एनआईटी अरूणाचल प्रदेश के यांत्रिक एवं रासायनिक बॉयोटेक शैक्षणिक ब्‍लॉक, केन्‍द्रीय उपकरण सुविधा एवं प्रतिक्रिया इंजीनियरिंग लैब का उद्घाटन

 

एनआईटी अरूणाचल प्रदेश के यांत्रिक एवं रासायनिक बॉयोटेक शैक्षणिक ब्‍लॉक, केन्‍द्रीय उपकरण सुविधा एवं प्रतिक्रिया इंजीनियरिंग लैब का उद्घाटन

 

दिनांक: 26 अक्‍टूबर,2020

 

 

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

अरुणाचल प्रदेश में आज केइसमहत्‍वपूर्णउत्सव में सम्‍मिलितप्रदेश के बहुत ही जुझारू और यशस्वी मुख्यमंत्री आदरणीय श्री पेमा खांडू जी, केन्द्र में मेरे बहुत ही अभिन्न मित्र और यशस्वी केन्द्रीय मंत्री और जो इस क्षेत्र के यशस्वी सांसद भी हैं आदरणीय किरेन रिजीजू जी, अरुणाचल प्रदेश केयशस्‍वीशिक्षामंत्री श्री तबा तादिर जी,इस एनआईटी के निदेशक पिनाकेश्‍वर महंत जी,हमारे एडीजी श्री मदनमोहनजी, रजिस्टार, सभी विभागाध्यक्ष, डीन, फैकल्टी, बीओजी के सभी सदस्यगण, एनआईटी परिवार और अरुणांचल प्रदेश के शिक्षा विभाग तथा विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े सभी उपस्थित भाइयो और बहनों! मैं इस खुशी के अवसर पर आपके बीच उपस्‍थित हो करके अपने को सौभाग्यशाली समझता हूं कि आज अरुणाचल को सौगातके रूप में एक राष्ट्रीय महत्व के स्‍थाई परिसर का शुभारंभ हो रहा है। यहराष्ट्रीय महत्व का जो संस्थान है जोअरुणाचल प्रदेश की युवा पीढी को न केवल अरुणाचल प्रदेश को गौरव दिलाएगा बल्कि मेरे देश को भी पूरी दुनिया में गौरव दिलाएगा, ऐसा मेरा विश्वास है। लंबे समय के बाद प्रतीक्षा थी जैसे किरण भाईने भी चर्चा की कि वो लगातार इस बात को कहते रहे कि इसका रिवाइज एस्टीमेट होना है और मुझे याद है कि पेमाजी जोहमारे बहुतयंग मुख्यमंत्री हैं और इनकी जिजीविषा और छटपटाहट को मैंबहुत अच्छे से जानता हूं क्‍योंकि वे टेलीफोन पर भी लगातार संपर्क करते हैं, तो पत्राचार में भी कभी कोई कमी नहीं रखते और मैंने इनके पत्र को तब भी देखा था और मुझे खुशी है कि जो 2009-10तक रुका हुआ काम था वो अब बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है और इसका जो रिवाइज एस्टीमेट हुआ है वो 868.36 करोड़ रुपये का इसका रिवाइज एस्टीमेट हुआ है। अभी 33.80 करोड़ का काम हमारे निदेशक श्री अग्रवाल जी के नेतृत्‍व में बहुत तेजी से वहां पर चल रहा है। जिसको अतिरिक्त 430.56करोड़ रूपए की और ज़रूरत है। मैं पेमाजी को और उनके जो शिक्षा मंत्री हैं क्योंकि शिक्षा मंत्री जी भी मेरे साथ लगातार जुड़े हुए हैं और पिछले हर महीने सेलगभग मैं देश के सभी शिक्षा मंत्रियों की जबमीटिंगकरता हूं तो मुझे पेमा जी आपको बधाई देनी है कि आपके शिक्षा मंत्री बहुत अच्छा काम कर रहे हैं और आपके नेतृत्व में टास्कफोर्स गठित हो गई जिससेलगभग हम लोग हर 15 दिन में चर्चा करतेहैं। मैं नई शिक्षा नीति की नीचे तक समीक्षा करने की कोशिश करता हूं तो अपने देश के सभी शिक्षा मंत्रियों से जब मेरी बातचीत होती है तो मुझे इस बात को कहते हुए खुशी होती है कि मेराअरुणाचल प्रदेश बहुत तेजी से नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की दिशा में बहुत ही गंभीरता से पहल कर रहा है, सक्रियता से पहल कर रहा है और मुझे भरोसा है कि जो आपकी पहल होगी मुख्यमंत्री जी यह अरुणाचल प्रदेश ने पूरे देश के नक्शे को एक नए सिरे से मेरे देश के यशस्‍वीप्रधानमंत्री जी ने जो 21वीं सदी के स्वर्णिम भारत की परिकल्पना की है जो उनका संकल्प है कि ऐसा भारत जो सुंदर भारत हो, ऐसा भारत जो स्वस्थ भारत हो, जो स्वच्छ भारत हो,जोसक्षम भारत हो,जो समृद्ध भारत हो,जो आत्मनिर्भर भारत हो और जो श्रेष्ठभारत हो,ऐसे भारत के निर्माण की यह नई शिक्षा नीति आधारशिला बनेगीऔरउसमें अरुणाचल प्रदेश पीछे नहीं है। मैं मुख्यमंत्री जी आपको इसके लिए बधाई देना चाहता हूं, शुभकामना देना चाहता हूँ कि आपके नेतृत्व में बहुत तेजी से प्रदेश आगे बढे। मुझे इस बात की भी खुशी है कि जो आज एनआईटी के स्थाई कैम्पस की शुरूआतहुई है और जब मैं लगातार अपने राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों की समीक्षा करता हूँ तो मुझे खुशी होती है कि एनआईटी अरुणाचल ने बहुत कम समय में काफी तेजी से आगे बढ़ना शुरू किया है और एनआईआरएफ रैंकिंग में इंजीनियरिंग श्रेणी में 200 स्थान बनाने में तथा अटल रैंकिंग में 11वां स्थान प्राप्‍त कर बहुत ही शानदार प्रयास किया है। मैं देख रहा हूं कि इस संस्‍थान में पांचबैचस्नातक एवं परास्नातक शिक्षा के पूरी कर चुके हैं और 53 संकाय सदस्यों एवंलगभग 800 बच्चों के साथ यह संस्‍थान निरन्‍तर आगे बढ़ने के लिए प्रयासरत है। मैं इसके निदेशक को और उनकी फैकल्टी को बहुत शुभकामना देना चाहता हूं क्योंकि यह जो पर्वत है, यह हिमालय है और यहाँ की आवाज बहुत दूर तक जाती है। हिमालय सामान्य पहाड़ नही है, हिमालय में देश की आत्मा बसती है और निश्चित रूप से जब वहां से कोई चीज बाहर निकलती है तो वो विश्व फलक पर देश की ताकत बन करके जाती है और इसको मैं एहसास कर सकता हूँ क्योंकिमैं भी हिमालय से आता हूँ। मुझे याद है कि वर्ष2010 में जब मैं मुख्यमंत्री उत्तराखंड था तो हम लोगों ने शिमला में एक कॉन्क्लेव किया था। हिलचीफ मिनिस्टर का कॉन्क्लेव किया था और बहुत सारे विषयों पर तब भी यह बात की थी कि यहहिमालय सामान्य नहीं है, देश की सीमाओं पर तैनात हिमालय  देश की रक्षा भी करता है, यह एशिया का वाटर टावर भी है, यह आध्यात्म की शक्ति भी है औरयहां का जो व्यक्ति है वो बेहद अकलुषित भी है। यहां का निवासी सहजभी है,शालीन भी है, संवेदनशील भी है औरउतना ही पराक्रमी भी है। पराकाष्ठा तक का धीरज उसके अंदर है तो उसके बिलकुल अलग गुण हैं। पूरी दुनिया में यह हिमालय का व्यक्ति मेरे देश कीपूंजी है और इसलिए यह जो हिमालय के संस्थान  हैं,जितने भी मेरे विश्वविद्यालय हैं, मेरे राष्ट्रीय महत्व के यह संस्थान हैं, उन सब से बार-बार लगातार आग्रह भी करता हूं कि वे पूरी ताकत झोंक करके पहाड़ पर जन्‍म लेने वाली हमारी प्रतिभाओं की प्रखरता को सामने लायेंगे और उनकी प्रखरता एक बार जब सामने आती है तो वो राष्ट्र के लिए एक बहुत बड़ी धरोहरके रूप में आगे खड़ी होती है।मुझे भरोसा है कि मेरा यह एनआईटी उन अपेक्षाओं को, उन आशाओं को पूरा करेगा और वो इस प्रदेश की शिक्षा की दिशा में, उसकी चेतना के विकास की दिशा में, उसकी प्लानिंग की दिशा में, उसके तमाम जो परिवर्तन होने तथा विकास की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा। मेरे मुख्यमंत्री जी को उस पर गर्व होगा की वोप्रदेश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।मुझे लगता है कि जब भी अकादमी और उद्योगों के बीच गैप होता है तब कठिनाई होती है। इस समय हमने कोशिश की है कि मेरे जो यहआईआईटीहैं, मेरे एनआईटी हैंइनके और उद्योगों के बीच गैप न रहे अब उद्योगों को क्या जरूरत है,वहां पर स्थानीय आवश्यकता क्या है औरउसको पाठ्यक्रम से जोड़ करके उसको ऊपर उठाने का काम हम कर रहे हैं और इसीलिए नयी शिक्षा नीति में हम तमाम परिवर्तन लेकर के आये हैं। इस समय बहुत व्यापक परिवर्तन और सुधारों के साथ इस नई शिक्षा नीति को हम लाए हैं जो नीचे से स्कूली शिक्षा ही नहीं बल्कि तीन वर्ष के बच्चे से लेकर के अर्थात् प्री-प्राइमरी से लेकर के एवंआँगनवाड़ी से लेकर के उच्च शिक्षा एवंशोध और अनुसंधान तक व्यापक तरीके से हम परिवर्तन लाएं हैं। पुराने 10+2 को हटा करके 5+3+3+4 किया है और आज इस नई शिक्षा नीति के तहत बच्चे का भी पूरी ताकत के साथ 360 होलिस्टिक मूल्यांकन होगा। वह अपना भी मूल्यांकन करेगा, उसके माता-पिता भी मूल्यांकन करेंगे और उसका साथी भी मूल्यांकन करेगा तथा अध्यापक भी उसका मूल्यांकन करेगा। यह360 डिग्री जो होलिस्टिक मूल्यांकन होगा उससे बच्‍चा एक योद्धा के रूप में सर्वस्व गुणों कोनिखार कर के वह बाहर निकलेगा। शायद दुनिया का पहला हम ऐसा देश होंगे जो छठी कक्षासे हीआर्टिफिशल इंटेलिजेंस शुरू करेंगे और वो भी वोकेशनल स्ट्रीम के साथ इंटर्नशिप के साथ हम शुरू करेंगे। हम शैक्षणिक,शिक्षणेत्तर और वोकेशनल इन तीनों केबीच गैप हम खत्म कर रहे हैं। यह तीनों एक साथ जुड़ेंगे वो शिक्षणेत्तर गतिविधियां भी करेंगे, उसमें सामाजिक हावभाव होंगे, सांस्कृतिक भी होंगे।शिक्षणेत्तर गतिविधियों के माध्‍यम से जहां अक्षर ज्ञान के साथ ही वोकेशनल स्ट्रीम के द्वारा इंटर्नशिप के माध्‍यम से विद्यार्थी कुछ दिनों क्लास में रहेगा तो कुछ दिन वो प्रैक्टिकल में खेतों में जाएगा। मुझे इस बात की खुशी है कि अभी आपने कई लोगों के साथ समन्वय किया है और यहां परआप इनकोट्रेनिंग दे रहे हैं।आपदूसरी संस्थाओं के साथ समझौता, समन्वय एवं सहयोग के माध्यम से विशेषज्ञताके पहलुओं को आप आगे बढ़ाने का काम कर रहेहैं चाहे आईआईटी गुवाहाटीहै,भुवनेश्‍वरपावर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट है और चाहे भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण है, चाहे वो असम साइंस एंड टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी हैआपबहुत सारे संस्‍थानोंके साथ मिलकर के रिसर्च से कर रहें हैं। अभी हम दुनिया के सर्वश्रेष्‍ठ127 विश्वविद्यालयों के साथ ‘स्‍पार्क’ केशोध और अनुसंधान कर रहे हैं। वैसे ‘स्‍ट्राइड’ के तहत एवं‘स्टार्स’ के साथ देश में अंतर विषयक शोधों में भी हमारे बच्चे आगे बढ़ रहे हैं और मुझे खुशी है कि जापान कीयूनिवर्सिटी के साथ भी इस संस्था ने एमओयू किया है। हमलोग तो ‘स्टडी इन इंडिया’को एक ब्रांड बनाना चाहते हैं तथा आह्वान करना चाहते हैं कि पूरी दुनिया के लोगो आओ और हिंदुस्तान में आकर सीखों, पढ़ो क्‍योंकिहिन्दुस्तान तो विश्वगुरु रहाहै।हिन्‍दुस्‍तान में तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालय रहे हैं जब हम इस देश में कहते थे कि‘एतद्देशप्रसूतस्य सकाशादग्रजन्मनः स्वं स्वं चरित्रं शिक्षेरन्पृथिव्यां सर्वमानवाः’पूरी दुनिया के लोगों ने तो ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान, नवाचार, प्रौद्योगिकी हिंदुस्तान की धरती पर आकर सीखा है और इसलिए देश एक बार फिर अंगड़ाई ले रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द मोदी जी कीअगुआई में देश विश्व की महाशक्ति के रूप में और विज्ञान की महाशक्ति के रूप में बहुत तेजी से उभरने का प्रयास कर रहा है। इसीलिए ‘स्टडी इन इंडिया’ के तहत पूरी दुनिया के लोग अब यहां पर आकर के पढ़ेंगे। पिछली बार जब हमने ‘स्टडी इन इंडिया’कायह अभियान शुरू किया था तो 50 हजार से भी अधिक दुनिया के बच्चों ने रजिस्ट्रेशन किया था। मुझे भरोसा है कि जहां हमने ‘स्टडी इन इंडिया’किया है वहीं हमने ‘स्‍टे इन इंडिया’ भी किया है।अभी देश से बाहर जाने की एक होड़ लगी हुई है। लोग कहते हैं कि बच्चा अमेरिका में पढ़ रहा है।हमारेसात से आठ लाख छात्र विदेशों में पढ़ रहे हैंऔर मेरे देश काएक से डेढ लाख करोड़ रुपया प्रति वर्ष दुनिया में जाता है। मेरे देश का पैसा भी और मेरे देश की प्रतिभा भी देश के काम नहीं आती। जो लोग वहां प्रतिभाशाली होते हैं उनको तो अच्छे खासे पैकेज देते हैं और वो प्रतिभा उस देश को सशक्त करने में आगे बढ़ती है। अब हमने ‘स्टे इन इंडिया’ कहा है, कि नहींमेरे छात्रों को अब बाहर जाने की ज़रूरत नहीं है। मेरे आईआईटीज, मेरे एनआईटी हैं, मेरे केंद्रीय विश्वविद्यालय हैं और राष्ट्रीय महत्व के तमाम संस्थान हैं। हम इंटरनेशनल स्तर उसका जो पाठ्यक्रम है, जो उसका फलक है, उसको बढ़ा रहे हैं और इसलिए सभी छात्रों को कहा है कि बाहर जाने कीकोई जरूरत नहीं है। जो आपको बाहर मिल सकता है वो इसके अंदर भी मिलेगा और वैसे भी हम इस नई शिक्षा नीति के तहत दुनिया की जो टॉप 100यूनिवर्सिटीज हैं, उन सभी यूनिवर्सिटी को भारती धरती पर आमंत्रित कर रहे हैं,वोआएं और हमारे भी बड़े विश्वविद्यालय, बड़े संस्थान वो पूरी दुनिया में जाएं।हम आदान-प्रदान करना चाहते हैं और हमारे बच्चे को भी इसमें जाने की ज़रूरत है। एक समय था जब इस बात की होड़थी कि मेरा बच्चा विदेश में पढ़े। लेकिन अब आपने देखा कि ऐसा नहीं है कि केवल दुनिया के दूसरेदेशों की पढ़ाई बहुत अच्छी है और हमारी पढ़ाई अच्छी नहीं है। यदि ऐसा हीहोता तो अमेरिका की जो शीर्षकंपनियां हैं चाहे गूगल हो, चाहे माइक्रोसॉफ्ट हो वहां हिंदुस्तान की धरती से पढ़ने वाले आईआईटी, एनआईटी, आईसर,आईआईएम के छात्र आज वहां पर लीडरशिप दे रहे हैं। मैं जब सभी आईआईटीके आंकड़े निकालता हूं तो मैं कह सकता हूं कि पूरी दुनिया में इस समय हिंदुस्तान का नौजवान हर क्षेत्र और हर देश में लीडरशिप ले रहा है और इसलिए अब जरूरत होगई है कि वो अपने देश में लौटें। हिंदुस्तान पूरी दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। हिंदुस्तान का जो शिक्षा का व्‍याप है। उसमेंएक हजार से अधिक विश्वविद्यालय हैं, पैंतालीस हजार से भी अधिक डिग्री कॉलेज  हैं, एक करोड़ से अधिक अध्यापक हैं,15 लाख से भी अधिक यहांस्कूल हैं और कुल अमेरिका की जितनी आबादी नहीं है उससे ज्यादा 33 करोड़ छात्र-छात्राएं इस देश के अंदर हैं और यह देश यंग इंडिया रहनेवाला है और इसलिए मैंनवयुवकों से आह्वान करताहूं। मेरे यहएनआईटीजिस दिन और यह हमारा अरुणाचल प्रदेश जिस दिनपूरे यौवन पर आएगा पूरे देश के कोने-कोने का बच्चा भी मेरी एनआईटी अरुणाचल में पढने के लिए यहां आएगा और इसके अंतर्राष्ट्रीय स्तर के अवस्थापना को भी हम खड़ा कर रहे हैं। मैं इसका विश्लेषण करता हूं जैसे कि अभी मैं शोध देख रहा था तोमेरे डीजी नेमुझे बताया की एक ही वर्ष के अंदर तीन सौ से भी अधिक शोध पत्र उन्होंने जमा किए हैं और पेटेंट्स का भी होना इसकी जरूरत हैं। अभी हम लोग केवल शोध और अनुसंधान में पीछे थे क्‍योंकि पेटेंट में भीहम पीछे थे। अभी तक हमारी होड़ थी पैकेज की।हम कहते थे इंजीनियरिंग करने के बाद कितना पैकेज मिल जाएगा?आज उस पैकेज की दौड़ को बदलकर केपेटेंट की दौड़ में परिवर्तित करने की ज़रूरत है। हम ही तो हैं दुनिया में जो कुछ भी कर सकते हैं और वो इतिहास इस बात का साक्षी है कि हिन्दुस्तान जब खड़ा होता है, हिंदुस्तान की प्रतिभा जब एक साथ एक जुट होकर के देश के बारे में सोचती है तो दुनिया का मार्गदर्शन करती है। वो वक्तइस समय आ गया इसलिए मेरा भरोसा है कि चाहे मेक इन इंडिया हो, डिजिटल इंडिया हो, स्किल इंडिया हो, स्टार्ट अप इंडिया हो और स्टैंड अप इंडिया हो और क्‍यों मेक इन जापान हो, क्‍योंमेक इन चाइना हो हमारे पास क्षमता है हमारे पास सब कुछ करने की जगह प्रतिभा की भी कमी नहीं है और मिशन की कमी नहीं है तथा विजन की भी कमी नहीं है। अब हमें समन्‍वयकरने की जरूरत है और जरूर हम इसका समन्‍वय करेंगे। अभी मैं देख रहा था कि यहांस्किल डवलपमेंट में भी आपने बहुत तेजी से काम किया है और आत्मनिर्भरकाअभियान शुरू किया हमारे देश के प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत में जो मेरा युवा है वह एनआईटी में एक बार आजाता है तो वोआत्मनिर्भर भारत की आधारशिला रखेगा। मेरा विद्यार्थी जबयहांसेबाहरनिकलेगा तोएक योद्धा के रूप में जाएगा और वोतमाम मुद्दों को लेकर के गांव-गांव के विकास को लेकर के एक नई आधारशिला खड़ा करने का काम करेगा। आपके स्टार्ट अप सेल ने संज्ञानात्मक कौशल, डिजाइन थिंकिंग एवं क्रिटिकल थिंकिंग, अरुणाचल हैकाथॉनजैसे विभिन्न कार्यक्रमों आपने कृषि और ग्रामीण विकास, नवीकरणीय ऊर्जा आईटी मैनजमेंट और हेल्थ केयर रोबोटिक्स ड्रोन और इलेक्ट्रॉनिक्स वाहनजैसे तमाम विषयों में आप काम कर रहे हैं। आपके निदेशक अच्‍छे एवंविजनरीहैं। मैं कहूंगा कि आपके जो छात्र तथा फैकल्टी हैं वेकभी मुख्यमंत्री जी को आमंत्रित करें तथा अपने विभागों के साथ ग्रामीण विकास विभाग के साथ तथा अन्‍य तमाम विभागों के साथ अपनी इसप्रतिभा को इनको दीजिए। जो समस्याएं बिखरी हुई हैं, उनके समाधान की दिशा में उनको टास्क दीजिए। मुझे भरोसा है कि वह इस प्रदेश के विकास में एक बेहद बड़ी धुरी बन कर के काम कर सकते हैं। मुझे भी खुशी है कि अक्षय ऊर्जा औरप्रौद्योगिकी, खाद्य सुरक्षा, पर्यावरण विज्ञान, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग तथा रोबोटिक्स जैसे क्षेत्रों में कई अनुसंधान परियोजनाओं पर आप लोग काम कर रहे हो। मुझे खुशी है और आप ने 23 पेटेंट भी दायर किया और 12 को आपकी स्वीकृति मिली है। इसी में आपको और छलांग मारनी है। मैं जब समीक्षा करता हूं तो पाता हूं कि चीन हमारे साथ 15 साल पहले वहीं पर खड़ा था। लेकिन इन्होंने शोध और अनुसंधान में छलांग मारी। हमारे यहां तो शोधअनुसंधान की संस्कृति बीच मेंखत्म सी हो गयी अथवासुस्त सी पड़ गई और उसके कारण बड़ा झटका हमको लगा। लेकिन हम उस खाई को तेजी से पाटेंगे और शोध तथाअनुसंधान की संस्‍कृति को विकसित करने के लिए अब नेशनल रिसर्च फाउंडेशन होगा जो प्रधानमंत्री जीके प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार की अध्यक्षता में होगा और प्रति वर्ष लगभग 20 हजार करोड़ से भी अधिक का व्‍यय उस पर होगा।मेरे छात्र शोध और अनुसंधान करेंगे और दूसरी ओर तकनीकी की दृष्टि से मेरे देश के अंतिम छोर पर बैठे रहने वाले व्यक्ति को कैसे समृद्ध किया जाएगा वे इसका उपयोग कैसे करें इसके लिए नई शिक्षा नीति के तहत नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम का भी गठन किया जा रहा है।नई शिक्षा नीति के तहत मुझे लगता है इन दोनों के बनने से बहुत तेजी से काम होगा और शोध तथा अनुसंधान में जो बिखरी हुए समस्याएं हैं, उनकासमाधान भी होगा और पलायन भी रुकेगा। मेरे देश में ‘मेक इन इंडिया’ और जो आत्‍मनिर्भरभारत है इसकी भी आधारशिला मजबूत होगी। पर्यटन का भी अच्छा क्षेत्र है, तमाम उत्पाद जो पर्वतीय क्षेत्र के जो यह राज्य हैं यह तो भारत के लिए वरदान साबित हो सकते हैं और आपने प्रौद्योगिकी की मदद से स्टार्टअप एवंपांच वर्षीय प्रोजक्ट भी कुछ प्रारम्भ किए हैं जैसे खिलौना निर्माण। अब आप देखिए कम से कम 15 हजार करोड़ से भी अधिक के खिलौने बाहर से आते हैं। जिस दिन खिलौने की आप मेकिंग करना शुरु कर देंगे। मुझे लगता है कि उस दिन बहुत बड़ी इंड्रस्टी हमारी इन खिलौने पर होगी। मूल्य वर्धित उत्पादों जैसे कि भी इलायची अचार मुझे लगता है कि आप ऐसी जगह बैठे हैं जहां हमने कहा है कि जो आयु का विज्ञान है वो आयुर्वेद है और हमारे पास इस हिमालय में संजीवनी बूटियां भी हैं जो जीवन देती हैं और इसीलिए उन जड़ी बूटियों पर और अन्‍य उतपदों पर शोध और अनुसंधान होना चाहिए। पूरी दुनिया की स्वास्थ्य की रक्षा करने का अकेला माद्दाइस हिमालय के क्षेत्र में हैं और इसलिए इसकी जरूरत है। मुझे लगता है कि वैसे भी अपने बॉर्डर के क्षेत्र के यह राज्य हैं तो आपने सैटेलाइट डेटा कलेक्शन सेंटर, सेंटर फॉर एनर्जी,सेंटर फॉर हर्बल मेडिसन यह आपने शुरू किया। मैं एनआईटी को इस बात की भी बधाई देना चाहता हूं कि जब कोरोना की महामारी से पूरी दुनिया संकट से गुजर रही थी और हमारा देश भी उससे अछूता नहीं था ऐसी परिस्थिति में आपकोविडकी क्षणोंमें भी अपनी प्रतिभा को निखार कर लायें हैं और आपने ऑनलाइन डिजिटल क्लासरूम शुरू किए हैं,ऑनलाइनके माध्यम से आपने पढ़ाना शुरू किया है। मुझे लगता है पूरी दुनिया का शायद ही ऐसा उदाहरण होगा जब 25 करोड़ से भी अधिक छात्रों को हम एक साथ ऑनलाइनपर लाए। दुनिया में इतनी बड़ी संख्या में छात्रों को एकसाथ ऑनलाइनपर लाना कोई सोच भी नहीं सकता लेकिन हम लोगों ने उसको किया। इन संस्थानों ने सब मिलकर के किया। राज्यों ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। अंतिम छोर का बच्चा भी जिसके पास स्मार्ट टेलीफोन नहीं है और नेट की सुविधा नहीं है उस तक भी हम कैसे पहुंच सकते हैं। इसलिए स्टेट गवर्नमेंट के साथ मिलकर के आप इन सब चीजों को भी करिए। मुझे भरोसा है कि आपने पीछे के समय भी बहुत अच्छा किया औरसामाजिक दायित्वोंके तहत आपने पांच गांवों को गोद लिया और उनके जीवन स्तर को सुधारने और जागरूकता फैलाने के लिए भी काम कर रहे हैं। यह जो पांच गांव हैं आपके इन पांच गांवों में आपकी पूरी सूरत दिखनी चाहिए। मैं निदेशक से और फैकल्टी से अनुरोध करूंगा कि एनआईटी में आनेवाले बच्‍चों के माध्यम से उन पांच गांवों का पूरा कायापलट कर दीजिए। एक मॉडल तैयार कर दीजिए आप मेरे अरुणाचल के लिए ताकि मेरे मुख्यमंत्री कहीं भी जाकर के कह सकें कि जाओ, उस गांव में जाओ देखो  कि कितना विकास और साफ-सफाई है तथा यह आत्‍मनिर्भरगांव है। इसकी शर्त है और यह आपके लिए टास्क भी है। उन्नत भारत अभियान में सभी राष्ट्रीय महत्व की संस्थाओं को एक टास्क दें कि जहां पर आप हैं आपकी खुशबू आसपास में दिखाई देनी चाहिए। इसएनआईटीकी छाया उन गांवों में दिखाई दे। मुझे भरोसा है आप यह काम  ज़रूर कर रहे होंगे। आप पारंपरिक भाषाओं जैसे आपा, तानी, माचो,मसान, गालों, तंगसा और निशी के संवर्धन की दिशा में भी आप काम कर रहे हैं और आपको तो पता है किमैंने नई शिक्षा नीतिमें मातृभाषाओं को विशेष महत्व दिया है। जब बच्‍चा मातृभाषा में बोलेगा तो उसके अंदर से वह ज्यादा अभिव्यक्ति कर सकता हैऔर इसलिए वैसे भी हमारेदेश के संविधान की अनुसूची 8 में हमारी22 भारतीय भाषाएं हैं। इनके संवर्धन की, उनके संरक्षण की जिम्मेदारी भी हमारे ही ऊपर है।हमने तो यह भी तय किया है कि यदि कोई प्रदेश अपनी मातृभाषा में उच्च शिक्षा तक भी करना चाहता है तो जरुर करें। कुछ लोगों का यह तर्क को होता है कि अब आपको ग्लोबल पूरी दुनिया में जाना है तो अंग्रेजी के बिना तो आप दुनिया में छा ही नहीं सकते हैं, आप मातृभाषा की बात क्यों कर रहे हैं? मैं उनको बहुत विनम्रता से हाथ जोड़ता हूं। हम अंग्रेजी के विरोध में कभी भी नहीं गए। हमने तो कहा कि राज्य भाषाओं के मामले में बच्चों को सीमितन करें, खुला मैदान दो और बच्चे को अधिकतम भाषाएं सीखने का अवसर दो। किसी प्रदेश पर कोई भाषा थोपी नहीं जाएगी लेकिन हां, जिन लोगों ने अपनी मातृभाषा में शिक्षा दी क्या वो हमसे पीछे हैं। मैं पूछता हूं जापान अपनी मातृभाषा में शिक्षा देता है तो क्‍या जापान किसी से पीछे हैं। फ्रांस अपनी मातृभाषा में शिक्षा देता है यहां तक कीअमेरिका अपनी मातृभाषा में शिक्षा देता और और जर्मनी भी अपनी मातृभाषा में ही उच्च शिक्षा तक शिक्षा देता है क्या वे देश पीछे हैं? इजरायल जो हमारे बाद स्वाधीन हुआ जो बिल्कुल ध्वस्त हो गया था औरउसकी भाषा खत्म हो गई थी यहां तक की पूरा समाज खत्म हो गया था और उसने केवल अपनी मातृभाषा में अपने को जिन्दा किया। आज इजरायल अपनी मातृभाषा में शिक्षा देता है वो किसी से पीछे है?जो लोग बिना सोच-विचार के हल्‍के स्‍तर की बातें करते हैं, मैं उनसे हाथ जोड़कर विनम्रता से अनुरोध करता हूं कि इस प्रकार की भ्रांतियां न फैलायें।  हालांकि मुझे इस बात की खुशी है कि इसके बाद उन्होंने कुछ कहा नहीं और आज लोग महसूस कर रहे हैं।इसनई शिक्षा नीति से जो उत्साह एवंउल्लास पूरे देश के अंदर दिखाई  दिया उसे एक उत्सव जैसा मनाया जा रहा है और मुझे इस बात को कहते खुशी है कि दुनिया के दर्जनों देश अब भी कह रहे हैं कि हम भारत की एनईपी को अपने देश के अंदर भी लागू करेंगे क्योंकि  हमने इस नीति को अंतर्राष्‍ट्रीयबनाया और साथ ही भारत केन्द्रित भी बनाया। यह नीति भारत की जड़ों पर खड़ी होगी क्‍योंकि हमारी जड़ें कमजोर नहीं बल्‍कि हमारी जड़ें बहुत मजबूत हैं। हमारे पास सबकुछ  है।शल्य चिकित्सा का जनक सुश्रुत यहीं पर पैदा हुआ, आयुर्वेद का जनक चरक यहां पैदा हुआ,आर्यभट्टगणितज्ञ यहां पैदा हुआ, ऋषि कणाद जिन्‍होंनेअणु और परमाणु का विश्‍लेषण किया तथा भास्कराचार्य जो ज्योतिष विज्ञान के महान् ज्ञाता और गणितज्ञ थे, नागार्जुन जैसे रसायन शास्त्री किस देश में में पैदा हुए तो इसलिए जब हम पीछे मुड़कर के देखते हैं तो यह देश कितना समृद्धता थातभी तो आज भी यह देश विश्वगुरु है। दुनिया का यह योग जिसके बारे में आज हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी ने मानव की सुरक्षा की बात अंतर्राष्ट्रीय मंच पर क्योंकि मेरा भारत विश्व की बात करता है,‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की बात करता है। इसलिए उस परिवार के हर सदस्य की चिंता करने का काम भी भारत जैसे उदार चरित्र के मन ही कर सकता है और जब उन्होंने इस मनुष्य की संरक्षण की बात की और योग की बात की तो दुनिया के 199देश आज योग के पीछे खड़े हो गए, अपने तन और मन को ठीक करने के लिए इसी हिमालय से योग एवं आयुर्वेद पैदाहुआ है और इसलिए मैं यह समझता हूं कि अब नई शिक्षा नीति के तहत आपके लिए पूरा मैदान खाली है। उच्च शिक्षा में भी विषयों की छूट दी गई है। नई शिक्षा नीति में आप विज्ञान के साथ संगीत ले सकते हैं।इस शिक्षा नीति के अंतर्गत यदि कोई 4 वर्ष का कोर्स है और यदि कोई छात्र दो साल में परिस्‍थितिवशछोड़के जा रहा है  तो पहले उसका पैसा एवं समय दोनों खराब हो जाते थे लेकिन अब उसकोनिराश नहीं होना पड़ेगा,यदि आप परिस्‍थितिवश एक वर्षमें छोड़ कर जा रहे हैं तो उसको सर्टिफिकेटदेंगे,दो साल में छोड़ कर जा रहा है तो डिप्लोमा देगें, तीन साल में छोड़ेकर जा रहा है तो उसकोडिग्री देंगे लेकिन यदि फिर वह लौट कर अपने भविष्य को संवारना चाहता है तो फिर जहां से उसने छोड़ा था वहीं से शुरू कर सकता है। उसके लिए हम एक ऐसा क्रेडिट बैंक बनायेंगे जहां उसके सारे क्रेडिट जमा होंगेइसलिए उसके लिए आगे बहुत आपार संभावनाएं है।पीछे की दिनों में यूनेस्को की डीजी जब मुझसे मिलने के लिए आई थी तो उन्होंने कहा कि अनुशासनहीनता बढ़ रही हैं डॉ.निशंक,हिंसा बढ़ रही है,एक दूसरे के प्रति सम्मान भी कम हो रहा है। मैंने उनको कहा आपको पता है यह क्यों हो रहा है? जब तक हम जीवन मूल्यों की शिक्षा नहीं देंगे, हमने आदमी को मनुष्य नहीं मशीन बना दिया है और अब उसे पहले मानव बनाना पड़ेगा तब जाकर इन संकटों से मुक्‍त हो सकते हैं। हम किसी भी क्षेत्र में जाएंगे लेकिन अपने मूल्यों को नहीं छोड़ेंगे। हमारी जो मनुष्यता हमारे अंदर है, उसे नहीं छोड़ेंगे। इसलिए हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्‍द्रमोदी जी कहते हैं कि हमें एक अच्छा नागरिक भी बनाना है और हमको एक मनुष्य एक मानव तो बनानाहीहै। हमें विश्व मानव बनाना है जो विश्व के फलक पर हो तथा जिसकी संवेदनाएं सम्‍पूर्ण विश्‍व को देखती हों, जिसकी दृष्टि पूरे विश्व में व्याप्त हो,जिसकेमन में विश्व को अपने मन में समाने का विचार हो ऐसेविश्‍व मानव कीआज जरूरत है।इसीलिये यह जो नयी शिक्षा नीति है तमाम परिवर्तनों को लेकर के लिए आयी है।यह जो नयी शिक्षा नीति है यहनेशनलभी है, यह इंटरनेशनल भी है, यह इम्पैक्टफुल भी है, तो यहइंटरेक्‍टिवभी है और इन्क्लूसिव भी है। इसमे क्वालिटी भी है, इक्विटी भी है और इसमें एक्सेस भी है। इन तीनों की आधारशिला पर यह खड़ी है और यह सामान्य नहीं है। यह नयी शिक्षा नीति भारत को पूरी ताकत के साथ दुनिया में ज्ञान की महाशक्ति बनाने की क्षमता रखती है। मुझे भरोसा है कि आज बहुत तेजी से आप काम कर रहे हैं और मुझे मुख्यमंत्री जी को भी इस बात की बधाई देनी है कि उनके प्रदेश में मैं शिक्षा मंत्री जी से जब-जब बात करते हैं तो यह जिस तरीके से पूरा विवरण रखते हैं उससे मुझे और आशा जगती है कि नहीं, अरुणांचल प्रदेश काफी गंभीर है। इस नई शिक्षा नीति के प्रति और अपने बच्चों के प्रतिअपने भविष्य के प्रति अपने भावी पीढ़ी के प्रति पेमा जी विजनरी व्यक्ति हैं, मिशनरी व्यक्ति हैं और उनके नेतृत्व में मुझे भरोसा है कि हमारा अरुणाचल बहुत आगे बढेगा।किरेन जी भी लगातार चिंतित रहते हैं और स्वभाविकहैकि यहां पर जब केन्द्र में कोई बात आती है तो वो भी लगे रहते हैं और उधर आपका जो नेतृत्व है वो चौमुखी नेतृत्व है।हर दिशा में आपका विजन है, आप जुझारूभी हैं औऱ विजनरी भी हैं तो मुझे भरोसा है कि मेरा यह जो एनआईटी जिसपर आज हम सब लोग बैठे है, यह केवल एक भवन उद्घाटन का ही विषय नहीं है बल्कि आज यहएनआईटी मेरे अरुणांचल प्रदेश के विकास की आधारशिला में एक मजबूत कदम होगा, ऐसी मैं आपको शुभकामना देता हूं।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. श्री किरेन रिजीजू, माननीय युवा कलयाण एवं खेल मंत्री, भारत सरकार
  3. श्री पेमा खांडू, माननीय मुख्‍यमंत्री, अरूणाचल प्रदेश
  4. श्री तबा तादिर, माननीय शिक्षा मंत्री, अरूणाचल प्रदेश
  5. श्री पिनाकेश्‍वर महंत, निदेशक, एनआईटी अरूणाचल प्रदेश
  6. श्री मदन मोहन, एडीजी, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार
  7. रजिस्‍ट्रार, संकाय सदस्‍य, अध्‍यापगण, डीन एवं बीओजी के सदस्‍य।