ओडिशा, राजस्थान एवं हरियाणा में 4 केन्द्रीय विद्यालयों केभवनों का उद्घाटन

ओडिशा, राजस्थान एवं हरियाणा में 4 केन्द्रीय विद्यालयों केभवनों का उद्घाटन

 

दिनांक: 08 अक्टूबर, 2020

 

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

आज के इस बहुत महत्वपूर्ण उत्सव में ओडिशा के दो केन्द्रीय विद्यालय, राजस्थान के एक केन्द्रीय विद्यालय और हरियाणा के एक केन्द्रीय विद्यालय के उद्घाटन के अवसर पर केन्द्रीय मंत्री आदरणीय श्री कृष्णपाल सिंह गुर्जर जी, हमारे ओडिशा के उच्च शिक्षा मंत्री और जिनके पास और कई विभाग भी हैं श्री अरूण कुमार साहू जी, आदरणीय श्री पिनाकी मिश्रा जी पुरी से, पुरी से सत्यनारायण प्रधान जी विधायक जुड़े हैं, पुरी से ही वैजन्तीमाला मोहंती जी जुड़े हैं। ओडिशा के ही जो दूसरे केन्द्रीय विद्यालय हैं महुलदिया उससे हमारे सांसद विश्वेश्वर टुडु जी जुड़े हुए हैं और राज्यसभा की सांसद श्रीमती ममता मोहंता जुड़ी हुयी हैं वहां के विधायक भी जुड़े हैं। राजस्थान के जो हमारे केन्द्रीय विद्यालय हैं, उसमें हमारे यशस्वी सांसद श्री निहालचन्द जी भी जुड़े हुए हैं। श्रीगणेशराज बंसल, सभापति नगर पालिका परिषद्, हनुमानगढ़ वो भी जुड़े हुए हैं और केन्द्रीय विद्यालय फरीदाबाद, हरियाणा जहां कृष्णपाल गुर्जर जी जुड़े हुए हैं,वहीं सीमा तिरखा जो उस क्षेत्र की विधायक हैं वो भी जुड़ी हुयी हैं और मैं देख रहा हूं कि बहुत बड़ी संख्या में वहां के प्रधानाचार्य, अध्यापकगण,अभिभावकगण, जनप्रतिनिधिगण पूरे क्षेत्र से जुड़े हुए हैं और यहां पर स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग की सचिव श्रीमती अनिता करवल और उनकी पूरी टीम के साथ केन्द्रीय विद्यालय संगठन की आयुक्त निधि पांडे जी और उनकी पूरी टीम इस उत्सव के अवसर पर जुड़ी हुई है। मैंसबसे पहले तो इन तीनों प्रदेश के प्रदेशवासियों को और इन चारों विद्यालयों के प्राचार्यों को और उसके स्टाफ को, वहां के अभिभावकों को, छात्रों को बहुत सारी शुभकामना देना चाहता हूं, बधाई देना चाहता हूं। मुझे बहुत खुशी है। मैं जब देख रहा था, बहुत लंबे समय से चिर प्रतीक्षित यह केन्द्रीय विद्यालय के भवन बनना जैसेकि आपसबको पता है कि हमारे जो केन्द्रीय विद्यालय हैं वो देश की शान हैं। यदि देश की  शैक्षणिकदृष्टि से  समीक्षा की जाए तो सबसे पहले केंद्रीय विद्यालय के छात्र-छात्रा प्रथमपंक्ति में खडे हो करके देश के गौरव कोबढ़ाते हैं। इन केन्द्रीय विद्यालयों ने बहुत सारे ऐसे छात्र-छात्राओं को सृजित किया है, तैयार किया है, बढाया है, बनाया है, तराशा है जो आज विभिन्न क्षेत्रों में देश की प्रगति की दिशा में बहुत अहम भूमिका  निभा रहे हैं। चाहे वो राजनैतिक क्षेत्र में हैं, प्रशासनिक क्षेत्र में हैं, वैज्ञानिक क्षेत्र में हैं, तकनीकी के क्षेत्र में विभिन्न क्षेत्रों से विभिन्न क्षेत्रों में जाकर के आज केन्द्रीय विद्यालयों के छात्र-छात्राएं देश का गौरव बढ़ा रहे हैं। यहां जो  लाखों अभिभावकहमारे साथ जुड़े हैं, मैं उनको भी बहुत बधाई देना चाहता हूं कि जब भी आपके मन में अपने बच्चों को केन्द्रीय विद्यालय में प्रवेश कराने की  बातया परिकल्पना आपके मन में रही होगी जब तक हो नहीं जाता तब तक यहमेरामिशनरहेगा। मैं समझ सकता हूंकि पिछले एक डेढ़ साल से मैं देख रहा हूं कि केन्द्रीय विद्यालय में प्रवेश के लिए किस सीमा तक का दबाव रहता है। एक प्रवेश के पीछे हजारों-हजारों आवेदन पत्र आते हैं ।उन हजारों-हजारों आवेदन पत्रों में सेएक छात्र चुनकर के आता है तो यह समझ सकते हैं कि केन्द्रीय विद्यालयों के प्रति छात्रों में, अभिभावकों में, लोगों में किस सीमा तक की अभिरुचि है और निश्चित रूप से जब आप अपने बच्चे को यहां पर प्रवेश दिलाते हैं तो आप गौरव महसूस करते हैं कि हां, उसमें अनुशासन भी है, उसमें संस्कार भी हैं, उसमें प्रतिभा भी है, उसमें संवेदनशीलता भी है और उसमें विजन भी है और विजन को क्रियान्वित करने का मिशन एवं गतिशीलता भीहै और तब आपको यह महसूस होता है कि हां,मेरा बच्चा अब मेरा भविष्य है,मेरे देश का भविष्य है और इसलिए मैंबहुत बधाई देना चाहता हूं।  केन्द्रीय विद्यालय नयागढ,उड़ीसा का भवन 2000-11 से प्रतीक्षित था कि कैसे करके यह भवन बने लेकिन आज वो क्षण आया है जिसमें दस एकड़ भूमि में कक्षा एक से 12वीं तकसंचालित हैं और 16.39 करोड़ की लागत से यह भवन जो आपने देखा बहुत खूबसूरत भवन बना हुआ है और जिसके अन्दर संगीत है, खेल का मैदान है, तमाम गतिविधियां हैं,प्रयोगशालाएं हैं। इन चारों विद्यालयों में आपने देखा होगा, छोटी-छोटी एक डेढ मिनट की फिल्म में आपने देखा होगा कि कितने खूबसूरतयह भवन बने हुए हैं। उड़ीसा केशिक्षा मंत्री जुड़े हुए हैं और इसीलिए अरुण भाई आपसे मेरीलगातार बात भी होती है,मैं जरूर चाहूंगा कि आपके नेतृत्व में लगभग जो यह 62 मेरे केन्द्रीय विद्यालय हैं जिसमें केवल बयालीस के लिए अभी भवन हैं और शेष अभी अस्थाई भवन मेंचल रहे हैं,हमको जमीन उपलब्ध नहीं होती है तो मैं जरूर चाहूंगा क्योंकि यह उड़ीसा के हैं। चाहे वो नयागढ़ हो और दूसरा उड़ीसा का जो महुलदिया,रंगपुर उड़ीसा का जो एक दूसरा विद्यालय है जो 2016-17 में स्वीकृत हुआ था और आठ एकड़ भूमि पर यह16.06करोड़ की लागत से  बना है। मैं समझता हूं कि बहुत अच्छी तरीके से इसी जिले में तीन केन्द्रीय विद्यालय संचालित हैं। नंबर एक का बड़ीपदा, बड़ीपदा मुहल बाड़ी है और नंबर तीन महुलदिया जिसकाइस समय उसका उद्घाटन हो रहा है और तीनों बहुत अच्छे विद्यालय हैं,अच्छे चल रहे हैं तो मैं आपसे निवेदन करूँगा कि उड़ीसा के यह जो शीर्षबीस हमारे केंद्रीय विद्यालय हैं जिनके भवन की अपेक्षा है, भवन के आभाव में इनका स्तर नीचे होता हैजिससे बहुतकठिनाइयां होती हैं तो यहउस प्रदेश की शान हैं,आपके बच्चे देश में,दुनिया में आपका सम्मान बढ़ाते हैं  तो मैं चाहूंगा मेरी ओर से पटनायक जी से भी विनम्र अनुरोध करिएगा और थोड़ा सा लीडलेकर के यह जो विद्यालय हैं, जिनको जमीन की जरूरत है जैसे ही आप जमीन उपलब्ध करा देंगे हम इन शेष विद्यालयों के भवन निर्माण के लिए धनराशि भी आपको आबंटित करेंगे तो मैं एक बारपुन:उड़ीसा के पूरे प्रदेशवासियों को और वहां के सभी जन प्रतिनिधियों को,वहां छात्रों अभिभावकों को मैं बहुत सारी बधाई और शुभकामनाएं इस अवसर पर दे रहा हूं हमारे साथसारे लोग जुड़े हुए हैं और निश्चित हीउड़ीसा के लिए यह गौरव के क्षण भी हैं जब उसके केन्द्रीय विद्यालय बहुतआगे जा रहे हैं।मैं समीक्षा कर रहा था तो मैंने देखा कि इन केंद्रीय विद्यालयों मेंबहुतअच्छे तरीके से बच्चे आगे बढ़ रहेहैं। मेरी शुभकामनाएंकि दोनों विद्यालयों के प्राचार्य और अध्यापकगण जो धुरी बन करके और ऐसे छात्र-छात्राओं को तैयार कर रहे हैं, अपना रात-दिन जुट करके जिनके चौबीस घंटे मन और मस्तिष्क में केवल छात्र और उसकी शिक्षा, उसका संस्कार,उसकी प्रगति घूमती रहती है वो उसीदुनिया में आप चौबीसों घंटे खोये रहते हैं और फिर अपने बच्चों को तैयार करते हैं तो मैंसमझ सकता हूं कि एक अध्यापक की जिम्मेदारी किस तरीके की होती है,कौनसी उसके सामने चुनौती होती है और क्योंकि मैं भी एक शिक्षक से लेकर यहां शिक्षा मंत्री के इस यात्रा पर में आया हूं तो मैं महसूस कर सकता हूं कि शिक्षा की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।मैंसभीशिक्षकोंकोशुभकामना देना चाहता हूं।मुझे इस बात की भी खुशी है कि राजस्थान में भी 2014-15 से  हनुमानगढ़ का यहविद्यालय स्वीकृत थाजोआज यहां पर 9.24 एकड़ भूमि पर 16.26 करोड़ की लागत से आजइसका भवन  तैयार हैजोबहुत खूबसूरत भवन है और श्रीनिहालचंद जी आप तो बहुत चिन्तित भी रहते हैं और आप लगातार लोकसभा में मिलते भी रहते हैं। आपकी बड़ी चिंता रहती है कि किसी तरीके से उस क्षेत्र में शिक्षा का कैसे करके आधार बढ़े और आप समझ सकते हैं कि आप पर भी इन केंद्रीय विद्यालयों में प्रवेशकोलेकर कितना दबाव रहता है। मैं आपको बधाई देना चाहता हूँ और मैं समझता हूँ कि यहजो नये भवनहैं एक हजार से भी अधिक विद्यार्थी इससे लाभान्वित होंगे और उस क्षेत्र का प्रगति की दिशा में यह विद्यालयबहुतबड़ीआधारशिला बनेगा। मैं आपसे भी निवेदन करना चाहूंगा,मैं गहलोत साहब को भी निवेदन करूँगा कि राजस्थान में जो हमारे 59केंद्रीयविद्यालय संचालित हैं वेस्थाईभवनों में हैं,जबकि 77 कुल विद्यालय हैं तो 77 और 59आप समझ सकते हैं कि इन 17-18विद्यालयोंमें भवन अभी तक बने नहीं हैं। आपपूर्व केंद्रीय मंत्री भी हैं और जागरूक भी हैं तो मैं समझता हूँ कि  जितने शेष भवन हैं, उनकेलिएभीराजस्थान सरकारको आगे आकर के जमीन उपलब्ध करवानीचाहिएताकि उन शेष विद्यालयों मेंभवन-निर्माण हो सके और उन विद्यालयों कास्तरबढ़ा सकें और मैं चौथा जो केन्द्रीय विद्यालय नंबर 3 फरीदाबाद, हरियाणा का जिसका उद्घाटन हुआ है और यह5 एकड़ में 2003-04 सेसंचालितथा और आज 16-17 वर्षों के बाद  इसको अपना खूबसूरत भवन मिला है और जो 20.19करोड़ की लागत से बना है और एक हजार से भी अधिक विद्यार्थी इससे लाभान्वित होंगे। वैसे भी फरीदाबाद में फरीदाबाद नंबर एक, फरीदाबाद नंबर दो व फरीदाबाद नंबरतीन,यहतीन विद्यालय चल रहे हैं और मैं सभी अभिभावकों को बहुत बधाई देना चाहता हूं वहां के प्राचार्यों को,वहां के अध्यापकगण को भी बहुत सारी बधाई एवंशुभकामना देना चाहता हूं और मेरा भरोसा है कि यहफरीदाबाद, हरियाणा में जो विद्यालय का भव्य भवन बना है जिसमें सभी प्रकार की सुविधाएं हैं आज इन सुविधाओं को बहुत अच्छे से मेरा छात्र इसका उपयोग करेगा और अभिभावकों और अध्यापकों के बीच जो मेरा यहछात्र-छात्रा है, ऐसा निर्मित होगा ताकि इस पर गौरव महसूस कर सकेंगे। हरियाणा में मैं यहसमझता हूं और कृष्णपाल जी यदि मेरी आप बात सुन पा रहे होंगे और नहीं तो मैं कहूंगा अपने कमिश्नर से कि कभी आपसे भी व्यक्तिगत आकर के वो मुलाकात करें और मैं आपके मुख्यमंत्री जी को भी बात करूंगा लेकिन मुझे लगता है कि हरियाणा में अभी हमारे कुल चौंतीस विद्यालय स्वीकृत हैं जिसमें से मात्र अभी 25 का भवन है तो जो जो शेष विद्यालय हैं, उसमें  जमीन काअभाव है।जमीन नहीं मिलने के कारण हम उन भवनों का निर्माण नहीं कर पाए  हैं। मुझे भरोसा है कि आप जमीन भी उपलब्ध कराएंगे और कृष्णपाल जी विशेष करके आपसे अनुरोध करूंगा और मुख्यमंत्री जी से भी अनुरोध करूंगा कि आपके प्रदेश में संचालितकेंद्रीयविद्यालयोंकीमैंने समीक्षा भीकी है औरवहां पर हमारे जो केन्द्रीय विद्यालय चल रहे हैं,बहुत अच्छे चल रहे हैं आपके राज्य का बहुत सम्मान बढ़ाया है। मैं पीछे से सब देख रहा था कि एक से एक छात्र ने विभिन्न क्षेत्रों में चाहे खेल के क्षेत्र में हो, अब विभिन्न क्षेत्रों में, कला के क्षेत्र में हो और वैज्ञानिक क्षेत्र में हो,सामाजिक क्षेत्र में हो और विभिन्न क्षेत्रों में बहुत अच्छे तरीकेसे यहां पर बच्चे उभर कर के आए हैं और जो राष्ट्रीय स्तर पर छाए हैं और कुछ बच्चे विदेशों में भी हैं जो इन विद्यालयों से पढ़ करके गए हैं और बहुत अच्छेस्थानों को वो अर्जित कर रहे हैं तो मैं हरियाणा की जनता को हरियाणा की सरकारकेजन-प्रतिनिधियों को मैं अपनी ओर से बहुत बधाई देना चाहता हूं। सीमा जी, आपको विशेष करके मैं बधाई देता हूं क्योंकि आपको मैं जानता हूं,मैं आपके क्षेत्र में आया हूं और तभी आपने इस बात की चिंता की थी किहमारे एक-एक विद्यालय किस तरीके से ठीक हो सकते हैं ? मुझे मालूम है कि आज आपको खुशी हो रही होगी कि एक बहुत लंबे समय के बाद यहविद्यालय भवन,बहुत खूबसूरत भवन आपकेअभिभावकों को,आपके बच्चों को यहअर्पित हुआ है और इस क्षेत्र की यह शान है। इस क्षेत्र का यह मान और अभिमान भी होगा क्योंकि बच्चे जब निकलेंगे तो हमारा छात्र ही हमारा भविष्य, राष्ट्र का भविष्य है और मैं तो एक कदम आगे जाकर के कहना चाहता हूं,पूरे विश्व का भविष्य है। भारत का छात्र इसलिए भी कहना चाहता हूं कि इस देश को विश्वगुरु कहा गया है। हमेशा मैं इस धारणा का प्रबलसमर्थकरहा हूँ कियह देश विश्वगुरुहै और यहविश्वगुरु रहेगा क्योंकि कुछ चीजें तो ऐसी है मेरे हिन्दुस्तान कीधरती पर जो दुनिया में ढूंढने से भी नहीं मिल सकती हैं और इसलिए वो चीजेंहमारी थाती हैं। हमने हमेशा कहा ‘यूनान,मिश्र,रोमा सब मिट गए जहां से, अब तक मगर है बाकी नामोनिशां हमारा और कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी।’  इतिहास में कितने दुनिया के लोग,कितने देश तब पैदा हुए और मिट्टी में मिल गए, उनका इतिहास नहीं मिलता । हां,जरूर तमाम थपेड़े खाने खाने के बाद भी मेरा हिन्दुस्तान हमेशा जिंदा रहा है और आज भी पूरी दुनिया के सामने लीडरशिप ले रहा है। हमारे देश के ऐसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी अभी आपने देखा कि कुछ देर पहले हमने शपथ ली और यह कहा कि हम कोरोना को हराएंगे, हम यहसंकल्प ले रहे हैं, जनजागरण कर रहे हैं। जिस देश का प्रधानमंत्री स्वयं ही आगे आकर केहर कदम पर इन सारे अभियानों को अपने हाथ में ले करके और जनजागरण के लिए सड़कों पर उतर आए, लोगों के बीच चला जाए, बच्चों से बातचीत करे,देश की जनता से बात करे तो निश्चित रूप से उसदेशको आगे बढने से, प्रगति से कोई दुनिया की ताकत नहीं रोक सकती ।अभी जिस तरीके से नयी शिक्षा नीति हमारे देश के प्रधानमंत्री जी के संरक्षण में, उनके मार्गदर्शन में,उनके विजन को क्रियान्वितकरतेहुए 21वींसदीकेस्वर्णिमभारतकानिर्माणकियाजासके। 21वीं सदी के भारत की आधारशिला मेरीयहजो नयी शिक्षा नीति 2020 है और जिसकापूरे देश के लोगों ने बहुतअच्छा स्वागत किया है और उत्साह-उल्लास पूर्वक आज भी लोगों को लगता है कि हां, अब देश की अपनी शिक्षा नीति आई हैजिससेअब फिर भारत  विश्वगुरु के रूप में स्थापित होगा। जब तक्षशिला और नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय थे और जब इस देश में एक उक्ति चरितार्थ थी-“एतद्देशप्रसूतस्य सकाशादग्रजन्मनः स्वं स्वं चरित्रं शिक्षेरन्पृथिव्यां सर्वमानवाः” पूरी दुनिया के लोगों ने तो हमसे आकर के सीखा है ।ज्ञान हो, विज्ञान हो, अनुसंधान हो,नवाचारहो कौन से क्षेत्रमें हम पीछे थे ? तब भी हम पीछे नहीं रहे। मैं तो सोचता हूं सुश्रुत, शल्य चिकित्सा का जनक भी इसी देश ने दिया है। आयुर्वेद का जनक भी इसी देश ने दिया है। योग के पीछे जहां पूरी दुनिया खड़ी हो गई,वह पातंजलि भी इसी धरती पर पैदा हुआ और उसका योगभी इसी धरती पर पैदा हुआ है और इसलिए चाहे आर्यभट्ट हो या भास्कराचार्य इसी धरती पर पैदा हुए। हमारे पास आज जो सारी थातियां हैं हमारे बच्चों को शोध और नवाचार के साथ अपनी उन संपत्तियों को, इन बिन्दुओं को, उन चीजों को, उन धरोहरों को आगे बढाने की जरूरत है । पूरी दुनिया हमारी ओर देख रही है और निश्चित रूप में जो हमारे देश के प्रधानमंत्री जिन्हें नये भारत के निर्माण के बात की है जो स्वच्छ भारत होगा,स्वस्थ भारत होगा,समर्थ भारत होगा, सशक्त भारत होगा, आत्मनिर्भर भारत होगा और श्रेष्ठ भारत होगा। इस श्रेष्ठ भारत की जो आधारशिला है वह मेरे छात्र हैं और अभिभावकों मैं आपको कहना चाहता हूं कि- पूत कपूत तो धन संचय क्यों और पूत सपूत तो धन संचय क्यों? यदि पुत्र,सुपुत्र निकल गया तो उसके लिए धन केसंचय की ज़रूरत नहीं है। वो पूरीदुनिया को आपके चरणों में लाकर के खड़ा कर देगा लेकिन यदि पुत्र, कुपुत्र निकल गया तो आपकी सारी संपदा को बीच चौराहे पर नीलाम कर देगा। इसलिए जरूरत है संस्कार चाहिए, इस पीढ़ी को खड़ा करने केऔर इसलिए मैं समझता हूं कि निश्चित रूप में आपकोआज खुशी हो रही होगी कि आज केन्द्रीय विद्यालयों के चार-चार भवनों का यहां पर शुभारंभ हो रहा है। मैं एक बार फिर आप सबको बहुतबधाई देना चाहता हूं, मैं शुभकामना देना चाहता हूं और विशेष करके केंद्रीय विद्यालय संगठन केपूरे परिवार को मैं बधाई देना चाहता हूं कि उन्होंने अपने स्तर को बना कर के रखा है ।किसीभी विजनकोवे  मिशन मोड में अपने इन विद्यालयों में संरक्षित कर रहे हैं और मैं पीछे के समय में देखता हूं, जहां भी जाता हूं मैं अपने केंद्रीय विद्यालय के बच्चों के बीच जरूर जाता हूं। मैं दक्षिण में रामेश्वरम जाता हूं तो बच्चों के बीच जाता हूं,चाहे उत्तर में जाता हूंया पश्चिम में जाता हूं तोमुझे पूरा देश एक नजर आता है । मैं बच्चों के बीच जब खड़ा होता हूं तो मुझे लगताहै यहमेरा हिंदुस्तान है जहां तमिल,तेलगू,मलयालम, कन्नड़,गुजराती,मराठी, बंगाली, उड़िया, हिन्दी,संस्कृतऔरउर्दूसहित तमाम हमारी22 भारतीय भाषाओं को बोलने वाले मेरे बच्चे एक दूसरे की संस्कृति के निकट भी आते हैं और ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के तहत मैंने स्वयं इनके कार्यक्रमों को देखा है,अद्भुत है। अभी जो एक छात्राजिसकेबारेमें अभी कमिश्नर ने बताया थाकि यहहमारे केन्द्रीय विद्यालय की छात्रा थी, जिसने सबसे पहले प्रस्तुति दी। मैं उस छात्रा को बहुत बधाई देना चाहता हूं और उसके प्राचार्य को कहना चाहता हूं कि मेरी ओर से एक हजार एक रुपये उसको इनाम स्वरूप दें। ऐसी ही प्रतिभाएं हमकोआगेप्रत्येकक्षेत्रमेंउभारनीहैं।नई शिक्षा नीति तो हमारी यही कहती है पूरा मैदान खाली है, किसी पर कोई विषयथोपा नहीं जाएगा। जिसकी जोऊर्जाहैउसी क्षेत्र मेंहम तेजी से उसको आगे बढ़ाएंगे और इसलिए यह जो नईशिक्षा नीति है जोदुनिया में भारतकानामगौरवसेऔरऊंचाकरेगी।पिनाकी मिश्रा जी भीजुडे हुए हैं और वो जानते हैं उनका मैं वक्तव्य संसद में सुनता रहता हूं उनको भी इस बात के लेकर के खुशी होती होगी कि यह जो केंद्रीय विद्यालय हैं, वो हमारे बहुत ही खूबसूरत हैं, आगे बढ़ रहे हैं। भारत की उन भावनाओं का सम्मान करते हुए, उसकी गरिमा विश्व स्तर पर बढ़ातेहुएकेंद्रीयविद्यालयआगेबढ़रहेहैं। पिनाकीभाई आप भी खुश नज़र आए मुझे और आपको भी मैंअभिनंदन कर रहा हूं,एक बार फिर आपको भी शुभकामनाएंएवं बधाई! एक बारमैंपुन: अपने सभी छात्रों को,अभिभावकों को बधाई देना चाहता हूं और केंद्रीय विद्यालय संगठन की इस मुहिम को कि वो शिक्षा के माध्यम से राष्ट्र को न केवल आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ाएंगे बल्कि विश्वगुरु की दिशा में मेरे छात्रों को शिक्षा के माध्यम से तैयार करके पूरे विश्व के शिखर पर पहुंचाएंगे। एक बार पुन:  अब सब लोगों को मेरी बधाई है, मेरी शुभकामनाएं।

 

बहुत-बहुत धन्यवाद!

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थिति:

 

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. श्री कृष्णपाल गुर्जर, माननीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री, भारत सरकार
  3. श्री अरूण कुमार साहू, उच्च शिक्षा मंत्री, ओडिशा सरकार
  4. श्री पिनाकी मिश्रा, संसद सदस्य (लोक सभा)
  5. श्री सत्यनारायण प्रधान, विधायक, पुरी
  6. श्री विश्वेश्वर टुडु, संसद सदस्य (लोक सभा)
  7. श्रीमती ममता मोहंता, संसद सदस्य (राज्य सभा)
  8. श्री निहालचन्द, संसद सदस्य (लोक सभा)
  9. श्री गणेश राज बंसल, सभापित, नगर पालिका परिषद, हनुमानगढ़

10.श्रीमतीनिधि पांडे, आयुक्त, केन्द्रीयविद्यालय संगठन ।