभिन्न देश अपनी मातृभाषा में ही नीचे से लेकर ऊपर तक शिक्षा देते हैं क्या वो किसी से पीछे हैं?तो इसलिए यह बात करनेवाले लोगों को समझना चाहिए कि जो यह नई शिक्षा नीति है इसमें पूरा मैदान खाली है आप कहीं भी जाओ कोई भी भाषा को पढ़ों, तथा आगे बढ़ो। ग्लोबल माइंडसेट के साथ हमारी जो नई शिक्षा नीति आई है यह इंडियन भी होगी, इंटरनेशनल भी होगी, इम्पैक्टफुल भी होगी, इन्कलुसिव भी होगी, इटरेक्टिव भी होगी और यह क्वालिटी, इक्विटी ओर एक्सेस इन तीनों की आधारशिला पर खड़ी होगी। मुझे भरोसाहै कि हमारे संस्थान टैलेंट की पहचान भी करेंगे, टैलेंट का विस्तार भी करेंगे और टैलेंट का विकास भी करेंगे। इसलिए मैंने कहा कि नेशनल रिसर्चफाउंडेशन एवं नेशनल एजुकेशन टैक्नोलॉजी फोरम इन दोनों के गठन के माध्यम से रिफार्मभीकरेंगे, ट्रांसफॉर्म भी करेंगे और परफॉर्म भी करेंगे और ताकत के साथ करेंगे। इसलिए जो एनईपी है वह तमाम सुधारों के साथ आई है और मुझे भरोसा है कि आपका संस्थान आगे बढ़ेगा तथा जो अवस्थापनाओंका आपने शिलान्यास किया है वह आपको और शिखर पर पहुंचायेगा और आपकी संस्था पर मेरा देश गौरव कर सकेगा। एक बार फिर मैं आपको शुभकामनाएं देता हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद!
कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थिति:-
- डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
- प्रो. आशुतोष शर्मा, सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार
- डॉ. पार्थसारथी चक्रवर्ती, निदेशक, आईआईईएसटी शिवपुर
- डॉ. वासुदेव के. आतरे, अध्यक्ष, बोर्ड ऑफ गर्वनर, आईआईईएसटी शिवपुर,
- श्री ज्ञानेश चौधरी, प्रबंध निदेशक, विक्रम सोलर लिमिटेड, भारत
- डॉ. बीमान बंदोपाध्याय, कुलसचिव, आईआईईएसटी, शिवपुर,
- श्री मदन मोहन जी, डीजी, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार