राष्‍ट्रीय अभिनव दिवस के अवसर पर कपिला बौद्धिक सम्‍पदा, साक्षरता एवं जागरूकता के लिए कलम कार्यक्रम

राष्‍ट्रीय अभिनव दिवस के अवसर पर कपिला बौद्धिक सम्‍पदा, साक्षरता एवं जागरूकता के लिए कलम कार्यक्रम

 

दिनांक: 15 अक्‍टूबर, 2020

 

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

          मेरे सहयोगी शिक्षा राज्‍य मंत्री आदरणीय संजय जी, उच्‍च शिक्षा के सचिव अमित खरे जी, अपर सचिव श्री राकेश रंजन जी, एआईसीटीई के चैयरमैन अनिल सहस्‍त्रबुद्धे जी, कंट्रोलर जनरल पैटेन्‍ट एंड ट्रैडमार्क आफिस श्री ओ. पी. गुप्‍ता जी, जिनका आज सबसे बड़ा रोल होने वाला है, श्री पी.एल पूनिया जी हमारे यशस्‍वी उपाध्‍यक्ष जी और इस सारेनवप्रवर्तन के हमारे प्रकोष्‍ठ के मुख्‍य प्रवर्तन अधिकारी अभय जैरे जी, सचिव राजीव कुमार जी, सभी विश्‍वविद्यालयों के कुलपतिगण, प्राचार्यगण और अध्‍यापकगण और एआईसीटीई का परिवार तथा गुप्‍ता जी से जुड़ा परिवार।

 

मुझे लगता है कि हमारे मंत्री जी ने भी और एआईसीटीई के चैयरमैन ने भी और अभी जो प्रस्‍तुतिकरण सामने हुआ है उसके बाद हम एक स्‍थान पर पहुंचते हैं और पहुंचते यहां हैं कि बहुत कुछ करने की जरूरत है। अभी कहीं न कहीं कुछ चूक हुई है जो आंकड़े आपने दिये हैं, वो चौंकाने वाले हैं। इस देश में जब यहां तक्षशिला और नालन्‍दा जैसे विश्‍वविद्यालय थे तब भारतमें 97 प्रतिशत साक्षरता होती थी। दुनिया में ज्ञान,विज्ञान,अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में हमारे देश का कोई सानी नहीं था। यदि आप उस युग को देखेंगे तो भारत तो वही भारत है और इसलिए मैं यह समझता हूं कि जिसकी अपनी संपदा नहीं है तो फिर दूसरे की संपदा पर तो बहुत दिनों तक न तो ज़िंदा रहा जा सकता है और न हीनंबर एक हुआ जा सकता है। अपनी जो बौद्धिक संपदा नहीं है किसी के पास तो कोई भी संपदा नहीं है। इसीलिए आज हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती है इतना बड़ा देश जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, इतना बड़ा देश जिसमें उच्च शिक्षा की दिशा में एक हजार से अधिक विश्वविद्यालय हों और 45 हजार से अधिक डिग्री कॉलेज हों, जिसमें एक करोड़ नौ लाख से अधिक अध्यापकगण हों, इतना बड़ा तंत्र और आज जो हमारा पेटेंट है जो हमारीशोध की स्‍थितिहै उसमेंअभी हम बहुत पीछे हैं।आपने जो आंकड़े बतायें हैं वो बहुत चौंकाने वाले है। मैं पीछे के समय में देख रहा था कि आज से 10-15 वर्ष पूर्व चीन और हम लगभग लगभग समान रूप में थे। उन 15 वर्षों में वो क्या कुछ हुआ कि उसने इतना जंप मार कर के, उस आसमान को छू रहे है और हम जहां के तहां खड़े हो रखे हैं। अभी भारत में अनुसंधान से संबंधित चिंताएं, स्‍वाभाविक है कि हमारी चिंताएं विज्ञान तथा इंजीनियरिंग को लेकर है उसमें मैंदेख रहा था 2018 का आंकड़ाजिसमें चीन में528200 शोध पत्रों की संख्या होगी जबकि अमेरिका में 422802 की संख्‍या थी जबकि भारत में 135788।अब कहां 135788, कहां 4 लाख और कहां 5 लाख। यह बहुत चिंता का विषय है। यदि पेटेंट की बात करेंगे यह तो केवलशोध पत्र की बात है। यदि पेटेंट की बात करेंगे तो 2019 कोही हम देखते हैं तो चीन में 154000 पेटेंट हैं, अमेरिका में 597141 हैं, जापान जैसे छोटे से देश में 313567हैं,कोरिया जैसे गणराज्य में 29992 हैं।यदि भारत की स्थिति देखते हैं तो 50000। हमारे यहां पैंतालीस हजार तो डिग्री कॉलेज  हैं,45 हजार डिग्री कॉलेजों में केवल 50 हजार पेटेंट हैं। आखिर देश प्रगति कैसे कर सकेगा? हमारे अपने पेटेंट के सन्‍दर्भ में उस खाई को पाटने की जरूरत है तो इसकोपाटने का काम गुप्ता जी करेंगेऔर हम उनके पीछे उनके साथ दौड़ेंगे।पेटेंट आज हमारे लिए बहुत बड़ी चुनौती है। मेरेदेश के प्रधानमंत्री जी ने इक्कीसवीं सदी के स्वर्णिम भारत की कल्पना की है वह ऐसा भारत होगा जो जो स्वच्छ भारत होगा,सशक्त भारत होगा,समृद्ध भारत होगा,आत्मनिर्भर भारत होगा और श्रेष्ठ भारत होगा जो इस पेटेंट से होकर गुजरेगा। हम अपनी समस्याओं पर शोध करके पेटेंट क्यों नहीं कर सकते इसमें कठिनाई क्या है। मुझे पता है कि विगत समय में कुछ दिक्‍कतें रही हैं तथा उचित वातावरण नहीं बन पाया है। मैं पहले वर्ष 2013-14 से पहले का आंकड़ा देख रहा था, उसकी मैं यहां अधिक चर्चा नहीं करना चाहता हूं लेकिन इतना तो निश्‍चित है कि आदरणीय मोदी जी के आने के बाद इस दिशा में एक वातावरण बना है और मैं अभी देख रहा था कि वैश्‍विक नवाचार सूचकांक में 2020 की जो रैंकिंग है उसमेंभी हमने आठ स्‍थान ऊंचाई पर पहुंचेहैं जबकि वर्ष 2015 में हम 81वें स्‍थान पर थे। लेकिन अब हमें छलांग मारनी पड़ेगी क्‍योंकि हमारी जो गति है चलने की, अभी जो स्‍पीड है उसको बहुत बढ़ाना पड़ेगा और इसलिए मैं समझता हूं कि दो-तीन प्रकार की हमारे सामने चुनौतियां होंगी। हमारे महान् वैज्ञानिक, पूर्व-राष्‍ट्रपति, भारत रत्‍न श्री अब्‍दुल कलाम जिन्‍होंने हमारा माथा पूरी दुनिया में ऊंचा किया है आज उनके जन्‍म दिवस के अवसर पर हम सब लोग नवाचार की प्रक्रिया और ज्ञान-सम्‍पदा पर परिचर्चा कर रहे हैं। अब्‍दुल कलाम जी के जम्‍नदिन पर आज हम नवाचारका जो शुभारम्‍भ कर रहे हैं उसके लिए हमने तय किया  है कि हम इसको नेशनल इनोवेशन डे के रूप में मना करके उनको श्रद्धांजलि देंगे। आज उनके जन्‍मदिवस पर इस ‘कपिला’ के माध्‍यम से एक ऐसा संकल्‍प आज हम लेंगे कि नवाचारों और शोध तथा अनुसंधान के उनके विजन को पूर्ण कर सकें। एक तरफ हमारे इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, दूसरी तरफ हमारे विश्‍वविद्यालय हैं और तीसरी ओर जो ये हमारे राष्‍ट्रीय महत्‍व के संस्‍थान हैं राकेश रंजन हमारे साथ जुड़े हुए हैं और मैं कहना चाहूंगा कि रोकश जी उसे आपको मिशन मोड में लेना होगा। यशस्‍वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी के नेतृत्‍व एवं मार्गदर्शन में हमारी नई शिक्षा नीति आ रही है जो भारत केन्‍द्रित होगी और साथ ही यह अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर की भी होगी। जर्मनी जैसे देश 14-14 विश्‍वविद्यालय संस्‍कृत के बना रहे हैं और उस पर शोध और अनुसंधार कर रहे हैं। हमारे प्राचीन साहित्‍य में इतनी सम्‍पदा बिखरी पड़ी है जिसे आज तक किसी ने छुआ भी नहीं है जैसे आयुर्वेद के क्षेत्र में जो 30-35 हजार जड़ी-बूटियां हैं जिनमें संजीवनी बूटीहैं जो पूरी दुनिया को जिन्‍दा कर सकती हैं। दुनिया के मानव के तन को ठीक कर सकती हैं। हमारे महान् चरक ऋषि ने इस पर जो काम किया है उस पर हजारों-हजारों लाखों पेटेंट हो सकते हैं। हमारे पास आर्यभट्ट जो महान् गणितज्ञ हैं उनकी तमाम संपदा भी हैं जिन्‍होंने पूरी दुनिया को गणित के क्षेत्र में सबकुछ दिया। उसको क्‍या-क्‍या पेटेंट कर सकते हैं, सैंकड़ों, हजारों, लाखों नवाचार के साथ उसका अध्‍ययन करने की जरूरत है। उस वैदिक गणित को और चाहे विश्‍व सभ्‍यता के विषय रहे हों हम पीछे से उनको पढ़ पा रहे हैं जिन्‍हें नवाचार के साथ, अनुसंधान के साथ तथा पेंटेंट की प्रक्रिया के साथ आगे बढ़ाना होगा। हमारा देश हमेशा विश्‍वगुरू रहा है जिसके बारे में कहा गया है ‘एतद्देशप्रसूतस्‍य सकाशादग्रजन्‍मन:। स्‍वं स्‍वं चरित्रं शिक्षेरन पृथिव्‍यां सर्वमानवा:।।’ तक्षशिला, नालन्‍दा और विक्रमशिला  जैसे विश्‍वविद्यालयों को देने वाला यह देश जहां पूरी दुनिया आ करके ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान का अनुसरण करती हो, हमारे पेटेंट तो पूरी दुनिया में रहने ही चाहिए। हमसे लोगों को कुछ पाना चाहिए और इसलिए मैं यह समझता हूं कि चाहे कपित मुनि का सर्वजन दर्शन का विषय हो और चाहे उनकी प्रकृति के स्‍वयं तत्‍व के विवेचन का विषय रहा हो और चाहे कणाद ऋषि का वैशेषिक दर्शन हो या भौतिक विज्ञान की दिशा में उनका काम रहा हो हमको किसी से मांगने की जरूरत नहीं है बल्‍कि शोध अनुसंधान करके नवाचार को आगे बढ़ाने की जरूरत है। यह शल्‍य चिकित्‍सा का जनक भी भारत की धरती पर ही पैदा हुआ है। पूरी दुनिया सुश्रुत को समझती है। हमारे यहां इतना अधिक काम हुआ है लेकिन हमने पेटेंट नहीं किये हैं जिसे अब शोध और अनुसंधान के माध्‍यम से आगे बढ़ाना है। पहले की यदि बात करेंगे तो कितना कुछ है हमारे पास। ज्‍योतिष विज्ञान के क्षेत्र में हम शिखर पर थे। आज लोग हंसी उड़ाते हैं जब हम ज्‍योतिष विज्ञान की बात करते हैं। हंसी तो उड़ाते हैं लेकिन क्‍या कभी शोध और अनुसंधान के माध्‍यम से उसको उस सीमा तक आगे बढ़ाने की कोशिश हुई।  नागार्जुन के नाम से तो आप सभी लोग परिचित होंगे रसायन विज्ञान के आप सब वैज्ञानिक लोग बैठे हुए हैं। उनका सम्‍पूर्ण ज्ञान साहित्‍य भी आज हमारे पास पड़ा हुआ है, तब आप कैसे तर्क कर सकते हें। आर्यभट्ट के बारेमें भी मैंने बताया, पातंजलि के योगसूत्र के बारे में मैंने बताया लेकिन कब उस पर अनुसंधान हुआ कब उसमें नवाचार के साथ पेटेंट होने की बात आई। इसलिए मैं समझता हूं कि हमारे पास यदि पीछे मुड़ कर देखें तो बहुत अपार संपदा है। मैं आह्वान करना चाहूंगा अपने नौजवानों को, अपने छात्रोंको कि पूरा मैदान खाली है आपके लिए और दुनिया को बताने की जरूरत है। ऐसे समय में जबकि हमारी नई शिक्षा नीति आई है जिसमें हमने स्‍कूली शिक्षा से वोकेशनल स्‍ट्रीम के साथ इंटर्नशिप भी शुरू किया है।  मेरे देश के प्रधानमंत्री ने कहा कि हम लोकल से ही ग्‍लोबल होंगे और उसे अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर लेकर जायेंगे। आज उस पर काम करने की जरूरत है। मुझे भरोसा है और पीछे के समय में आपने किया भी है और जो हमारे ज्ञान की संपदा है इसके लिए छात्रों ने स्‍टार्ट अप के लिए भी रणनीति बनाई है और रणनीति की दिशा में अब वो अपना काम भी कर रहे हैं। अभी जिस अभियान में आपने कहा है कि 10 हजार पेटेंट करेंगे, मैं गुप्‍ता जी को कहूंगा कि अभी जब चर्चा करते हैं कि कोई कॉलेज क्‍यों नहीं कर रहे तो उसका शुल्‍क खत्‍म कर दो तथा उसे प्रोत्‍साहन दो कि जो विश्‍वविद्यालय, जो कॉलेज इतना पेटेंट करेगा उसको और प्रोत्‍साहन देंगे और वैसे भी अब ‘नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’ जो प्रधानमंत्री जी के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार की अध्‍यक्षता में निर्मित हुआ है। उसके द्वारा हम कोशिश कर रहे हैं कि पूरे देश के अंदर शोध और अनुसंधान का माहौल बनें। दुनिया के श्रेष्‍ठ विश्‍वविद्यालयों के साथ अनुसंधान कर रहे हैं। अभी तो दुनिया के एक हजार आसियान देशों के छात्र हमारे आईआईटी में शोध के लिए आ रहे हैं। अभी एआईसीटीई के चेयरमैन ने जब पिछली बार ‘युक्‍ति-2’ आयोजित किया था। जब आईआईटी के छात्रों ने शोध और अनुसंधान किया तो हमने सब एक पोर्टल पर लाकर के किया था। जब दुनिया में कोरोना की महामारी के संकट से दुनिया गुजर रही थी तब ऐसे अवसर पर मेरे भारत की धरती पर शोध और अनुसंधान करने वाले मेरे छात्र अध्यापकों की कोई कमी नहीं रही है और उस युक्ति पोर्टल का आप विजिट करेंगे तो आपको खुशी होगी। मैंने पूछा युक्ति-2 क्यों चाहिए तब हमारे एआईसीटीई के चेयरमैन ने कहा कि हजारों-हजार छात्रों के दिमाग में बहुत सारे आइडियाज हैं और युक्ति-2 का हम ऐसा प्लेटफॉर्म बनाएंगे जब पूरी दुनिया तथा देश के लोग विजिट करेंगे मुझे इस बात की खुशी है और मैं बधाई देना चाहता हूं और एआईसीटीई के चेयरमैन को कि उनकी अगुवाई में उनकी टीम ने बहुत अच्छा कार्य किया। आज वह बहुत तेजी से आपका पोर्टल अब बढ़ रहा है तथा लोग उसकी प्रशंसा कर रहे हैं तथा जो आत्मनिर्भर भारत है वह भी इसकी एक बड़ी आधारशिला बनेगा। मैं समझता हूं इसको कैसे करके और आगे तेजी से कैसे बढ़ा सकते हैं तथा एक रणनीति के तहत कैसे कर सकते हैं इस पर काम करने की जरूरत है मैं सोचता हूं देश को ग्लोबल इनोवेशन उद्यमिता और स्टार्ट अप का हाल कैसे करके हम लोग इसको सुनिश्चित कर सकते हैं इस पर भी एक रणनीति बनाने की जरूरत है और जो स्किल है क्योंकि हम कक्षा 6 से वोकेशनल स्ट्रीम के साथ इंटर्नशिप भी लाए हैं और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में दुनिया का पहला देश होंगे जो स्कूली शिक्षा से इसको शुरू करेंगे मैं यह समझता हूं कि यह बहुत अच्छा अवसर है और अब हम लोग सब जुनूनी तरीके से इस क्षेत्र में जुड़ेंगे तो निश्चित रूप में जिस तरीके से हमने स्टडी इन इंडिया के तहत एक और पूरी दुनिया के लोगों को एक ब्रांड बनाया है आज 50 हजार के करीब दुनिया के छात्रों ने हमारे यहां रजिस्ट्रेशन किया है और अब होड़ लग रही है हमने स्टडी इन इंडिया के साथ-साथ स्टे इन इंडिया भी कहा है क्योंकि जो छात्र बाहर जा रहे हैं हम उनको आश्वस्त करना चाहते हैं नई शिक्षा नीति के तहत हम दुनिया के शीर्ष सौ विश्वविद्यालय को भारत की धरती पर आमंत्रित करेंगे और हमारे भी विश्वविद्यालयों को दुनिया में जाने की इजाजत देंगे और निश्चित रूप में हम अपने संस्थानों को ऐसा परिवेश बनाएंगे वैसे भी हमारी संस्थाएं समृद्ध हैं ऐसा नहीं है कि हमारे संस्थानों में क्षमता नहीं है मैं आह्वान करना चाहता हूं अपने देश के नौजवानों को इस गलतफहमी को दूर करना चाहिए कि विदेशों में ही शिक्षा प्राप्त करके वह किसी ऊंचे स्थान पर पहुंच सकते हैं यदि सुंदर पिचाई हमारे आईआईटी खड़कपुर से जाकर दुनिया का नेतृत्व कर सकता है और मेरे जो आईआईटी इंजीनियरिंग कॉलेज और विश्वविद्यालय हैं उनकी जब मैं एक श्रंखला देखता हूं अपने पूर्व छात्रों की तो विश्व के शीर्ष संस्थाओं में लीडरशिप ले रहे हैंहिन्‍दुस्‍तान की धरती से पढ़ करके जा करके यह नौजवान उसकी लीडरशिप ले रहे हैं तो मैं उन छात्रों से और नौजवानों से भी आह्वान करना चाहूंगा कि मेरे देश का पैसा भी प्रतिवर्ष डेढ़ लाख करोड़ रूपये जाता है विदेशों में और आठ लाख छात्र विदेशों में पढ़ रहे हैं। मेरे देश का पैसा भी और प्रतिभा भी दोनों देश के काम नहीं आते हैं। पैसा इधर का लगता है और वो प्रतिभा दूसरे देशों को उठाने का काम करती हैं उनके आर्थिक सुदृढ़ता से लेकर काम करती है। अब देश करवट ले रहा है जो नया भारत, समृद्ध भारत, सक्षम भारत बन रहा है, वह 21वीं सदी का स्‍वर्णिम भारत हो रहा है और इसमें शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में नवाचार के कदम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं इसलिए मैंने अभय को कहा था कि वह तेजीसे इस दिशा में एक निश्‍चित अवधि के अंदर-अंदर कहां-कहां, क्‍या-क्‍या हो सकता है इस पर कार्य करें अब शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में जहां नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की हम स्‍थापना कर रहे हैं वहां नेशनल एजुकेशन टैक्‍नोलॉजी फोरम का गठन भी कर रहे हैं ताकि तकनीकी दृष्‍टि से अंतिम छोर तक उसका पूरा उपयोग कर सकें और इसको भी हम तेजी से आगे बढ़ाना चाहते हैं। मुझे भरोसा है कि हम विश्‍व स्‍तर पर अपने टैलेंट को भी बढ़ाएंगे और पेटेंट को भी बढ़ाएंगे। हम टैलेंट को ढूंढेंगे, उसको विकसित भी करेंगे, उसका विस्‍तार भी करेंगे और हम पेटेंट को भी विस्‍तार देंगे और  इसी के आधार पर हम रिफॉर्म करेंगे और परफॉर्म भी करेंगे। हमारे लिए चुनौती है लेकिन मैदान हमारे सामने पूरा मैदान खाली है। हम अनुसंधान और नवाचार दोनों को लेकर निश्‍चित रूप में आगे बढ़ेंगे ऐसा मेरा भरोसा हैं। मैं समझता हूं कि जितने भी उच्‍च संस्‍थाएं हैं उन सबको आगे बढ़कर इस दिशा में काम करना चाहिए और जो आज ‘कपिला’ का यहां पर शुभारम्‍भ हो रहा है मुझे भरोसा है कि ‘कपिला’ के माध्‍यम से हम देश को आत्‍मनिर्भर और मेरे देश के प्रधानमंत्री की वर्ष 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की आर्थिकी की उनकी जो संकल्‍प है उस रास्‍ते को भी हम पूरी दुनिया में आगे बढ़ा सकेंगे। समयबद्ध तरीके से सभी संस्‍थानों में चलाया जाएगा। यह अभियान पैंतालिस पचास हजार डिग्री कॉलेजों में जाए, एक हजार से भी अधिक महत्‍वपूर्ण और राष्‍ट्रीय महत्‍व की संस्‍थाओं तक जाए, एक हजार से भी अधिक विश्‍वविद्यालयों के अंदर जाए और इसके लिए समन्‍वय के साथ एक मिशन मोड में काम करेंगे तो निश्‍चित रूप में हम लोग इस दृष्‍टि से बहुत आगे जा सकते हैं। हमें एक मॉडल भी बनाना है ताकि विश्‍व उसका अनुसरण कर सके। जैसे मैंने कहा कि टैलेंट को पेटेंट तक पहुंचने का रास्‍ता तैयार करेंगे क्‍योंकि टैलेंट तो हमारे पास है लेकिन उसका रास्‍ता पेटेंट तक जाना है। जितने भी लोग हम यहां बैठे हुए हैं और जितनी भी संस्‍थाएं हैं उन्‍हें आपस में एक सेतु का काम करना है कि किस तरीके से जो कार्य हम कर लेते हैं पेटेंट तक की उसकी यात्रा सफलतम हो सके। मैं समझता हूं हम लोगों को कलाम साहब की इस भावना के साथ सलाम करने की आवश्‍यकता है कि हम जो नवाचार की उनकी कल्‍पना थी उसको हम साकार करने के लिए संकल्‍प लेंगे। आज शिक्षा मंत्रालय हर दिशा में चाहता है कि आगे बढ़ें, सब लोग मिलकर काम करेंगे तभी इस सफलता को हम पा सकते हैं और जो बिखरी हुई समस्‍याएं हैं हमारी उनके माध्‍यम का रास्‍ता तलाश सकते हैं। हमारा इतना बड़ा देश, 130 करोड़ लोगों का देश है, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है जितनी बड़ी समस्‍याएं हैं उतने बड़े विजन भी हैं और छोटे बड़े अवसर भी हैं तो इन अवसरों को पकड़ने की जरूरत है। मुझे लगता है कि निश्चित रूप में जो हम बार-बार कहते हैं कि समाज और शोध एक दूसरे के पूरक हैं और हमें इन कड़ियों को जोड़ना है हम बार-बार कह रहे हैं कि भारत को हम ज्ञान की महाशक्ति बनाएंगे भारत आत्मनिर्भर बनेगा और 21वीं सदी का स्वर्णिम भारत होगा और जो मेक इन इंडिया डिजिटल इंडिया से होकर जो हमारा रास्ता जाता है उसको हम सशक्त कर सकते हैं अब स्टडी इन इंडिया के तहत एक अभियान चला है वह भी इसमें काम करेगा तो निश्चित रूप में राज्य और केंद्र सरकार के संयुक्त अभियान में एक यह जो बड़ा अभियान है यह राष्ट्र की उन्नति के शिखर का अभियान है क्योंकि कोई भी देश बिना नवाचार के बिना तथा पेटेंट के बिना कभी खड़ा नहीं हो सकता है मैं अपनी संस्थाओं को देखता हूं कि क्‍यूएस रैंकिंग में हमारी संस्थाएं कहां खड़ी है तो मुझे एक ही गड्ढा दिखाई दे रहा है और बहुत तेजी से अब उस गड्ढे को भी पाटना है अनुसंधान का पेटेंट का जिस दिन गड्ढा खत्म हो जाएगा और पैटेंट हम करना शुरू कर देंगे और ताकत के साथ करेंगे यदि हम मिशन मोड में आ गए तो आप देखेंगे कि एक ही साल में या 2 साल में आप किस शिखर पर पहुंच जाएंगे नई शिक्षा नीति बिल्कुल नीचे स्कूली शिक्षा लेकर के और उच्च शिक्षा तक हर क्षेत्र में आगे बढ़ाएगी मुझे लगता है जैसे आपने 1600 संस्थाओं को जोड़ा है आपने रजिस्ट्रेशन किए हैं और मेरे को बताया गया है कि 25000 कार्यक्रम नवाचार के माध्यम से हुए और 115 संस्थाओं को जो फाइव स्टार मिले हैं मैं उनको बधाई और शुभकामना देना चाहता हूं यह हमारी स्टार संस्थाएं हैं और यह इस काम को आगे बढ़ाएंगे और उनके सानिध्य में जो और संस्थाएं आगे बढ़ेगी यह भी एक बहुत अच्छा संकेत है कि हम बौद्धिक संपदा अभियान में कपिला को लेकर जाएंगे तो अपनी इस नहीं शिक्षा नीति का संदेश लेकर जाएंगे जो नेशनल भी है इंटरनेशनल भी है यह भारत केंद्रित मेरी नई शिक्षा नीति 2020 जिसको व्यापक तरीके से गांव से लेकर लोकसभा तक और ग्राम प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक और शिक्षक से लेकर शिक्षाविदों तक छात्र से लेकर अध्यापक तक विशेषज्ञों से लेकर एनजीओ तक सभी क्षेत्रों से व्यापक परामर्श के बाद जो यह अमृत निकला है जिसको आज देश के 99% लोगों ने स्वीकार किया है राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को दुनिया के तमाम देश लागू करने के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं हम लोगों से संपर्क एवं संवाद कर रहे हैं यह शिक्षा नीति मूल्य परक होगी भारत केंद्रित होगी और इसलिए पूरी दुनिया के शिखर पर पहुंचने कि इसमें ताकत है हम अपनी मातृभाषा से शुरू करेंगे और दुनिया के शिखर तक जाएंगे इससे लोगों में बहुत खुशी है ऐसे अवसर पर जबकि नई शिक्षा नीति का माहौल पूरे देश के अंदर है तब यह कपिला का शुभारंभ होना देश के लिए शुभ सूचक है गुप्ता जी जल्दी से जल्दी आप एक मीटिंग बुलाई है जिसमें राकेश रंजन प्रोफेसर अनिल सहस्त्रबुद्धे प्रोफेसर पूनिया जी जो इसको लीड कर रहे हैं जो इस क्षेत्र में आपके साथ जोड़ करके जिसमें आप आयुष के सचिव को बुला सकते हैं और एक टीम बना दीजिए और आप टारगेट दे दीजिए कि आगे 2 वर्ष के अंदर आप हिंदुस्तान की धरती पर इतना काम करेंगे तथा 24 घंटे को 48 घंटे में बदल कर दुनिया के लोगों को बताएंगे कि हम रात दिन काम करके दुनिया को अपना असली स्वरूप दिखा सकते हैं हमारी सब चीजें पेटेंट हो सकती है क्योंकि हमारे पास टैलेंट है टैलेंट और पेटेंट दोनों का समन्वय करना है मेरी शुभकामना आपके साथ है मेरा सौभाग्य है कि कलाम साहब के बहुत निकट रहने का मुझको अवसर मिला उनके विजन को मैं महसूस कर सकता हूं जब एक बार उन्होंने मुझसे कहा था कि आपके तो 1983 से ही देश के आकाशवाणी केंद्रों पर देशभक्ति के गीत आते हैं तो इन सबको एक साथ इकट्ठा क्यों नहीं कर सकते हो उनकी प्रेरणा से मैंने लगभग सौ सवा सौ देशभक्ति के गीतों का संग्रह किया जिसका लोकार्पण करते समय जिस तरीके से उन्होंने एक कविता को गुनगुनाया था देशभक्ति का जो सागर था पिछली बैठक में हमारे आईआईटी खड़कपुर ने उनके नाम पर एक अंतरराष्ट्रीय अतिथि गृह बनाया है तब मैंने उनको कहा कि देश भक्ति का उनके मन के अंदर क्या जुनून था एक अखबार बेचने वाला एक सामान्य बच्चा पूरी दुनिया में भारत का माथा ऊंचा करता हो और भारत रत्न कहला कर के देश की पीढ़ी को प्रेरित करता हो उनके लिए शब्द कम है वह एक छोटी सी कविता गुनगुनाते थे और उनको बहुत प्रिय लगती थी अभी है जंग जारी वेदना सोई नहीं है मनुष्यता होगी धरा पर संवेदना कोई नहीं है किया है बलिदान जीवन निर्मलता दो ही नहीं है और कह रहा हूं ए वतन तुझ से बड़ा कोई नहीं है और जब वह लास्ट की पंक्तियों को बोलते थे तो उनकी आंखों से आंसू निकलते हुए मैंने स्वयं अपने सामने देखे थे तो उस समय मेरे मन में आया था कि मैं कलाम साहब की अंदर की हलचल पर एवं उनके जीवन दर्शन पर मैं कुछ जरूर लिखूंगा उनके जीते जी तो नहीं लिख पाया लेकिन मैंने बाद में उनके एक वाक्य को आधार बनाकर सपने जो सोने ना दे यह पुस्तक लिखी थी और यह बहुत लोकप्रिय हुई उन्होंने कहा था कि सपने ऐसे बुनो जो तुमको चैन से ने बैठने दे सोने ही ना दें ऐसे सपने जब तक क्रियान्वित नहीं हो जाते आज उनकी स्मृति में यह पुस्तक 13 14 भाषाओं में है नौजवानों मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि देशभक्त प्रकार प्रख्यात विज्ञानिक विचारक कलाम साहब के विचारों को अपने जीवन में धारण करें इसी के साथ में आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. श्री संजय शामराव धोत्रे, माननीय शिक्षा राज्‍य मंत्री, भारत सरकार
  3. श्री अमित खरे, सचिव, उच्‍च शिक्षा, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार
  4. श्री राकेश रंजन, अपर सचिव, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार
  5. प्रो. अनिल सहस्‍त्रबुद्धे, अध्‍यक्ष, एआईसीटीई
  6. श्री ओ. पी. गुप्‍ता, कंट्रोलर जनरल, पैटेन्‍ट, डिजाईन एवं ट्रेडमार्क
  7. विभिन्‍न विश्‍वविद्यालयों के कुलपतिगण, अध्‍यापगण, प्राचार्यगण एवं अन्‍य उपस्‍थित जन।