केन्‍द्रीय विद्यालय बेतिया एवं कोरबा के नये भवनों का उद्घाटन

केन्‍द्रीय विद्यालय बेतिया एवं कोरबा के नये भवनों का उद्घाटन

 

दिनांक: 21 जनवरी, 2021

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

          आज के इस उद्घाटन समारोह में सभी अतिथिगणों का, छात्रों, अभिभावकों एवं दोनों प्रदेशों के लोगों का मैं अभिनन्‍दन कर रहा हूं। आज हमारे लिए यह खुशी के क्षण हैं, जब हम अपने भविष्‍य के लिए जो रास्‍ता बना रहे हैं वो न केवल सुखद है बल्‍कि प्रेरणाप्रद भी है। इसी सुखद और प्ररेणाप्रद राह में आज केन्‍द्रीय विद्यालय बेतिया, जिला पश्‍चिम चम्‍पारण बिहार के जिस भवन का आज उद्घाटन हुआ है इस अवसर पर मेरे सहयोगी मंत्रीआदरणीय संजय धोत्रे जी, बिहार की उप-मुख्‍यमंत्री श्रीमती रेनू देवी जी और मेरे अभिन्‍न मित्र और लोकसभा में बहुत ही प्रखर वक्‍ता और पश्‍चिम चम्‍पारण के यशस्‍वी सांसद आदरणीय डॉ. सजय जायसवाल जी आदरणीय सुनील कुमार जी, सांसद लोकसभा वाल्‍मिकी नगर हमारे पुराने मित्र हैं, सांसद राज्‍य सभा श्री सतीश चन्‍द्र दुबे जी, विधायक श्री उमाकान्‍त जी, विधानपरिषद् के सदस्‍य वीरेन्‍द्र यादव जी, स्‍कूली शिक्षा की सचिव सुश्री अनिता करवल जी, केंद्रीय विद्यालय संगठन की आयुक्‍त सुश्री निधि पाण्‍डे जी, जिलाधिकारी डॉ. नरेश जी, प्रधानाचार्य प्रेम नारायण जी। यहांकेसभी अध्‍यापकण, अभिभावकगण, प्रिय छात्र-छात्राओं, मैं आपका अभिनन्‍दन कर रहा हूं। दूसरा केन्‍द्रीय विद्यालय कोरबा छत्‍तीसगढ़ प्रांत में स्‍थित है उसका भी आज उद्घाटन समारोह है। यह हमारे लिए उत्‍सव के क्षण हैं, इस अवसर पर छत्‍तीसगढ़ विधानसभा के आदरणीय अध्‍यक्ष डॉ. चरणदास महंत जी और राजस्‍व मंत्री श्री जयसिंह अग्रवाल जी, कोरबा के माननीय सांसद और राज्‍यमंत्री माननीय श्री पुरूषोत्‍तम कमर जी, श्री मोहित राम करकेटा जी जो सलाहकार मंडल एकीकृत आदिवासी परियोजना को देख रहे हैं और जो विधायक हैं श्रीमती किरण कौशल जी, यहां की जिलाधिकारी, यहां भी सभी अभिभावकगण, अध्‍यापकगण और केन्‍द्रीय विद्यालय परिवार को मैं बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं देना चाहता हूं।मुझे बहुत खुशी है कि जब कोई कार्य यहां से शुरू हो कि जननी जन्‍मभूमि हमारी स्वर्ग से महान है और कर्म काया हमाराधाम, हमारा इसको सदा प्रणाम है। यदि यह ध्यान हमारे कर्म का है और यह जो मातृभूमि है जिसको भगवान श्रीराम कहा था की यह जो मातृभूमि है इस धरती को हमने मां कहा है और हमसब उसके पुत्र-पुत्रियों के रूप में स्‍वयं अपने को खड़ा देखते हैं। कोई भी कार्यक्रम जब ऐसी वंदना से जब शुरू होता है तोप्रिय छात्र छात्राओं, मैं समझ सकता हूं कि आपके मन के अंदर कितने उद्गार पैदा होते होंगे, कितना समर्पण देश के प्रति आपकी रगों में आता होगा। मुझे भरोसा है एवं मुझे विश्वास भी है तथा मुझे गौरव भी है कि मेरे ऐसे अध्यापक और ऐसे छात्र जब इस तरीके से आगे बढ़ते हैं तो बहुत सारी कठिनाइयां अपने आप दूर हो जाती हैं तो इसलिए इसचंपारण, बिहार के सभी अध्यापकगण को और उन सभी छात्र-छात्राओं को जो इस गीत को गुनगुनाते हैं, उनको मेरी शुभकामनाएं हैं और दूसरा जो कोरबा ने अभी कहाहै यदि इन दोनों गीतों को देखा जाए मैं अपने कमिश्नर से भी कह रहा था कि हर केन्द्रीय विद्यालय में एक उसका अपना ऐसा गीत होना चाहिए जिसको गुनगुनाए हर बच्चा-बच्चा मन के अंदर और न केवल वो गुनगुनाए बल्कि उसका अभिभावक भी गुनगुनाए। यहजो शब्द हैं यह शक्ति हैं।शब्द और उसमें भी गीत और संगीत जब भावना के साथ आत्मसात होता है तो एक नईरचना पैदा होती है,एक नई प्रेरणा मिलती है और मुझे बहुत खुशी है कि आप बहुत खूबसूरत भवन में आपके खूबसूरत गीत ‘स्वर्णिम गौरव’ केन्द्रीय विद्यालय लायेगा के साथ प्रवेश कर रहे हैं और तक्षशिला तथा नालंदा कागौरव वापस आएगा। हम कभी नहीं भूलते हैं कि इस देश को विश्वगुरु कहा गया,‘एतद् देश प्रसूतस्य शकासाद् अग्रजन्मन:, स्वं-स्वं चरित्रं शिक्षरेन् पृथ्वियां सर्व मानव:पूरी अर्थात् पृथ्वी के लोगों ने तो मेरे देश में आकर के ज्ञान-विज्ञान, अनुसंधान और नवाचार को सीखा है। यह वो देश है जिसने पूरी दुनिया की लीडरशिप ली है और मुझे लगता है कि इस देश ने गुलामी केथपेड़ों को जरूरतउसने सहा लेकिन आज फिर यह नई अंगड़ाई के साथ, नई उंचाईयों को छूने के लिए न केवल तत्पर है बल्कि इस देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की अगुवाई में, उनके नेतृत्व में हमारादेश पूरी दुनिया में एक महाशक्ति के रुप में हर दृष्टि से आगे बढ रहा है। मैं बच्चों, आपको बहुत सारी शुभकामना देना चाहता हूं। मुझे बहुत अच्छा लगा और जिस तरीके से गुनगुन ने अपना कोरोना काल का अनुभव सुनाया और अनीता ने अभी कहा कि जिन छात्रों मेंइतना आत्मविश्वास हो और जो केंद्रीय विद्यालय के छात्र-छात्राएँ हर एक मिनट को अपनी रचनाधर्मिता में जिंदा रखते हों और हर एक मिनट में नये उत्साह और उमंग के साथ आगे बढ़ते हों तो यही लोग देश का स्‍वर्णिम भविष्‍य लिखेंगे।जब भी हम किसी छात्र-छात्रा के चेहरे को देखते हैं तो उसके भविष्य का भी पता चलता है और उस परिवार के भविष्य का भी पता चलता है और उसके भविष्य और उसके परिवार के भविष्य सेफिर देश के भविष्य का भी पता चलता है। यदि उसके चेहरे पर निराशा है तो फिर कहां से उसका भविष्य ठीक हो जाएगा और यदि उसी का भविष्‍य ठीक नहीं होगातो परिवार का भविष्‍य खड़ा नहीं होगा औरपरिवार खड़े नहीं हुए तो फिर देश कहां खड़ा होगा और देश खड़ा नहीं होगा तो हम सब जानते हैं कि पूरी दुनिया में सुख, शांति और प्रगति का रास्ता हिंदुस्तान की धरती से होकर निकलता है। हमने पूरी दुनिया को अपना परिवार माना है और‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की हम भावना को लेकर चलते हैं। सर्वे भवन्‍तु सुखिन:’ का हमारा मंत्र है कि धरती पर जब तक एक प्राणी भी दुखी होगा तब तक मैं सुख का अहसास नहीं कर सकता। इन महान विचारों के साथ हम पूरे विजन और मिशन के साथ आगे बढ रहे हैं। मेरे प्यारे बच्चों और आपके अभिभावकगण मैं आपको बहुत शुभकामनाएं देना चाहता हूं औरमैं बधाई देना चाहता हूं। आप सबको मालूम है कि केन्द्रीय विद्यालय में प्रवेश के लिए किस सीमा तक का संघर्ष होता है और जब केंद्रीय विद्यालय के अंदर बच्चा आता है तो देश का गौरव बन जाता है।वहछात्रों के बीच एक चमकतेसितारे की तरह उभरता है और वो अपने गौरव को लेकर के हर दिशा में आगे बढता है। मैंने बहुत निकटता से पीछे के समय में पोने दो वर्षों से मैं अपने इन विद्यालयों को देख रहा हूं। इनके बच्चों से संवाद करता हूं तथा लगातार बातचीत करने के बाद इनको देख करकेमैं बहुत भावुक हो जाता हूं और मुझे अच्छा लगता है कि मेरे देश की जो पीढ़ी है उसकी प्रतिभा से फिर वही विश्वगुरु भारत जरूर बनेगा और यह जो पुरुषार्थ है उसेहर क्षेत्र में बढऩे की ललक है, जो उमंग है,जोजिजीविषा है, जिनके चेहरे पर तेज एवं प्रखरता है और मुझे भरोसा है कि इस प्रखरता से, मेहनत से तथा लगन से निश्चित रूप से हम भारत को फिर भविष्य में उसी तरीके से महान बनाएंगे। संजय जी आप मेरे से जुड़े हैं, मैं धन्यवाद देना चाहता हूं आपको। आपसे पीछे के समय मेरी बातचीत हुई थी और आपने बहुत गौरव महसूस किया था कि एक केंद्रीय विद्यालय का उद्घाटन होने पर बहुत खुशी होती है। हमारे देश की यहपरंपरा रही है कि हम सुख औरखुशी को भी मिलकर के मानते हैं तथादु:ख को भी हमने मिलकरके बांटा है। जब दुखमिलकर के बंटताहै तो वो कम होता है तथा खत्म होता है और जब सुख मिल के हम बांटते हैं तो उसमें बढ़ोतरी होती है और यहहर व्यक्ति को आनंदित करता है तो यह आज के भी क्षणहमारे लिए गौरव के क्षणहैं। बिहार की भी एक गौरवशाली परंपरा रही है और छत्तीसगढ़ का भी अपना एक महत्वपूर्ण इतिहास रहा है और मुझे भरोसा है कि यहां के इन केन्द्रीय विद्यालयों से निकलने वाले छात्र-छात्राएं निश्चित रूप में हमारे इन प्रदेशों का तो गौरव बढ़ाएंगे ही, साथ ही मेरे देश का भी गौरव बढ़ाएंगे। मेरे प्रिय छात्र-छात्राओं अभीगुनगुन ने इस बात को भीबताया कि हम किस तरीके से एक परिवार की तरह एक अभियान के साथ केन्द्रीय विद्यालयों को आगे बढाते हैं। हम सब छात्र-छात्राएं चाहे जल संरक्षण का अभियान हो, जब जरूरतपड़ी तो वृक्षारोपण का अभियान लिया था। आपने सर्वाधिक वृक्ष लगाए और आपने यह भी कहा कि हमको अपने देश का पर्यावरण बहुत अच्छा रखना है क्योंकि हम पर्यावरण प्रेमी हैं, हमने प्रकृति से सीखा है और हम प्रकृति के हमेशा निकट रहनाचाहते हैं। हम इस बात को जानते हैं कि प्रकृति से जब-जब व्यक्ति दूर हुआ है तब-तब विकृति आई है और जब विकृति आयी है तो विनाश का कारण बनी है। लेकिन प्रकृति के निकट रहना हमारी संस्कृति है और संस्कृति हमेशा निर्माण देती है, संस्कार देती है और हम उसी संस्कृति के पोषक हैं। इसलिए आपने वृक्षारोपण का भी अभियान किया। मुझे खुशी है कि हर बच्चे ने ‘माइ ट्री’ करके एक एक छोटा सा पेड़ अपने हर जन्मदिन पर लगाना सुनिश्‍चित किया है। मुझे इस बात का भी गौरव है किफिट इंडिया का अभियान जब मेरे देश के प्रधानमंत्री ने किया तो उससे 11 करोड़ बच्चे जुड़े थे और उसमें भी मेरेकेंद्रीय विद्यालय के बच्चे सबसे पहली पंक्ति में खड़े हो करके इन दोनों अभियानों को सफल बनाया था,पीछे की समय जब यह कोरोना काल आया तो हमने कहा किआप घरों में कैद हो गये हैं और आपबात नहीं कर पारहे हैं तथा मित्रों के साथ खेल नहीं पा रहे हैं,तो मैंने अपील की थीकि ‘माई बुक माई फ्रेंड’ करके एक अभियान करो और मुझे भी टैग करके बताओ कि कौन सी किताब कोतुमने अपना मित्र बनाया है। किताब से बड़ा मित्र दुनिया में कोई नहीं हो सकता, जो बहुत खराब स्थिति में भी साथ रहता है और कभी साथ नहीं छोड़ता तथा उसकेएक-एक शब्द आपको योद्धा बनाते हैं और मुझे खुशी है कि बहुत अच्छे तरीके से आपने‘माई बुकमाई फ्रेंड’ अभियान को बहुत सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया। एक भारत, श्रेष्ठ भारत जैसे अभियान में किस तरीके से मेरे केंद्रीय विद्यालयों ने आपस में एक-दूसरे राज्‍यों की भाषा एवं संस्‍कृति को सीखकर तथा उसे प्रदर्शित कर ‘एक भारत, श्रेष्‍ठ भारत’ का मार्ग प्रशस्‍त किया।इस तरीके की भावना भी इन केंद्रीय विद्यालयों ने आज पूरे देश के अंदर खड़ी की है। आपको याद होगा जब‘परीक्षा पर चर्चा’ में प्रधानमंत्री जी हमारे बीच आये थे और उन्होंने जब बच्चों से संवाद किया था तो आप लोगों ने पूरे धाराप्रवाह तरीके से प्रधानमंत्री जी के साथ संवाद किया औरमेरेप्रधानमंत्री जी भी बहुत गदगद हो गए थे। उनको भरोसा हुआ कि केन्द्रीय विद्यालयों में पढ़ने वाला बच्चा निश्चित रूप से  मेरे देश के स्‍वर्णिमभविष्य कोआगे बढ़ाएगा। हमने संविधान दिवस पर तमाम कार्यक्रम किए। हमारे कर्तव्य क्या हैं, इसके बारे में लोगों को जागरूक किया। जिस दिन व्यक्ति अपने कर्तव्यों का पालन सुनिश्चित कर लेगा उस दिन अधिकार तो अपने आप उसमें समाहित हो जाएंगे। इसलिए हमारा रास्ता निर्माण का रास्ता है, उसमें भी आपने बहुत अच्छा किया। मैं इस बीच कोरोना काल में लगातार और लगातार आपसे संवाद करता रहा हूं। मुझे इस बात की खुशी है कि जब दुनिया के तमाम देशों ने एक वर्ष अपने को पीछे कर दिया था, ऐसे वक्त पर भी हिन्दुस्तान की शिक्षा व्यवस्था ने नया इतिहास रचा। हमारी शिक्षा व्‍यवस्‍था का तंत्र दुनिया में सबसे बड़ा है। जिसके अंदर एक हजार विश्वविद्यालय हैं, 50 हजार डिग्री कॉलेज हैं, एक करोड दस लाख से भी अधिक अध्यापक हैं और 15 से 16 लाख स्कूल हैं और कुल अमेरिका की जितनी आबादी नहीं है उससे भी ज्यादा 33 करोड़ छात्र छात्राएं हैं। इन 33 करोड़ छात्र-छात्रओं को ऐसी विषम स्थिति में भी हम ऑनलाइनशिक्षा पर लाये। शायदयह दुनिया का पहला ऐसा उदाहरण होगा कि ऐसी विषम परिस्थितियों में जब सब घरों पर कैद होगये हों और बच्चे जो एक दिन क्या एक घंटे भी चैन से नहीं बैठ सकते हैं वहां कई दिनों तक और कई सप्ताह तक घर के अंदर कैद हो जाये ऐसा कोई सोच भी नहीं सकता और ऐसी स्थिति में उस बच्चे के साथ हमारे अध्यापकगणकी भी बहुत बड़ी भूमिका रही है, मैं उनको भी धन्यवाद देना चाहता हूं। अभिभावक और अध्यापक दोनों ने मिलकर के और शिक्षा विभाग के हमारे नेतृत्व ने रात-दिन खप करके ऑनलाइन एजुकेशन दिया। हमने बच्चे का वर्ष भी खराब नहीं होने दिया। समय पर परीक्षाएं कराई, समय पर उसका रिजल्ट घोषित किया और समय पर ऑनलाइन शिक्षा को सुनिश्चित किया। मैं समझता हूं कि एक साथ 33 करोड़ छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन शिक्षा पर लाने की दुनिया तो कल्पना भी नहीं कर सकती,उसे करना तो बहुत दूर रहा। और इसलिए मुझे इस बात का गर्व है कि मेरे केंद्रीय विद्यालयों ने पहली पंक्ति में खड़े होकर केऔर हमने जो अपील की थी कि आप लीडरबने उसे बहुत खूबसूरती से निभाया। आपने स्‍वयं की भी सुरक्षा की तथा अपने परिवार की भी सुरक्षा की। मुझे मालूमहै मैंने लगातार हर प्रदेश से और हर स्कूल से सूचनाएं एकत्रित की और मुझे इस बात को कहतेहुए गर्व महसूस होता है कि मेरे केन्द्रीय विद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने बखूबी इस लीडरशिप को लिया और उन्‍होंनेअपनीतो सुरक्षा सुनिश्‍चित की ही है साथ ही अपने परिवार की और अपने नाते रिश्तेदारों की और अपने अगल-बगल के लोगों को भी जागरूक किया है।आपसबको मालूमहै कि जैसे गुनगुन ने बताया कि मनोदर्पण जैसा पोर्टल हमने लांच किया ताकि अभिभावक, अध्यापक और छात्र मानसिक तनाव अथवा दबाब में ना आएं। ऐसी परिस्थिति में यदि अच्छे खासे लोग भी घरों के अंदर ही कैद हो जाएँ तो मानसिक दबाब में आना उनका स्वाभाविकहीहै। लेकिन ऐसे वक्त पर भी मैं यह समझता हूं कि आप पूरी ताकत के साथ मनोदर्पण के साथ जुड़ें और यह भी विश्व में संभवतः पहली बार ऐसा उदाहरण होगा। आज 500 मनोवैज्ञानिकों सेऑनलाइन औरफ्री परामर्श ले सकते हैं तथा पोर्टल पर सारी जानकारियां दी गई हैं यदि कहीं भी कोई दिक्कत है तो आप परामर्श कर सकते हैं। कोरोना काल में मानसिक तनाव और दबाव से दूर करने के लिए इतना बड़ा अभियान हमने लिया। मेरेछात्र-छात्राओं, लैंग्वेज लैब आपको मालूम है अभी जब उपराष्ट्रपति जी राष्ट्रपति भवन स्‍थित केन्द्रीय विद्यालय के लैंग्वेज लैब का उद्घाटन करने के लिए गए तब थे मेरे साथ मेरी केन्द्रीय विद्यालय की आयुक्त निधि भी थी तो राष्टपति जी कीश्रीमती जी ने उसका जब शुभारम्भ किया और देश की पहली महिला ने जब बच्चों से संवाद किया तो वो इतनी खुश थी बच्चों ने कहा कि हमयहभी करेंगे ये भी करेंगे और हम राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेंगे। ऐसी-ऐसीचीज़े बना करके रखी थी और जिस तरह से वे कह रहे थे, उससे ऐसा भरोसा पैदा होता है कि हमारा देश कुछ भी कर सकता है। हमारे स्कूलों में लैंग्वेज लैब जो हिन्दी, संस्कृत और अंग्रेजी के लैंग्वेज लैब होंगे औरउननसेकिसी भी भाषा को कोई परेशानी नहीं होगी। अभी कुछदिन पहले हमने ओपन जिम का भी दिल्ली में उद्घाटन किया था। ओपन जिम में संगीत से लेकर के व्‍यायामऔर हरित क्षेत्र के निर्माण  के लिए हमारे 13 लाख से भी अधिक विद्यार्थी निरन्‍तर गतिविधियों में शामिल हैं। यह देश हीनहींबल्‍किपूरी दुनिया में अपने लिए एक खूबसूरत उदाहरण है। हमारी नई शिक्षा नीति छात्र-छात्राओं को मालूम है कि मेरे देश के प्रधानमंत्रीजी ने नए भारत के निर्माण की बात की है।हमारा21वीं सदी का जो भारत होगा वो सुन्दर भारत होगा, सशक्त भारत होगा,समृद्ध भारत होगा, आत्मनिर्भर भारत होगा, स्वच्छ भारत होगा, स्वस्थ भारतहोगा और एक भारत होगा एवं श्रेष्ठ भारत होगा। ऐसे श्रेष्ठ भारत के निर्माण के लिए नयी शिक्षा नीति आई है।पूरे देश के अन्दर आज उल्लास और उत्साह हैऔर देश के अन्दर ही नहीं बल्‍किपूरी दुनिया में भी इसका उत्सव मनाया जा रहा है और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से लेकर दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों ने इसका स्वागत किया है। दुनिया के तमाम देश इसएनईपी को अपने यहां लागू करने के लिए तैयार हैं। प्रारंभिक शिक्षा हम मातृभाषा में देंगे और कक्षा छह से वोकेशनलएजुकेशन देंगे। आर्टिफिशल इंटेलिजेंस को स्‍कूली शिक्षा से ही पढ़ाने वाला भारत दुनिया का पहला देश होगा।आपके सामने बिलकुल पूरा मैदान खाली है, दुनिया आपको निहार रही है। हममें प्रतिभा भी है। मुझे मालूम है कि जब हमने ‘ध्रुव तारा’ कार्यक्रम किया था तोइसरोसे 60 बच्‍चे जो विज्ञान औरगणितके क्षेत्र में प्रतिभाशाली थे, उनकी यात्रा  आरंभ हुई और दिल्ली में समापन कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जी ने भी सहभागिता  की तो उसमें भी केंद्रीय विद्यालयों के बच्चों ने बहुत आगे आकर उसका नेतृत्व किया था। मुझे खुशी होती हैयह कह करके कि केंद्रीय विद्यालय के अध्यापक औरकेंद्रीय विद्यालय के छात्र दोनों देश के लिए मॉडल के रूप में खड़े हो रहे हैं। निश्चित रूप से यह हर दिशा में, हर क्षेत्र में, चाहे वो शारीरिकक्षेत्र में हो, विज्ञान और कला के क्षेत्र में हों,संस्कार के क्षेत्र में हो या जीवन मूल्यों के क्षेत्र में हो हर क्षेत्र में केंद्रीय विद्यालय अपना नाम कमा रहे हैं। मैं आज इन दोनों केन्द्रीय विद्यालयों के उद्घाटन अवसर पर उनके प्राचार्यों को, उनके सभी आचार्यगणों को और उनके पूरे स्टाफ को और उनके अभिभावकों को तथा उनके छात्रों को बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। जो जनप्रतिनिधि और मंत्रीगण, विधान सभा के अध्यक्ष, हमारे लोक सभा के सदस्य, विधान सभा, विधान परिषद के सदस्यगण और तमाम जनप्रतिनिधिगण इस भव्य अवसर पर आज पूरे देश के लोगों के बीच और केन्द्रीय विद्यालयों के बीच आपकीगरिमामयी उपस्थिति यहां पर आई है। आप उस क्षेत्र का नेतृत्व करते हैं और आपको भी गौरव महसूस होता होगा कि आपके क्षेत्र में तथा आपके जिले में और आपके प्रदेश में ऐसे केंद्रीय विद्यालय हैं जिसकी सुगंध आज देश और दुनिया में महक रही है। मुझे भरोसा है कि आप सबका आशीर्वाद मेरे इन बच्चों को मिलेगा और निश्चित रूप से यह बच्‍चे भी आपकी आशाओं पर खरा उतरेंगे और एक दिन इस महान भारत को जिसको विश्वगुरु के रूप में कहा गया और जिसके तक्षशिला तथानालंदा को वापस लेने का जो मेरे छात्रों का संकल्प है उसी से भारत विश्‍वगुरू बनेगा।सोने की चिड़िया था भारत जिसनेहर क्षेत्र में नाम कमाया है और इस पूरी दुनिया का मार्गदर्शन किया। आज पुन: फिर उस भारत को खड़े करने का जो संकल्प मेरे छात्र-छात्राओं ने लिया है, आप सबका भी आशीर्वाद इनको मिलेगा। मैं एक बार पुनः आप सबके प्रति आभारी हूं।

 

बहुत-बहुत धन्यवाद!

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. श्री संजय शामराव धोत्रे, माननीय शिक्षा राज्य मंत्री, भारत सरकार
  3. श्रीमती रेणू दवी, उप-मुख्‍यमंत्री, बिहार सरकार
  4. डॉ. संजय जायसवाल, संसद सदस्‍य, लोकसभा, पश्‍चिम चम्‍पारण, बिहार
  5. श्री सुनील कुमार, संसद सदस्‍य, लोक सभा
  6. सुश्री निधि पाण्‍डे, आयुक्‍त, केन्‍द्रीय विद्यालय संगठन