ई-सेमिनार ऑन एनईपी-2020

 

ई-सेमिनार ऑन एनईपी-2020

 

दिनांक: 03 दिसम्‍बर, 2020

 

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

अलीगढ़ मुस्‍लिम विश्‍वविद्यालय में राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति-2020 परआयोजित इस सेमिनार औरपुस्‍तक के लोकार्पण के अवसर पर मुझसे जुड़े सभी अतिथिगणों, अध्‍यापगणों और छात्र-छात्राओंका मैं अभिनन्‍दन करता हूं।

इस कार्यक्रम में विशेषकर यूजीसी के यशस्‍वी अध्‍यक्ष, प्रो.डी.पी सिंह जी, जिनकी नई शिक्षा नीति के कार्यान्‍वयन में बहुत महत्‍वपूर्ण भुमिका रही है,अलीगढ़ मुस्‍लिम विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. तारिक मंसूर जी, जो इस विश्‍वविद्यालय की प्रगति की दिशा में लगातार अग्रसर है, मैं जानता हूं कि जिस तरीके वे काम कर रहे हैं कि मेरा अलीगढ़ मुस्‍लिम विश्‍वविद्यालय देश एवं दुनिया में अपनी अच्‍छी पहचान कैसेबना सकता है, यह जो उनकी चिंता है और जो सहज, सरल व्‍यवहार के धनी है तो ऐसे विश्‍वविद्यालय के यशस्‍वी कुलपति, प्रो. तारिक मंसूर जी, विज्ञान विभाग के डीन, प्रो. कांजी मजहर अली जी, प्रो. नसरीन जी, प्रो. सज्‍जाद अख्‍तर जी और प्रो. एस.के. सिंह जी,आप लोगों ने आज इस सेमिनार को एक अच्छा स्वरूप दिया है और इन्‍होंने आज एक बहुत ही सुंदर पुस्तक का भी लोकार्पण किया है। प्रोफेसर एस.के. सिंह जी को मैं बहुत लंबे समय से जानता हूं उन्‍होंने गढवाल केन्‍द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं और यदि उनके पीछे के समय को देखा जाए तो उनके 50 वर्षों केअद्भुत अनुभव और शिक्षा के उत्‍थान की दिशा में उनकी अनवरत साधना का हमनेदर्शन किया है उन्होंने अपने अनुभवों और शिक्षा को अपने छात्रों के बीच बांटने की कोशिश की है, अपने विजन को आगे बढ़ाने की कोशिश की है और उन्‍हींके साथ प्रो. सज्जाद जो 25 वर्षों से अध्यापन एवं शोध के क्षेत्र में कार्यरत हैं,मैं उनको भी बहुत बधाई देना चाहता हूं। प्रो.सज्जादअख्‍तरजी और प्रो.एस.के सिंह जी आपने जो यहखूबसूरत पुस्तक अपने छात्रों के लिए तैयार की है और ऐसी परिस्थितियों में तैयार की है, वह बहुत अद्भुत है और मैं समझता हूं कि यह पुस्‍तक विभिन्‍न विश्‍वविद्यालयों, उच्‍च शैक्षणिक संस्‍थानों में परमाणु भौतिकी एवं खगोल भौतिकी के क्षेत्र में छात्र-छात्राओं के लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होगी।

मैं आप दोनों लोगों को बहुत बधाई देना चाहता हूं, शुभकामना देना चाहता हूं कि इस अभियान को आप लगातार आगे बढ़ा रहे हैं। पूरी दुनिया आज हिंदुस्तान की ओर देख रही है उसकेहर एक कदम,हर एक कार्यान्‍वयनकी ओर देख रही है और अब एक योद्धा के रूप में हम इसको चारों तरफ किस तरीके से आगे बढ़ासकते हैं,इसकी जरूरत है। अलीगढ़ मुस्‍लिम विश्‍वविद्यालयके कुलसचिवअब्‍दुल हमीद जी, सभी अध्‍यापक,प्रोफेसर,छात्र-छात्राओं, शोध छात्रों,लेखकगण और जो लोग आज इस बड़े वेबिनारमें जुड़े हैं मैं उन सभी का अभिवादन कर रहा हूं, उनको धन्यवाद देता हूं और यहांआज जो नई शिक्षा नीति की बात हो रही है और भारत की यी राष्ट्रीय शिक्षा नीति,एक तो भारत राष्‍ट्र,दूसरी इसकी शिक्षा और तीसरी उसकी नीति यदि इन तीनों चीजों की बात करें तो जब हम भारत बोलते हैं तो 130करोड़ लोगों की ताकत हमारे अंदर समाहित होती है, जब हम भारत बोलते हैं तो वो भारत जिसकागौरवशाली इतिहास रहा है, अभी सिंह साहबजिस बात को कह रहे थे उस गौरवशाली भारत का हम हिस्सा होते हैं जो पूरी दुनिया में विश्वगुरु रहाहै, जब हम भारत बोलते हैं तब हम उस भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं जो ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की बात करता है।

यह पूरा संसार हमारा है, मेरा परिवार है इस परिवार की रक्षा-सुरक्षा, प्रगति और सुख-शांति हम लोगों की जिम्मेदारी है। यह छोटा विजननहीं है,बहुत बड़ा विजन है जो जात-पंथ, धर्म सबको एकसमान मानकरके मानवता के शिखर को छूता है, यह जो हमारी भावना है यही मेरे देश की ताकत है। यह जो हमारी नई शिक्षा नीति आई है, यह हमारी ताकत है क्‍योंकि नेल्सन मंडेला जी ने भी कहा था कि शिक्षा एक ऐसा अस्त्र है जो दुनिया में कुछ भी कर सकता है। हमारे देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना साहब ने भी इसी बात को कहा था, गांधी जी ने भी यही कहा था, विवेकानंद जीने भी यही कहा थाऔर यदि मैं दूर की बात नकरूं तो अभी कुछ वर्षपहले इस देश के पूर्व-राष्टपति भारत रत्न अब्दुल कलाम आजाद ने भी इन्हीं बातों को दोहराया था और इसलिए शिक्षा किसी व्यक्ति, परिवार,समाज औरराष्ट्र की रीढ की हड्डी होती है। यदि शिक्षा नहीं तो कुछ भी नहीं है, अंधेरा ही अंधेरा है और शिक्षा है तो उजाला ही उजाला है।

इसीलिए हमने इस बात की परिकल्पना की‘असतो मां सद्गमया’कि हम हमेशा असत्‍यसत्‍यकी ओर जाएंगे, चाहे कोई भी कुर्बानी क्यों न देनी पड़े। हम सच्चाई को नहींछोड़ेंगेऔर यह जो अंधकार है उस अंधकार से प्रकाश की ओर मनुष्‍यता की ले करके जाएंगे। इसको वही लेकर केजा सकता है जिसके अंदर ताकत है। ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ की बात वह व्‍यक्‍ति ही कर सकता है जिसके मानस के अन्‍दर दीप आंदोलित हो रहा हो, जल रहा हो,जो स्‍वयं बुझा है, वह दूसरों को क्या रास्ता दिखा सकता है,दूसरो को क्या रोशनी दे सकता है। जिसके स्‍वयं के चेहरे पर मुस्कुराहट ना हो वह किसी को क्‍या हंसा सकता है। जो हताश है, निराश है वह दूसरे को क्या मार्ग दिखा सकता है। इसलिए जब मैं अपने भारत की बात करता हूंतो मैं उस भारत की परिकल्पना करताहूंजोभारत जो सारी धरती को अपनी मां के समान मानता है,यह है हमारा विज़न।

इसीलिए जब यह नई शिक्षा नीति आई है वह तमाम व्यापक परिवर्तनों एवं तमाम सुधारों के साथ आई है, मुझे इस बात कीखुशी है। मेरे से पहले वक्ताओं ने सभी बातें बोलीं हैं,मुझे खुशी है और मुझे तो केवल आपको शुभकामना और बधाई देनी है आप तो योद्धा हैं। नीतितोहमेशा बहुत अच्छी बनती है लेकिन नीति को जमीन पर क्रियान्वित करने का जो माद्दाहोता है, वो माद्दा आप लोगों के अन्‍दर होता है।जब तक नीतियों को जमीन पर क्रियान्‍वितकरने वाले लोग सजग नहीं रहेंगे, प्रखर नहीं रहेंगे, मिशन मोड में नहीं आएंगे तब तक उस नीति का फल नहीं मिलता, क्‍योंकि नीतियां तो ढेर सारी बनती हैं, लेकिन उनको क्रियान्‍वित करने वाला होना चाहिए उसके लिए आप लोगों को लीडरशिप लेनी पड़ेगी।

कुछ लोग सपने तो बहुत अच्छे-अच्छे देखते हैं लेकिन उनको क्रियान्‍वित नहीं कर पाते हैं,हर व्यक्ति बहुत अच्छे सपने देखता है लेकिन उन सपनों को साकार करने के लिए जो अपने जीवन को खपाता है,मेहनत करता है उन्‍हीं के सपने साकार होते हैं और इसीलिए मुझे याद है कि कलाम साहब जब मेरी एक पुस्तक का लोकार्पण कर रहे थे,तो उन्‍होंने मुझसे कहा कि मैंने सुना है वर्ष 1983 से आपकेगीत आकाशवाणी पर आते हैं क्‍या वो सब एक जगह संग्रहित हो सकते हैं। उनके कहने पर मैंने, उनकी प्रेरणा से ‘ए वतन तेरे लिए’ जो मेरे कुछ बिखरे हुए गीत थे मैंने उनको एक जगह संग्रहित किया, जबउन्होंने उसका लोकार्पण किया। आप समझ सकते हैं कि वो कितने  बड़े देशभक्‍त थे, उनके अन्‍दर भारत कितना समाया हुआ था, उसमें एक छोटी सी कविता थी जो उन्होंने अपने यहां टाइप करके लगाई हुई थी:-

 

‘‘अभी भी है जंग जारी वेदना सोई नहीं है,

मनुजता होगी धरा पर संवेदना खोईनही है,

किया है बलिदान जीवन, निर्बलता ढोईनहीं है

कह रहा हूं यह वतन तुझसे बड़ा कोई नहीं है’’

 

यह जो अंतिमपंक्ति है उसको बोलते-बोलते उनकी आंखों से आंसू छलक आए थे। उस दिन मैंने उस विराट व्यक्तित्व के दर्शन किए और मुझे लगा कि देशभक्ति का जो अथाह सागर अब्दुल कलाम साहब के मन में हिलोरे ले रहा है यही मेरी देश की ताकत हैं। यही मेरा वहभारत हैजो विश्‍व गुरू रहा है। हम लोग पूरी दुनिया को अपना परिवार समझते हैं जो ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्‍तु निरामया:’ की बात करता है किधरती पर प्रत्‍येक व्यक्ति सुखी होना चाहिए कोई भी व्‍यक्‍ति दु:खी नहो। नई शिक्षा नीति भी उसी से अनुप्राणित है। इसलिए हमने कहा कि यह नीति भारत केंद्रित होगी,जो भारत के लोगों को समझ में आ सके।

वह भारत जो ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान के क्षेत्र में शिखर पर रहा है, तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालय इस देश के अंदर थे।जहां पूरी दुनिया के लोग ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान और नवाचार के लिए शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते थे, तब दुनिया में कौन सा विश्वविद्यालय था और इसीलिए मैं यह समझता हूं कि सुश्रुत, शल्‍य चिकित्‍सा काजनक इस धरती पर पैदा हुआ,मैंमेडिकल कॉलेजों के छात्रों का आह्वान करना चाहता हूं कि सुश्रुत को पढ़ो, उस पर शोध और अनुसंधान करो।

चाहे आयु के विज्ञान आयुर्वेद के जनक हो, रसायनशास्‍त्री नागार्जुन हो, पाणिनी हो, भास्‍कराचार्य हो, महान गणितज्ञ आर्यभट्ट हो सभी इसी धरती पर ही तो पैदा हुए। मेरे देश के प्रधानमंत्री जी ने कहा किआत्‍मनिर्भरभारत की जरूरत है और जो21वीं सदी का स्‍वर्णिम भारत है जो5 ट्रिलियनकी आर्थिकी के साथ सारे विश्व में अपना वैभव विकसित करेगा, जब हम उसभारत की आत्मनिर्भरता की बात करते हैं तो कौटिल्य के अर्थशास्त्र के सामने कौन सा अर्थशास्त्र टिकता है और इसीलिए मैं सोचता हूं भाषाविज्ञान की दिशा पाणिनीकेभाषा विज्ञान के सामने दूर-दूर तक कोई नहीं टिकता है,यही हमारी ताकत है।

यह नयी शिक्षा नीति उस ताकत को समन्वित करके नवाचार, शोध और अनुसंधान के साथ पूरी दुनिया के शिखर पर पहुँचने की तैयारी है। यहनई शिक्षा नीति अंक ज्ञान और अक्षर ज्ञान और केवल डिग्रीदेने की शिक्षा नीतिनहीं है और इसलिए आपने देखा होगा किहमने इसको मातृभाषा से शुरू कियाहै, तीन वर्ष के बच्चे से शुरू कियाहै। हमने अब10+2को समाप्‍त कर दिया उसको5+3+3+4 और 5को भी 3+2में बांट दिया क्‍योंकि हमारे वैज्ञानिकबतातेहैं कि तीन से छ: वर्ष के बच्‍चे में  मस्तिष्क कासर्वाधिक विकास होता है और इसीलिए हम आंगनबाड़ी से शुरू करके उसका आगे बढ़ाना चाहते हैं और यह शायद दुनिया का पहला देश होगा जो स्कूली शिक्षा सेआर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को पढ़ायेगा और हम इसको वोकेशनल स्ट्रीम के साथ, इंटर्नशिप के साथ आगे बढ़ाएंगे।

अब हम बच्चे को रिपोर्ट कार्ड नहींदेंगे बल्‍किप्रोग्रेस कार्ड देंगे कि वह क्‍या प्रगति कर रहा है। अब हम उसका360 डिग्री होलिस्टिक मूल्यांकन करेंगे,बच्‍चा स्‍वयं भी अपना मूल्यांकन करेगा, उसका अध्यापक भीमूल्यांकन करेगा, उसका अभिभावक भीमूल्‍यांकन करेगा और उसका साथी भी उसका मूल्यांकन कर सकेगा।इसके साथ ही यदि आप उच्च शिक्षा में देखेंगे तो मेरे युवाओं  के लिए पूरामैदान खाली है,आप दौड़ो जहां तक आप दौड़ सकते हो,अबविषय की भी कोई बाध्यता नहीं है,आपजो चाहे विषय ले सकते हो, लेकिन उस विषय को लो जिसमें तुम छलांग मार सकते हो, शिखर पर पहुंच सकते हो।

यदि आप देखेंगे  तो हमारे देश के अंदर शिक्षा का कितना बड़ा व्‍यापहै यहां एक हजार से भीअधिक विश्वविद्यालय हैं, पैंतालीस हजार से भीअधिक डिग्री कॉलेज है,पंद्रह लाख से भी अधिकस्कूल है, एक करोड़ दस लाख से भी अधिक अध्यापक हैं और अमेरिका की कुल जितनी आबादी नहीं होगी उससे भी अधिक33 करोड़ यहांछात्र छात्राएं हैं, यह इस देश का वैभव है।यहदुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और इसीलिए जो हमारा अतीत था, जो हम वर्तमान में कर रहे हैं एवं जो हम भविष्‍य में करना चाहते हैं हम इन तीनों चीजों को जोड़ रहे हैं क्योंकि जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं तो मैं उन पर टिप्पणी नहीं करना चाहता।आप भीसब प्रोफेसरगण हैं, अध्यापकगण हैं,मैंने भी एक सामान्य अध्यापक से लेकर के शिक्षा मंत्री तक की यात्रा तय की है। मैं यहसमझ सकता हूं कि एक अध्यापक की क्या भूमिका हो सकती है और जो अंतिम छोर में बैठा रहनेवाला छात्र है, उसकी क्या अभिलाषाहै,वहदेश इस विकास की दौड़ में कहांजा रहा है और जो देश दुनिया के शिखर पररहा हो वह इस समय कहां पर खड़ा है।

इसलिए हमारे सामने चुनौतियां हैं लेकिन विवेकानंद जी ने कहा था कि जितनी बड़ी चुनौती होती है अगर उनका ताकत के साथ मुकाबला होता है तो उतनी हीबड़ी सफलताएं भीमिलतीहैं। हमारे पूर्व-राष्‍ट्रपति भारत रत्‍न, डॉ.अब्दुल कलाम साहब ने कहा था किसपने वो होते हैं जो सोने न दे।ऐसेसपने बुनो। लेकिन ऐसे सपने जो सोने न दे जब तक कि आपउनको क्रियान्वित नहीं कर देते। यह शिक्षा नीति उन्हीं के सपनों के आधार पर आई है।इसकोविजन के साथ, मिशन के साथ करना है। यह शिक्षा नीति सामान्य नहीं है। यह नेशनल भी है, इंटरनेशनल भी है, यहइंटरेक्‍टिवभी है, इम्पैक्टफुल भी है,इनोवेटिवभी है और यहइक्विटी,क्वालिटी और एक्सेस की आधारशिला पर खड़ी होती है।हम इसमें कंटेंट भी पैदा करेंगें और उसको टैलेंट केसाथ भीजोड़ेगें और उसका पेटेंट भी करायेंगे।

आज भी देश के अन्‍दर छात्रों में केवल पैकेज की होड़लगीहै।इस पैकेज की होड़ को खत्म करके पेटेंट के होड़को तैयार करना होगा तभी देश प्रगति के पथ पर आगे बढ़ सकता है और वो दिन दूर नहीं है। अभीकुछ दिन पूर्व कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने भी हमारी नई शिक्षा नीति की तारीफ की है, हमारेदेश के अन्‍दर उत्साह का वातावरण है, वहीं पूरी दुनिया भी इस नई शिक्षा नीति के साथ जुड़ना चाहती है।

इस शिक्षा नीति के अंतर्गत यदि कोई 4 वर्ष का कोर्स है और यदि कोई छात्र दो साल में परिस्‍थितिवशछोड़के जा रहा है  तो पहले उसका पैसा एवं वर्ष खराब हो जाते थे लेकिन अब उसकोनिराश नहीं होना पड़ेगा,यदि आप परिस्‍थितिवश एक वर्षमें छोड़कर जा रहे हैं तो उसको सर्टिफिकेटदेंगे,दो साल में छोड़ कर जा रहा है तो डिप्लोमा देगें, तीन साल में छोड़ेकर जा रहा है तो उसकोडिग्री देंगे लेकिन यदि फिर वह लौट कर अपने भविष्य को संवारना चाहता है तो फिरवह जहां से उसने छोड़ा था वहीं से शुरू कर सकता है। उसके लिए हम एक ऐसा क्रेडिट बैंक बनायेंगे जहां उसके सारे क्रेडिट जमा होगा इसलिए उसके लिए आगे बहुत आपार संभावनाएं है।वह कहां जाना चाहता है, शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में जाना चाहता है।जहां हमने ‘नेशनलरिसर्च फाउंडेशन’ की स्थापना की है,जो कि प्रधानमंत्री जी के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार की अध्यक्षता में होगी जो शोध की संस्कृति को तेजी से आगे बढ़ाएगा। वहींहमनेतकनीकी के क्षेत्र में हमतकनीकी को नीचे स्‍तर तक, अंतिम छोर के व्यक्ति तक कैसे पहुंचा सकते हैं इसके लिए ‘नेशनल एजूकेशन टेक्निकली फोरम’का भी गठन कर रहे हैं।

जिससे तकनीकी दृष्टि से भी देश समृद्ध हो सके। मैं जब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की समीक्षा करता हूं तो मैं देखता हूं किस विभाग में क्या-क्या हो रहा है, मैं चुपचाप बैठने वाले लोगों में नहीं रहा हूं।मैं हर विभाग के बारे में बता सकता हूं कि उसने क्‍या-क्‍या किया है, क्‍या कर रहा है और भविष्‍य में उसके क्‍या प्‍लान है तो मुझे खुशी होती।

आज जिस तरीके से मुस्लिम यूनिवर्सिटी अलीगढ़आगे बढ़ रही है,इसके फैकल्टी रात-दिन खपकर काम कर रही है तोमुझे भरोसा है कि ये  भविष्‍य में अपना अलग स्थान बनाएगा।अभीहमने ‘स्टेइन इंडिया’कीभी बात कीक्‍योंकि हमारे देश से 7-8 लाख छात्र प्रतिवर्ष विदेशों में पढ़ने के लिए जा रहे हैं। हमारे देश का पैसा और प्रतिभा दोनों बाहर चली जाती हैं तो वापस वह हमारे देश में नहीं आती है। इसलिए हमने‘स्‍टे इन इंडिया’ किया हमने  छात्रों को भरोसा दिलाया कि हमारे आईआईटी, एनआईटी, आईएसर, केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालयों में योग्‍यता है, क्षमता है आपको  बाहर जाने  की जरूरत नहीं है,अब लोगों की समझ में आ गया है। मुझे इस बात की खुशी है कि पीछे के समय जब हमने जेईई परीक्षाएं करवाई।

मुझे इस बात की भी खुशी है कि दो लाख से भी अधिक छात्रों ने जोछात्रोंविदेश में जा रहे थेवेजेईई और नीट की परीक्षाओं में सम्‍मिलित हुए। हम ‘स्‍टे इन इंडिया’ के तहत दुनिया के शीर्ष सौविश्वविद्यालयों को अपनी धरती पर आमंत्रित कर रहे हैं आपकोकहीं जाने की जरूरत नहीं है और यहां के जो शीर्ष विश्वविद्यालय हैं वेभीबाहर जा रहे हैं। ये आदान-प्रदान हम करेंगे।हमारे संस्‍थान अब एनआईआरएफ ही नहीं,अटल रैंकिंग ही नहीं बल्‍किक्‍यूएस रैंकिंग औरटाईम्‍स रैंकिंगमेंभीछलांग मार  रहे हैं क्योंकि हममें सामर्थ्य है।जब देश और दुनिया कोविडकी माहमारी के संकट से गुजर रही थी तोहमारेदेश के प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि नौजवानों आगे आओ,आपक्या कर सकते हैं मैं इस बात को लेकर बहुतखुशहूं कि तब मेरे छात्रों ने, मेरे अध्यापकों ने प्रयोगशाला में जाकर एक से एक नया अनुसंधान किये।

हमने मास्‍क तैयार किए, हमने ड्रोन तैयार किए, हमने सस्‍ते एवं टिकाऊ वेंटिलेटर तैयार किए, टेस्टिंग किट तैयार किए जो पहले देश में कभी बनता ही नहींथा।यदि आप युक्ति पोर्टल पर जाएंगे। आपको लगेगा कि इस कोरोना काल में भी इस देश के नौजवानों, अध्यापकों और छात्र-छात्राओंबहुत सारे शोध एवं अनुसंधान किये हैं,यह हमारी ताकत है।

दुनिया ने हमारी ताकत को देखा है। हम को इस ताकत को बचाकररखने की जरूरत है और इसलिए मुझे लगता है जो यह नयी शिक्षा नीति अभी आई है जिस पर हम लोग लगातार परामर्श कर रहे  है,आपने टास्कफोर्स बनाई होगी मुझे इस बात की भी खुशी है। देश के सब शिक्षा मंत्रियों से जब मेरी बात होती है तो प्रदेशों मेंहोड़ लगी हुई हैकि हम शिक्षा नीति को सबसे पहले अपने प्रदेश में क्रियान्वित कराएंगे और मुझे इस बात की आशा है, मुझे संतोष भी है कि वक्त तेजी से बदल रहा है, हमने विभिन्न क्षेत्रों में क्रियान्‍वयनशुरू कर दिया है।

कुछ लोग कहते हैं कि हमको ग्‍लोबल पर जाना है तो अंग्रेजी सीखनी पड़ेगी मैंने कहा  हम अंग्रेजी का विरोध नहीं  करते, अंग्रेजी ही नहीं और दो-तीन भाषाएं सीखों,लेकिन अपनी भाषाओं को मत छोड़ो। हमारेसंविधान ने हमें 22 खुबसूरत भाषाएं दी हैं हिन्दी, तमिल, तेलगू, मलयालम, कन्नड़, गुजराती, मराठी, बंगाली,ओडिया, असमिया, उर्दू,यहहमारी 22 खूबसूरत भाषाएँ हैं इनमेंअपना ज्ञान है,जीवंता है,तोक्यों हम अपनी भाषाओं को खोयंगे।हमने अंग्रेजी का कभी विरोध नहीं किया लेकिन अंग्रेजी इस देश की भाषा नहीं है। हमें अंग्रेजीक्या पूरी दुनिया की भाषाओं को पढना है लेकिन मैं उन लोगों से पूछना चाहता हूं।

क्या जो देश नीचे से लेकर उच्च शिक्षा तकअपनी मातृभाषा में शिक्षा देते हैं वो किसी से पीछे हैं, क्‍या जापान, फ्रांस, इंग्लैंड और दुनिया के तमाम जो विकसित देश हैं वो अपनी मातृभाषा में शिक्षा देते हैं क्‍या वो किसी से पीछे हैं,फिर ऐसे तर्क दे करके देश को कमजोर करने की बातक्यों की जाती हैं। इसलिए देश के प्रधानमंत्री जीने कहा कि अब व्‍यक्‍ति अपनी मातृभाषा में डॉक्टर भी बन सकता है औरइंजीनियरभी बन सकता है क्‍योंकि  जो बच्‍चा जिस भाषा को बोलता है यदि उसको उसकी भाषा में शिक्षा दी जाए तो वह उसमें ज्यादा अभिव्यक्त कर सकता है। अभी जब मैं कल बैठककर रहा था तो मेरे आईआईटी केसारे लोग जुड़े हुए थे, तो आईआईटी मद्रास के निदेशक ने कहा कि सर हम जैसे तमिल बच्‍चाहै तो यदि उसे उसी कीभाषा पढ़ाते हैं तो तुरंत समझजाताहै और अंग्रेजी में पढ़ाते हैं तो समझ में नहीं आपातातो अब भाषा का कोई मुद्दा नहीं होगा, उसी की भाषा में प्रवेश भी होगा, पढ़ाई  भी होगी, परीक्षा भी होगी।

इसलिए जो देश के प्रधानमंत्री जी ने कहा कि21वीं सदी का स्वर्णिम भारत चाहिए जो भारतसुन्‍दर हो,स्वस्थ हो,सशक्त हो,समृद्ध हो,आत्मनिर्भर हो,श्रेष्ठ हो और एक भारत हो,ऐसा भारत जिसका रास्ता ‘मेक इन इंडिया’,‘डिजिटल इंडिया’,‘स्किल इंडिया’,‘स्टार्टअप इंडिया’ और ‘स्टैंडअप इंडिया’ से होकर गुजरता हो और उस भारत की आधारशिला यह नई शिक्षा नीति है और मुझे भरोसा है कि हम एक मिशन मोड में इसको करेंगे। यह शिक्षा नीति दुनिया के सबसे बड़े परामर्श के बाद आई है इस नई शिक्षा नीति में 1000 विश्‍वविद्यालय के कुलपतियों से, 45 हजार डिग्री कॉलेज के प्रिंसिपलगणों से, 33 करोड़ छात्रों से, 33 करोड़ छात्र-छात्राओं के माता-पिता से  विचार-विमर्श किया गया है। इसके साथ ही साथ ग्रामप्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक, गांव से ले करके संसद तकहरक्षेत्र में हमने चर्चा की है और उसके बाद भी इसको पब्लिक डोमेन में डालने के बादसवा दो लाख सुझाव आए और एक-एक सुझाव का विश्लेषण करने के बाद जो अमृत निकाला है,जोशक्ति का पुंज निकला है वह यह नई शिक्षा नीति है।

यहीं शक्ति का पुंज पूरे विश्व में भारत को ज्ञान की महाशक्ति के रूप में स्थापित करेगा। मेरा भरोसा है क्योंकि मैं देख रहा हूं मेरे अध्यापकों के मन के अंदर भी छटपटाहट है,इस कोविड के संकट के समय जब  पूरी दुनिया घरों में कैद हो गई हो तब भारत जैसा देश अपने 33 करोड़ छात्र-छात्राओं को रातों-रातऑनलाइन पर लाता है कोई सोच भी नहीं सकता है।

हमने समय पर परीक्षाएं करवाई,हमने अपने बच्‍चों का वर्ष भी खराब नहीं होने दिया, उसको अवसाद में नहीं जाने दिया। हम पूरी ताकत के साथ अपने शिक्षा परिवार को मिशन मोड में ले करके उस अभियान कोआगे बढ़ायेंगे।मुझे भरोसा है कि इसके क्रियान्वयन में आप योद्धा की भूमिकानिभाएंगे। आजराष्ट्रीय शिक्षा नीति पर जो यहसेमिनार हो रहा है या जो विचार-विमर्श हो रहा है और जिस पुस्तकका लोकापर्ण हुआ है मैं सिंह साहब जी को बधाई देना चाहता हूं कि बहुत खूबसूरत पुस्तक इन्होंने बनाई है और इसका लाभ देश ही नहीं पूरी दुनिया के छात्र उठा सकेंगे। एक बार फिर मैंकुलपति,प्रो. तारिक मंसूर जी को शुभकामना देना चाहता हूंकि आपके नेतृत्व में यह विश्वविद्यालय प्रगति के पथ पर आगे बढ़े। मैं आप सबका अभिनन्‍दन एवं स्‍वागत करता हूं।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।!

 

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. प्रो. तारिक मंसूर, कुलपति, अलीगढ़ मुस्‍लिम विश्‍वविद्यालय, अलीगढ़
  3. प्रो. कांजी मजहर अली, डीन विज्ञान, विभाग, अलीगढ़ मुस्‍लिम विश्‍वविद्यालय, अलीगढ़
  4. प्रो. नसरीन, अलीगढ़ मुस्‍लिम विश्‍वविद्यालय, अलीगढ़
  5. प्रो. सज्‍जाद अख्‍तर, अलीगढ़ मुस्‍लिम विश्‍वविद्यालय, अलीगढ़
  6. श्री अब्‍दुल हमीद, कुलसचिव,अलीगढ़ मुस्‍लिम विश्‍वविद्यालय, अलीगढ़