एनआईटी गोवा का छठा दीक्षांत समारोह  

एनआईटी गोवा का छठा दीक्षांत समारोह

 

दिनांक: 28 दिसम्‍बर, 2020

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

एनआईटी गोवा के छठे दीक्षांत समारोह में उपस्‍थित आप सभी भाइयों और बहनों का मैं स्‍वागत करता हूं तथा आपको बधाई देने के लिए आपके बीच आया हूं। समारोह में उपस्‍थित एनआईटी गोवा के शासी मंडल के अध्‍यक्ष एवं निदेशक प्रो. गोपाल मुगेरिया जी,शासी मंडल के अन्‍य सभी सदस्‍यगण, संकाय सदस्‍य, सभी अतिथि, छात्र-छात्राओं, अभिभावकगण एवं विदेशों से मुझसे जुड़े मेरे भाइयो और बहनो! आज छठवे दीक्षांतसमारोह के अवसर पर मैं आपको बधाईदेने के लिए आया हूं और वैसे तो दीक्षा का कभी अंत नहीं होता है। आजीवन व्‍यक्‍ति कुछ न कुछ सीखता है लेकिन जब आप एनआईटी गोवा में आयें होंगे तो वे क्षण आपको याद आ रहे होंगे कि जब आपने प्रवेश किया था तो क्‍या उमंग थी कि मुझे एनआईटी गोवा में प्रवेश मिला है। आपके अभिभावक, नाते रिश्‍तेदार कितने खुश थे आज उस दिन को याद करिए और आज इतने वर्षों के बाद जब आप डिग्री को लेकर जा रहे हैं तो मैं समझता हूं कि यह अवसर आपके लिए कितना सुखद, हर्ष और उल्‍लास का यह अवसरहै और हमारे लिए भी खुशी का अवसर है। इसलिए हम सब मिलकर आपको शुभकामनाएंदेने के लिए आये हैं। मुझे भरोसा है कि आप एनआईटी गोवासे एक योद्धाकी तरह बाहरनिकलेंगे उसके लिए मैं आपको बधाई देना चाहता हूं। आपको मालूम है कि आपके घर में, आपके माता-पिता, दोस्‍त, नाते-रिश्‍तेदार भी खुश होंगे कि आप पढ़ाई करने के बाद मैदान में जा रहे हैं आपने जो ज्ञान अर्जन किया है अब उसको अपने जीवन में ढालकर के समाज के लिए,देश के लिए, दुनिया के लिए आप सब एक योद्धा की तरह निकलेंगे। हम सब आपको शुभकामनाएं देने के लिए आये हैं। स्‍वाभाविक ही है कि जो आपके आचार्यगण होंगे वे भी खुश होंगे, वहीं वे इस बात से दुखी भी होंगेकि आप इतने वर्षों के बाद उनका साथ छोड़ कर जा रहे हैं। लेकिन वे खुश इसलिए होंगे कि आप यहां से दीक्षाग्रहण करनेकेबाद जीवन के हर क्षेत्र में प्रगति के लिए बढ़ेंगे और आप केवल पैकेजकी हौड़ नहीं बल्‍कि पटेंट की दौड़ में बढ़ेंगे और आपका नाम नौकरी पाने वाले नहीं बल्‍कि देने वालों में होगा। मुझे भरोसा है कि जो एनआईटीगोवा है यह अपना परचमफहरायेगा। जब मैं पीछे के समय गोवा आया था तो निदेशकगोपालजी से मिला था और इस एनआईटी के लिए जमीन को लेकर हम मिलेथे। मुझेखुशी है कि एनआईटी गोवा एक नये स्‍थान पर एक भव्‍य भवन में भव्‍य इतिहास रचेगा। गोवापर्यटन का हब है और उच्‍च शिक्षाकेलिए इसकीअलग पहचानहै। मैं अभी देख रहा था कि जो एनआईटी गोवा की रैंकिंगहै वो रैकिंग भी लगातार बढ़ रही है और जो हमारे नए 18 एनआईटी हैं उनमें यह दूसरेनंबर पर आया है। यह दर्शाता है कि हमारा यह एनआईटी तेजी से आगे बढ़ रहा है मुझेइस बात की भी खुशीहै कि रिसर्च स्‍कालर प्रीति भी इस संस्‍था से जुड़ी हैं जिनको इंटरनेशनलसोसायटी फॉर आप्‍टिक्‍स,यूएसए  द्वारा 25 महिला वैज्ञानिकों में चिन्‍हि्त किया गया है जो एकमात्र भारतीय हैं इसके लिए मैं उनको बधाई देना चाहता हूं। हम जो नई शिक्षा नीति लायें हैं वो इंटरनेशनल स्‍तर की लायें हैं और वो भारत केन्‍द्रित भी होगी।नई शिक्षा नीति नेशनल भी है, इंटरनेशनल भी है, यह इंटरेक्‍टिव भी है, इम्पैक्टफुल भी है, इनोवेटिव भी है और यह इक्विटी, क्वालिटी और एक्सेस की आधारशिला पर खड़ी  है। मुझे लगता है कि जो नई शिक्षा नीति है इसमें कंटेंट को आपकी प्रतिभाकेसाथ जोड़ेंगे और जब वो केंटेंट जुड़ेगा आपकी प्रतिभा के साथ तो वो पेटेंट को जन्‍म देगा। इस शिक्षानीति  के अंतर्गत हम छठवीं कक्षा से ही वोकेशनल स्‍ट्रीम लेकर आ रहे हैं, वो भी इंटर्नशिप के साथ लेकर आ रहे हैं। इस शिक्षा नीति में विषयों की भी कोई पाबन्‍दी नहीं है। आप कोई भी विषय ले सकते हैं। इस शिक्षा नीति के अंतर्गत यदि कोई 4 वर्ष का कोर्स है और यदि कोई छात्र दो साल में परिस्‍थितिवश छोड़ के जा रहा है  तो पहले उसका पैसा एवं वर्ष दोनों खराब हो जाते थे। लेकिन अब उसको निराश नहीं होना पड़ेगा। यदि अब वह परिस्‍थितिवश एक वर्ष में छोड़ कर जा रहा है तो उसको सर्टिफिकेट देंगे, दो साल में छोड़ कर जा रहा है तो डिप्लोमा देगें, तीन साल में छोड़ कर जा रहा है तो उसको डिग्री देंगे लेकिन यदि फिर वह लौट कर अपने भविष्य को संवारना चाहता है तो फिर जहां से उसने छोड़ा था वहीं से शुरू कर सकता है। उसके लिए हम एक ऐसा क्रेडिट बैंक बनायेंगे जहां उसके सारे क्रेडिट जमा होंगेइसलिए उसके लिए आगे बहुत आपार संभावनाएं है। इसलिए मैं समझता हूं कि यह नई शिक्षा नीति बहुत सारे बदलावों के साथ आई है। शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में हम ‘स्‍पार्क’ के तहत दुनिया के शीर्ष 127 विश्‍वविद्यालयों के साथ शोध एवं अनुसंधान कर रहे हैं। हम ‘स्‍ट्राइड’ के तहत अंतर-विषयकशोध कर रहे हैं। इसके अलावा हम इम्‍प्रिंट एवं इम्‍प्रेंसके तहत शोध एवं अनुसंधान कर रहे हैं। आपको मालूम है कि एक समय तथा जब हमारा देश सीमाओं पर संकट से गुजर रहा था एवं देश के अन्‍दर खाद्यान्‍न का भी संकट था, ऐसे वक्‍त में हमारे देश के प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्‍त्री जी ने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया था और पूरा देश उनके साथ खड़ा हो गया था और हमने दोनों संकटों का सामना किया था। उसके बाद जब अटल बिहारी वाजपेयी जी आये और बाजपेयी जी को महसूस हुआ कि देश को विज्ञान की जरूरत है तो उन्‍होंने ‘जय विज्ञान’ का नारा दिया और आपको याद होगा कि भारत ने परमाणु परीक्षण  करके पूरी दुनिया में देश को महाशक्‍ति के रास्‍ते पर बहुत ताकत के साथ आगे बढ़ाया और अब जब हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी को लगा कि अब एक कदम और आगे जा करके देश को विश्‍व के शिखर पर पहुंचाने की जरूरत है तब उन्‍होंने ‘जय अनुसंधान’ का नारा दिया और निश्‍चित रूप में ‘जय अनुसंधान’ के साथ देश आगे बढ़ेगा। हमारे अतीत में बहुत कुछ है लेकिन गुलामी के थपेड़ों ने उन चीजों को हमसे दूर किया। हमारा ज्ञान-विज्ञान, नवाचार जो देश पूरे विश्‍व को लीडरशिप देता था ‘‘एतद् देश प्रसूतस्‍य शकासाद् अग्रजन्‍मन:,स्‍वं-स्‍वं चरित्रं शिक्षरेन् पृथ्‍वियां सर्व मानव:’’ तक्षशिला, नालन्‍दा और विक्रमशिला जैसे विश्‍वविद्यालय इस देश में थे जहां पूरी दुनिया के लोग ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान, नवाचार सीख कर जाते थे। तब दुनिया में कौन-सा विश्‍वविद्यालय था? हां, यह अलग बात है कि गुलामी के थपेड़ों ने उसको हमसे दूर किया, हमको हमारी जड़ों से अलग कर दिया गया। लेकिन अब हम स्‍वाधीन हैं और आज हम आजादी के 70 वर्षों के बाद खड़े हैं। हमको ताकतवर नेतृत्‍व मिला है। हमको विजनरी नेतृत्‍व मिला है और उस विजन को मिशन में तब्‍दील करने की सामर्थ्‍य हम सब में है। हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि आत्‍मनिर्भर भारत की जरूरत है। ऐसा भारत जो स्‍वच्‍छ हो, स्‍वस्‍थ हो, सशक्‍त हो, आत्‍मनिर्भर हो, श्रेष्‍ठ हो और एक भारत हो और इसका रास्‍ता मेक इन इंडिया, स्‍किल इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्‍टार्ट अप इंडिया और स्‍टैंड अप इंडिया से होकर गुजरता है। क्‍या नहीं कर सकते हम, भारत पूरे विश्‍व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और आने वाले 25 वर्षों तक यह देश यंग इंडिया रहने वाला है। हम अपने विजन को धरती पर क्रियान्‍वित करेंगे। हम केवल पैकेज की होड़ में नहीं जाएंगे बल्‍कि हम पेटेंट की होड़ में जाएंगे। हम टेलेंट और केंटेंट दोनों को मिलाकर पेटेंट की और बढ़ेंगे। इसके लिए ‘नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’ की स्‍थापना की जा रही है। तकनीकी के क्षेत्र में हम ‘नेशनल एजुकेशन टैक्‍नोलॉजी फोरम’ का गठन कर रहे हैं ताकि अंतिम छोर के व्‍यक्‍ति तक तकनीकी को ले जाया सके। हमारी नई शिक्षा नीति दुनिया के सबसे बड़े रिफॉर्म के साथ आ रही है और इसी का परिणाम है कि आज पूरे देश में उत्‍सव का माहौल है। छात्र भी खुश है, अभिभावक भी खुश है और अध्‍यापक भी खुश है कुछ लोग तो ईर्ष्‍या करते हैं कि यदि यह शिक्षा नीति 10, 20 या 50 वर्ष पहले आतीतो देश का नक्‍शा बदल जाता लेकिन कोई बात नहीं देर से सही लेकिन हमारी शुरूआत हुई है। मोदी जी के नेतृत्‍व में, उनके मार्गदर्शन में उनकी इच्‍छाशक्‍ति से यह विश्‍वपटल पर अपने को बहुत मजबूती के साथ नए सुधार और नये आयाम के साथ यह नीति स्‍थापित करेगी। इसलिए जो हमारा शोध एवं अनुसंधान का क्षेत्र है इसको हम बहुत तेजी से आगे बढ़ाएंगे। एनआईटी गोवा का जो रोबोटिक्‍स क्‍लब है इसके माध्‍यम से रचनात्‍मक कौशल को निश्‍चित रूप से प्रोत्‍साहन भी मिलेगा और जो हम आत्‍मनिर्भर भारत की बात करते हें उसमें भी हम आगे बढ़ सकेंगे। यदि हमको भारत को ज्ञान की महाशक्‍ति के रूप में स्‍थापित करना है तो हममें से प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति को अपना योगदान देना पड़ेगा। मुझे भरोसा है कि हममें क्षमता की कमी नहीं हैं। जब पूरी दुनिया कोविड के संकट से गुजर रही थी और हमारा देश भी उससे अछूता नहीं था ऐसे वक्‍त में जब लोग घरों में कैद हो गए थे तब मेरे एनआईटी, आईआईआईटी, आईआईटी, आईसर, केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालयों के छात्रों एवं अध्‍यापकों ने प्रयोगशालाओं में जाकर एक से एक नये प्रयोग किये। उन्‍होंने मास्‍क बनायें, वेंटीलेटर बनाये, टेस्‍टिंग किट का निर्माण किया, ड्रोन बनायें। ऐसे-ऐसे प्रयोग किये जो देश में पहले होता ही नहीं था इन सभी अनुसंधानों एवं प्रयोगों को हम ‘युक्‍ति’ पोर्टल पर एकत्रित किया है। एक बार आप युक्‍ति पोर्टल का विजिट किजिए आपको बहुत खुशी होगा। हमारे देश के प्रधानमंत्री जी बार-बार कहते हैं कि जब बड़ी चुनौती होती है और उसका मजबूती के साथ मुकाबला किया जाता है तो वही चुनौती अवसरों में तब्‍दील होती है, जो आपने करके दिखाया है। मुझे गौरव होता है कि शिक्षा मंत्रालय ने इन विषम परिस्‍थितियों में रात-दिन काम करके छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा पर लेकर आये और ‘मनोदर्पण’ जैसे अभियान को आरम्‍भ करके छात्रों को अवसाद में नहीं जाने दिया, लगातार हम छात्रों से जुड़े रहे। मुझे लगता है कि हमारी जो शिक्षा है वो आज भी समर्थवान है। अब तो हम अन्‍तर्राष्‍ट्रीय फलक की शिक्षा ला रहे हैं जिसके माध्‍यम से हम दुनिया के शीर्ष 100 विश्‍वविद्यालयों को अपनी धरती पर आमंत्रित कर रहे हें और जो हमारे भी शीर्ष विश्‍वविद्यालय हैं वह भी दुनिया में पढ़ाने के लिए जाएंगे। इसके अलावा हम नई शिक्षा नीति में जहां ‘ज्ञान’ के तहत हम बाहर की फैकल्‍टी को अपनी धरती पर आमंत्रित कर रहे हैं वहीं अब ‘ज्ञान प्‍लस’ में हमारी भी फैकल्‍टी दुनिया में पढ़ाने के लिए जाएगी। अभी हमने ‘स्‍टडी इन इंडिया’ अभियान लिया कि दुनिया के लोगों भारत में आओ, पढ़ों तथा भारत को जानों। इसी का परिणाम था कि अभी आसियान देशों के 1000 से भी अधिक छात्र हमारे यहां शोध एवं अनुसंधान के लिए आ रहे हैं एवं ‘स्‍टडी इन इंडिया’ के तहत लगभग 50000 रजिस्‍ट्रेशन हो गए हैं। ‘स्‍टडी इन इंडिया’ की तरह ही हमने ‘स्‍टे इन इंडिया’ कार्यक्रम किया है क्‍योंकि हमारे 7-8 लाख छात्र प्रतिवर्ष विदेशों में जाते हैं और हमारा लगभग 1.5 लाख करोड़ रूपया प्रतिवर्ष विदेशों में चला जाता है। हमारे देश की प्रतिभा और पैसा दोनों ही बाहर चले जाते हैं जो कभी वापस नहीं आते हैं। अब हमने छात्रों को भरोसा दिलाया है कि आपको बाहर जाने की जरूरत नहीं हैं। हमारी संस्‍थाओं में क्षमता है। अगर हमारी संस्‍थाओं में क्षमता नहीं होती तो जो दुनिया की तमाम शीर्ष कंपनियां हैं चाहे गूगल हो, चाहे माइक्रोसॉफ्ट हो जो उनके सीईओ हैं वह हमारी ही धरती से तो पढ़कर गए हैं। हमारे छात्र पूरी दुनिया में लीडरशिप ले रहे हैं क्‍योंकि हमारे पास विजन है, मिशन है। विजन को मिशन में तब्‍दील करने का माद्दा है तो निश्‍चित ही हम कुछ भी कर सकते हैं और जैसा कि मैंने अभी कहा कि हम भारत को ज्ञान की महाशक्‍ति बनाना चाहते हैं तो उसमें आने वाली कोई भी बाधा हमें रोक नहीं सकती क्‍योंकि हम इच्‍छाशक्‍ति के धनी हैं। मैं गोपाल जी एवं उनकी टीम को बधाई देना चाहता हूं कि आपने उन्‍नत भारत अभियान के तहत भी बहुत अच्‍छा काम किया है। अभी आपने तीन गांवों को गोद लिया है और मैं यह कहना चाहता हूं कि स्‍वामी विवेकानन्‍द जी ने कहा था कि उठो, जागो और तब तक मत रूको जब तक आपको लक्ष्‍य की प्राप्‍ति नहीं हो जाती तो विवेकानन्‍द जी का जो दर्शन है उसको आप अपने जीवन में धारण करें। आपको तो मालूम हैं कि भारत रत्‍न डॉ. कलाम जी ने भी कहा था कि सपने जो सोने न दे अर्थात् ऐसे सपने जिनके क्रियान्‍वित होने तक आपके अन्‍दर छटपटाहट हो। आपको मालूम होगा कि दुनिया के तमाम देश हमारी एनईपी को अपने देश में लागू करना चाहते हैं। अभी कैम्‍ब्रिज  विश्‍वविद्यालय ने कहा कि हम इस शिक्षा नीति को पूरी दुनिया में लेकर के जाना चाहते हैं। अभी संयुक्‍त अरब अमीरात के शिक्षा मंत्री ने भी कहा कि हम इस नई शिक्षा नीति को अपने यहां लागू करना चाहते हैं तो मेरे छात्र-छात्राओं मैं आपसे कहना चाहता हूं कि जब आप आज यहां से डिग्री लेकर एक योद्धा की तरह बाहर निकल रहे हैं तो मैं आपसे कहना चाहता हूं कि:-

 

‘‘लहरों से घबराकर नौका पार नहीं होती और

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।।’’

 

आप मेहनती हैं, कभी आपको जिन्‍दगी में हार का सामना नहीं करना पड़ेगा। आप एक योद्धा की तरह आगे बढ़ेंगे तो मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. प्रो. गोपाल मुगेरिया, अध्‍यक्ष, बीओजी एवं निदेशक, एनआईटी गोवा
  3. डॉ. वसंथा एम.एच, कुलसचिव, एनआईटी गोवा
  4. शासी मंडल के अन्‍य सदस्‍यगण, संकाय सदस्‍य, अभिभावकगण एवं छात्र-छात्राएं।