पब्‍लिक स्‍कूल ऑफ फोरम के वार्षिक सम्‍मेलन का उद्घाटन

पब्‍लिक स्‍कूल ऑफ फोरम के वार्षिक सम्‍मेलन का उद्घाटन

 

दिनांक: 06 फरवरी, 2021

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

          पब्‍लिक स्‍कूल ऑफ फोरम के वार्षिक उत्‍सव समारोह में आप सबका मैं अभिवादन कर रहा हूं। ‘ग्रीन रूम ऑफ एजुकेशन एम्‍पॉवरिंग फ्युचर’यह विषय इस सम्‍मेलन का है, और इस अवसर पर हम लोगों के बीच एनसीईआरटी के पूर्व निदेशक डॉ. सेनापति जी और अनुपमा भारद्वाज जी, जो अध्‍यक्ष पब्‍लिक फोरम ऑफ स्‍कूल से हैं, रोहित बजाज जी, उपाध्‍यक्ष, सुश्री अंजना नारायण जी, सचिव शकुन्‍तला जी, कोषाध्‍यक्ष, सभी अन्‍य अधिकारीवर्ग, शिक्षकगण और जिन्‍हें आज सम्‍मानित किया जा रहे हैं वे सभी शिक्षाविद्, छात्र-छात्राओं और शिक्षा के प्रति समर्पित इस संस्‍थान के सभी सदस्‍यगण! आप जिस तरीके से‘ग्रीन रूम ऑफ एजुकेशन एम्‍पॉवरिंग फ्युचर’ विषय पर यह सम्‍मेलन कर रहे हैं, यह बहुत ही महत्‍वपूर्ण अवसर है और मुझे ऐसा लगता है कि यह वैश्‍विक बुनियादी ढांचे के लिए भी और शिक्षार्थियों में उच्‍च कोटि कावातावरण बनाने के लिए यह महत्‍वपूर्ण है। बहुत सारे विषय ऐसे हैं जिन पर आप आज यह सम्‍मेलन कर रहे हैं।

आपको तो मालूम है कि भारत की संस्‍कृति में गुरू का स्‍थान हमेशा ऊंचा रहा है और हमने हमेशा कहा है कि ‘‘गुरूर ब्रह्मा, गुरूर विष्‍णु, गुरूर देवो महेश्‍वरा:, गुरू साक्षात: पारब्रह्म तस्‍मै श्री गुरवै: नम:।’’ गुरू को भगवान से भी ऊंचा दर्जा दिया गया है क्‍योंकि गुरू ने ही हमें भगवान तक पहुंचने का रास्‍ता दिखाया है। यह हमारी परम्‍परा रही है और यदि भारत की सांस्‍कृतिक धरोहर को देंखें तो यह हमको दृष्‍टिगोचर होता है कि किस तरीके से राष्‍ट्र का निर्माण होता है, किस तरीके से चरित्र का निर्माण होता है, किस तरीके से संस्‍कारों को उदयीमान करके एक राष्‍ट्र का निर्माण हो सकता है।

आप सभी शिक्षकगण एक धुरी बनकर के राष्‍ट्र-निर्माण की दिशा में अहम भूमिका निभा रहे हैं निश्‍चित रूप में आपका जो योगदान है, वह अतुलनीय है। इस श्रेष्‍ठम कार्य के लिए ही शिक्षकों को भारतीय समाज में सर्वोत्‍तम स्‍थान पर माना गया है। विवेकानन्‍द जी ने कहा था कि सच्‍चा शिक्षक वह है जो छात्र की मनोस्‍थिति को समझ सके, अपनी आत्‍मा को छात्र की आत्‍मा में स्‍थानांतरित कर सके। ऐसा शिक्षक ही वास्‍तव में कुछ सिखा सकता है और कोई नहीं। शिक्षा सामाजिक संदर्भों में हो या विभिन्‍न पृष्‍ठभूमियों में हो, सभी लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करने के लिए राष्‍ट्र की आकांक्षाओं के प्रति उत्‍तरदायी और संवेदनशील होने जैसे विषयों का जो मार्गदर्शन होता है वह एक शिक्षक ही होता है। शिक्षार्थी की बदलती हुई सामाजिक जरूरतों के प्रति भी जागरूकता और अतीत के अनुभवों को राष्‍ट्र के विकास के लक्ष्‍यों एवं शैक्षणिक प्राथमिकताओं के साथ उसका समन्‍वय करके उसको आगे बढ़ाने का जो मिशन है उसे एक अध्‍यापक ही कर सकता है।

मुझे भरोसा है कि आप इस दिशा में निश्‍चित रूप से काम रहे हैं और आगे इस दिशा में हमेंऔर काम करना है। वर्तमान में विश्‍वपटल परशिक्षा के जोनये परिवर्तन हो रहे हैं उनसे विज्ञान और तकनीकी नवाचारों को बल मिल रहा है। ताकि विद्यार्थियों में जो दबी हुई प्रतिभा है उनको दिशा मिल सके और उसकी संवेदनशीलता पर ‘आत्‍मनिर्भर भारत’खड़ा हो सके। हमदेश के लिए एक अच्छा नागरिक तैयार कर सके,क्योंकि हमने सदैव ‘वसुधैवकुटुम्बकम’ कहा है। हम चाहते हैं कि हमारा जो छात्र है व न केवल अच्छा नागरिक हो बल्कि विश्व मानव के रूप में उसकाजो विचार है, जो उसका व्यक्तित्व है, जो उसका काम है,वो विश्‍वको अपना परिवार समझ कर उसपरिवार को सक्षम बनाना और उस प्रकार परिवार की प्रगति के लिए समर्पित होने जैसे महान व्यक्तित्व की आज जरूरत है। कोविडकी महामारी के संकट से पूरी दुनिया गुजरी है और हमारा देश भी इससे अछूता नहीं रहा है।

आपको मालूम है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देशहै और इसकी शिक्षा का वैभव देखें तो एक हजार से अधिक विश्वविद्यालय हैं, एक करोड़ 9 लाख अध्यापक हैं,15-16 लाख स्कूल हैं और पैंतालीस हजार से अधिक डिग्री कॉलेज हैं,विद्यार्थियों की संख्या को देखें तो अमेरिका की कुल आबादी जितनी नहीं है उससे भी ज्यादा हमारे छात्र-छात्राएं हैं। जब पूरा देश और दुनिया कोविड की कारण कैदहो गई और ऐसे समय में विद्यार्थियों को घर से बाहर निकलने की मुश्किलें हों और पूरा वर्ष बर्बाद होने की कगार पर हो तब ऐसे समय में उसके वर्ष को बर्बाद न करना औरमनो:स्थिति को अवसाद में न जाने देने जैसी विषम चुनौतियां शिक्षा विभाग के सामने थी।

लेकिन मैं शिक्षकों काअभिनंदन करना चाहता हूं आपने योद्धा की तरह विषम और विपरीत परिस्थितियों में डट करकेइनचुनौतियों का मुकाबला किया है और दुनिया में आज यह बड़ा उदाहरण बन गया है। हिन्दुस्तान के33करोड़ छात्रों को एक साथ आप ऑनलाइन पर लाये हैं, तो इसके लिए मैं आपका हमेशा अभिनंदन करता हूं। मुझे भरोसा है कि जिस तरीके से, जिस योद्धा के रूप में आपने फ्रंट लाइन पर आकर अपने छात्रों को बचाया है और उनको अवसाद में नहीं जाने दिया। समय पर पाठ्यक्रम को पूरा भी किया है तथा परीक्षाएं भी कराई हैंऔर रिजल्ट भी दिया है यह छोटा विषय नहीं है। स्‍वयं है, स्‍वयं प्रभा है, दीक्षा है, ई-पाठशाला है तमाम माध्यमों से, रेडियो के माध्यम से, टेलीविजन के माध्यम से और‘वन क्लास, वन चैनल’ इसको प्रायोजित करके बच्चे तक पहुँचने की हमने कोशिश की है। इस महामारी के समय में हमने पीएमई-विद्या और वैकल्पिक शैक्षणिक कलेण्डर केदिशा निर्देश और डिजिटल शिक्षा भारत रिपोर्ट और लर्निंगदिशा निर्देश बहुत सारी चीजें ऐसी हैं जैसे मनोदर्पण से लेकर के और ऑनलाइन शिक्षा के तमाम प्रयास किये हैं।

ऐसी महामारी के समय भारत ने जो किया है आज पूरी दुनिया उसेमान रही है। शिक्षक और शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए भी निष्ठा जैसा दुनिया का सब से बड़ा कार्यक्रम किया है और आपको मालूम होगा  कि जो हमारे बजट को घोषित हुआ है उसमें भी यह कहा गया की निष्ठा के तहत92लाख अध्‍यापकों का प्रशिक्षण करेंगे। कोविड के समय में भी किस तरीके से इन विषम परिस्थितियों में रास्ता निकाला जा सकता है, निष्ठा के तहतजो आपने मॉड्यूल तैयार किये वे शिक्षण प्रशिक्षण की दृष्‍टि से अद्भुत थे। नईशिक्षा नीति जो आई है आप उसकी खूबसूरती को जानते हैं और इसको लेकर पूरे विश्व में बड़ा उत्साह है और यह बड़े परार्मश औरविचार-विमर्श तथानवाचार के साथ आई है। शायद यह पहली शिक्षा नीति है जिसपर इतना व्यापक परामर्श हुआ है और आज पूरी दुनिया उसको लेकर के उत्साहित है और लगभग-लगभग दर्जनों देश उसे अपने यहां भी लागू करना चाहते हैं जो लगातार हम लोगों से परामर्श कर रहे हैं।नई शिक्षा नीति को देखेंगे तो यह मातृभाषा से शुरू होती है।

बच्‍चेअपनी मातृभाषा में स्कूली शिक्षा से वोकेशनलएजुकेशन तक कर सकेंगे। हम वो भी इंटर्नशिप के साथ कर रहे हैं। बच्‍चाकेवल अक्षर ज्ञान और किताब ज्ञान न पढे।आर्टिफिशल इंटेलिजेंस स्कूली शिक्षा से ही शुरू करने वाला हमारा देशदुनिया का पहला देश होगा। नई शिक्षा नीति मेंमूल्यांकन का भी टोटलीपूरा रास्ता बदल दिया है। अब 360 डिग्री होलिस्टिक मूल्यांकन होगा इसके तहत छात्र अपना भीमूल्यांकन करेगा,अभिभावक भी उसका मूल्यांकन करेगा, अध्यापक तो मूल्यांकन करेंगे ही साथ ही उसके साथी भी उसका मूल्यांकन करेंगे इससे पूरी तरीके से आत्म विश्वास के साथ खड़ा हो सकता है।आपउच्च शिक्षा तक किसी भी विषय को लीजिए। किसी भी विषय के साथ कोई दूसरा भी विषय लीजिए आपकोपूरी छूट है। अबकोई बाध्यता नहीं है तथासब बाधाएं दूर कर दी हैं।

इस शिक्षा नीति के अंतर्गत यदि कोई 4 वर्ष का कोर्स है और यदि कोई छात्र दो साल में परिस्‍थितिवशछोड़के जा रहा है  तो पहले उसका पैसा एवं वर्ष दोनों खराब हो जाते थे लेकिन अब उसकोनिराश नहीं होना पड़ेगा।यदि आप परिस्‍थितिवश एक वर्षमें छोड़ कर जा रहे हैं तो उसको सर्टिफिकेटदेंगे,दो साल में छोड़ कर जा रहा है तो डिप्लोमा देगें, तीन साल में छोड़कर जा रहा है तो उसकोडिग्री देंगे लेकिन यदि फिर वह लौट कर अपने भविष्य को संवारना चाहता है तो फिर जहां से उसने छोड़ा था वहीं से शुरू कर सकता है।

उसके लिए हम एक ऐसा क्रेडिट बैंक बनायेंगे जहां उसके सारे क्रेडिट जमा रहेंगेइसलिए उसके लिए आगे बहुत आपार संभावनाएं है। यह पूरी दुनिया के लिए बहुत खूबसूरत है।यह शिक्षा नीति सामान्य नहीं है। यह नेशनल भी है, इंटरनेशनल भी है, यह इंटरेक्‍टिवभी है, इम्पैक्टफुल भी है,इनोवेटिवभी है और यहइक्विटी, क्वालिटी और एक्सेस की आधारशिला पर खड़ी होती है।हम इसमें कंटेंट भी पैदा करेंगें और उसको टैलेंट केसाथ भीजोड़ेगें और उसका पेटेंट भी करायेंगे।

आज भी देश के अन्‍दर छात्रों में केवल पैकेज की होड़लगीहै।इस पैकेज की होड़ को खत्म करके पेटेंट के होड़को तैयार करना होगा तभी देश प्रगति के पथ पर आगे बढ़ सकता है। यह शिक्षा नीति लोकल से ग्लोबल तक जाने का रास्ता तय करेगी। अनुसंधान केक्षेत्र में नेशनल रिसर्चफाउंडेशन का गठन किया जा रहा है तथा तकनीकी के लिए नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम का गठन किया जाएगा। अंतिम छोर तक के बच्चे को तकनीकी की शिक्षा दी जाएगी। इसमें शिक्षकों के प्रशिक्षण की भी बहुत सुदृढ योजना है क्योंकि शिक्षक जब समर्थहोगा और जब शिक्षक आत्मविश्वास से भरा होगा,तभीवहज्ञान कापुंजहोगा और तभी वो अपने छात्रों को आगे बढ़ा सकते है।

शिक्षकों के लिए बिल्कुल अलग से मानक तैयार किये जा रहे हैं और शिक्षक भी बनना अब सामान्य नहीं होगा। भी शिक्षकों का अलग ही महत्व है और हमने इसके लिए कार्यबल गठित किया है। राष्‍ट्रीयपाठ्यचर्याजो एनसीएफ हैउसका भी जल्दी से जल्दी गठन हो रहा है और जो पाठ्यक्रम होगावहभारत केंन्‍द्रित होगा। वह भारत के ज्ञान, विज्ञान अनुसंधान और सांस्कृतिक परंपराओं की भी आधारशिला के साथ ही आगे बढ़ता रहेगा। मुझे भरोसा है कि आप लोग जिस तरीके से काम कर रहे हैं और आपकी संस्था जिस तरीके से राष्ट्र निर्माण की दिशा में और जीवन मूल्यों के संरक्षण की दिशा में काम कर रही है। उससे भारत निश्‍चित रूप से विश्‍वगुरू बनेगा।आज यह अवसर है जब इस संस्था के लोगों का मैं अभिनंदन करता हूं तथा विशेषकर उनशिक्षकों का अभिनंदन करता हूं जो सम्मानित हो रहे हैं।

आप इसी तरीके से समाज की अग्रिम पंक्ति में खड़े हो करके छात्र के निर्माण में, राष्ट्र के निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभाते रहें।मैंएक बार आपको इस सम्मेलन की बहुत सारी बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. डॉ. ऋषिकेश सेनापति, पूर्व-निदेशक, एनसीईआरटी,
  3. डॉ. अनुपमा भारद्वाज, अध्‍यक्ष, पब्‍लिक स्‍कूल ऑफ फोरम,