एसोचैम द्वारा आयोजित 14 वां राष्‍ट्रीय शिक्षा सम्‍मेलन

एसोचैम द्वारा आयोजित 14 वां राष्‍ट्रीय शिक्षा सम्‍मेलन

 

दिनांक: 18 फरवरी, 2021

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

          आज के इस महत्‍वपूर्ण कार्यक्रम में मेरे साथ जुड़े सभी माननीय लोगों का मैं अभिवादन करता हूं। सबसे पहले तो मैं कहना चाहता हूं कि हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने स्‍वर्णिम भारत की बात की है और उसके लिए एक रास्‍ता भी हमको दिया है, जिसके लिए यह नई शिक्षा नीति आई है। मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्‍किल इंडिया, स्‍टार्ट अप इंडिया और स्‍टैंड अप इंडिया। आप उस मेक इन इंडिया को डिजिटल इंडिया से जोड़कर केदेखिए कितना क्रांतिकारी परितर्वन हो रहा है। अन्‍यथा, जब यह कोरोना की महामारी आई थी तो उसने शैक्षणिक संस्‍थाओं को एक वर्ष पीछे कर दिया। छोटे-छोटे देश जो मेरे जिले के बराबर भी नहीं है, मैं जहां हरिद्वार से आता हूं वहां 24-25 लाख तो मतदाता हैं तो ऐसी स्‍थिति में उन छोटे देशों ने भी अपने आप को एक वर्ष पीछे कर दिया। ऐसी स्‍थिति में यह ताकत हिन्‍दुस्‍तान की ही हो सकती है कि हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी की अगुवाई में जब दुनिया इस त्रासदीसेगुजर रही थी, सब लोग अपने घरों में कैद हो गए थे ऐसे वक्‍त पर भी हमने शिक्षा को ऑनलाइन माध्‍यम से जारी रखा तथा बच्‍चों को अवसाद में जाने से बचाया। दुनिया का यह शायद पहला उदाहरण है जब रातों-रात हम 33 करोड़ छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन शिक्षा पर लाये, इसलिए हमारी ताकतबढ़रहीहै। क्‍यों मेक इन चाइना हो, क्‍यों मेक इन जापान हो, पूरी दुनिया में मेक इन इंडिया क्‍यों न हो? इसकी ललक के साथ अब हम आगे बढ़ने लग गए हैं। आपने देखा होगा कि हमारे तमाम स्‍टार्ट अप शुरू हो रहे हैं। इस कोरोना काल में भी हमारे ऐसे शोध और अनुसंधान आये हैं। आशुतोष जी भी ‘दीक्षा’ में जुड़े हैं और इनके मार्गदर्शन में भी तमाम शोध और अनुसंधान हुए हैं और आज हम गर्वके साथ कह सकते हैं कि जब दुनिया घरों में कैद थी तो ऐसे वक्‍त पर मेरे छात्र शोध और अनुसंधान कर रहे थे। एआईसीटीई के चैयरमैन यहां पर बैठे हुए हैं इनके‘युक्‍ति-2’ पोर्टल पर आप विजिट करिये कि हमारे छात्रों ने कितना शोध एवं अनुसंधान किया है। आज दो-दो वैक्‍सीन देश में है जो दुनिया के लोगों की रक्षाके लिए है और हमारे देश के प्रधानमंत्री मदद कर रहे हैं तो यह छोटी बात नहीं है। इसलिए जो आपकी संस्‍था है यह पुरानी संस्‍था है। हमारे देश को विश्‍वगुरू कहा गया है।‘‘एतद् देश प्रसूतस्य शकासाद् अग्रजन्मन:, स्वं-स्वं चरित्रं शिक्षरेन् पृथ्वियां सर्व मानव:’’ अर्थात्पूरी दुनिया ने तो हमारे तक्षशिला, नालन्‍दा और विक्रमशिला जैसे विश्‍वविद्यालयों से आकर के ज्ञान, विज्ञान, नवाचार सीखा है।उस समय दुनिया में कौन-सा विश्‍वविद्यालय था? हमारे पास तकनीकी, वास्‍तुकला और तमाम विभिन्‍न दिशाओं  में ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में आप देखेंगे तो हम पूरी दुनिया में समृद्ध थे तथा हमने पूरी दुनिया को लीडरशिप दी है। इसलिए यह जो नई शिक्षा नीति आई है यह भारत केन्‍द्रित होगी और साथ ही शोध और अनुसंधान एवं नवाचार से युक्‍त होगी, आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस को पढ़ाने वाला भारत पहला देश होगा जो स्‍कूली शिक्षा से हम शुरू कर रहे हैं। इस शिक्षा नीति के तहत हमने मूल्‍यांकन का तरीका भी हमने टोटली बदल दिया है। अब बच्‍चे का 360 डिग्री होलस्‍टिक मूल्‍यांकन होगा इस नीति के तहत छात्र स्‍वयं भी अपना मूल्‍यांकन करेगा,उसका अभिभावक भी उसका मूल्‍यांकन करेगा तथा उसका शिक्षक भी उसका मूल्‍यांकन करेगा एवं उसका साथी भी उसका मूल्‍यांकन करेगा। अब हम बच्‍चे को रिपोर्ट कार्ड नहीं बल्‍कि प्रोगेस कार्ड देंगे कि बच्‍चा क्‍या प्रगति कर रहा है।  अब विषयों की भी कोई पाबंदी नहीं है, आप किसी भी विषय के साथ कोईभी विषय ले सकते हैं। आपविज्ञान के साथ संगीत ले सकते हैं,तथा साहित्य के साथ गणित ले सकते हैं। किसी भी विषय के साथ कोई भी विषय ले सकते हैं लेकिन हां आपको दौड़ना है औरआपको लक्ष्य पर पहुँचना है।इस शिक्षा नीति के अंतर्गत यदि कोई 4 वर्ष का कोर्स है और यदि कोई छात्र दो साल में परिस्‍थितिवशछोड़के जा रहा है  तो पहले उसका पैसा एवं वर्ष दोनों खराब हो जाते थे लेकिन अब उसकोनिराश नहीं होना पड़ेगा।यदि आप परिस्‍थितिवश एक वर्षमें छोड़ कर जा रहे हैं तो उसको सर्टिफिकेटदेंगे,दो साल में छोड़ कर जा रहा है तो डिप्लोमा देगें, तीन साल में छोड़कर जा रहा है तो उसकोडिग्री देंगे लेकिन यदि फिर वह लौट कर अपने भविष्य को संवारना चाहता है तो फिर जहां से उसने छोड़ा था वहीं से शुरू कर सकता है। उसके लिए हम एक ऐसा क्रेडिट बैंक बनायेंगे जहां उसके सारे क्रेडिट जमा होंगेइसलिए उसके लिए आगे बहुत आपार संभावनाएं है।शोध और अनुसंधान में तो आपको मालूम है कि हमारे देश के प्रधानमंत्री ने जयअनुसंधान कहा था औरलालबहादुर शास्त्री जी ने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया।आदरणीय अटल बिहारी बाजपेयी ने जय विज्ञान का नारा देकर के आपको मालूम है कि परमाणु परीक्षण करके दुनिया में हिंदुस्तान का माथा ऊँचा किया था, अपनी ताकत को दिखाया था हमारे वर्तमान प्रधानमंत्रीजी ने एक कदम आगे जाकर के जयअनुसंधान का नारा दिया है। अनुसंधान यदि होगा तो मैं समझता हूं चाहे वो औद्योगिक क्षेत्र है चाहे कोई दूसरा क्षेत्र लेकिन बिना अनुसंधान के कोई खड़ा नहीं हो सकता,बिनाशोध के आगे बढ़ा नहीं जा सकता। इसलिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन जो प्रधानमंत्री के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार की अध्यक्षता में होगा उससे शोध और अनुसंधान का परिवेश बनेगा। अभी तक हम इस पार्ट पर थोड़ा सा कमजोर थे,बीच का कालखंड आया था जब हमारे बच्चों में होड़ लगी थी दुनिया में जाने की तथा पैकेज की होड़ लगी। अब पैकेज की होड़ नहीं होगी बल्‍कि पेटेंट की होड़ होगी। हम टैलेंट को भी विकसित करेंगे उसका विस्तार भी करेंगे और उस टैलेंट को उत्कृष्ट कोटि का कंटेंट देंगे और उससे पेटेंट निकालेंगे। पूरी दुनिया में हम बताएंगे कि हां, हममें क्षमता है। हम शोध और अनुसंधान के साथ ही आगे बढ़ सकते हैं और देश के प्रधानमंत्री जी ने आत्मनिर्भर भारत की बात की है।जिसको सोने की चिडिय़ा कहते थे मेरे भारत को आज वो आत्मनिर्भर भारत गांव से हो करके गुजरेगा तथा इन आइडिया से वो होकर करके गुजरेगा एवंशोधतथाअनुसंधान से होकर गुजरेगा। तकनीकी के लिए नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम का भी गठन किया जा रहा है।‘वोकल फोर लोकल’ अर्थात् अंतिम व्यक्ति तक भी तकनीकी का विकास होगा और अंतिम व्यक्ति भी लोकल फॉरग्लोबल तक अर्थात् अन्तरराष्ट्रीय स्तर तक जाएगा।इसलिए आपने देखा इस समय जो आपने अभी कहा था कि ‘स्टडी इन इंडिया’ आओ, भारत में सीखो और इसमें होड़ लग गई है। अभी पीछे के समय में इस कोरोना काल में भी पचास हजार से भी ज्यादा रजिस्ट्रेशन हुए।एक हजार से अधिक छात्र हमारे यहां शोध और अनुसंधान के लिए आसियान देशों के आ रहे हैं और अब तो हमने ‘स्टे इन इंडिया’कहाहै। आज हमारे देश के आठ लाख छात्र प्रतिवर्ष बाहर पढ़ रहे हैं। प्रति वर्ष मैंने मोटा मोटा आंकलन किया था कि दो लाख करोड़ रुपया हिंदुस्तान का जाता है। न तो हमारा पैसा वापस आ पाता है और न ही हमारी प्रतिभा वापस आ पाती है।इन देशों के उत्थान में हमारे युवा खप रहे हैं और इसीलिए मुझे लगता है कि अब समय आ गया जब हम सारी संस्थाएं मिलकर के शोध और अनुसंधान कासमन्वय करके आगे बढ़ें और इसलिएदुनिया के शीर्षतम विश्वविद्यालयों को भी हम हिन्दुस्तान की धरती पर आमंत्रित कर रहे हैं तथा हमारे विश्वविद्यालय भी दुनिया में जाएंगे।हम शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में ‘स्‍पार्क’के तहत दुनिया के 128 शीर्षविश्वविद्यालयों के साथ शोध और अनुसंधान कर रहे हैं। वहीं ‘स्‍ट्राइड’के तहत अंतर विषयक शोध और अनुसंधान कर रहे हैं। हमने ट्रिपलआईटी पीपीपी मोड में भी किया जिसमें केन्द्र सरकार का 50 प्रतिशत हिस्सा तथा राज्य सरकार का 35 और औद्योगिक क्षेत्र के लोगों का 15 प्रतिशत हिस्‍सा रखा है। हम बच्चे को पाठ्यक्रम में चाहते है किवो उद्योगों के साथ जुड़कर के आगे बढ़े। अब हमारा छात्र केवल अपना इंटर्नशिप ही नहीं करेगा,बल्‍किवोप्रैक्टिकल भीकरेगा और पूरी ताकत के साथ उन उद्योगों को और उन परस्थितियों को तथा बिखरी समस्याओं, उसके समाधान की दिशा में आगे आएगा। मुझे बहुत खुशी है कि आप लगातार इस दिशा में काम कर रहे हैं। आपने पहले भी किया और आपने इस बात की भी चिंता की कि अंतिम छोर में अंतिम परिवेश में रहने वाला बच्चा कैसे पढ़ सकता है, जिसके पास अभी बहुत सारे संसाधन नहीं हैं। हमने ‘स्वयं’और ‘स्‍वयं प्रभा’के माध्यम के साथ हीसामुदायिक रेडियो के माध्यम से भी बच्‍चे तक गए। मैं जब सब राज्यों से निकाला तो तांगे पर स्पीकर लगाकर के पढ़ाने की प्रक्रिया देखी और छत के ऊपर स्पीकर लगा कर के गांव के बच्चे दूर-दूर बैठ करके पढ़ते हुए देखे। हमने बच्चे का भविष्य खराब नहीं होने दिया। इसलिए मुझे भरोसा होता है कि मेरा देश जो ठान लेता है उसको करता है औरआगे तो 21वीं सदी हमारी सदी है।मुझे भरोसा है कि जो देश के प्रधानमंत्री ने 5ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की बात की है और निश्चित रूप में हमने इस कोरोना काल के संकटमें भी अपने को साबित किया है। आप सभी लोग रात दिन खपतेहैं आपका जो शिक्षा सम्मेलन होता है उसमें शिक्षा के प्रति आपकी समर्पितता दिखाई देती है और शिक्षा ही किसी समाज के तथा राष्ट्र के उत्थान की दिशा में आधारशिला होती है शिक्षा नहीं तो कुछ भी नहीं है।मेरेउद्योगभी शिक्षा पर ही आधारित हैं यदि उन उद्योगों में शोध और अनुसंधान नहीं होगा तो हम किसी से भी प्रतिस्पर्धा कर ही नहीं पाएंगे और इसलिए यह बहुत जरूरी है कि औद्योगिक क्षेत्र के लोग इन शैक्षणिक क्षेत्र के लोगों के साथ जुड़ करके ऐसा पाठ्यक्रम तैयार करें ताकि छात्र की प्रतिभा तथा उसका शोध और अनुसंधानइसदेश के कामआये और हम जहां पर खड़े हैं उससे शिखर तक जा सकें।पूरी दुनिया को बता सकें कि नहीं, यह देश विश्वगुरु रहा हैजिस देश में तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय रहे हैं और जिसने पूरीदुनिया का मार्गदर्शन किया। शल्‍यचिकित्सा का जनक इस देश में पैदा होता है। आज भी संजीवनी बूटियों का भंडार मेरे देश के अंदर है। हम दुनिया के तन और मन को भी ठीक कर सकते हैं। योग के पातंजलि हों और चाहे भारतीय भाषा वैज्ञानिक पाणिनीहो और चाहे वो रसायन शास्त्री नागार्जुन हों और अभी पीछे के दिनों में कैम्‍ब्रिज ने कहा कि दुनियाभारत की आभारी है कि दुनिया को भारत ने अंकगणित और बीजगणित दिया है। चाहे वो आर्यभट्टहों,चाहे भास्कराचार्य हों,उनकी श्रृंखलाको आप देखेंगे तो दुनिया को आज जरूरत है क्योंकि वो सारी सम्पति और संपदा हमारे पास है।मुझे भरोसा है कि जिस तरीके से आप लोग सब जुटे रहते हैं निश्चित रूप में मेरा शैक्षणिकक्षेत्रऔर हम सब लोग मिलकर के भारत को ज्ञान की महाशक्ति के रूप में स्थापित करेंगे और जितने लोग आज जुड़े हैं मैं उनका अभिनंदन करना चाहता हूं। मेरी इच्छा थी कि मैं सब लोगों को सुनूं और इससे मेरा भीज्ञान बढ़ता है। मुझे भीसौभाग्य मिलता कि सबके सुझाव मुझे मिलते। लेकिन आप जानते हैं कि चाहते हुए भी हम लोगों की ऐसीविवशताहोती हैं।समय तो तेजी से दौड़ रहा है और हमको उसको पकड़ने की जरूरत है। यदि हम समय को नहीं पकड़ेंगे तो समय आपको छोड़ देगा और इसीलिए इस समय को पकड़ना बहुत जरूरी है। एक बार पुन: सब लोगों को बधाई देना चाहता हूं और आपकी जो ऐसोचैम की पूरी टीम को और विशेष कर के शैक्षणिक परिषद के प्रशांत भल्ला जी आप अध्यक्ष हैं, मैं देखता हूं कि आपलगातार अपनी पूरी टीम के साथ जुटे रहते है। इसलिए विनीत जी आपको, प्रशांत जी आपको और आपकी पूरी टीम को मैं बहुतबधाई देना चाहता हूं और शुभकामना देना चाहताहूं एक बार जल्‍दी ही अवसर निकालकर फिर आपके साथ हम संवाद करेंगे। मैं एक बार फिर सभी अतिथिगणों का भी मैं अभिवादन कर रहा हूंऔर जो लोग देश के कोने कोने से जुड़े हैं उनका भी मैं अभिनंदन करता हूं।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!