पंडित मदन मोहन मालवीय राष्ट्रीय शिक्षक एवं प्रशिक्षण योजना के तहत जामियामिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के अकादमिक ब्लॉक का उद्घाटन
दिनांक: 28 सितम्बर, 2020
माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
आज हम स्कूल ऑफ एजुकेशन बिल्डिंग के उद्घाटन के अवसर पर एकत्रित हुये हैं इस अवसर पर मैं इस विश्वविद्यालय की यशस्वी कुलपति प्रो. नजमा जी, डीन एजुकेशन एजाज जी, रजिस्ट्रार ए. पी. सिद्दकी जी, संकाय के सभी सदस्य गण, छात्र-छात्राओंऔर जामिया के प्रबंधन से जुड़े सभी सदस्यगणमैं इस अवसर पर आप सभी को बधाई देने के लिए आपके बीच आया हूं। मुझे खुशी है कि जब भी जामिया की बात होती है तो एक अच्छा संस्थान, एक प्रगतिशील संस्थान, ज्ञान-विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में पनपता और छलांग मारता ऐसा संस्थान ऐसी स्वत: स्फूर्तउसकी छवि चेहरे पर सामने आनी शुरू होती है। मैं यह समझता हूं कि आप जो शिक्षाके 100 वर्ष मना रहे हैं,आपने इन 100 वर्षों में तमाम उतार-चढ़ावों का सामना किया होगा, बहुत सारी कठिनाईयां भी आई होंगी। उस समय गांधी जी और हमारे राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत जो हमारे मुस्लिम लीडर थे, उनके मन की उपज जामिया थी जो एक पौधे के रूप में रोपित हुआ आजवह वट वृक्ष के रूप में छांवऔर फल दे रहा है और उसके नीचे बहुत सारी भावनाएं पल्लवित और पुष्पित हो रही है जिसको देखकर राष्ट्र बहुत गौरवान्वित भी होता है। मैं विशेषकर के यहां के अध्यापक वर्ग को क्योंकि किसी भी संस्थान का भवन उसका बाहरी स्वरूप तो तय कर सकता है लेकिन उसका आंतरिकस्वरूप सुनिश्चित करने के पीछे उसकीजोपूरीफैकल्टी है जिन्होंने अपना तिल-तिल खपा करकेशिक्षा के क्षेत्र में एक ऐसा दिया जलाने की कोशिश की है जो तमाम तूफानों में भी बुझता नहीं है बल्कि आगे रोशनी करता है। इस ढंग का संस्थान मेरे देश का गौरव बढ़ाता है जो राष्ट्र की प्रगति के लिए, राष्ट्र के विभिन्न आयामों में शोध और अनुसंधान करके और राष्ट्र की उन्नति की दिशा में काम करता है। मैं समझता हूं कि जामिया का यह भवन है जो पं. मदन मोहन मालवीय जी को समर्पित है,जो एक शिक्षक के रूप में, एक दार्शनिक के रूप में,विचारक के रूप में,एकऐसे लीडर के रूप में जिन्होंने अपना तिल-तिल खपा करकेशिक्षा की रोशनी को दिया है, मैं समझता हूं कि महामना मदन मोहन मालवीय राष्ट्रीय शिक्षक एवंप्रशिक्षण योजनाके तहत आज जिस भवन का यहां पर उद्घाटन हुआ है,जिसका लोकार्पण हुआ है यह निश्चित रूप से उस मन्शाको, जिस मंशा से जामिया की स्थापना हुई है जिन तमाम बाधाओं और दिक्कतों के बाद भी जामिया ने अपने मुकाम पर पहुँचने की कोशिश ही नहीं की बल्कि उस मुकाम तक पहुँच कर के दिखाया भी है। ऐसे उन सभी विचारों को, भावनाओं को, उस विजन को, उस मिशन को यह भवन और गति देगा जिससे मेरा देश फिर 21वीं सदी का स्वर्णिम भारत बनेगामेरे देश के प्रधानमंत्री जी ने यह संकल्प लिया है कि 21वीं सदी में पूरी दुनिया में मेरा भारत एक स्वर्णिम भारत के रूप में उभरकरके सामने आये और मैं समझता हूँ कि उसका रास्ता प्रशस्त हो रहा है।21वीं सदी के स्वर्णिम भारत की आधारशिला के रूप में जैसाकि अभी नजमा जी ने बताया, जो मेरे संचालक महोदय बता रहे थे किउसकी आधारशिला के रूप में यह नई शिक्षा नीति2020 आई है और मैं समझता हूँ यह हम सब लोगों केलिए बहुत अच्छा अवसर है। दुनिया में लोगों को अवसर मिले हैं और जो अवसरों का लाभ ले करके उसको जिन्दा रख पायें है, वही हमेंशा जिन्दा रहे हैं। विचार हमेशा जिंदा रहते हैं,किया हुआ काम हमेशा जिंदा रहता है। यह एक ऐसा अवसर आ रहा है इस समय जब पूरी दुनिया हिंदुस्तान कीओरदेख रही है और हिंदुस्तान एक नए हिंदुस्तान के रूप में करवट ले रहा है और उस नए हिंदुस्तान के निर्माण की दिशा में हम लोगों के हाथों में यह नई शिक्षा नीति आई है। हम उस बात के साक्षी रहेंगे कि हिन्दुस्तान के बदलाव के लिए जोहिंदुस्तान हमेशा ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान, नवाचार केक्षेत्र में, प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पूरे विश्व को लीडरशिप देता था,हिन्दुस्तान ने दुनिया में लीडरशिप दी है हिन्दुस्तान कभी पीछे नहीं रहा है। उस हिंदुस्तान को उसी ऊर्जा के साथ फिर आगे बढ़ाने की दिशा में यह जो नई शिक्षा नीति आई है यह बहुत सारे सुधारों के साथ, व्यापक परिवर्तनों को लेकर के आई है। उसमें चाहे स्कूली शिक्षा हो और चाहे उच्च शिक्षा हो, तकनीकी शिक्षा हो, सामाजिक विज्ञान की शिक्षा हो हर क्षेत्र में पूरा मैदान खाली है। कहां तक भाग सकता है मेरा छात्र। जहां तक दौड़ सकता है पूरा मैदान उसके लिए खाली है और इसलिए मैं समझता हूं कि यहनई शिक्षा नीति एक ऐसे युग परिवर्तन का कारण बनेगीजिसपर पूरी दुनिया को गर्व महसूस हो सकता है लेकिन इसका रास्ता आप से होकर गुजरता है।जिस देश का शिक्षक समर्थ होता है, विजनरी होता है, मिशनरी होता है वह देश कभी पीछे नही रहसकता है। आप सबको मालूम है कि दुनिया मेंतमाम उदाहरण हैं कि शिक्षकों ने जो परिवर्तन किया है, शिक्षक वह आधारशिला है जो कुछ भी कर सकता है और इसलिए मैं समझता हूँ कि यह जो कुछ भी कर सकने की जो लालसा है,छटपटाहट है, जो संकल्प है और जो राष्ट्र-निर्माण जिस बिल्डिंग की आज हम बात कर रहे हैं वो बिल्डिंग,नेशलबिल्डिंग में किस तरीके से परिवर्तित होकर नए स्वरूप में अपने देश को शिखर पर पहुंचाती है इसकी ज़रूरत है। मुझे यह बात कहते हुए खुशी होती हैकिमैं पिछले एक साल से शिक्षा परिवार के सदस्य के रूप में काम देख रहा हूँ। मैं सब विश्वविद्यालयों को देखता हूँ,आईआईटीकोदेखता हूँ,आईआईआईटी को देखता हूँ,एनआईटीको देखता हूँ, केन्द्रीय विश्वविद्यालयों को देखता हूँ और मुझे बहुत गौरव महसूस होता है कि हम आज भी दुनिया में कहीं पीछे नहीं है। हम शिखर पर हैं और इसीलिए यह जो हमारे विश्वविद्यालय हैं यह विश्वविद्यालय हमारी थाती हैं। हमारे मार्गदर्शक हैं। राष्ट्र की आधारशिला हैंजितने भी व्यक्ति आज इधर बैठे हुए है, शिक्षा ही आपको यहां तक लेकर आई है और इसलिए कोई भी व्यक्ति हो, कोई भी परिवार हो, कोई भी समाज हो, कोई भी राष्ट्र हो जिसकी शिक्षा मजबूत नहीं होगी वो कभी भीअधिक दिनों तक जिंदा नहीं रह सकता। हाँ अपने को ढो तो सकता है लेकिन जिन्दा रहकरजिंदादिली के साथ प्रगति के शिखर को चूम नहीसकता है और इसलिए बहुत जरूरी है कि हमारी शिक्षा का आधार बहुत मजबूतहोउसमें बहुत व्याप होजो हम दूसरों को दे सकते हैं। इस देश में क्षमता है और इसलिए अध्यापकगण को मैं विशेष करके अनुरोध करता हूँ,उनका अभिनंदन करता हूँ। मैं भी एक अध्यापक से ले करके यहां तक आया हूँ । मैं एक अध्यापक के अन्दर की पीड़ा और छटपटाहट को महसूस कर सकता हूँ, उसके विजन को महसूस कर सकता हूँ ,उसके मिशन को महसूस कर सकता हूँ , उसके अंदर की जो आग है उसको महसूस कर सकता हूँ, क्योंकि एक शिक्षक दीपक की तरह होता है,जैसे दीपकहोता है वो रोशनी देता है लेकिनउसके नीचे अंधेरा रहता है वो कभी अपने अंधेरे को लेकर दुखी नहीं होता है कि मैं तो रोशनीकर रहा हूँ लेकिन मेरे तले तो अंधेरा है वह उसको नजरअंदाज करके अपनी रोशनी बिखेरता हैउसका आनंद लेकर दूसरों को दिशा देता है। मुझे भरोसा है कि शिक्षक ने हमेशा बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और आज जो यह शिक्षण प्रशिक्षण का भवन उद्घाटित हो रहा है क्योंकि हम देश को तब ही समर्थ बना पाएंगे जब हमारे शिक्षक समर्थ होंगे,जब हमारे शिक्षक विजनरीहोंगे, जब उनके अंदर छटपटाहट होगी,कुछदेने की अभिलाषा होगी तब हीतो एक नई पीढ़ी को बना सकते है। बच्चा तो कोरा पन्ना है हम जो लिखना चाहें उस पर लिख सकते हैं अब लिखना क्या चाहते हैं और कितना सुंदर लिखना चाहते हैं, कितनी मजबूती से लिखना चाहते हैं यह बहुत जरूरी हैऔर मुझे भरोसा है कि इस देश का शिक्षक जब खड़ा हुआ है तो सब कुछ बहुत बेहतर ही होगाजबमैं पीछे की दिनों यूनेस्को में था और यूनेस्को में मैंने कहा कि मैं दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश की शिक्षा का प्रतिनिधित्व करता हूं जहां1000 से अधिक विश्वविद्यालय हैं,पैंतालीस हजार से भी अधिक डिग्री कॉलेज हैं,15 लाख से भीअधिक स्कूल हैं, एक करोड़ नौ लाख से भी अधिक अध्यापक है और कुल अमेरिका की जितनी जनसंख्या नहीं है उससे भी ज्यादा 33 करोड़ यहां छात्र छात्राएं है तो सारे लोग हतप्रभ हो करके देखते हैं। मेरा हिन्दुस्तान आगे 25 साल तक यंग इंडिया रहने वाला हैहम कुछ भी कर सकते हैं।दुनिया में बदलाव की जरूरत है और इसलिए यह जो नई शिक्षा नीति आई है वह तमाम सुधारों के साथ, व्यापक परिवर्तनों के साथ आई है। कुछ लोग कहते हैं कि हमको ग्लोबल पर जाना है तो अंग्रेजी सीखनी। पड़ेगी मैंने कहा हम अंग्रेजी का विरोध नहीं करते, अंग्रेजी ही नहीं और दो-तीन भाषाएं सीखों लेकिन अपनी भाषाओं को मत छोड़ो। हमारेसंविधान ने हमें 22 खुबसूरत भाषाएं दी हैं। हिन्दी, तमिल, तेलगू, मलयालम, कन्नड़, गुजराती, मराठी, बंगाली,ओडिया, असमिया, उर्दू,यहहमारी 22 खूबसूरत भाषाएँ हैं जिनमेंअपना ज्ञान है,जीवंता है,तोक्यों हम अपनी भाषाओं को खोयंगे।हमने अंग्रेजी का कभी विरोध नहीं किया लेकिन अंग्रेजी इस देश की भाषा नहीं है। हमें अंग्रेजीक्या पूरी दुनिया की भाषाओं को पढना है लेकिन मैं उन लोगों से पूछना चाहता हूं। क्या जो देशनीचे से लेकर उच्च शिक्षा तकअपनी मातृभाषा में शिक्षा देते हैं वो किसी से पीछे हैं, क्या जापान, फ्रांस, इंग्लैंड और दुनिया के तमाम जो विकसित देश हैं वो अपनी मातृभाषा में शिक्षा देते हैं क्या वो किसी से पीछे हैं,फिर ऐसे तर्क दे करके देश को कमजोर करने की बातक्यों की जाती हैंऔर इसीलिए हम भाषा के मुद्दे पर अपनी भारतीय भाषाओं को मजबूत करना चाहते हैं।इस शिक्षा नीति के अंतर्गत यदि कोई 4 वर्ष का कोर्स है और यदि कोई छात्र दो साल में परिस्थितिवशछोड़के जा रहा है तो पहले उसका पैसा एवं वर्ष खराब हो जाते थे लेकिन अब उसकोनिराश नहीं होना पड़ेगा,यदि आप परिस्थितिवश एक वर्षमें छोड़ कर जा रहे हैं तो उसको सर्टिफिकेटदेंगे,दो साल में छोड़ कर जा रहा है तो डिप्लोमा देगें, तीन साल में छोड़ेकर जा रहा है तो उसकोडिग्री देंगे लेकिन यदि फिर वह लौट कर अपने भविष्य को संवारना चाहता है तो फिरवह जहां से उसने छोड़ा था वहीं से शुरू कर सकता है। उसके लिए हम एक ऐसा क्रेडिट बैंक बनायेंगे जहां उसके सारे क्रेडिट जमा होंगेइसलिए उसके लिए आगे बहुत आपार संभावनाएं है।वह कहां जाना चाहता है, शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में जाना चाहता है।जहां हमने ‘नेशनलरिसर्च फाउंडेशन’ की स्थापना की है,जो कि प्रधानमंत्री जी के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार की अध्यक्षता में होगी जो शोध की संस्कृति को तेजी से आगे बढ़ाएगा। वहींहमनेतकनीकी के क्षेत्र में कि हमतकनीकी को नीचे स्तर तक, अंतिम छोर के व्यक्ति तक कैसे पहुंचा सकते हैं इसके लिए ‘नेशनल एजूकेशन टैक्नोलॉजीफोरम’का भी गठन कर रहे हैं। जिससेतकनीकी दृष्टि से भी देश समृद्ध हो सके। हम ‘स्पार्क’के तहत दुनिया के शीर्ष 127 देशों के साथ शोधकर रहे हैं। हम ‘स्टार्स’ में शोध कर रहे हैं,लेकिन अभी पेटेंट की जरूरत है। अभी जिस गतिशीलता से हमको आगे बढना है उस गतिशीलता से अभी भी हम बढ़े नहीं हैं और इसलिए एक शोध की संस्कृति हम तैयार करेंगे। इसलिए मेरे छात्रों को मैंने हमेशा कहा यह समय लौटकर नहीं आएगा,समय कभी वापस नहीं आता है। एक-एक मिनट को, एक-एक दिन को 24 घंटों को 48 घंटे में बदलने की कोशिश करो। हमको दुनिया को कुछ देना है हमहिन्दुस्तान की धरती पर जन्मे हैं दुनिया को देने के लिए पैदा हुए हैं और इसीलिए मैं समझता हूं चाहे शोध और अनुसंधान की दिशा में,चाहेतकनीकी के क्षेत्र में ‘नेशनल एजुकेशन तकनीकी फोरम’ बनाकर के ‘वन नेशन वन डिजिटल प्लेटफार्म’ और ‘वन क्लास वन चैनल’ अभीहम लोगों ने शुरू किया है मुझे यह बताते हुये भी खुशी होती है कि ‘स्वयं’ प्लेटफॉर्म कादुनिया के तमाम देश लाभ ले रहे हैं तो इसलिए मेरे छात्र-छात्राओं को पूरी ताकत के साथ आगे बढना है और हमने ‘लीप’ प्रोग्राम और‘अर्पित’ प्रोग्राम सिर्फ इसलिए रखा ताकि जो हमारे अध्यापक हैउनअध्यापकगणों को अत्याधुनिक तकनीकीजानकारी भी उपलब्ध होती रहे। अध्यापक जितना ताकतवर रहेगा, छात्र उतना ही आगे बढ़ेगा और इसीलिए यह जो लीपऔरअर्पित प्रोग्राम है यह जो शोधअनुसंधान के क्षेत्र में और अध्यापक प्रशिक्षण के क्षेत्र में जो कार्यक्रमहै इसके माध्यम से हम समर्थ हो सकेंगे। हम तभी जो हमारे लीडर हैं उनको एक यौद्धा की तरह तैयार करके मैदान में भेज सकते हैं।अभी जो नई शिक्षा नीति आयी है इसको देश के 99 प्रतिशत लोगों ने स्वीकार किया है और मुझे लगता है कि दुनिया में इससे पहले शायद ही किसी नीति पर इतना विमर्श हुआ होगा। हम 2.5 लाख ग्राम समितियों तक गए, हम गांव सेलेकर संसद तक गए,हम ग्राम प्रधान से हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री जी तक सबका विमर्श लिया। हमने राजनीतिज्ञों, विशेषज्ञों, वैज्ञानिकोंसे परामर्श लिया। उसके बाद भी उसको पब्लिक डोमेन में डाला ताकि किसी के मन में कोई शंका न रहे और उसमें भी हमें 2.25 लाख सुझाव आए तथा उस एक-एक सुझाव काबाकायदा विश्लेषण करने के बाद जो अमृत निकला वो नई शिक्षा नीति के रूप में पूरे देश के अंदर है। यही कारण है कि आज चाहे इंडोनेशिया हो, चाहे संयुक्तअरब अमिरात हो, चाहे आस्ट्रेलिया हो तमाम देशों के लोग हमसे संपर्क कर रहे हैकिहमअपने यहां भी आपकी शिक्षा नीति को लागू करना चाहते हैं। आजपूरी दुनिया में इसकी खूबसूरती महक रही है। मैं सोचता हूं कि अभी हमको जो यह अवसर मिला है इस अवसर को हमको अपने हाथ में लेना है। हम इसके ध्वजवाहक बनेंगे ताकि आने वाली पीढ़ी कह सके कि हम लोगों ने इस शिक्षा नीति को क्रियान्वित किया है और तेजी से किया है और बहुत तेजी से बहुत सारी चीजों को शुरू भी कर दिया है। मुझे भरोसा है कि मैंपहले भी जामिया में आया हूं और नजमा जी आपकी टीम बहुत अच्छी है और जहां टीम भावना नहीं होती है वहां तो लोग अपने को ढोते हैं, समय व्यतीत करते हैं। मेरा जामिया समय व्यतीत नहीं करता बल्कि एक मिशन मोड में काम करता है औरमुझे उसका रिजल्ट दिखता है।मैं सभी संस्थानों की बाकायदा समीक्षा करता रहता हूं। मैं इधर हूं लेकिन मुझे मेरे किसी भी विश्वविद्यालय के बारे में आप पूछेंगे कि किस विभाग की, किस विश्वविद्यालय कीक्यासहभागिता है। मैं उस संस्थान के अंदर घुसकर उसके विभागाध्यक्ष क्या-क्या कर रहे हैं, कौन किस क्षेत्र में शोध कर रहा है, कितना हो गया मेरे को सब मालूम है और इसलिए देश के चाहे जितने संस्थान हैं जब मैं उनकीसमीक्षा करता हूं मुझे आशा होती हैउसमें आपका भीविश्वविद्यालय पूरी ताकत के साथ काम कर रहा है। तोआपकी जो कुछ समस्याएं हैं, आपने बताई हैं, उसमें मंत्रालय आपको पूरा सहयोग करेगा और जो भी हो आप बताइये लगातार आप संवाद में भी रहती हैं। मुझे मालूम है किअध्यापक में परिवर्तन करने की चाह और राह दोनों होती है, वह कुछ भी कर सकता है और इसलिए मैं अध्यापकों के साथ चट्टान की तरह हमेशा खड़ा रहा हूं। मुझे भरोसा है कि हम इस नई शिक्षा नीति के आधार पर नए भारत के निर्माण की दिशा में और तेजी से आगे बढ़ेंगे और पूरे देश के अंदर एक ऐसा माहौल पैदा करेंगे कि देश में शोध की संस्कृति हो। दुनिया के सब विश्वविद्यालयों को मैं देख रहा हूं, दुनिया के सब शिक्षा मंत्रियोंसे भी मेरा निरंतर संवाद रहा है। ‘स्टडी इन इंडिया’ के तहत पूरी दुनिया के बच्चेहमारे देश में पढ़ने के लिए आ रहे हैं,जहां‘ज्ञान’के तहत बाहर की फैकल्टी यहां पढ़ाने के लिए आरही हैं वही ‘ज्ञान प्लस’ में हमारी भी फैकल्टी बाहर जाएगी क्योंकि हममेंसामर्थ्य है औरहम दुनिया को पढ़ाने के लिए जाएंगे और इस समय जो हमने‘स्टे इन इंडिया’ कार्यक्रमशुरू कियाक्योंकि हमारे देश से 7-8 लाख छात्र प्रतिवर्ष विदेशों में पढ़ने के लिए जा रहे हैं। हमारे देश का पैसा और प्रतिभा दोनों बाहर चली जाती हैं और वापस वह हमारे देश में नहीं आती है। इसलिए हमने‘स्टे इन इंडिया’ अभियान किया। हमने छात्रों को भरोसा दिलाया कि हमारे आईआईटी, एनआईटी, आईएसर, केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में योग्यता है, क्षमता है आपको बाहर जाने की जरूरत नहीं है, यहअब लोगों की समझ में भी आ गया है। मुझे इस बात की खुशी है कि पीछे के समय हमने जेईई परीक्षाएं करवाई। मुझे इसबात की भी खुशी है कि दो लाख से भी अधिक छात्र जोविदेश में जा रहे थेवे जेईई और नीट की परीक्षाओं में सम्मिलित हुए। हम ‘स्टे इन इंडिया’ के तहत दुनिया के शीर्ष सौविश्वविद्यालयों को अपनी धरती पर आमंत्रित कर रहे हैं। आपकोकहीं जाने की जरूरत नहीं है और यहां के जो शीर्ष विश्वविद्यालय हैं वेभीबाहर जा रहे हैं। यह आदान-प्रदान हम करेंगे। हमइन प्रतिभाओं को हर हालत में देश के अंदर रोकने की कोशिश करेंगे और निश्चित रूप में हमको सफलता मिलेगी। एक बार फिर मैं आप सबको धन्यवाद देता हूं और आपको बहुत शुभकामनाएं।
बहुत-बहुत धन्यवाद!
कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थिति:-
- डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
- श्री संजय शामराव धोत्रे, माननीय शिक्षा राज्य मंत्री, भारत सरकार
- प्रो. नज़मा अख्तर, कुलपति, जामिया मिलिया इस्लामिया केन्द्रीय विश्वविद्यालय
- श्री ए.पी. सिद्दिकी, कुलसचिव, जामिया मिलिया इस्लामिया केन्द्रीय विश्वविद्यालय
- डॉ. एज़ाज मसीह, डीन एजुकेशन, जामिया मिलिया केन्द्रीय इस्लामिया विश्वविद्यालय