गुजरात केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालय का तृतीय दीक्षांत समारोह

गुजरात केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालय का तृतीय दीक्षांत समारोह

 

दिनांक: 23 फरवरी, 2021

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

गुजरात केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालय के तृतीय दीक्षांत समारोह में उपस्‍थित प्रख्‍यात चिंतक, विचारक और बहुआयामी प्रतिभा के धनीहमारे भारत के राष्‍ट्रपति आदरणीय श्री रामनाथ कोविंद जी, गुजरात प्रदेश के प्रथम नागरिक और राज्‍यपाल श्री आचार्य देवव्रत जी, गुजरात के यशस्‍वी उप-मुख्‍यमंत्री श्री नितिन भाई पटेल जी, गुजरात केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. हसमुख अधिया जी, विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. रामशंकर दूबे जी, कार्यकारी परिषद् के सभी सदस्‍यगण, विश्‍वविद्यालय के सभी अध्‍यापगण, अभिभावकगण और प्रिय छात्र-छात्राओं! मैं इस अवसर पर जबकि हम आज दीक्षांत समारोह के महोत्‍सव में सम्‍मिलित हुए हैं, इस उल्‍लास के अवसर पर मैं राष्‍ट्रपति महोदय का स्‍वागत करता हूं। आज इस अवसर पर मैं दीक्षांत समारोह में उपाधि प्राप्‍त करने वाले सभी 265 छात्र-छात्राओं के परिजनों को भी शुभकामनाएं देना चाहता हूं। दीक्षांत समारोह किसी भी छात्र के जीवन में एक ऐसा पड़ाव होता है जब वह एक बड़ा फैसला लेने की दिशा में आगे बढता है कि शिक्षा का वास्तविक इस्तेमाल अब आप किस क्षेत्र में करने जा रहे हैं। आपको तय करना है कि आप अपनी प्रतिभा के अनुसार जीवन के लक्ष्यों को कब और कैसे हासिल करेंगे। आपको एक लक्ष्य चुनना है और इस लक्ष्य के प्रति खुद को समर्पित भी करना है तभी आप खुद के,अपने परिवार के, समाज के औरराष्‍ट्र के विकास में अहम भूमिका निभा पाएंगे। हमेशा स्वामी विवेकानंदजी जी एक ही बात कहते थे, उठो जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाता और यही सफलता की एकमात्र कुंजी भी है। मेरा मानना है कि गुजरात केन्‍द्रीय विश्वविद्यालय साबरमती के किनारे एक नए इतिहास की ओर आगे बढ़ रहा है। गुजरात की अपनी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि रही है।यहां हड़प्पाकालीन सभ्यता के अवशेष लोथल और धारीवाल में मिलते हैं तो वहीं बल्‍लभी विद्यापीठ जैसे महान शिक्षण संस्थान की जड़ें भी यहां दिखाई देती हैं। वैदिक संस्कृति के वाहक स्वामी दयानंद जी का जन्मस्थान भी यहीं पर है तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का जीवन आदर्श भी यहां के कण-कण में दिखाई पड़ता है। इसी गुजरात की पावन धरती ने दुनिया के सबसे लोकप्रिय और सामर्थ्यशाली नेता भारत के प्रधानमंत्री के रूप में श्री नरेन्द्र मोदी को भी दिया है। यह गुजरात के धरती ने पिछले दो दशकों में विकास की यात्रा में एक नई पंक्ति में आकर के खड़ी हो रही है। चाहे वह आर्थिक विकास हो, तकनीकी विकास हो या सांस्कृतिक का विकास हो, इसका श्रेय यहां के नेतृत्व को जाता है जिन्होंने लौहपुरुष सरदार पटेल की विजन को नई उंचाइयों को दिया है। विशेष रूप से वर्तमान में प्रधानमंत्री और तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक यहां के ढाँचे का विकास हुआ। शैक्षणिक सांस्कृतिको भी नया स्वरूप मिल सका और आज दीक्षा प्राप्त करने वाले सभी अपने युवा छात्र-छात्राओं से अनुरोध करना चाहता हूं कि सरदार पटेल की प्रतिमूर्ति बन करके वो दिग्‍दिगंत में जाकर इसका गौरव एवं सम्मान बढ़ाएं। मैं शुभकामना देना चाहता हूं और गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय एक महत्त्वपूर्ण स्थान है और स्वाभाविक ही है कि इसका उत्तरदायित्व आपको शिक्षा प्रदान करना नहीं है बल्‍कि ऐसे शिक्षा तंत्र को आगे बढ़ाना है जो मानव का भी विकास करे और मूल्यों का भी सृजन करे तथा देश को सक्षम एवं आत्मनिर्भर भी बना सकें। माननीय प्रधानमंत्री जी अक्सर कहते हैं कि हमारे ज्ञान, विज्ञान अनुसंधान के दो ही लक्ष्य होने चाहिए। पहला जो उद्योग जगत को बढावा दे और दूसरा जो आम जनमानस के जीवन को सुखद बनाए। आपकी शिक्षा साक्षरता के लिए नहीं अपितु लक्ष्य आधारित हो। विश्वविद्यालय केवल एक शिक्षण संस्थान ही नहीं होता बल्कि राष्ट्र निर्माण की प्रयोगशाला भी होता है जहां राष्ट्र निर्माण को एक नई दिशा मिलती है। आपके पास उपकरण मौजूद हैं जो युवाओं को आगे बढाने के उत्तम प्लेटफॉर्म देता है। आप संसाधनों का प्रयोग करके देश तथा समाज की नई दिशा तय करेंगे और आगे बढ़ेंगे। मैं आशा कर रहा हूं किनई शिक्षा नीति 2020 आपके सपनों को नया स्वरूप देगी। माननीय राष्‍ट्रपति जी, हम आपके संरक्षण में आगे बढ रहे हैं और आपके नेतृत्व में गुजरात केन्द्रीय विश्वविद्यालय लगातार प्रगति के शिखर पर हैं ऐसे अपने परिवार के संरक्षक और दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के राष्‍ट्रपति आदरणीय रामनाथ कोविंद जी जिनका कदम-कदम पर इस नई शिक्षा नीति में हमको मार्गदर्शन मिला, मैं ह्रदय की गहराइयों से, शिक्षा परिवार की ओर से एक बार फिर आपका अभिनन्दन करना चाहता हूं, आपका वंदन करना चाहता हूं क्योंकि यह जो नयी शिक्षा नीति है, यह एक विजन डॉक्यूमेंट है जो आने वाली पीढियों को नए शिखर पर ले जाएगा। मैं समझता हूं कि यह विश्वविद्यालय भौगोलिक रूप से जहां पर खड़ा है, उसकी आधारशिला भी ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक है और निश्चित रूप से यह देश का एक ऐसा आधार स्तम्भ बनेगा जब दुनिया को उस पर गर्व होगा। मुझे लगता है कि हमारे देश के प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में और हमारे देश के यशस्वी और विचारक, चिन्तक और सहज स्वभाव के धनी राष्‍ट्रपति जी के मार्गदर्शन में जो यह नई शिक्षा नीति आई है यह नेशनल भी है,यह इन्टरनेशनल भी है, यह इम्पैक्टफुल भी है, यह इनोवेटिव भी है और इन्क्लूसिव भी है और यदि इसकी खूबसूरती देखेंगे तो इक्विटी, क्‍वालिटी और एक्सेस की आधारशिला पर खड़ी है। यह जबाबदेही भी है तो  वहनीयता से युक्त भी है। मुझे लगता है कि हम इस नई शिक्षा नीति से टैलेंट को खोजेंगे भी, उसका विकास भी करेंगे और उसका विस्तार भी करेंगे और टैलेंट को उत्कृष्ट केंटेट देकर के पेटेंट निकालेंगे ताकि दुनिया में हमारा देश शिखर पर जा सके। मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि आप इस दिशा में आगे बढ़ेंगे। मैं समझता हूं कि‘स्टडी इन इंडिया’ और‘स्‍टे इन इंडिया’ का यहजो हमारा अभियान है बहुत सक्रियता से आगे बढ़ेगा। नई शिक्षा नीति में नेशनल रिसर्च फाउंडेशन एवं नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम इन दोनों के गठन से एक बहु-आयामी शिक्षा जो हिंदुस्तान को पूरी दुनिया में शिक्षा का न केवल हब बनायेगी बल्कि महाशक्ति के रूप में स्थापित करेगी और अभी जैसे हसमुख जी चर्चा कर रहे थे कि कम समय में जिस तरीके से इस विश्वविद्यालय ने अपनी गतिविधियों को बढ़ाया है। अभी मैं देख रहा था कि स्वीडन, आस्ट्रेलिया, चीन और तस्मानिया जैसे अनेक देशों के साथ आपने अनुबंध किया है और अहमदाबाद जैसे शहर में आईआईटी भी है आईआईएम भी है, यह केंद्रीय विश्वविद्यालय भी है और हमारे संरक्षक तथा हमारे श्रद्धेय राष्ट्रपति जी का आशीर्वाद मिलेगा तो भविष्य में इस बजट में जो हमारे वित्तमंत्री जी ने घोषणा की है कि हम देश के अन्दर शिक्षा के हब को बनायेंगे। बस मैंअंत में यही कहना चाहता हूं कि दुनिया को गाँधी जैसा जिस क्षेत्र ने व्यक्तित्व दिया हो, सरदार पटेल जैसा लौहपुरूष दिया हो, नरेन्‍द्र मोदी जैसा सक्षम, यशस्वी और पूरी दुनिया का शक्‍तिशाली प्रधानमंत्री के रूप में भारत को दिया हो,‘नेशन फर्स्ट’,‘करेक्‍टर मस्‍ट’ की जिनकी सोच है, मैं अपने संरक्षक और माननीय राष्ट्रपति जी को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि यह विश्वविद्यालय न केवल गाँधी जी के दर्शन को आगे ले जाएगा बल्कि पटेल के विजन को भी साकार करेगा यह नये भारत का निर्माण करेगा। देश के प्रधानमंत्री जीने 21वीं सदी के स्वर्णिम भारत की बात की है जो स्‍वच्‍छ होगा, सुन्दर होगा,समृद्ध होगा, सशक्‍त होगा तथा आत्मनिर्भर होगा और निश्चित रूप में उसकी आधारशिला यह विश्वविद्यालय बनेगा और जिसके पास श्री हसमुख जी जैसे कुलाधिपति होंगे और डॉ. दुबे जैसे कुलपति हों उसमें शंका की कोई गुंजाइश नहीं रहती है और इसीलिये मैं अपने परिवार के मुखिया राष्ट्रपति जी को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि निश्चित रूप में हमारा यह विश्वविद्यालय गौरव का विषय बनेगा। एक बार पुनः मैं अपने सभी युवा छात्र-छात्राओं का अभिनंदन करता हूँ। आज ख़ुशी के क्षण हैं,आपके अभिभावक भी खुश हैं तो आपके अध्‍यापक भी खुश हैं तो आप भी खुश हैं। एक सपना ले करके आप आये जिसे आप यहाँ साकार करने की दिशा में, तालीम लेकर शिक्षा-दीक्षा लेकर आपवीर योद्धा के रूप में आगे बढ़ रहे हैं। हम आपको शुभकामना दे रहे हैं  कि आप सफल हों और हिन्दुस्तान का माथा पूरी दुनिया में ऊँचा कर सकें।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. श्री रामनाथ कोविंद, माननीय राष्‍ट्रपति, भारत गणराज्‍य
  2. आचार्य देवव्रत, माननीय राज्‍यपाल, गुजरात
  3. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  4. श्री नीतिन भाई पटेल, माननीय उप-मुख्‍यमंत्री, गुजरात सरकार
  5. डॉ. हसमुख अधिया, कुलाधिपति, केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालय, गुजरात
  6. प्रो. राम शंकर दूबे, कुलपति, केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालय, गुजरात