केन्‍द्रीय विद्यालय आईजीएनटीयू, अमरकंटक (मध्‍य प्रदेश) के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन

केन्‍द्रीय विद्यालय आईजीएनटीयू, अमरकंटक (मध्‍य प्रदेश) के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन

 

दिनांक: 26 अगस्‍त, 2020

 

 

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

आज के इस कार्यक्रम में उपस्‍थित मेरे अनन्‍य सहयोगी और भारत सरकार में शिक्षा राज्‍य मंत्री आदरणीय श्री संजय धोत्रे जी, हमारे इस कार्यक्रम में जुड़ी इस क्षेत्र की बहुत ही लोकप्रिय और जुझारू सांसद श्रीमती हिमाद्री सिंह जी, विधायक श्री सुन्‍दर लाल जी, इस विश्‍वविद्यालय के यशस्‍वी कुलाधिपति डॉ. मुकुल साह जी, केंद्रीय विश्‍वविद्यालय के बहुत ही प्रखर और विद्वान कुलपति प्रो. प्रकाशमणि त्रिपाठी जी, इस परिसर के डीन प्रो. अनुप जी, केंद्रीय विद्यालय के प्रधानाचार्य नितिश कुमार जी, आज बहुत अच्‍छा संयोग है कि केंद्रीय विश्‍वविद्यालय और केंद्रीय विद्यालय इन दोनों के सभी आचार्यगण, शिक्षकगण और सभी छात्र-छात्राएं, अभिभावकगण, दूर-दूर से जुड़े जनप्रतिनिधिगण और विभिन्‍न हमारे प्रशासनिक अधिकारी। आज जो केंद्रीय विद्यालय के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण हो रहा है इस अवसर पर जो सभी लोग एकत्रित हुए हैं, केंद्रीय विश्‍वविद्यालय संगठन के आयुक्‍त, इस केन्‍द्रीय विद्यालय के प्रधानाचार्य उनकोबहुत सारी बधाई देता हूं कि उनको एक बहुत अच्‍छा परिवेश मिला है, परिसर मिला है अपनी गतिविधियों को और शैक्षणिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए खूबसूरत भवन आज स्‍थापित हुआ है जहां केंद्रीय विद्यालय इसके लिए बधाई का पात्र है वहींकेंद्रीयविश्‍वविद्यालय जिसके परिसर में बच्‍चे पढ़ने के लिए आएंगे आप ऐसे बच्‍चों को तैयार करेंगे जो आपकेलिए बहुत बड़ी निधि होगी, आपके लिए बहुत बड़ी उपलब्‍धि होगी, मैं कुलपति जी को, कुलाधिपति जी को उनके परिवार को बधाई देना चाहता हूं। मैं समझता हूं कि शिक्षा पर, नई शिक्षा नीति पर जो हमारे कुलपति जी ने, हमारे कुलाधिपति जी ने प्रकाश डाला है। बच्‍चों, मैं सोचता हूं जब मैं आपसे बात करता हूं आप सबको मालूम है कि हमारा देश भारतपूरीदुनिया में विश्‍वगुरू रहा है और ऐसा विश्‍वगुरू रहा है जिसने ज्ञान,विज्ञान, अनुसंधान, नवाचार के क्षेत्र में पूरी दुनिया को लीडरशिप दी है बीच में कुछ परिस्‍थितियां आई हैं जिसके कारण हमें गुलामी की जंजीरों में जकड़े रहना पड़ा और सदियों की गुलामी के बाद फिर हम स्‍वाधीन हुए हैं और आज फिर पूरी दुनिया उस गौरवशाली भारत की ओर देख रही है।हम एक योद्धा की तरह खड़े होकर ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान और नवाचार की दिशा में आगे बढ़ने की मंशा रखते हैं। इसलिए मैं आपको शुभकामना देना चाहता हूं कि इस समय देश में जो परिवेश है वो बहुतअच्‍छा परिवेश है, पूरीदुनिया की नजरेा हम पर टिकी हैं। मेरे देश के प्रधानमंत्री जी ने जिस ‘नए भारत’ के निर्माणकी बात की है, आप सभी उस अभियान से जुड़े हैं। जब प्रधानमंत्री जी ने‘स्‍वच्‍छ भारत अभियान’ शुरू किया था तो स्‍कूली शिक्षा के छात्र-छात्राएं उसके ब्रांड अम्‍बेस्‍डर बने थे, जिन्‍होंने उसको अभियान के रूप में लिया जो कि सारी दुनिया में एक बहुत बड़ा अभियान रहा। स्‍वच्‍छ भारत का तात्‍पर्य केवल गंदगी को हटाना नहीं है, स्‍वच्‍छता परिसर की भी होनी चाहिए, स्‍वच्‍छता मन की भी होनी चाहिए,स्‍वच्‍छता विचारों की भी होनी चाहिए क्‍योंकि जहां स्‍वच्‍छता होती है वहीं पवित्रता होती है। जहां पवित्रता होती है, वहीं विचार आता है, जहां विचार आता है वही प्रगति का कारण बनता है और इसलिए हमने यह स्‍वच्‍छ भारत अभियान लिया। देश के प्रधानमंत्री जी ने कहा कि ऐसा भारत चाहिए जो स्‍वच्‍छ हो, स्‍वस्‍थ हो, सशक्‍त हो। एक बीमार मन, बीमार व्‍यक्‍ति कभी किसी को आगे नहीं बढ़ा सकता, उन्‍नति के  शिखर पर नहीं पहुंचा सकता और इसलिए जहांस्वच्छ भारत हो, वहीं स्वस्थ भारत हो, सशक्त भारत भी हो, एक आदमी हष्‍ट-पुष्‍ट है लेकिन ताकतवर नहीं है,ताकत केवल शरीर की नहीं होती,ताकत विचारों की भी होती है और इसीलिए जो सशक्त होना चाहिए वहीं ताकतवर भी होना चाहिए और समृद्ध भीहोना चाहिए। मेरे देश को सोने की चिड़िया कहा जाताथा, विश्वगुरु कहा जाताथा,जहां एक ओर धन धान्य से संपन्न इस देश को सोने की चिड़िया कहा जाता था तभी तो कहा गया कि‘यूनान मिस्र, रोमां सब मिट गये जहां से, अब तक मगर है बाकी नामो निशां हमारा’ और वो जो तीसरी और चौथी बात है वो हमारा संस्कार है, हमारी संस्कृति है। इसलिए देश के प्रधामंत्री जी ने कहा स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत,समृद्ध भारत,आत्मनिर्भर भारत, श्रेष्ठ भारत और एक भारत। श्रेष्ठ भारत चाहिए वो श्रेष्ठ भारत जिसकी गरिमा, जिसकी आभा पूरी दुनिया को आलोकित करती हो ऐसा भारत चाहिए और ऐसा भारत बनाने के लिए हम सब लोग मन से, तन से और अपने विजन से समर्पित होकर उस दिशा में दौड़ रहे हैं। मुझे लगता है इससे बड़ा सौभाग्य क्या मिलेगा कि‘मेक इन इंडिया’,‘डिजिटल इंडिया’,‘स्किल इंडिया’,‘स्टार्ट अप इंडिया’और‘स्‍टैंड अप इंडिया’जैसे सूत्र हमें मिल रहे हैं वहीं आत्मनिर्भर भारत केभीतमाम सूत्र मिल रहे हैं जिससे यह देश फिर आत्मनिर्भर होकर पूरे विश्व को बता सकेगा कि भारत फिर उन्हीं ऊंचाईयों को स्‍पर्श करेगा और इसीलिए यह जो नई शिक्षा नीति आयी है जो राष्‍ट्रीयशिक्षा नीति 2020 है जिसका मंत्री जी ने भी जिक्र किया है, यह बहुत अद्भुत है। देश में पहली बार ऐसा माहौल हो रहा है,देश के अंदर उत्सव का वातावरण है। छात्र भी खुश हैं,अभिभावक भी खुश है, अध्यापकभी खुश है क्योंकि शिक्षा किसी भी व्यक्ति की, परिवार की, समाज की,राष्‍ट्र की रीढ की हड्डी होती है यदि वो मजबूत नही है तो वो व्यक्ति कभी खड़ा नहीं हो सकता, व्यक्ति खड़ा नहीं होगा तो परिवार खड़ा नहीं हो सकता, परिवार सशक्त नहीं होगा तो फिर कैसे समाज और राष्ट्र खड़ा हो जाएगा। इसलिए किसी भी राष्ट्र की पहली धुरी है उसका व्यक्ति, उसका व्यक्ति सशक्त होना चाहिए,वह हर दिशा में सशक्त होना चाहिए। मेरे छात्र-छात्राओं आपको मालूम है कि हम भारतवासी पूरे विश्व को अपना परिवार मानते हैं । हम हमेशा कहते हैं कि‘अयं निज: परो वेति गणना लघु चेतसाम् उदारचरितांना वसुधैव कुटुम्बकम’ पूरी दुनिया कोहम अपना परिवार मानते हैं। हम हमेशाकहते हैं कि‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया सर्वे भद्राणी पश्‍यन्‍तु मां कश्‍चित् दुख: भाग भवेत’ जब तक इस धरती पर एक भी इंसान, एक प्राणी भी दुखी होगा तब तक में सुख का अहसास नहीं कर सकता।मैं एक योद्धा की तरह मनुष्‍य पर आने वाले हर संकट का मुकाबला कर सकता हूं, मैं मनुष्य पर आने वाली हर त्रासदी को हर सकता हूं। यह है हमारा विजन, यही हमारा मिशन है और इसलिए जोयह नयी शिक्षा नीति है यहभारत के मानवीय मूल्यों कीआधारशिला पर खड़े हो करके आई है।इसकीसुगंध पूरी दुनिया में जा रही है। दुनिया केतमाम देश भी यह कहरहे हैं कि हमको भी भारत जैसी शिक्षा नीति की ज़रूरत है। इससे ज्यादा सुखद बात क्‍या हो सकती है। हम तमाम परिवर्तन के साथ इस नई शिक्षा नीति को लाए हैं। आप सबको मालूम है, चाहे स्कूली शिक्षा हो, बच्चों को भी खूब मजा आएगा जब उनको लगेगा कि वोस्वयं अपना मूल्यांकन कर सकेंगे, अध्यापक भी मूल्यांकन करेगा, अभिभावक भी मूल्‍यांकनकरेगा और उसका साथी भी उसका मूल्‍यांकन कर सकेगा। पूरी पारदर्शिता के साथ मूल्यांकन होगा जब उसको लग सकेगा कि उसमें कोई कमी नहीं है। जब व्यक्ति अपना मूल्यांकन स्‍वयंकरता है तो बहुत सारी चीजों पर वो अंदर से झांकता हैकिक्या मूल्यांकन करूं? फिर दूसरी बात मुझे अपने नंबर स्‍वयं देने हैं तो मुझे क्या-क्या करना है, क्या करना चाहिए, यहहैइसकी ताकत और इतना ही नहीं भारतदुनिया में पहला देश होगा जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता छठवी से शुरू करेगा,स्‍कूली शिक्षा से शुरू करेगा।हमारा देश दुनिया का पहला देश होगा जहां हमछठवीं कक्षा से ही वोकेशनलशुरू करेंगे,जहांशैक्षणिक गतिविधियां होंगी, वही शिक्षणेत्तर गतिविधियां भी होंगी और वहीं वोकेशनल गतिविधियां भी होंगी और इसको हम इंटर्नशिप के साथ लाएंगे।ऐसानहीं है कि केवल किताब पढ़कर के करेंगे, पढ़ाई के साथ बच्‍चे को अन्‍य गतिविधियों में भी शामिल करेंगे। अभी जो जनजातीयविश्वविद्यालय इस समय यहां पर है। मैं अभी देख रहा था कि इस क्षेत्र में बहुत सारी ऐसी जनजातिहैं,यह जो क्षेत्र है यहा बहुत दुर्लभ वनस्पतियां हैं और जैसाकि अभी हमारे मंत्री जी ने कहा कि विध्‍यं और सतपुड़ा की संधि पर यह स्थल मैकल पर्वत श्रृंखला से घिरा है जोखूबसूरत है और इसीलिए हमाराजोजड़ी बूटियों का भंडार है वो भी हमारे लिए वरदान साबित हो सकता है। किस तरीके से वरदान साबित होंगी? जो पहले के हमारे वैज्ञानिक थे, जो ऋषि-मुनि थे अभी जब विश्‍वविद्यालयका कुल गीत गाया जा रहा था,तो ऋषि मुनियों को याद करके अभियान आगे बढ़ाया जा रहा था। हम सब को पता है, पूरी दुनिया को पता है कि जो आयु का विज्ञान  है वह आयुर्वेद है। हमारेपाससंजीवनी बूटी रही है और उन पर शोध करनेकी जरूरत है। हमारा जो पुराना वैभव है सुश्रुत शल्य चिकित्सा का जनक जिस धरती पर पैदा होता है आपको मालूम है कि चाहे वो भास्कराचार्य हों, चाहे आर्यभट्ट हों,चाहे वराहमिहीरहों तमाम ऐसे-ऐसे आचार्य रहे हैं, चाहे आचार्य कणाद हों,ऐसे-ऐसे वैज्ञानिकहमारी धरती पर पैदा हुए। आज जरूरत है कि जो पीछे का हमारा ज्ञान है उसको पकड़ के अनुसंधान के क्षेत्र में, नवाचार के क्षेत्र में हमको आगे बढ़ना है और यह नई शिक्षा नीति उस क्षेत्र मेंसबकोआगे बढ़ाने के लिए हीहै। उच्च शिक्षा में छात्र आज बहुत खुश है उसको लगता है उस पर कोई पाबंदी नही है कि इस विषय कोलो, उस विषय को लो,कोई भी विषय ले सकता है। वो गणित के साथ विज्ञान, विज्ञान के साथ संगीत, संगीत के साथ दूसरा विषय,कोई भी विषय, कुछ भी विषय ले सकता है। वो अपने मन का राजा है लेकिन राजा ताकतवर होता है, मेहनती होता है। वो अपने अस्तित्व को कायम रखने के लिए अपने जीवन और मरण के सवालों से गुजरता है और इसीलिए जब भी आप अपने विषयों का चयन करेंगे उस विषय में आप कोमहारथ होना चाहिए। आपको छूट है बताओ किस क्षेत्र में जाना चाहते हैं और केवलविषय लेने की ही छूट नहीं है बल्‍किइस शिक्षा नीति के अंतर्गत यदि कोई 4 वर्ष का कोर्स है और यदि कोई छात्र दो साल में हीपरिस्‍थितिवशछोड़के जा रहा है  तो पहले उसका पैसा एवं वर्ष खराब हो जाते थे लेकिन अब उसकोनिराश नहीं होना पड़ेगा,यदि आप परिस्‍थितिवश एक वर्षमें छोड़ कर जा रहे हैं तो उसको सर्टिफिकेटदेंगे,दो साल में छोड़ कर जा रहा है तो डिप्लोमा देगें, तीन साल में छोड़ेकर जा रहा है तो उसकोडिग्री देंगे लेकिन यदि फिर वह लौट कर अपने भविष्य को संवारना चाहता है तो फिर जहां से उसने छोड़ा था वहीं से शुरू कर सकता है। उसके लिए हम एक ऐसा क्रेडिट बैंक बनायेंगे जहां उसके सारे क्रेडिट जमा होंगेइसलिए उसके लिए आगे बहुत आपार संभावनाएं है।वह कहां जाना चाहता है, शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में जाना चाहता हैऔर इसलिए इस उच्च शिक्षा नीति में हम लोग बहुत सारे परिवर्तन को लेकर आए हैं। हमको अनुसंधान की जरूरत है। आप सबको मालूम होगा कि एक वक्त ऐसा था देश लालबहादुर शास्त्री देश के प्रधानमंत्री थे उस समय देश सीमाओं के संकट से जूझ रहा था, सीमाओं पर संकट था और देश के अंदर खाद्यान्‍न की बहुत परेशानी थी दोनों संकटों से देश गुजर रहा था। ऐसे वक्‍त पर हमारे देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा देकर पूरे देश को एकजुटकर दिया था। पूरे देश नेएकजुट होकर इन दोनों संकटों का मुकाबला किया थाऔर उसके बाद भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ऐसा योद्धा जिसको पूरी दुनिया मानती है, जानती है और महसूस करती है किजबभारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी जी भारत के प्रधानमंत्री बने तब उनको महसूस हुआ कि विज्ञान को और तेजी से बढ़ाने जरूरत है और उन्‍होंने‘जय विज्ञान’ का नारा दिया था और ‘जय विज्ञान’ का नारा देकर परमाणु परीक्षण करकेउन्‍होंने हिंदुस्तान को दुनिया में महाशक्ति के रूप में स्‍थापित किया था तो विज्ञान के क्षेत्र में हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैंऔर अब जो वर्तमान में हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी हैं उनके मन में आया कि अबअनुसंधान की जरूरत है,हमारा अतीत गौरवशाली रहा है, उस अतीत की जो चीजें हैं उस पर अनुसंधान और नवाचार के साथ विश्व फलक पर ले जाने की हमारी अगली चुनौती है इसलिए  उन्‍होंने ‘जयअनुसंधान’ का नारा दिया हम अनुसंधान करेंगे, हम शोध करेंगे इसलिएशोधकी प्रकृति और शोधकी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए हम देश के अंदर ‘नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’ की स्थापना कररहे हैं क्योकि जब भी मैंबड़े संस्थानों की समीक्षा करता हूं तब मुझकोलगता है कि इंटरनेशनल स्तर पर हम कहांपीछे रह रहे हैं ऐसी स्‍थिति मेंतोमुझे लगता है कि हां अभी हमारा शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में, पेटेंट के क्षेत्र में हमारा इतना काम नहीं हुआहै। मैं यहांके यशस्‍वी कुलपति जीको आग्रह करूंगा कि उसपर बहुत ध्यान दें और शोध और अनुसंधान की दिशा में छात्रों को आगे बढ़ाएं। वैसे भी हम ‘स्‍पार्क’के तहत दुनिया के 127देशोंके शीर्ष विश्वविद्यालयों के साथ शोध एवंअनुसंधान कर रहे हैं। हम‘स्‍ट्राइड’के तहत अंतर-विषयी शोध कर रहे हैं। हम ‘स्टार्स’ के तहत वैज्ञानिक क्षेत्र में शोध कर रहे हैं।हम ‘इम्‍प्रैस’ और‘इम्‍प्रिंट’ के साथ प्रौद्योगिकी,सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में शोध कर रहे हैं। अब अवसर आ गया है किहमको अनुसंधान के क्षेत्र में बहुत तेजी से दौड़ना है,भागना है और पूरे विश्व के शिखर पर जा करके यह साबित करना है कि हममें क्षमताएं हैं,हममें विजन भी है और उस विजन को क्रियान्वित करने का हममें मिशन भी है। इसलिए मैं समझता हूं यहबहुतअच्छा अवसर है। प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हर जगह हम उसका उपयोग करना चाहते हैं।इसलिएआपको मालूम होगा कि इस नई शिक्षा नीति में हम ‘नेशनलटेक्नोलॉजी फोरम’ ला रहे हैं। हम‘वन नेशन वन डिजिटल प्लेटफार्म’ और ‘वन क्लास वन चैनल’ यह दोनों पहलकर रहे हैं क्योंकि हम जो ऑनलाइन शिक्षा प्रदानकर रहे रहे हैं उससेअंतिम छोर का बच्चा भीशिक्षा से वंचित न रहे जिसके पास स्मार्ट टेलीफोन नहीं है, जिसके पास नेटकी सुविधा नहीं है वह हमारा टारगेट है वो इससेदूर नहीं रहनाचाहिए। इसके लिए भी हमनेजहां‘स्‍वयं’  है, वहीं ‘स्वयं प्रभा’ के32चैनलों पर हम काम कर रहे हैं जो चौबीसों घंटे चलेंगे जोकि डिश टीवी, रिलायंस टीवी,टाटा स्‍काई दूरदर्शन आदि पर प्रसारित होंगे। हम सामुदायिक रेडियो के द्वारा भीजाएंगे क्‍योंकि हमारा टारगेट उस अंतिम बच्चे को भी पकड़ना है और आपको मालूम है कि इस देश का कितना बड़ा वैभवहै।हिन्‍दुस्‍तान दुनिया में सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देशहै।यहांएक हजार से भी अधिक विश्वविद्यालय हैं, पैंतालीस हजार से भी अधिक डिग्री कॉलेजहैं और 55 लाख से भी अधिक स्कूल हैं, एक करोड़ नौ लाख से भी अधिक अध्यापक हैं और अमेरिका की कुल जितनी जनसंख्या नहीं है उससे भी अधिक 33 करोड़ छात्र-छात्राएं हैं और आगे आने वाले 25 वर्षों में यह देश यंग इंडिया रहने वाला है। मेरे छात्र-छात्राओं! आपके लिए पूरा मैदान खाली है आप कहां तक दौड़ सकते हैं। पूरी दुनिया आपको निहार रही है हर क्षेत्र में आपको महारत हासिल करनी है। ज्ञान में भी, विज्ञान में भी, शोध में भी अनुसंधान में भी, नवाचार में भी, प्रौद्योगिकी में भी हमको छलांग मारनीहै और मुझे भरोसा है कि मेरे सारे केंद्रीय विश्वविद्यालय इस दिशा में बहुत अच्छा काम कर रहे हैं और जिस केन्‍द्रीय विद्यालय के भवन का आज लोकार्पण हुआ है, जो नई कमिश्नर यहां पर आई हुयी हैंजब वह  मुझसे मिलने के लिए आई थी तो मैंने निधि से कहा कि ऐसा सौभाग्य बहुत कम लोगों को मिलता है कि कोई केन्द्रीय विद्यालय का कमिश्नर बन करके ऐसे जो हमारे हीरे हैं इनके बीच सुशोभित होमैं जब भी केन्द्रीय विद्यालयों में जाता हूं मेरा माथा ऊँचा होता है। मेरे बच्चे इतने प्रखर, संस्कारी, अनुशासित हैं। केन्द्रीयविद्यालय देश के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। इसीलिए आज केन्द्रीय विद्यालय का यहां पर उद्घाटन हो रहा है। मैं इसके प्राचार्य को धन्यवाद देना चाहता हूं, बधाई देना चाहता हूँ। मुझे भरोसा है कि केन्द्रीय विद्यालय जो यहाँ जनजाति का क्षेत्र है वहां पर जिस तरीके से हम लोग वोकेशनल एजुकेशन छठी से शुरू कर रहे हैं और जो परंपरा की बात हमने विश्‍वविद्यालय से लेकर के जो स्कूली शिक्षा तक कीहै जो हमारी धरोहर रही हैं जो हमारी सम्पदा है उसमें शोध अनुसंधान कैसे हो सकता है, वो आत्मनिर्भर भारत की धुरी कैसे बन सकता है, इसकी जरूरत है और इसलिए मुझे भरोसा है कि यहां से निकलने वाला मेरा छात्र पूरे देश के लिए एक ऐसे हीरे की तरह लोगों के आकर्षण का केन्द्र बन सकता है उस देश के लिए एक विजनवाला छात्र कैसे हो सकता है। मेरे केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालय होंऔर चाहे मेरा केन्द्रीय विद्यालय है और मुझे भरोसा है कि आज जिस भवन का उद्घाटन हो रहा है मैं उनके अभिभावकों को बहुत बधाई देना चाहता हूँ जो बहुतअच्छे तरीके से अपने बच्चों को केंद्रीय विद्यालयों में प्रवेश करा रहे हैं। मेरा बच्चा अगरकेन्द्रीय विद्यालय में चला गया तोवहहीरा बन जायेगा और बन भी रहा है। मैं आपको कहना चाहता हूँ आपसे बहुत अपेक्षाएँ होती हैं। आपसे आपके मां बाप की अपेक्षाएं बहुत हैं। आपसे आपके प्रदेश की अपेक्षाएं बहुत हैं। आपसे मेरे देशकी अपेक्षाएं बहुत हैं। आपको हीरा बनना है वो खुशबू बिखेरनी है दुनियामें जब पूरा देश आप पर गर्व कर सकेगा।जब दुनियाभी आप पर गर्व कर सकेगी और वो दिन दूर नहीं सारी दुनिया आज हिन्दुस्तान की ओर निहार रही है। हमारे देश के यशस्‍वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की अगुवाई में जिस तरीके से चौतरफा,जैसाकिअभी कुलपति कह रहे थे कि चाहे ‘सबका साथ सबका विकास’ हो और चाहे वो ‘आत्मनिर्भर भारत’ की बात हो और चाहे ‘वो मेक इन इंडिया’ की बात हो चाहे ‘स्‍किलइंडिया’ की बात हो हरक्षेत्र में भारत लीडरशिप ले रहा है और इसीलिए यह हमारे लिए बहुत अच्छा क्षण है और मैं शुभकामना देना चाहता हूं आप बधाई के पात्र हैं। इसराष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय कीअलग पहचान होनी चाहिए। इस क्षेत्र की जो सम्‍पदाएं हैं, जो कलाएं हैं, जो परंपराएं हैं हमउन परम्पराओं, कला, विचार,कौशल को कैसे विकसित कर सकते हैं। यहजो हमारे छात्र हैं, उसी के हाथों उनका कौशल विकास होते होते यह भारत आत्म निर्भर किस तरीके से बन सकता है, इसके लिए भी मैं आपको शुभकामना देना चाहता हूँ। मुझे भरोसा है कि आप इस मिशन में सफल होंगे। केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति जी और आदरणीय कुलाधिपति जी, मैं देख रहा था कि कुलाधिपति जी भी जीवनभरशिक्षा के लिए समर्पित रहे हैं और अब अमरकंटक जैसे विश्वविद्यालय में वो कुलाधिपति होकर आये हैं। निश्चित रूप से कुलाधिपति जी के मार्गदर्शन में कुलपति एक योद्धा की तरह अपनी पूरी टीम को साथ ले करके इस विश्वविद्यालय को शिखर तक पहुंचाएंगे, ऐसा मेरा भरोसा है क्योंकि प्रकाश जी कोभी मैं जानता हूं, मेहनती है,विजनरी हैं सबको साथ लेकर चलने की हिम्मत रखते हैं, विजन रखते हैं,मिशन रखते हैं और इसलिए मुझे कोई शंका नहीं है कि मेरा यहजोविश्वविद्यालय है बहुत तेजी से आगे बढ़ेगा। यह अपनीसफलता के शिखर को चुमेगा। देश के अंदर केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में एक अलग स्थान बनाएगा। मैं पूरी फैकल्टी को, कर्मचारियों को, छात्रों को, छात्राओं को और पूरे विश्वविद्यालयपरिवार और केन्‍द्रीय विद्यालय परिवार को बहुत बधाई देता हूं।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

 

कार्यक्रम में गरीमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. श्री संजय शामराव धोत्रे, माननीय शिक्षा राज्‍य मंत्री, भारत सरकार
  3. श्रीमती हिमाद्री सिंह, संसद सदस्‍य, लोक सभा
  4. डॉ. मुकुल शाह, कुलाधिपति, इन्‍दिरा गांधी राष्‍ट्रीय जनजातीय विश्‍वविद्यालय, अमरकंटक (मध्‍य प्रदेश)
  5. प्रो. श्री प्रकाशमणि त्रिपाठी, कुलपति, इन्‍दिरा गांधी राष्‍ट्रीय जनजातीय विश्‍वविद्यालय, अमरकंटक (मध्‍य प्रदेश)
  6. श्री पी. सिलुवनाथन, कुलसचिव, इन्‍दिरा गांधी राष्‍ट्रीय जनजातीय विश्‍वविद्यालय, अमरकंटक (मध्‍य प्रदेश)
  7. श्री नीतिश कुमार, प्रधानाचार्य, केन्‍द्रीय विद्यालय, अमरकंटक, मध्‍य प्रदेश