नीट 2.0 का उद्घाटन कार्यक्रम
दिनांक: 16 फरवरी, 2021
माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
मैं इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में आप सबका बहुत अभिनंदन कर रहा हूं और हिमालय, बद्री केदार और गंगा की धरती से मैं सब उन संस्थानों को, छात्रों को और इस कार्यक्रम में जुड़े सभी अधिकारी वर्ग को भी मैं बहुत सारी शुभकामनाएं देना चाहता हूं। इस अवसर पर हमारे एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रो. अनिल सहस्त्रबुद्धे जी, उपाध्यक्ष प्रो. एम.पी. पूनिया जी, सचिव एआईसीटीई प्रो. राजीव कुमार, सभी संकाय सदस्य और सभी छात्र तथा सभी उद्योग जगत के भाइयो और बहनों। मुझे बहुत खुशी है कि आज जो काम हो रहा है वो देश का आर्थिक सशक्तिकरण करेगा और नीट 2 के शुभारम्भ के अवसर पर मेरा आप लोगों को बधाई देने का मन कर रहा है क्योंकि जब हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने शुरू में कहा था कि अब एक नये भारत की जरूरत है जो भारत स्वच्छ, समृद्ध, सशक्त, आत्मनिर्भर, श्रेष्ठ एवं एक भारत होगा और उस आत्मनिर्भर भारत के लिए उन्होंने कहा कि इसका रास्ता मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, स्टैंड अप इंडिया और स्टार्ट अप इंडिया से होकर जाता है। इन सभी का आपस में कैसे समन्वय हो सकता है? आज हम उसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। भारत के सुनहरे भविष्य के लिए हमने योग किया, विचारवान, प्रगतिशील और रचनात्मक व्यक्तियों को विकसित करने और गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा प्रदान करने का हमारा यह संकल्प है। पिछले चार वर्षों में तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता सुधारके लिए जो हमने विभिन्न पहलें की हैं जिसके परिणामआधारित, मॉडल पाठ्यक्रम छात्रों को उनके वातावरण में सहज महसूस करने के लिए प्रेरक कार्यक्रम एआईसीटीई ने किये हैं। मुझे व्यक्तिगत भी बहुत खुशी है कि मैं एक बार नहीं लगातार एआईसीटीई के कार्यक्रमों से जुड़ता रहा हूं। मैं देख रहा हूं कि एआईसीटीई बहुत सारी गतिविधियां को कैसे कम समय में कर रहा है और वो गतिविधियां भी कैसे करके रिजल्ट को लाने में सक्षम हो सकती हैं और आज नीट का दूसरा चरण यहां पर हो रहा है। बहुत सारेकार्यक्रमों के साथ शिक्षा मंत्रालय ने परीक्षा सुधार के लिए केवल विषय ज्ञान का परीक्षण नहींकिया है बल्कि कौशल, प्रयोगात्मक, रचनात्मकता और समझ पर ज्यादा जोर दिया है और साथ ही हमने शिक्षक प्रशिक्षण और छात्रों के लिए अनिवार्य इंटर्नशिप, इनोवेशन और स्टार्ट अप जैसे विकास की प्रमुख चीजों को किया है।इसके लिए जितने भी बहुत महत्वपूर्ण संस्थान हैं उन संस्थानों को आधार बनाया है। मुझे यह बताते हुए खुशी है कि नई शिक्षा नीति प्रत्येक छात्र के लिए लागू हो रही है और आंकड़ों के माध्यम से यदि देखेंगे तो 25.8 प्रतिशत जो वर्तमान में हमारा जीईआर है तथा जिस तरीके से हमारा व्याप है और भविष्य में हमारी नई शिक्षा नीति के तहत हमें 50 प्रतिशत तक अपना जीईआर करना है तो ऐसे में लगता है कि लगभग 7.3 करोड़ छात्र उच्च शिक्षा में सभी प्रकार की शिक्षा को प्राप्त कर सकेंगे और मुझे लगता है कि यदि आप देखेंगे तो बहुत सारे देशों की कुल आबादी 7.5 करोड़ नहीं है जितना अकेल उच्च शिक्षा में हमारा छात्र पढ़ेगा। आप यदि शिक्षा के परिदृश्य को देखेंगे तो हमारी उच्च शिक्षा हो, या स्कूली शिक्षा हो उच्च शिक्षा में ही यदि देखेंगे तो 1000 से अधिक विश्वविद्यालय हैं, हजारों तो केवल इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, कुल कॉलेजों की संख्या यदि देखेंगे तो 50000 के आसपास हैं, तो मैं यह समझता हूं कि यह जो व्याप है और लगभग सैंकड़ों राष्ट्रीय महत्व के संस्थान हैं जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी हमारा सम्मान बढ़ाते हैं।ऐसे में इतने बड़े पैमाने पर शिक्षा मंत्रालय सभी क्षेत्रोंमें ध्यान केंद्रित कर रहा है। प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी विशेष सोपानों के साथ दो मंत्रालय प्रतिबद्ध है। अभी आपको मालूम होगा कि हम शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में ‘स्पार्क’ के तहत पूरी दुनिया के लगभग 127 शीर्ष विश्वविद्यालयों के साथ शोध कर रहे हैं।इम्प्रिंट, इम्प्रैस और स्ट्राइड के साथ जो महत्त्वपूर्ण इस समय जो अभियान होगा वो नेशनल रिसर्च फाउंडेशन का होगा।इससेशोध और उसकी संस्कृति तैयार होगी और तकनीकी के क्षेत्र में ‘नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम’ का गठन करके अंतिम छोर के व्यक्ति को किस तरीके से तकनीक साथ जोड़ा जा सकता है और जो देश के प्रधानमंत्री बार-बार कहते हैं किवोकल फोर लोकल के लिए कैसे तकनीक विकसित की जा सकती है और उसके बाद उसको विकसित करके तथाकौशल का विकास करके उसेतकनीकी के आधार पर ग्लोबल तक कैसे भेजा जा सकता है तो यह जो रास्ता है यह रास्ता निश्चित रूप सेहमारे शोध और अनुसंधान के क्षेत्र कोसशक्तकरेगा। आज से पहले जो हमारे छात्र थे वे बी.टेक करने के बाद, एमटेक करने के बाद,एमसीए करने के बाद, विभिन्न डिग्रियों के बाद उनकेदिमाग में एक ही बातरहतीथी कि कहां अच्छा और बड़ा पैकेज मिल जाए। लेकिन मुझे लगता है कि इस समय अब वे पैकेज की दौड़ न हो कर पेटेंट की दौड़ में आ रहे हैं। मुझे खुशी है कि मेरे छात्र-छात्राएं अपना स्टार्ट अप तैयार करने की ताकत रख रहे हैं।मैं पीछे से दो वर्षों से लगातार देख रहा हूं और लगातार संवाद भी कर रहा हूं। तो मुझे खुशी है कि लोगों में उत्सुकता है, छटपटाहट है, आगे बढ़ने की औरभारतकी यह बड़ी ताकत है। इसी ताकत के आधार पर दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है मेरा भारत। मैंने अभी उच्च शिक्षा के बारे में बताया और स्कूली शिक्षा को लेकर के जोड़ें तो कुलएक करोड़ 10 लाख के आसपास अध्यापक ही है। जैसे मैंने कहा किएक हजार विश्वविद्यालय, 50 हजार डिग्री कॉलेज और यदि स्कूलों की संख्या देखें तो लगभग 15-16 लाख होती है और टोटल छात्रों की संख्या देखेंगे तो अमेरिका की भी जनसंख्या से ज्यादा 33 करोड़ छात्र-छात्राएं हैं।हमबहुत अच्छे तरीके से नई शिक्षा नीति में तकनीकी को अब बचपनसे ही जोड़ना चाहते हैं। आपने देखा होगा कि हम नयी शिक्षा नीति के तहत स्कूली शिक्षा से ही वोकेशनल एजुकेशन ला रहे हैं वो भी इंटर्नशिप के साथ ला रहे हैं ताकि स्कूली शिक्षा तक पहुंचते ही योद्धा के रूप में हमारा छात्र खड़ा होसके। वो किसी के कदमों पर खड़ा न हो बल्कि स्कूली शिक्षा को समाप्त करते हुएवहआत्मविश्वास से इतना भरा हो कि वह किसी क्षेत्र में कोई भी काम करने के लिए सक्षम हो सकता है और हमइसीलिए स्कूली शिक्षा से ही वोकेशनएजुकेशन दे रहे हैं।अंक ज्ञान और अक्षर ज्ञान के साथ-साथ खेलकूद और उसका सांस्कृतिक क्षेत्र भी सशक्त होगा और तीसरा जो वोकेशनल वाला पक्ष है इन तीनों पक्षों को मजबूत करने और स्कूली शिक्षा से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कीपढाईकरने वाला दुनिया का हमारा पहला देश होगा। मुझे लगता है कि शिक्षा में तेजी से सुधार के लिए वर्तमान की स्थितियां चल रही हैं। मुझे यह कहते हुए खुशी होती है और मैं अपने सभी अध्यापकों और अभिभावकों को इस दिशा में बधाई भी देना चाहता हूं कि जब कोरोना का महासंकट काल चल रहा था तो अच्छे खासे देशों ने जो विकासशील देश हैं उन देशों ने भी अपने शैक्षणिक सत्र कोएक साल पीछे कर दिएऔरवे हिम्मत नहीं जुटा पाये कि वो परीक्षा करा सकें और ऑनलाइनपाठ्यक्रम को शुरू करा सकें। हिंदुस्तान दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और हमारे अध्यापकों ने जिस तरीके से एक योद्धा के रूप में फ्रंट पर आकर के और हमारे अभिभावकों ने बच्चे को केन्द्रित बनाकरके ऑनलाइनएजुकेशन के आधार पर लाये। कोई सोच भी नहीं सकता कि33करोड़ बच्चों को एक साथ ऑनलाइन पर लाना, घर को ही हमने विद्यालय में बदल दिया था।समय पर हमने परीक्षाएं करवाई,जेईई की परीक्षाएं करवाई। दुनिया का सबसे बड़ी नीट की परीक्षा करवाई और बहुत ही सफलतम तरीके से सुरक्षित तरीके से सबकुछ को हमने किया और इसीलिए जो हमारे डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसे स्वयं है, स्वयं प्रभाहै,एनडीएलहै, दीक्षा है, विभिन्न माध्यमों से हमने इनको और सशक्त कर दिया है। पीएम ई विद्या के तहत हम अब‘वन नेशन वन डिजिटल प्लेटफॉर्म’ केनारेके साथ दौड़ रहे हैं और आगे बढ़े हैं और ‘वन क्लास वन चैनल’ भी हमने किया है जिसमें प्रत्येक कक्षा के लिए एक चैनल होगा और डीटीएच से लेकर के टाटा स्काई और बहुत सारे चैनलों पर उसका प्रसारण होगा ताकि अंतिम छोर पर रहने वाला जोबच्चा है, जिसके पास यदि स्मार्टटेलीफोन नहीं है तथा इंटरनेट नहीं उपलब्ध है तो भी वह विकल्पों को पूरी ताकत के साथ ले सके और वो आगे बढ़ सके। इसीलिए आपने देखा होगा कि हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा देश हो गया जिसने ऑनलाइन एजुकेशन को दिया और जो सफलतम रहा है। हम इधर पाठ्यक्रम को सुनिश्चितकरते रहे और समय-समय पर नए शैक्षणिक कलेण्डर देते रहे। मुझे मालूम है कि यहां पर भी हमारे अधिकारी हैंएआईसीटीई के और हर दिन किस तरीके से परिस्थितियोंको देखते हुए छात्रों के साथ एकजुटता से उनकी सुरक्षा और भविष्य का बेहतर तरीके से समन्वय किया है। तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा के संस्थान प्रौद्योगिकी अपनाने की दिशा में बहुत आगे रहे हैं। पंडित मदन मोहन मालवीय नेशनल मिशन टीचर्स एंड ट्रेनिंग इसके माध्यम से भी आपनेकई टीचिंग लर्निंग सेंटर स्थापित किए और बहुत सारे डिजिटल प्लेटफॉर्म भी आपने तैयार किये। वैसे तो हम अभी‘अर्पित’ और‘लीप’ दोनों कार्यक्रम अध्यापक प्रशिक्षण के लिए चला रहे थेलेकिन हमारी बहुत प्रबल धारणा शुरू से रही है कि जब तक अध्यापक पूरी ताकत के साथ सब कुछ ज्ञान अर्जन नहीं करता तब तक वो छात्र को पूरे तरीके से मैदान में जाने के लिए तैयार नहीं कर सकता है और इसीलिए हमारीपहलीजो चुनौती हैजो पहला काम है, जो पहला संकल्प है वो अध्यापकों को हर दृष्टि से सक्षम बनाना है और उस दिशा में लगातार एआईसीटीई ने बहुत अहम भूमिका निभाई है। मुझे मालूम है जो शिक्षार्थी केन्द्र बनाये हैं जो देशकी आवश्यकता के अनुरूप सीखने की प्रक्रिया और उसे अनुकूलित कैसे किया जाए उसदिशा में लगातार यह कोशिश करते रहें हैं।इसके लिए वे केवल कोशिश ही नहीं करते रहें हैं बल्कि उसकी बार-बार समीक्षा भी करते रहें हैं और इसका रिजल्ट भी देखते रहें हैं।जैसे कि हम जानते ही हैं कि परिवर्तनों के समायोजन की दिशा में हम स्टार्टअप गतिविधियांअपने अनुकूल तथा अपनी योग्यता, आवश्यकता एवं लाभ के तरीके से विकसित कर सकते हैं, उसके लिए आपने तमाम प्रकार के संकल्प और कई प्रकार के प्रेक्टिकल किए हैं और एक के बाद एक ऐसे उदाहरण तैयार किये हैं जिसमें हम कह सकते हैं कि इस प्रोजेक्ट को आपने बहुत अच्छे तरीके से आगे बढ़ाया गया। शिक्षा केविभिन्नमॉडलों के माध्यम से भी आपनेतकनीकी को आगे बढाया है और बहुत सारी कंपनियों के साथ राष्ट्रीय गठबंधन निर्मित करके इसकोआगेपेश किया तो यहभी एक अच्छा उदाहरण है।‘लीप’ को तो दुनिया का सबसे अच्छा अनुकूलित शिक्षण मंच बनाने की हमारी पूरी उम्मीद है और मुझे भरोसा है कि जितने भी संस्थान हैं निश्चित रूप सेउनका शैक्षणिक स्तर बढ़ेगा। जो बच्चे आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है और पिछड़े क्षेत्र से आते हैं तथाप्रतिभाशाली भी हैं, लेकिन उनको प्रवेश नहीं मिल रहा था तो आज उनको अच्छे से प्रवेश मिलेगा और इसमें कोई दोराय नहीं है कि युवाओं की रोजगार क्षमता को बढ़ाने के लिए और शिक्षा प्रौद्योगिकी में सर्वश्रेष्ठ तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए और नीट का यहपोर्टल बनाया गया है यह निश्चित रूप में नवाचार की गुणवत्ता और रोजगार बढ़ाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा ऐसा मेरा भरोसा है।मुझे याद आता है कि पिछले वर्ष जब हमारे एआईसीटीई के चेयरमैन साहब ने कहा था कि इस तरीके का कार्यक्रम करना है, उस समय पर देहरादून में ही इरा ग्राफिक हिल यूनिवर्सिटी में जो कार्यक्रम हुआ था उसमें 13 कंपनियां आई थीं। मुझे याद है उस दिन भी हमारे छात्रों और उद्योग जगत से जुड़े लोगों ने संयुक्त रूप से अपने अनुभव बताए थे तबभी मेरा विश्वास कहता था कि हमारा रास्ता बहुत मजबूत रास्ता है इससे हमारी प्रतिभा और हमारे उद्योग इन दोनों का जबजुड़ाव होगा उस दिन एक नई चीज निकल करके आएगी और आज मुझे इस बात की खुशी है कि जिन 13 कंपनियों ने अपने उत्पादों को छात्र हित में प्रयुक्त करने का संकल्प और समझौता किया था, वो आज फलीभूत हो रहा है और एआईसीटीईके साथ जुड़ा हुआ है। आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के छात्रों को नि:शुल्क उच्चतम गुणवत्तायुक्त शिक्षा और सामग्री तथापरिवेशप्रदान करने का जो यह अभियान है निश्चित रूप से यह अभियान हमारे देश के उन छात्रों के लिए हैजिनके पास प्रतिभा तो है लेकिन उनके पास संसाधन नहीं हैं और उनके पास आगे बढऩे के प्लेटफॉर्म नहीं हैं, यह उनके लिए बहुत अच्छा होगा। हालांकि पीछे के समय में जब कोरानाकाल था और हमारे देश की प्रधानमंत्री जी ने नौजवानों से कहा था कि ऐसे अवसर पर वो क्या कर सकते हैं तो आपको याद होगा हमने युक्ति-1 किया था और उस युक्ति पोर्टल पर हमारी सभी आईआईटीज, एनआईटी, आईसर तथा विश्वविद्यालय से हमारेजितने भी विद्यार्थीथे, हमने उनको कहा था कि जो भीवो आज नवाचार कर रहे हैं, शोध एवंअनुसंधान कर रहे हैं उसको युिक्त पोर्टल पर डालें। मैं इसके लिए आग्रह करूंगा कि आपइसको जरूर देखें। एक से एक बढ़करकिस तरीके के शोध और अनुसंधान में पूरी दुनिया ने इसको आश्चर्यचकित माना और हमनेसस्ते बहुत प्रमाणिक और उत्कृष्ट कोटि के वेंटिलेटर हों, मास्क, पीपीई किट, ड्रोन बनाया जिसका लाभ देश तथा सम्पूर्ण विश्व की मानवता को मिला।हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि यदि हर चुनौती का मुकाबला ठीक से होता है तोवह अवसरों में तब्दील हो जाती है। हमने देखा हमारे छात्रों ने, हमारे अध्यापकों ने इस चुनौती का मुकाबला करके उसको अवसरों में तब्दील किया। यही कारण है कि हमारे देश से जो चीजें उत्पादित हुईं वो पूरी दुनिया में गई हैं। मानवता के कल्याण के लिए आपको तो मालूम है कि यह हमारे ही देश की क्षमता है और हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने जिस तरीके से नेतृत्व किया है, उसके तहत हमारापूरी दुनिया में पहला देश है जो दो-दो वैक्सीन ले करके आया है और 130 करोड़ से अधिक जनसंख्या का देश आज आत्मविश्वास से भरा हुआ है और पूरी दुनिया आज भी हिंदुस्तान को देख रही है, मेरे देश के प्रधानमंत्री को देख रही है और इसीलिए मैं समझता हूं कि यह जो नई शिक्षा नीति आयी है वो नयी शिक्षा नीति इन सब नए आयामों को ले करके नये परिमाणोंतक जाने के लिए और नये भारत के निर्माण के लिए तैयार है। उसी भारत को पुन: खड़ा करने के लिए जो गौरवशाली भारत, जो विश्वगुरु भारत है जिसमें तकनीकी से लेकर विज्ञान और अनुसंधान से लेकर के जीवन मूल्य तक कोई भी अंग और स्थान नही छूटा है जिस पर उसने पूरी दुनिया का मार्गदर्शन ना किया हो। इसलिए यह नई शिक्षा नीति हम लाये हैं जो भारत केंद्रित है और मुझे लगता है कि यह हमारे देश के प्रधानमंत्री जी के आत्मनिर्भर भारत की आधारशिला भी है और 21वीं सदी का जो स्वर्णिमभारत है जिसके लिए पूरा देश एकजुट है, यह उसकी भी आधारशिला है।हमारी नई शिक्षा नीति नेशनल भी है और इंटरनेशल भी है। यह इम्पैक्टफुल भी है,यह इनोवेटिव भी है, यह इनक्लूसिव भी है और यदि इसको गौर से देखेंगे तो यहइक्विटी पर आधारित है, यह क्वालिटी पर आधारित है, यह एक्सेस पर आधारित है। मुझे भरोसा है कि यह शिक्षा नीति टैलेंट को भी खोजेगी और टैलेंट काविकास भीकरेगी और टैलेंट का विस्तार भी करेगी और टैलेंट को उत्कृष्ट कंटेंट के साथ जोड़ करकेनए पेटेंट के साथ आगे बढ़ेगी। इससेपूरे देश में एक नया उत्सव होगा। आज मुझे ख़ुशी है कि आज 48 से भी अधिक कम्पनियां सामने आ रही हैं जबकि पिछली बार एक वर्ष में केवल 13 कंपनियां सामने आई थी लेकिन आज 48 से 50 कंपनियां जो सामने आई है, आप समझ सकते हैं कि उससे कितना बड़ा माहौल बना। अभी अध्यक्षसाहब को मैं सुन रहा था जब उन्होंने विस्तारपूर्वक कहा कि चाहे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हो, मशीन लर्निंग हो, कोडिंग प्रबंधन हो, इन सभी क्षेत्रों में लगभग 50 हजार विद्यार्थियों को जो आर्थिक रूप से पिछड़े औरसक्षम नहीं हैं, उन सभी विद्यार्थियों को इसका हिस्सा बनाया है। यह बड़ी बात है और इससे उनको भी फायदा मिलेगा तथा इन संस्थानों को भी इसका निश्चित रूप में फायदा मिलेगा, ऐसा मेरा भरोसा है। मुझे यकीन है कि आत्मविश्वास से परिपूर्ण हमारी युवा शक्ति है, इसके पास तकनीकी भी होगी, इसके पास इच्छाशक्ति भी होगी और विश्वास होगा और आत्मनिर्भर भारत का इसकेपास सपनाहोगा और सपना भी ऐसा होगा जिसके बारे में कलाम साहब कहते थे कि सपने जो सोने न दें ऐसे सपने होंगे जब तक उस सपने को साकार नहीं कर देता तब तक वह चैन से न बैठे। इस तरक्की के सपने होंगे मुझे पूरा भरोसा है कि आज जिन संस्थानों को अभी हमारे अध्यक्षसाहब और हमारे अतिथिगण सम्मान दे रहे थे और जिनको आज विभिन्न प्रकार का प्रोत्साहन के रूप में सम्मानित कर रहे थे वो सभी लोग एक मिशन मोड में, एक जुनून के साथ इस कार्य में जुटेंगे ऐसा मेरा भरोसा है और मैं इस मौके पर टेक कंपनियों को विशेष करके धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने आज समझौता ज्ञापन किया है। मुझे भरोसा है कि इसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर कीकंपनियां तेजी से आगेआएंगी और आप इस अभियान के तहत विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा 2500से भी अधिक उत्पादों का नि:शुल्क मूल्यांकन किया गया है जिसके लिए मैं विशेषज्ञों को धन्यवाददेना चाहता हूं औरमैंउनकी प्रशंसा करना चाहता हूं। इसलिए जो नीट-2 है वह न सिर्फ सशक्तिकरण का माध्यम बनेगा बल्कि इससे शिक्षा उद्यमिता और रोजगार को बहुत बढ़ावा मिलेगा और इसी से मेरा समृद्ध भारत और आत्मनिर्भर भारत का सपनापूरा होगा। हमारे हिन्दुस्तान में तेजी से बदलाव आ रहा है। हम अपनी मुट्ठियों में पूरे विश्वास और आत्मविश्वास को भरकर के पूरी दुनिया में बहुत तेजी से बढ रहे हैं तथा हम फैल रहे हैं और मुझे भरोसा है कि यह भारत बहुत जल्दी हीविश्व गुरु औरज्ञान का महान केन्द्र बनने की दिशा में तेजी से बढ रहा है। मुझे लगता है इस सदी में जिस तरीके से भारत चौतरफा आगे बढ़ रहा हैं इसमें शायद ही कोई देश इतनी गतिपूर्वक विभिन्न क्षेत्रों में आपनी ताकत का ही बढा रहा होगा। हमारी सरकार के द्वारा उच्च शिक्षा छात्रों को जो प्रदान की जाएगी वो बहुत ही प्रासंगिक होगी और जो कंपनियां जुड़ रही हैं उनके लिए यह जो नीट प्लेटफॉर्म है जोबहुत बड़ा काम करेगा।इससेबड़ा व्यापक परिवर्तन का काम होगा और एक व्यापक विस्तार का काम होगा जो रुचि भी बढ़ाएगा और उनकी प्रतिभा को उसके साथ समन्वय करके उन उद्योगों को भी एक नई दिशा देगा। मुझे पूरा भरोसा है और कला कौशल के क्षेत्रमें भी कैसे मजबूती लाई जा सकती है,इसदिशा में भी निश्चित रूप से हमारे संस्थान काम कर रहे हैं और मैं विशेष बधाई देना चाहता हूं। एआईसीटीई जिस तरीके से लगातार छात्र, अध्यापक उद्योग, अभिभावक और परिस्थितियां कालगातार समन्वय कर रहा है। उससे सभी को नया उत्साह मिला है। मुझे भरोसा है कि हम जिस 21वीं सदी के स्वर्णिम भारत की बात करते हैं वो मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया और स्टार्ट अप इंडिया तथा स्टैंडअप से हो करके गुजरेगा। अभी 5 साल पहले क्या होता था लेकिन अब देखिए कितना बदलाव आया है और दुनिया के तमाम देश हमसेजुड़ते हैं तो मुझे इस बात का गौरव महसूस होता है कि यहाँ दुनिया के लोगों ने ठान लिया है, समझ गए हैं किअब21वीं सदी भारत की सदी है। हमारा देश आगे 35 वर्षों तक यंग इंडिया रहने वाला है। हम सभी का प्रयास यह होना चाहिए कि इस युवा की जो जवानी है,जोउसकी प्रतिभा है, जो उसका विजन हैउनको मिशन में तब्दील करके हमेंएक नये भारत के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ाना है। जो आत्मनिर्भर भारत और5ट्रिलियनडॉलर की अर्थव्यवस्था की जो बात हमारे प्रधानमंत्री जी कही है मुझे बहुत भरोसा होता है कि उस दिशा में जो संकल्प हैं, उस संकल्प को मेरे नौजवान साथी और मेरे उद्योग क्षेत्र से जुड़ीजितनी भी कंपनियां हैं, वे इसको नई दिशा देंगी। मुझे भरोसा है कि जब अगले वर्ष हम एक बार पुन: चर्चा करेंगे तो इस एक वर्ष की जो यात्रा होगी वो छलांग मारकर के शिखर पर पहुँचने की होगी और मैं एआईसीटीईके चैयरमेन साहब को कहना चाहता हूं कि ऐसी कंपनियां जिन्हेंहमलोग सम्मानित कर रहे हैं और कुछ ऐसी कंपनियों भी हैं, जिनका उदाहरण हम पूरे देश को विभिन्नक्षेत्रों में दे सकते हैं। ऐसी श्रेष्ठ कंपनियां क्या-क्या कर सकती हैं यह परामर्श लगातार बना रहना चाहिए और मैं छात्रों को भी शुभकामनाएं देना चाहता हूं। छात्र-छात्राओं आपको आजवक्त मिला है, अवसर रोज नहीं मिला करते हैं। जो अवसरों को खोते हैं, अवसर उनको खो देता है। इसलिए जो समय के साथ नहीं चलता समय उसको पीछे छोड़ देता है तो आपको समय के साथ दौड़ने की जरूरत है। पूरी दुनिया आपको निहार रही है। हमारा देश वैसे भी समृद्ध भारत है। भारत पहले भी सोने की चिड़िया कहलाता था। आज भी मेरे भारत में सोने की चिड़िया कहलाने की पूरी ताकत है और उसको साबित करने की क्षमता है और यह आपसे होकर गुजरता है तथा मेरी इनकंपनियों से होकर गुजरेगा। लीडरशिप देने वाले मेरे चाहे प्राध्यापक हैं,चाहे निदेशक हैं, मेरे कंपनी के जो निदेशक हैं जो उनकी टीम है और जो अनुसंधान करने वाले लोग हैं इनके साथ मिल करके काम करने की जरूरत है। आपने युक्ति-2 जो किया था उसपर सारे बच्चों के आइडियाज आप लायें थे, शायद यहदुनिया को सबसे बड़ा प्लेटफार्म हो जाएगा। मुझे बहुत खुशी है कि मेरा देश का छात्र युद्ध स्तर पर जुनून के साथ शोध और अनुसंधान में निकल पड़ा है आगे वो यह साबित भी करेगा कि दुनिया के लोगों यह वो देश है जिसने आर्यभट्ट को जन्म दिया। यह वो देश से जिसने शल्य चिकित्सा के जनक सुश्रुत को जन्म दिया, यहवो देश हैजिसने पाणिनी को जन्म दिया,जिसने योग गुरू पातंजलि को जन्म दिया, यह वो देश से हैजिसने पूरी दुनिया को अंकगणित और बीजगणित गणित दिए।अभीइस नई शिक्षा नीति पर कैम्ब्रिजने एक बहुत सुंदर पत्र लिखा था और उन्होंने अपने एशियाहैड को भेज करके सम्मान पहुंचाया था और अपने पत्र में उन्होंने लिखा कि हम भारत के ऋणी है जिसने पूरी दुनिया को बीज गणित और अंक गणित को दिया है। पूरी दुनिया आज भी जानती है कि भारत ज्ञान का बड़ा केंद्रथा और अब नईशिक्षा नीति आने के बाद फिर भारत उसी तरीके से उभर कर के सामने आयेगा। पूरी दुनिया हम को देख रही है और मुझे भरोसा है कि यह रास्ता आपसे होकरके गुजरता है। मुझे बेहद खुशी है कि जो एआईसीटीई ने शुरु किया था यहअभियान रुकेगा नहीं और मैं तो पीछे के दिनों देख रहा था कि मेरे देश में लगभग पांच करोड़ से भी अधिक लघु उद्योग हैं। यदि यह पांच करोड़ लघु उद्योग मेरेएक-एक छात्र के आइडियाजको ले करके जाए और नवाचार के साथ नए अनुसंधान के साथ उस यूनिट को खड़ा करे।अगरएक यूनिट में भी एक लघु उद्योग में भीपांच लोगों को रोजगार मिलेगा तो हम अब रोज़गार पाने नहीं, रोज़गार देने वाले लोगों में हम शामिल होंगे। हम यह संकल्प लेकर के आगे बढ़ रहे हैं औरआप केवल 5-5 लोगों को भी रोजगार देंगे तो तो 25 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है। मुझे लगता है कि यहदेश कुछ भी कर सकता है। देश के प्रधानमंत्री कहते हैं कि130करोड़ लोगों का देश है हम यदि एक कदम भीआगे बढ़ते हैं तो उस एक कदम से 130 करोड़ कदम आगे बढ़ते हैं।यहहमारी ताकत है और इससे मुझे भरोसा है कि इस ताकत का हमपूरा उपयोग करेंगे और आप सब आज जो यहांपर सम्मानित हुए हैं,मैंआप सबका बहुत अभिनंदन करता हूं और मुझे खुशी है कि जो लोग जुनून के साथ जुट रहे हैं वो निश्चित हीएक अच्छा रिजल्ट देंगे और एक अच्छा वातावरण बनाएंगे। आप सभी एक ऐसा परिणाम देंगे कि देश को आप पर गौरव हो सके और इसी संकल्प के साथ में जितने आज हमारी कंपनी के लोग आएं। मैं आप सभी का अभिनन्दन करता हूं और आपसे आशाएं भी कर रहा हूं तथा आपको शुभकामना भी दे रहा हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद!
कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थिति:-
- डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
- प्रो. अनिल सहस्त्रबुद्धे, अध्यक्ष, एआईसीटीई
- प्रो. एम.पी. पूनिया, उपाध्यक्ष, एआईसीटीई
- प्रो. राजीव कुमार, सदस्य सचिव, एआईसीटीई