तिहान आईआईटी हैदराबाद
दिनांक: 29 दिसम्बर, 2020
माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
तिहान-नेवीगेशन टेस्ट बैड भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, हैदराबाद के शिलान्यास के अवसर पर मैं आपको शुभकामनाएं देना चाहता हूं और इस अवसर पर हमारे साथ जुड़े मेरे सहयोगी शिक्षा राज्य मंत्री आदरणीय श्री संजय धोत्रे जी, इस संस्थान के अध्यक्ष बीओजी बी.वी. आर. मोहन रेड्डी जी,श्री मोहन रेड्डी जी आईआईटी रूड़की के बीओजी के भी चैयरमैन हैं एवं बहुत विजनरी हैं एवं विभिन्न आयामों के धनी हैं, इस संस्थान के बीओजी के अध्यक्ष के रूप में भी मैं आपका स्वागत कर रहा हूं।इस संस्थान के निदेशक प्रो. वी.एस. मूर्ति जिनके नेतृत्व में यह संस्थान तेजी से आगे बढ़ रहा है एवं शोध तथा अनुसंधान के क्षेत्र में नित नया इतिहास गढ़ रहा है। हमारे मिशन डायरेक्टर श्री आर.के. मुरली मोहन जी जिन्होंने अभी अपना उद्बोधन दिया है और मिशन डायरेक्टर के रूप में जिन्होंने अपने विजन को बढ़ाने का सराहनीय कार्य किया है। डीन आरएंडी हैदराबाद, डीन योजना आईआईटी हैदराबाद, डीन पीसीआरप्रो. राजलक्ष्मी जी, कुलसचिव, सभी संकाय सदस्य, सभी अधिकारी वर्ग, कर्मचारीवर्ग, प्रिय छात्र-छात्राओं और मेरे साथ शासन में जो आईआईटी को देखते हैं अपर सचिव श्री राकेश रंजन जी और सभी जो देश और दुनिया में पूर्व छात्र आज इस सुखद अवसर पर हमारे साथ जुड़ेहैं तो मैं इस अवसरपर आप सभी को बधाई देना चाहता हूं। एक ऐतिहासिक काम आज शुरू हो रहा है, उसका शिलान्यास हो रहा है, जो देश की प्रगति एवं विकास की आधारशिला बनेगा जो देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में, प्रौद्योगिकी की दिशा में एक नया कीर्तिमान स्थापित करेगा ऐसा मेरा भरोसा है।मैं कहना चाहता हूं कि वैसे तो हैदराबाद ने ज्ञान-विज्ञान, शोध एवं पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ाने में बहुत ही समृद्धशाली भूमिका निभाई है। हैदराबाद शहर आईआईटी के लिए मॉडल के रूप में उभरा है। इसलिए लोग अब इसे साइबर सिटी कहने लगे हैं। हैदराबाद में आईआईटी से जुड़ी गतिविधियां बहुत तेजी से बढ़ रही है और हैदराबाद में स्थापित साफ्टवेयर टैक्नोलॉजी पार्कऑफ इंडिया, सूचना प्रौद्योगिकी के विकास हेतु लगातार प्रयासरत है और ऐसे स्थान पर जो हमारा यंग आईआईटी है वो छलांग लगाने को तैयार है।हमारा यह संस्थान शोध, अनुसंधान एवं नवाचार के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है और इसी दिशा में बढ़ते हुए आज जो शिलान्यास हो रहा है,‘स्वायत्त नेवीगेशन सिस्टम’ का मैं उसके लिए आपको बधाई देना चाहता हूं। यह सिस्टम अगली पीढ़ी की गतिशीलता के लिए महत्वपूर्ण परिवर्तक साबित होगा यह भारत एवं विश्व के कई देशों के प्राथमिक तकनीकी लक्ष्यों में से एक है।यदि आसान शब्दों में कहूं तो ऑटोमेशन नेवीगेशन सिस्टम 21वीं सदी में एक शक्तिवर्धक की तरह होगा जो नये भारत एवं आत्मनिर्भर भारत की आधारशिला बनेगा। मेरे देश के प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी का भारत तकनीकी का भारत होगा,प्रौद्योगिकी का भारत होगा, ऐसा भारत होगा जो स्वस्थ होगा, सशक्त होगा, समृद्ध होगा, आत्मनिर्भर होगा, श्रेष्ठ होगा और एक भारत होगा। इसलिए उस आत्मनिर्भर भारत की दिशा में आज आप एक ऐसा मील का पत्थर रख रहे हैं जिसके लिए मैं आपको शुभकामना देना चाहता हूं। भारत के पास विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में समृद्ध विरासत है। विज्ञान का यह ज्ञानप्रयोग एवं परीक्षण की आधारशिला है इसलिए विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। यदि देखा जाए तो आजादी के बाद से ही भारत विज्ञान एवं तकनीकी के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसका श्रेय भारत के प्रतिभाशाली वैज्ञानिकोंकोजाता है जिन्होंने भारत में विज्ञानएवं प्रौद्योगिकी की नींवरखी है। चाहे वह नोबल पुरस्कार विजेता भौतिक विज्ञानी सी.वी. रमन हों, चाहे आधुनिक विज्ञानके जनक डॉ. जगदीश चन्द्र बसु हों, चाहे देश के ऊर्जा एवं परमाणु कार्यक्रम के वास्तुकार डॉ. होमी जहांगीर भाभा हो, भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम साराभाई हो, मिसाइलमैन ऑफ इंडिया डॉ. कलाम हों, सभी ने अपनेक्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्यकिया है। इसी प्रकार हैदराबाद शहर में पैदा हुए डॉ. एस.सी. रामकृष्ण हों, राम गोविन्द राजन हों, रफी अहमद हों, बहुत लंबी श्रृंखला है जिन्होंने इसको आगे बढ़ाया है। अभी मैं देख रहा था कि आपके संस्थान ने एनआईआरएफ रैंकिंग में 10वां स्थान प्राप्त किया है। अटल रैंकिंग में भी आपने शीर्ष 20 में अपनीजगह बनाई है और जिस तरीके से आप 200 अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं, 5 उद्यमिता केंद्र चला रहे हैं और संस्थान को 500 करोड़ से भी अधिक की स्वीकृति मिली है और उसमें भी बहुत बड़ा काम होगा। पीएचडी के विद्वानों की कुल छात्र संख्या लगभग 30 प्रतिशतआपके यहां हैं और 1500 से भी अधिक शोध प्रकाशनोंकेलिए मैं आपको बधाई देना चाहता हूं और पेटेन्ट कार्य भी आपने किया है। 300 प्रायोजित परियोजनाओं एवं उद्योग सहयोगियों के साथ नवाचार में आप लगातार आगे बढ़रहें हैं, यहबहुत अच्छी बात है। आप प्रेक्टिकल रूप में ज्वाइन करकेउसको आगे बढ़ा रहे हैं और यह भी मेरे लिए खुशी है कि जिस तरीके से नवाचार के साथ आप पूरी दुनिया के लोगों के साथ चाहे अमेरिका है,जापान है, आस्टेलिया है, ताइवान हैऔरयूरोप के लगभग 50 से अधिक दुनिया के विश्वविद्यालयों के साथ आप पारस्परिक शोध एवंअनुसंधान और कई प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं।यहमेरे लिए खुशी का विषय है और वैसे भी आपको मालूम है कि आज भी हम लोग स्पार्क के तहत दुनिया के शीर्ष 128 विश्वविद्यालयों के साथ अनुसंधान कर रहे हैं।अब हमनयी शिक्षा नीति लेकर के आएं हैं जो नये आयाम और नये ऊंचाइयों को ले करके पूरे देश में आमूल चूल परिवर्तन के साथ आगे आ रहीहैं।शोध एवं अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए नेशनल रिसर्चफाउंडेशन जो प्रधानमंत्री जी के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार की अध्यक्षता में होगा और अपने तरीके से शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में वो एक नया आयाम स्थापित करेगा दूसरीओरतकनीकी को अंतिम व्यक्ति तक ले जाना और शीर्ष तक पहुंचाना भी हमारा लक्ष्य है। इसके लिए नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम का भी गठन किया जा रहा है। मैं सोचता हूं नेशनल रिसर्च फाउण्डेशन और नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम इन दोनों कीस्थापना इस देश को अन्तराष्ट्रीय शिखर पर बढाएगी। मैं जरूर इस अवसर पर मैं कहना चाहूंगा औरअपने निदेशक साहबको हमारे छात्रों की ओर से निवेदन करना चाहूंगा कि प्लीज पीछे का जो कार्यकाल आया है, उसमें पैकेज की दौड़ लगी है लेकिन पेटेंट की दौड़ने नहींलगी है। जिस दिन हम पेटेंट की दौड़ शुरू कर देंगे उस दिन यह आत्मनिर्भर भारत दुनिया के लिए नई आधारशिला पर खड़ा होगा। नई शिक्षा नीति भारत केन्द्रित होगी, यह हमने कहा है क्योंकि हम सोचते हैं कि हमारे इस पीढ़ी को उस ज्ञान पर भी शोध और अनुसंधान करके आगे जाना चाहिए। यदि इस देश में शल्य चिकित्सा का जनक सुश्रुत पैदा हुआ है तो वो जो थातीहैंउसको आगे कहां तक बढ़ा सकते हैं इस पर काम करने की जरूरत है। दुनिया के लिए यदि रसायन शास्त्री नागार्जुन हैंतो उनके ज्ञान कैसे करके आगे बढ़ा सकते हैं।हमारीतमाम पीछे की चीजों को शोध और अनुसंधान के साथ कैसेव्यापक रूप में आगे बढ़ा सकते हैं, इसकी जरूरत है। आर्थिकी के क्षेत्र में भी हमारादेश बहुत आगे रहा है। मैं सोचता हूं कि लार्ड मैकाले के आने से पहले के भारत को आप देखेंगे तो तकनीकी के क्षेत्र में हो, ज्ञान के क्षेत्र में, विज्ञान के क्षेत्र में, नवाचार की चेतना के क्षेत्र में पूरी दुनिया को भारत ने मार्गदर्शन दिया है। हमारे पास सामर्थ्य भी है,विजन भी है औरविजनको तब्दील करके जमीन पर निर्मित करने का मिशन भी है, क्षमता भी है।हमेंवो विश्व गुरु भारत चाहिए जिसने ज्ञान, विज्ञान अनुसंधान, टेक्नोलॉजी और नवाचार में शीर्ष अपनीपराकाष्ठा को प्राप्त किया, दुनिया ने उसको जाना है, महसूस किया है। मुझे लगता है कि आज वहवक्त फिर आ गया है जब हम अपनी प्रतिभा को उनके साथ निखार सकते हैंयह देश 135 करोड़ लोगों का देश है। इस देश में बिखरीतमाम समस्याएं और विषयों को शोध और अनुसंधान के साथ हमें समाधान की दिशा में बढ़ाना है। इन 135 करोड़ के लिए जब हम खड़े होंगे तो सारा विश्व आपके पीछे खड़ा होगा।यह आत्मनिर्भर भारत खड़ा होगा जो मेरे देश के प्रधानमंत्री 5 ट्रिलियन डॉलर की आर्थिकी की की बात करते हैं, यह संस्थान इसकी आधारशिला बनेंगे। यदि हमारे प्रधानमंत्री जी21वीं सदी के आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं तो उसका रास्ता भी मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया,स्किल इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया से होकर के जाता है। अभी मुझे अच्छा लगा कि हमारे निदेशक महोदय ने भी कहा है कि हमारे बीओजी के चेयरमैन ने जिन बिन्दुओं को कहा है चाहे मौसम परिवर्तन की चुनौतियां हों और चाहे समाज में बिखरी तमाम चुनौतियों हों, चाहे कृषि के क्षेत्रमें हो तमाम क्षेत्रों में जो बिखरीहुईचुनौतियां हैं, उन चुनौतियों का यदिमुकाबला होता है तो एक नई चीज सामने आती है। विवेकानन्द जी कहते थे कि जितना गहरा संकट होता है और जितनी बड़ी कठिनाई होती हैं उतनी बड़ी सफलता भी होती है तो आप यदि रखें कि जितनी बड़ी कठिनाई होगी उतनी बड़ी आपकी सफलता भी होगी। मुझे भरोसा है कि नए शोध और अनुसंधान के साथ मेरा आईआईटी बहुत तेजी से काम कर रहा है। उस सोच के साथ पूरी ताकत के साथनवाचार के साथ नए प्रमाणिक तौर तरीकों के साथ आगे बढ़ रहा है निश्चित हीआपएक नया आयाम स्थापित करेंगे, ऐसा मेरा भरोसा है। मैं समझता हूं कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और कोविड-19 परीक्षण जो आपने विकसित किया है] आज इस तरह का नवाचार निश्चित रूप में अभूतपूर्व है और आप इसको आगे बढ़ा रहे हैं। आपने देखा है कि हम नई शिक्षा नीति में शायद दुनिया का यह पहला देश होगा जो स्कूली शिक्षा से ही आर्टिफिशल इंटेलिजेंस को लेकर के आ रहा है। तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा को छठवीं से ही इंटर्नशिप के साथ वोकेशनल स्ट्रीम को हम ला रहे हैं। दुनिया का पहला ऐसा देश होगा जो व्यावहारिक रूप से इस पीढ़ीको खड़ा करना चाहता है। मुझे बहुत खुशी होती है कि आईआईटी हैदराबाद ने कोविड-19के परीक्षण और श्वसन मास्कके क्षेत्र में जो काम किया है, जो हमारे देश के प्रधानमंत्री जी कीआत्मनिर्भर भारत की जो सोच है उसको आपने बहुत तेजी से करने की दिशा में आगे काम किया है। आपने अभी चर्चा की है कि आप नवाचार से जो इजऑफ लिविंग है, इज ऑफ बिजनेसहै,इज ऑफ डिसिजन मैकिंग है और इजऑफ गवर्नेंस है इसका माहौल भी इसी से शुरू करना होगा और इसी की आज देश को जरूरत भी है। निश्चित रूप सेजो नए नवाचार आप अनुसंधान के साथ कर रहे है उससेएक माहौल सृजित होगा क्योंकिप्राध्यापक तो सबसे बड़ी ताकत होती है किसी भी देश की मुझे लगता है कि जिस तरीके से नित नए विषयों की खोज और अनुसंधान आप कर रहे हैं और बहुत तेजी से उसको बढ़ा रहे हैं तोहमारे विज्ञान की जो चीजें हैं उनको भी नवाचार के रूप में हम आगे लाने में निश्चित रूप से सफल होंगे। नयी शिक्षा नीति कोहम बिल्कुल नए परिवेश के साथ लाये हैं।नई शिक्षा नीति लागू होने से पहले यदि आप शिक्षण पद्धति में देखेंगे तो विज्ञान, मानविकी और वाणिज्य की धाराओं के बीच एकलाइन खींची हुई थी। अपने पसंद का छात्र जो है वो अध्ययन नहीं कर सकता था,मनचाहेविषय को नहीं प्राप्त कर सकता था। उन्हें उन्हीं विषयों का आकलन करने के लिए मजबूर होना पड़ता था जो उसको दिया जाता था लेकिन अब नई शिक्षा नीति आने के बाद तो ज्ञान, मानविकी, वाणिज्य के जो बीच की धाराएं हैं तथा जो बाधाएं हैं, उनकोअब खत्म कर दिया है। अब विद्यार्थीकिसी भी विषय को ले सकता है औरकिसी भी विषय के साथ किसी विषय को जोड़ सकता है और बिल्कुल नई दिलचस्पी के साथ और पूरे नये आयाम के साथ बहु-विषयक व्यवस्था, अब हमने निर्मित की है।इस शिक्षा नीति के अंतर्गत यदि कोई 4 वर्ष का कोर्स है और यदि कोई छात्र दो साल में परिस्थितिवशछोड़के जा रहा है तो पहले उसका पैसा एवं वर्ष दोनों खराब हो जाते थे लेकिन अब उसकोनिराश नहीं होना पड़ेगा।यदिवह परिस्थितिवश एक वर्षमें छोड़ कर जा रहा है तो उसको सर्टिफिकेटदेंगे,दो साल में छोड़ कर जा रहा है तो डिप्लोमा देगें, तीन साल में छोड़कर जा रहा है तो उसकोडिग्री देंगे। लेकिन यदि फिर वह लौट कर अपने भविष्य को संवारना चाहता है तो फिर जहां से उसने छोड़ा था, वहीं से शुरू कर सकता है। उसके लिए हम एक ऐसा क्रेडिट बैंक बनायेंगे जहां उसके सारे क्रेडिट जमा होंगे,इसलिए उसके लिए आगे बहुत आपार संभावनाएं है।वह कहां जाना चाहता है, शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में जाना चाहता है।छात्रोंमैं आपसे कहना चाहता हूं कि आपके लिए पूरा मैदान खाली है। ऐसा अवसर है जब आप किसी भी क्षेत्र में जा सकते हैं और कुछ भी करने के लिए आपके लिए पूरा मैदान खाली है। पूरी ताकत के साथ शोध अनुसंधान और नवाचार आपके पीछे दौड़ रहे हैं। आपको आगे दौड़ना है औरमुझे लगता है कि ऐसा अवसर आएगा यहतो नए भारत का स्वर्णिम भारत का नवोदय है और इसका पूरा उपयोग हम लोगों को करना है। मुझे भरोसा है कि चाहेराष्ट्रीय अनुसंधान परिषद हो, चाहे उच्च शिक्षा होहम लोगों ने तमाम प्रकार के नए-नए प्रयोग करने की जो बात की है। मैं पीछे की समय से जब देखता हूं तो पीछे दस या पंद्रह साल में जो देश पेटेंट में हमारे साथ थे उन देशों ने छलांग मारी है। पीछे दसऔर पंद्रह सालों में हम पेटेंट और शोध तथा अनुसंधान की जो संस्कृति हैउससे हम थोड़ा दूर गए हैं और इसी का परिणाम है कि हमारे बच्चों में विदेश में जाने की होड़ लग गई। इसलिए नईशिक्षा नीति में दुनिया के शीर्षस्थ विश्वविद्यालयों कोअपनी जमीन पर हमआमंत्रित करना चाहते हैं। लेकिन ‘ज्ञान’ और ‘ज्ञान प्लस’ में जो अध्यापक बाहर से आते हैं उनको तो हम आमंत्रित कर ही रहें हैं।‘ज्ञान प्लस’ में हमारे अध्यापक और फैकल्टी दुनिया में जा सकते हैं, उनको भी दुनिया में जाना चाहिए। कुछ तो चीजें हमारी ऐसी हैं जिसको हम दुनिया को दे सकते हैं। ऐसा नहीं है हम दुनिया में ज्यादा केवल लेने के लिए ही हम हैं, जबकि हमारी समता एवं सामर्थ्य देने की है और इसलिए देने की स्थितियां अबआनी चाहिए।मुझे इस बात की खुशी है कि ‘स्टडीइन इंडिया’ में इस समय 50 हजार से भी ज्यादा नामांकनहुए हैं। आईआईटी में आसियान देशों के एक हजार से भी अधिक छात्र शोध और अनुसंधान के लिए आ रहे हैं। जिनके साथ अनुबंध हो गया वो औरआगे बढ़ेगा। लोगों को भरोसा हैहमारे आईआईटी पर औरऐसा नही है कि हमारे जो आईआईटीहैंवहसमर्थ नहींहैं। आज पूरी दुनिया में यदि आप प्रबंधन और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में देखें तो आपके जितने छात्र हैं जितने मेरे देश के पूर्व छात्र हैं वो पूरी दुनिया में बिखरे हुए हैं। चाहे वो गूगल हो, चाहे माइक्रोसॉफ्ट होइसके भी प्रबंधन के शीर्ष क्षेत्र में सीओओ जो हैं इन आईआईटी से निकलने वाला मेरा छात्र पूरी दुनिया को रोज सीख दे रहे हैं और इसलिए हमने‘स्टे इन इंडिया’ किया। हमने अपने छात्रों को भरोसा दिलाया कि हमारे आईआईटी, एनआईटी, आईएसर, केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में योग्यता है, क्षमता है आपको बाहर जाने की जरूरत नहीं है और यहअब लोगों की समझ में आ गया है। मुझे इस बात की खुशी है कि पीछे के समय जब हमने जेईई परीक्षाएं करवाई तो दो लाख से भी अधिक छात्रों ने जोविदेश में जा रहे थे,वे जेईई और नीट की परीक्षाओं में सम्मिलित हुए। हम ‘स्टे इन इंडिया’ के तहत दुनिया के शीर्ष सौविश्वविद्यालयों को अपनी धरती पर आमंत्रित कर रहे हैं आपकोकहीं जाने की जरूरत नहीं है और यहां के जो शीर्ष विश्वविद्यालय हैं वेभीबाहर जा रहे हैं। ये आदान-प्रदान हम करेंगे।हमारे संस्थान अब एनआईआरएफ ही नहीं,अटल रैंकिंग ही नहीं बल्कि क्यूएस रैंकिंग और टाईम्स रैंकिंगमें भीछलांग मार रहे हैं क्योंकि हममें सामर्थ्य हैऔर मुझे भरोसा है कि आप जिस तरीके से काम कर रहे हैं आप इसको आगे बढ़ाएंगे। जलवायु परिवर्तन की दिशा में दूर संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जो काम कर रहे हैंमैंउसकी भी सराहना करना चाहता हूं। आईआईटी हैदराबाद द्वारा फाइव जी तकनीकी पर भारत का पेटेंट हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है और मैं उसकी भी बधाई देना चाहता हूं। मुझेभरोसा होता है जब मैं आपके आईआईटी के बारे में अध्ययन करता हूं और समय-समय पर मैं बातचीत करता रहता हूं तो मुझे खुशी मिलती है कि नहीं, मेरा आईआईटी बहुत अच्छा काम कर रहा है। मानवता की भलाई के लिए अभी हम लोगों ने कृषिऔर फसलों के विकास और जलवायु परिवर्तन की दिशा में भी बेहतरीन कार्य करने का प्रयास किया है।मेरा भारत है वह विश्वगुरु के रूप में रहा है। इसके बारे में हमेशा कहा गया है कि ‘एतद् देश प्रसूतस्य शकासाद् अग्रजन्मन:, स्वं-स्वं चरित्रं शिक्षरेन् पृथ्वियां सर्व मानव:’हम विश्व बंधुत्व वाले लोग हैं। हम पूरी दुनिया को अपना परिवारमानते हैं, परिवार वहीमान सकता हैं जिसमें ताकत होगी। उस परिवार को समझने की क्षमता और ताकत मेरे हिंदुस्तान के अंदर है और इसीलिए हमने हमेशा ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ की बात की है। धरती पर हर व्यक्ति खुश रहना चाहिए यदि एक प्राणी भी दुखी रहेगा तो मैंसुख अहसास नहीं कर सकता यह हमारी ताकत है। हमारी भारतीयता का जो संस्कार है, जो मिशन है इसको लेकर चलना है और हर क्षेत्र में हमको इसको कभी भूलना नहीं है क्योंकि यही भारत की आत्मा है। यदि भारत विश्व गुरू के रूप में रहा है तो केवल ज्ञान और विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में नहीं जो देश केवल तकनीकी के क्षेत्र और आर्थिकी के क्षेत्र में श्रेष्ठ है वह विश्व गुरू नहीं कहलाए। विश्वगुरु मेरा भारत कहलाया है क्योंकि ज्ञान,विज्ञान, तकनीकी के क्षेत्र में नहीं बल्कि जीवन दर्शन के क्षेत्र में भी और जीवन मूल्यों के क्षेत्र में भी वह हमेशापूरी दुनिया की मानवता को ले करके चला है। अंततोगत्वाशोध जितने भी हो रहे मनुष्य के लिए हो रहे हैं, दुनिया के किसी भी छोर में रहने वाला मूल केन्द्र तो व्यक्ति है, प्राणी है तो इसीलिए उस प्राणी को केन्द्रित करके सदैव हमारा विचार रहा है और इसीलिए इस विचार को हम आगे बढ़ाने के लिए निरन्तर कार्य करेंगे ऐसा मेरा विश्वास है। भारत वर्तमान में कृषि,ऊर्जा और उद्योगों के क्षेत्र में शोध एवं अनुसंधान की आवश्यकता है, जिसके लिए आज यहां शिलान्यास भी हो रहा है और इसके लिए मैं शुभकामना देना चाहता हूं। मुझे भरोसा है कि इसके होने से नकेवलइस देश को बल्कि पूरी दुनिया को मार्गदर्शन मिलेगा और हम पूरी ताकत के साथ इसको आगे बढ़ा सकेंगे।वर्ष 2008 में आपके इस संस्थान की स्थापना हुई है और 2008 से लेकर के आज 12 बरसों की इस आयु में आपने छलांग मारी है और मैं आपकीपूरीफैकल्टी को भी बधाई देना चाहता हूं।आज का दिन न केवल आईआईटी हैदराबाद के इतिहास में बल्कि देश के इतिहास में और दुनिया के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिवस साबित होगा। इस शुभकामना के साथ मैं आपको एक बार फिर बधाई देता हूँ।
बहुत-बहुत धन्यवाद।!
कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थिति:-
- डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
- श्री संजय शामराव धोत्रे, माननीय शिक्षा राज्य मंत्री, भारत सरकार
- श्री बी.वी. आर. मोहन रेड्डी, अध्यक्ष बीओजी, आईआईटी हैदराबाद,
- प्रो. वी.एस. मूर्ति, निदेशक, आईआईटी हैदराबाद
- श्री आर.के. मुरली मोहन, मिशन डायरेक्टर,
- श्री राकेश रंजन, अपर सचिव, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार