योजना एवं वास्‍तुकला स्‍कूल, भोपाल का भूमि पूजनएवं शिलान्‍यास कार्यक्रम

योजना एवं वास्‍तुकला स्‍कूल, भोपाल का भूमि पूजनएवं शिलान्‍यास कार्यक्रम

दिनांक: 18 जनवरी, 2021

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

योजना एवं वास्‍तुकला विद्यालय भोपाल के शैक्षणिक भवन के शिलान्‍यास के अवसर पर मैं इस पूरे परिवार को बधाई देने के लिए आपके बीच आया हूं। इस अवसर पर जो हमारे साथ दूर से ही जुड़े हैं इस क्षेत्र की बहुत ही लोकप्रिय सांसद साध्‍वी प्रिया ठाकुर जी, इस क्षेत्र के विधायक श्री रामेश्‍वर शर्मा जी,और संस्‍थान के निदेशक जी,संकाय सदस्‍य और डी.जी. श्री मदन मोहन जी। मुझे बहुत खुशी है कि आपके संस्‍थान के इस भवन का अभिकल्‍प मांडु स्‍थित महादेव मन्‍दिर से प्रेरित है और मुझे लगता है कि इस भवन के निर्माण के माध्‍यम से न केवल आपकेसंस्‍थान के वर्तमान की जरूरतें पूरी होंगी बल्‍कि राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति  2020की जो भविष्‍य की परिकल्‍पनाएं हैं उसको भी आपका यह संस्‍थान सफल करेगा और साथ ही वास्‍तुकला स्‍टूडियो के निर्माणमें भी सहायता प्रदान करेगा। यह शैक्षणिक ब्‍लॉक जिसका इस समय यहां पर शिलान्‍यास किया गया इस पूरे एसपीए के सभी संकाय, विभागाध्‍यक्ष, सभी छात्र-छात्राएं और हमसे जुड़े भाइयो और बहनों जब अभी पूजा अर्चना हो रही थी तब मैं भी आपके साथ सम्‍मिलित था। हमारे विद्वान आचार्य अपने श्‍लोकों के उद्बोधन से हमको अभिप्रेरित कर रहे थे और इस शैक्षणिक ब्‍लॉक के इस शिलान्‍यास अवसरपर मैं आप सबका अभिनन्‍दन करता हूं। मुझे लगता है कि जो भारतीय वास्‍तुकला की श्रेष्‍ठता है उससे मेरे छात्र-छात्रएं परिचित हैं। भारत विश्‍वगुरू रहा है और विश्‍व गुरू रहने के पीछे जो उसकी प्राचीन कलाएं थीं, ज्ञान था, वास्‍तुकला थी वो पूरी दुनिया में श्रेष्‍ठ थी और मुझे खुशीहै कि उस श्रेष्‍ठता को अर्जित करने के लिए एसपीए भोपाल लगातार प्रयासरत है। ऐतिहासिक प्रभावों के माध्‍यम से निश्‍चित रूप में भारतीय वास्‍तुकला पर गहरा असर पड़ा है। हमारे जो स्‍मारक हैं उनकी भव्‍यता उस समय की गाथा को हमको  महसूस कराती है जो हमारी स्‍थापत्‍य कला की शैलियां थी उनको पुन: प्रतिष्‍ठित करने का यह हमारे सामने अवसर भी है और हमारे सामने चुनौतियां भी हैं क्‍योंकि जो वास्‍तुकलाउस समय की है आज भी हजारों-हजार साल पहले का जो शिल्‍प है, जो वास्‍तुकला है, जो शैली है, मुझे भरोसा है कि उस स्‍थापत्‍य कला की शैली को निश्‍चित रूप में एसपीए भोपाल एक मिशन के रूप में अंगीकार करके आगे बढ़ायेगा। मैं छात्रों से कहना चाहता हूं कि जब चुनौती होती है और उन चुनौतियों का डटकर मुकाबला किया जाता है तो वह अवसरों में तब्‍दील होती है। विश्‍वगुरू भारत जिसके बारे में  कहा गया‘एतद् देश प्रसूतस्य शकासाद् अग्रजन्मन:, स्वं-स्वं चरित्रं शिक्षरेन् पृथ्वियां सर्व मानव:’ अर्थात्पूरी दुनिया के लोगों ने हमारे वास्‍तुकलाव स्थापत्य कला से आकर के सीखकरके गए हैं। मैं दुनिया के तमाम देशों में जाता हूं और आप कभी इंडोनेशिया के प्रवास पर जाएंगे तो आपको हमारी शैली की भव्‍यता के दर्शन होंगे। हमारी प्राचीन स्‍थापत्‍य कला की समृद्धि को आज विकसित करने की आवश्‍यकता है। आप तो बिखरे हुएको जोड़ते हैं और कल्पना को धरती पर साकार रूप देते हैं और मैं सोचता हूं कि आप जिस कल्पना को साकार रूप देते हैं उसमें कितनी खूबसूरती होगी। जब हम किसी चीज की कल्पना करते हैं तो कल्पना करने से ही मन में उसकी खूबसूरती, उसकी भव्यता और उसकी जो विशालताहमारे मन में समाती है। हम पहले किसी चीज की कल्पना करते हैं औरफिर उसको नीचे उतारते हैं और उसको पहले एक नक्शे के रूप में लाते हैं और जब वो जमीन पर भवन के रूप में खड़ा होता है तो उसकी जो खूबसूरती होती है, उसका जो जुड़ाव होता है, उसके अंदर की जो खुशबू है जिसके संरक्षण में कुछ चीजें ऐसी पनपेंगी जो पूरे विश्व में भारत को ज्ञान की महाशक्ति के रूप में स्थापित करेंगी। आपको मालूम है कि जोनई शिक्षा नीति आई है वो इन्हीं चीजों को ले लेकर आई है।वोभारत केन्द्रित होगी, वो नेशनल भी होगी,वोइंटरनेशनल भी होगी,वो इम्‍पैक्‍टफुल भी होगी, वो इन्‍क्‍लुसिव भी होगी, वो इनोवेटिव भी होगी और इन्‍टरैक्‍टिव भी होगी और वोभारतीय ज्ञान परंपरा के आधारशिला पर खड़े होकर पूरे विश्व में एक बार फिर मेरे भारत को ज्ञान की महाशक्ति के रूप में उठाएगी। यह ज्ञान की महाशक्ति के रूप में जो उसकी आधारशिला हैं वो आपसे हो करके गुजरती है। मुझे भरोसा है कि जब मैं देख रहा था कि चाहेइससंस्थान की एनआईआरएफ में रैंकिंग हो या कोई अन्‍य क्षेत्र, सभी जगह श्रेष्‍ठ प्रदर्शन किया है। आपके संस्थान ने देश के महत्वपूर्ण संस्थानों के साथ पारस्परिक अनुबंध करके शोध और अनुसंधान किया है। मैं देख रहा था कि आज एसपीएभोपाल ने अपनी योग्यता का प्रदर्शन किया है और यहां के अध्यापकगण को मैं बधाई देना चाहता हूं और इस अवसर पर यह भी अपेक्षा करना चाहूंगा कि जो नयी शिक्षा नीति यह पूरी दुनिया के सबसे बड़े रिफार्म के रूप में आई है जो भारत केन्द्रित है। लेकिन ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान और नवाचार को लेकर के पूरे विश्व के फलक तक तथा शिखर पर पहुँचने के लिए कटिबद्ध है। शिक्षा नीति और उसके क्रियान्‍वयनके बीच जो समन्वयकयोद्धा हैं, वे हमारे शिक्षक हैं,आप निश्चित रूप से आज जितने भी मेरे शोध छात्र हैं,मेरे प्रोफेसरगण हैं मेरे शिक्षक और जो मेरे छात्र-छात्राएं हैं, वे समाज की जोजिज्ञासा है, जो उसकी भावनाएं हैं, जो संभावनाएं हैंउस सबकी पूर्ति करेंगे। वास्तुकला योजना और डिजाइन के अनुशासनके माध्यम से सार्वभौमिक डिजाइन संरक्षण और पर्यावरण जीविका को साथ में रख कर के एवं सांस्कृतिकता का समन्वय करके हमको वो हमको सभी दिशाओं में प्रयास करने हैं। इसीलिए आपने देखा कि जो पहले हमारी वास्तुकला थी उसमें बहुत सशक्तता थी। उसमें सभी प्रकार का ज्ञान और विज्ञान तथासंस्कृति यह सब कुछ समाहित था। आज पूरी दुनिया उसका लोहा मानती है कि भारत की जो ज्ञान परंपरा थी, जो भारत की वास्तुकला थी वो बेजोड़ नमूना था और वो आज भी हमारे पास है। मुझे भरोसा है कि आप उसका उपयोग करेंगे। मुझे इस बात की खुशी है कि 2008 में जब 102 छात्रों के साथ यह संस्‍थानशुरू हुआ था और आज 66संकाय सदस्यों के साथ 863 से भी अधिकयहां पर छात्र हैं और वर्ष 2014आपको राष्ट्रीय महत्व केसंस्थान का दर्जा मिला। इस संस्थान के अंदर पढने वाला हर छात्र राष्ट्रीय महत्व के संस्थान में पढ़ता है उस पर ठप्पा लगता है कि राष्ट्रीय महत्व के संस्‍थान का वह विद्यार्थी है और वह सामान्य नहीं हो सकता। यदि भारत को देखें आपतो भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिकदेश है और यदि इसके शिक्षा के वैभव को देखें तो एक हजार से भी अधिक विश्वविद्यालय हैं, 45 हजार से भी अधिक डिग्री कॉलेज हैं, एक करोड़ 9 लाख से भी अधिक अध्यापक हैं, 15 से 16 लाख स्कूल हैं और यदि छात्र शक्ति को देखें तो कुल अमेरिका की जितनी आबादी नहीं है उससे भीज्यादा 33 करोड़ छात्र-छात्राएं हिंदुस्तान की धरती पर हैं।यह वैभव हिंदुस्तान का ही हो सकता है और जैसे कि आप सबको मालूम है कि आगे 25-30 वर्षों तक मेरा हिंदुस्तान यंग इंडिया रहने वाला है और पूरी दुनिया में हमकुछ भी कर सकते हैं। हममें विजन की कमी नहीं है, हम मिशन और विजन दोनों कोजोड़ेंगे। नई शिक्षा नीति में हमउत्कृष्ट कोटि का कंटेंट लेंगे। यहशिक्षा नीति अब कंटेंट को आपके टैलेंट के साथ जोड़ करके और एक नये पेटेंट को तैयार करना चाहती है। मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं किमेरे प्रिय छात्र-छात्राओं इस अवसर पर कि एक दौर था जब पैकेजकी होड़ लगी थी। आज समय बदल गया है और हिन्दुस्तान अंगडाईले रहा है, नये भारत की शुरूआत हो रही है, अब पैकेज की जरूरत नही है बल्कि पेटेंट की ज़रूरत है,होड़ अब पेटेंट के लगेगी। हमशोध और अनुसंधान करेंगे। आप नौकरी के लिए नहीं जाएंगे बल्कि नौकरी देने वाले लोगों में आपकी पहचान होगी। आपकीगिनती नौकरी देने वाले लोगों में होगी, नौकरी लेने वाले लोगों में नहीं। इसलिए मुझे भरोसा है कि आप अपने मन में इस बात को संकल्प के साथ खड़ा करेंगे। यदि इस देश के प्रधानमंत्री फाइवट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की बात करतेहैंऔर संकल्प लेते हैं तो उस सपने को साकार हमको करना है। 21वीं सदी का स्वर्णिम भारत ऐसा होगा जो सुंदर भारत, सशक्त भारत, समृद्ध भारत, आत्मनिर्भर भारत, श्रेष्ठ भारत होगा। यह आत्मनिर्भर भारतऔरश्रेष्ठ भारत यहीं से होकर गुजरेगा। मेरा अकेले यह विश्वविद्यालय राष्ट्रीय महत्व का संस्थान हैयह कुछ भीकर सकता है। यहां से निकलने वाला मेरा एक हीराएक ब्रांडके रूप में अपना नाम कमा सकता है और उसकी तरफपूरी दुनिया देख रही है। मुझे भरोसा है कि आप स्‍मार्टशहरोंमें और गांवों में क्षेत्रीय विकास से जो ग्रामीण विकास है आपउसको मिशन पूर्वक करेंगे। आदिवासियों और स्वदेशी से संबंधित परियोजनाएं जो प्रधानमंत्री जी के नये भारत के दृष्टिकोण में समाहित हैं, मैं जरूर चाहूंगा कि आप उस भारत की भव्यता को सामने लायेंगे। दुनिया आज उसके लिए तरसती है और वो सब हमारे पास है। मैं देखता हूं कि हमारे पहाड़ों में हिमालय के क्षेत्रों में ऐसे-ऐसे मकान बने हैं जो भारी भयंकर भूकंप आने के बाद भी वो मकान कभी ढहते नही है। 1991 का जो उत्तरकाशी और उस क्षेत्र का भीषण भूकंप आया था उसको मैंने प्रत्‍यक्षदेखा था तब मैं उत्तर प्रदेश की विधान सभा में होता था। इसलिएजो हमारी वास्तु कला थी उस वास्तु कला में हमारी भव्‍यता के दर्शन होते हैं। इस पर शोध और अनुसंधान करकेइसको आगे बढ़ाने की जरूरत है। राष्ट्रीय एजंसियों और विश्वविद्यालयों के साथ आप सहयोगात्मक सहभागिता कर रहे है साथ ही आपसंयुक्‍तराष्ट्र हैबिटेट और यूरोपीययूनियन जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ भी आप काम कर रहे हैं जिसके लिए मैं निदेशक और उनकेपूरे सहयोगियों को बधाई देना चाहता हूं। मुझे भरोसा है कि आप एक नया इतिहास रचेंगे इस भोपाल के एसपीएमेंऔर निश्‍चित रूप में  वास्तु कला को संरक्षण देने की आज ज़रूरत है। इसीलिए हमने नई शिक्षा नीति लाई है जिसका उत्सव आज पूरे देश में मनाया जा रहा है। इस नई शिक्षा नीति को हमने भारत केंद्रित किया है।भारत की जो ज्ञान-विज्ञान परंपरा थी जो उसका शोध और अनुसंधान था उसको हम किसी तरीके से बाहर लाकरके पूरे विश्व में बांटना चाहते हैं। अभी आपको मालूम होगा कि कैम्ब्रिज ने बहुत खुशी व्यक्त की और उन्होंने कहा किपहले हिंदुस्तान पूरे विश्व का ज्ञान का बहुत बड़ा केंद्र था और नईशिक्षा नीति 2020  के माध्‍यम से हम उसको पुनर्जीवित कर रहे हैं जो विश्व के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। य ब्रिटेन के विदेश मंत्री जी जब मुझसे मिलने के लिए आए थे औरउनसेभी इस सन्‍दर्भ में विचार-विमर्श हुआ था। अभी संयुक्त अरब अमीरात ने कहा कि हम एनईपी चाहते हैं। तमाम देशों के लोग नई शिक्षा नीति के प्रति न केवल आकर्षित हैं बल्‍कि उसको क्रियान्वित करना चाहते हैं। पूरी दुनिया फिर भारत को जानना चाहती है। हमारे पास सब कुछ है,जरूरत है उसको समझने की, उस पर अनुसंधान और शोध करके नवाचार के रूप में आगे बढ़ाने की और यह आपसे हो करके गुजरता है। आपने भोपाल औरमैसूर में सिटी डवलपमेंट और पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों के साथ लचीलापन और आपदा प्रबंधन का उपयोग करते हुए जीरो वैलीअरुणांचल प्रदेश और जोधपुर में पर्यावरणका महत्‍वपूर्ण काम आपने किया है।इसके लिए भी मैं आपको बधाई देना चाहता हूं।आपनेअटल मिशन के तहत शहरी परिवर्तन के कायाकल्प को ध्यान में रखते हुए इम्फाल मणिपुर में भी काम किया है, मैं उसकी भी सराहना करना चाहता हूं। आपने स्वच्छ भारत अभियान के संचालन में भी काम किया है और अभी कोविड के समय में भी आपने बहुत अच्छा काम किया है। आपके छात्रों ने नए-नए शोध और अनुसंधान किए हैं और जो भोपाल का सौर ऊर्जा का जोपैनल 250 किलोवाट लगभग का है उसको स्थापित करके आपने आत्मनिर्भर भारत जो मेरे देश के प्रधानमंत्री ने कहा है उसका एक उदाहरण भी दिया है। मुझे अच्छा लगा है कि आपने कैम्पस की झीलों का जीर्णोद्धार किया और बांस का वृक्षारोपण करके सघन जल संचयन का भी काम किया। हम जो ज्ञान अर्जित कर रहे हैं उसको साथ-साथ में देने की भी अभिलाषाहमारे मन के अंदरहोनी चाहिए और मुझे भरोसा है किआप जो अर्जन कर रहे हैं उसकोसाथ-साथ देने की भी प्रक्रिया आपने की है। मुझे भरोसा है कि उन्नत भारत अभियान के तहत इस संस्था ने जिन गांवों को गोदलिया होगा उसके सन्‍दर्भ में मैंमध्यप्रदेश की सरकार से जरूर कहना चाहूंगा। मैं अपने मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी जो हमारे बड़े भाई और हमारे मित्र भी हैं उनसे कहूंगा किजो गांव एसपीए भोपाल ने गोदलिए हैं, उन गांवों का दर्शन करिए ताकि वो गांव दिखने चाहिए। वो आदर्श गांव होने चाहिए, मैं यह अपेक्षा कर रहा हूं। इस संस्थान से मुझे इस बात की भी खुशी है कि आपके पूर्व छात्रों ने भारत के पारंपरिक और समकालीन मूल्यों का प्रतिबिंब बन करके विकास किया है। अभी अभिनव अग्रवाल आज जिनको  सामाजिक उद्यमिता के तहत ‘फोर्ब्‍स30’ के रूप में चुना गया है, मैं उनको भी बधाई देना चाहता हूं। पीयूष वर्मा उन्होंने एमआईटी मानुष लैब स्थापित किया है,मैं उनको भी बधाई देना चाहता हूं। निपुण प्रभाकर हो ,चाहे नवजीत गौरव हो और चाहे प्रीतम पटनायक हो,चाहे उदित सरकार हों ऐसे बहुत सारे लोग हैं जो आपके यहां से पढ़कर के अपना अच्छा नाम कमा रहे हैं औरसंस्थान का गौरव बढ़ा रहे हैं। आपके छात्र शोध और अनुसंधान के साथ आगे निकलेंगे और एक उदाहरण के रूप में देश के सामने प्रकट होंगे ताकि देश और दुनिया आपके शोध और अनुसंधान को आगे बढ़ा सके और आपकी इस प्रतिभापर गौरव कर सके। मुझे भरोसा है कि जो पूर्व छात्र हैं वो जहां-जहां भी हैं इस संस्‍थान के साथ जुड़ाव रखेंगे।इस संस्‍थान ने सार्वभौमिक डिजायन और सामाजिक सशक्‍तिकरणकी दिशा में भी आज जो आलोकिक कार्य वास्तुकला के क्षेत्र में काम किया है उसको हमारे जो छात्र पढ़ रहे हैं, वो तो करेंगे हीकरेंगे लेकिन मैं पूर्व छात्रों से भी अनुरोध करूंगा कि वो भी इसमें अपनीसहभागिता दें इससे आपको खुशी होगी। मैंनिदेशक महोदय से ज़रूर कहूंगा कि यह अवसर ऐसा आया है और मैं यहां के सभी पूर्व छात्रों के साथ में संवाद करना चाहूंगा कि वो जिन-जिन स्थानों पर हैं उनको भी एक वर्ष में एक बार इस संस्थान के साथ जुड़ना चाहिए और बताना चाहिए किवो क्‍या कर रहे हैं और क्या करना चाहते हैं। यहसंस्थान उनको क्या सहयोग कर सकता है और वो क्या कर रहे हैं, उनका अनुभव मेरे नये छात्रों को मिल सकेगा। आपनेराष्ट्रीय शिक्षा नीति को क्रियान्वित करने की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता जताई है और इसदिशा में भोपाल एसपीएआगेकरके काम कर रहा है, मुझे इसके लिए भी मुझे खुशी है। भोपाल एक सांस्कृतिक नगरी है और भोपाल की देश में तथापूरी दुनिया में एक अलग पहचान है। उस कला को, संस्कृति को, भारत की ज्ञान परंपराएं हैं उनको, हम संजो करके संवार करके आगे बढ़ा सकते हैं। इसका भी आप संकल्प लेंगे और इस दिशा में आप काम कर रहे  हैं। मेरे प्रिय छात्र-छात्राओं भारत की विभिन्न परंपराओं और सांस्कृतिक मेंबौद्धिक संपदा है उससंपदा को हमको संजो करके रखना होगा और जो हमारी बौद्धिक संपदा है उसे हमें हीसुरक्षित रखना है। यदि किसी परिवारके व्यक्ति के पास कहीं कोई संपत्ति होती है और उसके संरक्षण करने का उसमें दमनहीं होता है तो वो उसको ऊपर भी उठा करके ले करके जाता है। हमारी संपदाए बिखरी हुई थी,देश गुलाम था और  हमारी उन संपदाओं को पूरी दुनिया उठाकर करके ले गई है। लेकिन आज हम स्‍वाधीन हैं हम उन परंपराओं को, उन संपदाओं को, जो बिखरी हुई है तथा जो परस्थितियों का शिकार हुई हैं उनको उभार करके  हम निश्चित रूप में आगे ला सकते हैं। उस बौद्धिक संपदा को निश्चित रूप में आगे बढ़ाने की दिशा में हम एक महत्वपूर्ण पहल को कर सकते हैं। मुझे लगता है कि जितने भी वास्तुकार हैं, योजनाकार हैं,डिजायनर हैं उन्‍हेंहमारी बस्तियों में भी जाना चाहिए। मेरा देश इतना बड़ा देश हैं, गांव का देश है। अभी भी हमारे पास अवस्थापना है उसेकिस तरीके से आगे व्यवस्थित और विकसित किया जा सकता है। उसका क्या रास्ता निकल सकता है। कम स्थान में, कम पैसे से तथा अधिक और टिकाऊ क्या चीजें निकल सकती हैं। जिससेमेरे देश के अंतिम छोर के व्यक्ति को भी उसका लाभ मिल सकता है और भारत सरकार भी आप पर गौरव कर सकें।मैं इस अवसर पर जबकि आज शैक्षणिक भवन का शिलान्यास हो रहा है, मैं निदेशक को, उनके इस पूरे परिवार को बहुत-बहुत  बधाई देता हूं। आज बहुत खुशी का दिन है कि आपकीशैक्षणिक गतिविधियोंको तेजी से बढ़ाने के लिए एक भव्य भवन का शिलान्यासहो रहा है। मैं इस सब अवसर पर आपकी खुशी मेंसम्‍मिलितहोने के लिए मैं आया हूं। मैं आपको बधाई देने केलिए आया हूं।मैंनौजवानों आपका आह्वानकरने के लिए आपके बीच आया हूं कि मौका है इस वक्त पूरी दुनिया हमको निहार रही है, देख रही है। अब अवसर है और पूरा मैदान खाली है, हमको बहुत तेजी आगे बढ़ने की जरूरत है। मैं एक बार फिर बहुत सारी शुभकामनाएं  देता हूं।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. सम्‍मानित साध्‍वी प्रज्ञा ठाकुर, संसद सदस्‍य, लोक सभा
  3. श्री रामेश्‍वर शर्मा, विधायक, मध्‍यप्रदेश विधानसभा
  4. डॉ. एन. श्रीधरन, निदेशक, एसपीए भोपाल,
  5. श्री मदन मोहन, डीजी, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार