एनआईटी तिरूचिरापल्‍ली के स्‍वर्ण जयंती भवन का उद्घाटन  

एनआईटी तिरूचिरापल्‍ली के स्‍वर्ण जयंती भवन का उद्घाटन

 

दिनांक: 20 अक्‍टूबर,2020

 

 

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

          आजके इस महत्‍वपूर्ण आयोजन में उपस्‍थित बीओजी के अध्‍यक्ष श्री भास्‍कर भट्ट जी, निदेशक एनआईटी त्रिची डॉ. मिनी साहजी थामस जी, रासायनिक इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख डॉ. (श्रीमती) पी. कालीचेलवी,हमारे अतिरिक्‍त महानिदेशक, श्री मदन मोहन जी, सभी संकाय सदस्‍य, सभी छात्र-छात्राएं, बीओजीके सभी सदस्‍यगण तथाअन्‍य सभी गणमान्‍य व्‍यक्‍ति जो हमारे साथ इस महत्‍वपूर्ण अवसर पर जुड़े हैं, मैं आप सभी को बहुत बधाईदे रहा हूं। मैं इस अवसर पर जबकि स्‍वर्ण जयंती भवन का उद्घाटन हो रहा है, मैं समझता हूं कि हमारे लिए यह बहुत अच्‍छा अवसर है इसलिए मैं आपको बधाईदेने के लिए आपके बीच आया हूं। मुझे बहुत खुशी है क्‍योंकि जब कभी समीक्षा होती है तो एनआईटी त्रिचीका नाम एनआईटी में शीर्ष पर आता है। मैं इसके लिए आप सभी को बधाईदेरहा हूं कि एनआईटी त्रिची हमेशा आगे बढ़ करकाम कर रहा है। एनआईटी त्रिची 17 विभागों के 7880  छात्रों के साथ 15 वर्षीयरणनीतिक प्‍लान के तहत आगे बढ़ रहा है।आपने एनआईआरएफ रैंकिंग में भी शीर्ष 10 में जगह बनाई है,यह भी मेरे लिए खुशी का विषय है कि आप एनआईआरएफ में 9वें स्‍थान पर आये हैं। स्‍नातक और स्‍नातकोत्‍तर इंजीनियरिंग कार्यक्रमों में भी एनआईटी त्रिची राष्‍ट्रीय समन्‍वयक के रूप लीडरिशप दे रहा है। मैं समझता हूं कि किसी भी संस्‍थान कीजो सफलता होती है वह सफलता भवनों को देखकरके नहीं  बल्‍कि उससेनिकलने वाले जो छात्र हैं, वो किन स्‍थानों पर पहुंचे हैं, वो देश का गौरव कितना बढ़ा रहे हैं, यह उस पर निर्भरकरता है और जब मैं आपके पूर्व छात्रों की सूची पर नजर डालता हूं तो मुझेखुशी होती है चाहे वो श्रीएन. चंद्रशेखरन जी अध्‍यक्ष टाटा सन्‍स हों,चाहे राजेश गोपीनाथन जी, सीईओ, टीसीएस हों आपके तमाम पूर्व छात्र विभिन्‍न क्षेत्रों में एनआईटी त्रिची का गौरव बढ़ा रहे हैं। पीछे के समय में जो शैक्षणिक क्षेत्र और उद्योगों के बीच गैप रहता था उसको भी आपने काफी कुछ पाटा है। मैं पीछे के समय से देख रहा हूं कि एनआईटी त्रिची ने उद्योग और संस्‍थान दोनों को जोड़ा है, जो उद्योगों को जरूरत है उसको पाठ्यक्रमों का हिस्‍सा बनाया है और पाठ्यक्रम का हिस्‍सा बना करके छात्रों को उद्योगों के साथ जोड़ा है आजइसी की जरूरत है। पेटेंटों की संख्या भीमैं देख रहा था कि आपनेदो वर्षों में 38पेटेंट फाइल किए हैं और चार पेटेंट आपके स्‍वीकृतभी हो गए हैं और पीछे के समय में जो पेटेंटों के बारे में चिंता हो रही थी तो मैंने वाणिज्य मंत्रालय को भी कहा है कि वे अपने मानकों को कुछहल्‍काकरेंताकिज्यादा से ज्यादा पेटेंट हो सके। अभी जब मैं शोध एवं अनुसंधान के क्षेत्र में देखता हूं, टाइम्स रैंकिंग को देखता हूं,क्‍यूएसरैंकिंग को देखता हूं और फिर अपने संस्थानों की समीक्षा करता हूं तो मुझको लगता है कि कहीं न कहीं शोध और अनुसंधान में, रिसर्च में, पेटेंट में अभी हम काफी पीछेहैं और जिसके कारण ऊंचाइयों पर तेजी से नहीं पहुँच पारहे हैं। मुझे भरोसा है कि अब जो नई शिक्षा नीति आ रही है उसने पूरा मैदान खाली छोड़ा है। जहां हम‘नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’ की स्थापना कर रहे हैं  जो प्रधानमंत्री जी के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार की अध्यक्षता में होगा,इसके माध्‍यम से शोध की संस्कृति विकसित होगी। हम प्रतिवर्ष 20 हजार करोड़ से भी अधिक धनराशि केवल इसी पर खर्च करेंगे औरवहींतकनीकी को अंतिम छोर पर जाने के लिए तकनीकी दृष्टि से भीहमारा देश शिखर को चूम सके इसके लिए भी हम ‘नेशनल एजुकेशन टेक्नालोजी फोरम’ का गठन कर रहे हैं। इन दोनों का गठन होने से जो छोटी छोटी चीजें हैं जिनके कारण हमारी गति रुक जाती है उनछोटे-छोटे गड्ढों को हम इनके माध्‍यम से पाटेंगेऔर निश्चित रूप में मेरे संस्थान शिखरता कोपाएंगें ऐसा मेरा भरोसा है। जैसा कि हमारे प्रधानमंत्री जी लगातार कहते हैं किएक नये भारत के निर्माण की जरूरत है, जो उनकी संकल्पना है और ऐसा नया भारत जो सुन्दर भारत हो,जो स्वच्छ भारत हो, जो सशक्त भारत हो, जो समृद्धभारत हो,जो आत्मनिर्भर भारत हो और जो श्रेष्ठ भारत हो और ऐसा भारत जो 21वीं सदी का स्वर्णिम भारत हो।मुझे लगता है कि आज जो आपके स्वर्णिम भवन काउद्घाटन हो रहा है यहस्वर्णजयंती भवन 21वीं सदी के स्वर्णिम भारत की आधारशिला बनेगा, ऐसी मैं आपको शुभकामना देना चाहता हूं।यहांसे जिस तरीके से छात्रनिकलेंगें और आगे बढ़ेंगे वे निश्चित रूप में उससपने को पूरा कर सकेंगे, ऐसा मेरा भरोसा है। आपने अटल रैंकिंग में भी स्‍थान बनाया है और 2020 में आपने तीन फैकल्टी स्टार्टअप कंपनियां भी स्थापित की हैं, मुझे भरोसा है किभविष्‍य में यह और तेजी से आगे बढ़ेंगे। अभी हम जो नई शिक्षा नीति ला रहे हैं उसके तहत हम छठवीं कक्षा से ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शुरू करेंगे,वो भी इंटर्नशिप के साथ शुरू करेंगे,जब बच्‍चा अपनी पढ़ाई पूरी करके बाहर निकलेगा तो वह हीरा बन करके बाहर निकलेगाऔर वह शिखर पर जासकेगा। इस शिक्षा नीति के अंतर्गत यदि कोई 4 वर्ष का कोर्स है और यदि कोई छात्र दो साल में परिस्‍थितिवशछोड़के जा रहा है  तो पहले उसका पैसा एवं वर्ष खराब हो जाते थे लेकिन अब उसकोनिराश नहीं होना पड़ेगा,यदि आप परिस्‍थितिवश एक वर्षमें छोड़ कर जा रहे हैं तो उसको सर्टिफिकेटदेंगे,दो साल में छोड़ कर जा रहा है तो डिप्लोमा देगें, तीन साल में छोड़कर जा रहा है तो उसकोडिग्री देंगे लेकिन यदि फिर वह लौट कर अपने भविष्य को संवारना चाहता है तो फिरवह जहां से उसने छोड़ा था वहीं से शुरू कर सकता है। उसके लिए हम एक ऐसा क्रेडिट बैंक बनायेंगे जहां उसके सारे क्रेडिट जमा होंगेइसलिए उसके लिए आगे बहुत आपार संभावनाएं है।अबविषय की भी कोई बाध्यता नहीं है,आपजो चाहे विषय ले सकते हो, लेकिन उस विषय को लो जिसमें तुम छलांग मार सकते हो, शिखर पर पहुंच सकते हो।इंटरनेशनल स्तर पर हम ऐसी शिक्षा नीति को लाए हैं इस शिक्षा नीति के तहतजहां हमदुनिया के शीर्ष100 विश्वविद्यालयों को अपनी धरती पर आमंत्रित करेंगे और जो हमारे शीर्षविश्वविद्यालय हैं वे भी दुनिया में जाएंगे और भारत का गौरव बढ़ायेंगे,क्योंकि हमकोइस बात की भी चिंता है। हमारे देश से 7-8 लाख छात्र प्रतिवर्ष विदेशों में पढ़ने के लिए जा रहे हैं। हमारे देश का पैसा और प्रतिभा दोनों बाहर चली जाती हैं तो वापस वह हमारे देश में नहीं आती है। इसलिए हमने‘स्‍टे इन इंडिया’ किया। हमने  छात्रों को भरोसा दिलाया कि हमारे आईआईटी, एनआईटी, आईएसर, केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालयों में योग्‍यता है, क्षमता है तथा आपको  बाहर जाने  की जरूरत नहीं है,अब लोगों की समझ में आ गया है। पीछे के समय जब हमने जेईई परीक्षाएं करवाई तो मुझे इसबात की भी खुशी है कि दो लाख से भी अधिक छात्रों ने जोछात्रविदेश में जा रहे थेवे जेईई और नीट की परीक्षाओं में सम्‍मिलित हुए। हमारे देश के प्रधानमंत्री जी 2024 तक5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था चाहते हैं एक ओर आत्मनिर्भर भारत है दूसरी ओर 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और तीसरीओर यह संस्थान जिनके सामने पूरा मैदान खाली पड़ा है।आप यदि देखेंगे तो हिन्‍दुस्‍तान दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, 130 करोड़ लोगों का देश है। अगर इतना विस्‍तृत देश है तो उसमें तमाम प्रकार की समस्याएं भी फैली हुई हैं, इन समस्याओं के समाधान के लिए हम आगे आएंगे। शोध और अनुसंधान की दिशा में हम दुनिया के 127 देशों के शीर्ष विश्वविद्यालयों के साथ ‘स्‍पार्क’केतहतशोध और अनुसंधान कर रहे हैं। अभी हमने प्रधानमंत्री अध्येतावृत्‍ति में शोध और अनुसंधान केमानकों में कुछ ढिलाई दी है ताकि मेरा छात्र ज्यादा से ज्यादा शोध और अनुसंधान कर सके।  हमारे छात्रों के अंदर शोध औरअनुसंधान की जागृति को भरना पड़ेगा ताकि वेएक योद्धा की तरह अनुसंधान कर सकें, उसको पैकेज पाने की जल्दी न रहे, बल्कि देश के अंदर एक उदाहरण प्रस्तुत करने की दिशा में काम करें, आज इसकी ज़रूरत है।आजजो परिवेश पूरा बन रहा है ऐसे मेंछात्र आगे आएंगे क्योंकि हमारे पास प्रतिभा की कमी नहीं है,प्रखरता की भी कमी नहीं है,मेहनत की कमी नहीं है,विजन की कमी नहीं है, मिशन की कमीनहीं है तो फिर जब विजन भी है, मिशन भीहै तो फिर कहां कमी है, उस कमी को पाटने की जरूरत है और मुझे भरोसा  कि हम इसको पांटेंगे। मुझे इस बातकी भी खुशी है कि आपने जो स्किल प्रशिक्षण देने के संबंध में 30 से ज्यादा एमओयू साइन किए हैं जिनमें टाटा स्टील है, भेल है, सीडैक है, टाटा मोटर्स है,इसरो है इन सबके साथ आपने एमओयू साइन किया है और आप उस दिशा में काम भी कर रहे हैं। मुझे इस बात की भी खुशी हैकि जबपूरी दुनिया कोविड के संकट से गुज़र रही थीऔर उससे हमारा देश भी अछूता नहीं रहातो ऐसे संकट के समय में हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि नौजवानों आगे आओ,आपक्या कर सकते हैं मैं इस बात को लेकर बहुतखुशहूं कि तब मेरे छात्रों ने, मेरे अध्यापकों ने प्रयोगशाला में जाकर एक से एक नये अनुसंधान किये। हमनेमास्‍कतैयार किए, हमने ड्रोन तैयार किए, हमने सस्‍ते एवं टिकाऊ वेंटिलेटर तैयार किए, टेस्टिंग किट तैयार किए जो पहले देश में कभी बनता ही नहींथा।यदि आप युक्ति पोर्टल पर जाएंगे तब आपको लगेगा कि इस कोरोना काल में भी इस देश के नौजवानों, अध्यापकों और छात्र-छात्राओंनेबहुत सारे शोध एवं अनुसंधान किये हैं,यह हमारी ताकत है। दुनिया ने हमारी ताकत को देखा है। हम को इस ताकत को बचाकररखने की जरूरत है। बहुत सारी चीजों पर आपके छात्रों ने,प्राध्यापकों ने इस दिशा में बहुत अच्‍छा काम किया है तो उसके लिए भीमैं आपको शुभकामना देना चाहता हूं। मैं देख रहा हूं किआपने सामाजिक गतिविधियों में जो काम किया है, आपने जिनपांचगांवों को गोद लिया है,ताकिगांवों के जो गरीब छात्र हैं जिनको मदद की जरूरत है उनका विकास हो सके।मुझे बताया गया कि उन गावों के तीन छात्रोंनेजेईई की परीक्षा उत्‍तीर्ण करके यहां प्रवेश लिया है इसके लिए भी मैं आपको बधाई एवंशुभकामनाएंदेना चाहता हूं। यदि आप देखेंगे  तो हमारे देश के अंदर शिक्षा का कितना बड़ा व्‍यापहै। यहां एक हजार से भीअधिक विश्वविद्यालय हैं, पैंतालीस हजार से भीअधिक डिग्री कॉलेज है,पंद्रह लाख से भी अधिकस्कूल है, एक करोड़ दस लाख से भी अधिक अध्यापक हैं और अमेरिका की कुल जितनी आबादी नहीं होगी उससे भी अधिक33 करोड़ यहांछात्र-छात्राएं हैं, यह इस देश का वैभव है।मैं अपने छात्र-छात्राओं को आह्वानकरना चाहूंगा कि फिर इस देश में 30 करोड से भीअधिक लोग निरक्षर क्यों रहेंगे, क्यों नहीं हमारा एक छात्र उसव्यक्ति को, मां को, बहन को जो परिस्‍थितिवश अंक ज्ञान और अक्षर ज्ञान से परिचित नहीं हो सके, उनको साक्षर करेगा,आज इस अभियान की जरूरत है और आपने इस अभियान को लिया भी है और उसकी खुशबू उन गांवों में दिखाई देरही है। आपकी जो फैकल्टी है उनको भी मैं बधाई देना चाहता हूं कि वो आपके साथ एकजुट हो करके संस्‍थान को आगे बढ़ा रहे हैं और मुझे भरोसा है कि आप सभी लोग इससंस्थान को लगातार नंबर एक परबना करके रखेंगे। यह छोटीचुनौती नही है क्‍योंकि नम्‍बर एक स्‍थान पर पहुंचना एक चुनौती होती है लेकिन उसी स्‍थान पर अपने को बनाये रखना बहुत बड़ी चुनौती होती हैऔर आप अपनी मेहनत से, धैर्य से,प्रखरता से इस संस्थान के स्तर को बनाये हुए हैं। आपने इसी बीच इंजीनियरिंगके साथ-साथ, एमबीए, एमसीए, एमएससी एवं अन्‍य प्रोग्रामों को भी शुरू किया है। विविधताजरूरीहै,जो बहु-विषयकस्वरूप आपने इसको दिया है वह भी बहुत अच्छा है। आपने पर्यावरण की दिशा में काम किया है। ग्रामीणों के लिए स्वास्थ्य का ध्‍यान रखकर आपने रक्तदान, चिकित्सा शिविर भीलगाया और आपकृषि के क्षेत्र में भी बहुत अच्छा कामकररहेंहैं। आज इसबात की जरूरत है कि क्या नया हो सकता हैकृषि केक्षेत्रमें, जड़ी बूटी के क्षेत्रमें क्या हो सकता है,जैवविविधता के क्षेत्रमें क्या हो सकता है,खाद्यान्‍नके क्षेत्र में क्या हो सकता है, जो कृषि उपकरण हैंउनके क्षेत्र में नया क्या हो सकता है और जोउत्सुकता से भरे युवाओं के मन होते हैं वह नई चीज को खोजते हैं, केवल उनको एकटास्क देने की ज़रूरत होती है। अभी आपने देखा किपीछे के दिनों में हम लोगों ने जो ‘ध्रुव’कार्यक्रम जिसको हमने चैन्‍नई से शुरू करके दिल्ली में उसका समापन किया था तो हमने उसमें 60 बच्‍चों का चयन किया और वह कार्यक्रम 14 दिन तक चला तो उस कार्यक्रम में  चाहे रक्षा मंत्रालय हो, कृषि मंत्रालय हो, ग्रामीण विकास मंत्रालय हो,रसायनिकमंत्रालय इन सब मंत्रालयों ने उन बच्चों को अपनीसमस्याएं दी और बच्‍चों ने उन समस्‍याओं के समाधान निकाले तो सभी लोग हतप्रभ थे कि इतनी कम आयु में ही हमारे बच्चों का विजन कितना ज्‍यादा है और स्मार्ट इंडिया हैकाथनके तहत भी 87 से अधिक बड़ी समस्याओं के समाधान हमारे छात्र-छात्राओं ने किया। इसलिए इनको यह कहने की जरूरत है कि आप नौकरी के लिए पैदा नहीं हुए बल्‍कि नौकरी देने के लिए पैदा हुए हैं आप अपने देश में क्या कर सकते हैं इस समय इसकी जरूरत है।आपनेजलसंरक्षण, बायोगैस प्लांट, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और स्वच्छ कैम्पस की दिशा में भी बहुत अच्छा माहौल बनाया। अभी जो नई शिक्षा नीति आयी है इस नई शिक्षा नीति को हम कैसे नीचे तक ले करके जा सकते हैं,यह जो नई शिक्षा नीति आईहै इससेपूरे देश में उत्सव का माहौल है,खुशी का माहौल है, यहनई शिक्षा नीति आमूल-चूल परिवर्तनों के साथ आई है। इसनईशिक्षा नीति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह इंडियन भी है,इंटरनेशनल भी है, यह इम्पैक्टफुल भी है,इन्‍टरेक्‍टिव भी है, इन्क्लूसिव भी है और यहइक्‍विटी, क्‍वालिटी, एस्‍सेस इन तीनों की आधारशिला पर खड़ी है।दुनिया के कई देशों के शिक्षा मंत्री इस नीति के संबंध में मुझसे बात कर रहे हैं कि हम भी हिन्‍दुस्‍तान की एनईपी को अपने यहां लागू करना चाहते हैं क्योंकि हम लोग पूरे व्यापक फलक पर इस नीति को लाए है।मेरा मानना है कि अंतिम छोर के बच्चे को भी इसका लाभ ज़रूर मिले क्योंकि हम लोग सब मिलकरभारत को ज्ञान की महाशक्ति बनाने के लिए जुटे हुए हैं। आज जो आपके स्‍वर्ण जयंती भवन का लोकार्पण हो रहा है यह भवन 21वीं सदी के स्‍वर्णिम भारत की आधारशिला बनेगा ऐसा मेरा विश्‍वास है। एक बार फिर मैं आप सभी को बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. डॉ. मिनी साहजी थामस, निदेशक, एनआईटी त्रिची,
  3. डॉ. एम. सिंडरैला, कुलसचिव, एनआईटी त्रिची,
  4. डॉ. (श्रीमती) पी. कालीचेलवी, एनआईटी त्रिची,
  5. श्री भास्‍कर भट्ट जी, अध्‍यक्ष, बीओजी, एनआईटी त्रिची,