लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी द्वारा गुरू नानक देव जी की 551वीं वर्षगांठ पर शांति, न्याय और वैश्विक सद्भाव पर आयोजित वेबिनार
दिनांक: 18 दिसम्बर, 2020
माननीय शिक्षामंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
आज के इस अवसर पर जबकि गुरु नानक देव जी के 550 जन्मोत्सव को पूरी दुनिया बहुत उत्साह व उमंग के साथ मना रही है और इस उत्साह और उमंग की इस लहर में, इस वेग में इसको लीडरशीप आगे देते हुए जो यह लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी है, यहहमेशा निर्माणिक क्षेत्र में पहली पंक्ति में खड़े हो करके काम करता है और आज भी इस विश्वविद्यालय ने पहली पंक्ति में वो महान विभूति जिसकी वाणी आज पूरे विश्व के लिए अमृत है उन गुरु नानक देव जी के 550वेंजन्मोत्सव के अवसर पर अपने विश्वविद्यालय में एक पीठ स्थापित की है और इस अवसर पर छात्रों के लिए बहुत सहज और सरल भाषा में गुरुदेव के जीवन से जुड़ी कुछ घटनाओं को, कुछ बातों को,तथा उनकी वाणी को बच्चों तक पहुँचाने के लिए इस पुस्तक के अंग्रेजी अनुवाद के संस्करण का लोकार्पण किया है मैं इस अवसर पर उपस्थित पंजाब राज्य के तकनीकी शिक्षा और औद्योगिक प्रशिक्षण मंत्री आदरणीय श्री चरनजीत सिंह चन्नी जी, एक्सीलेंसी रोबेन गोसाई जी, अशोक मित्तल जी चांसलर लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी,श्री मार्टिन सिंह जी जो कनाडा से जुड़े हैं,श्री गुनेन्द्रर मान जी जो निदेशक है ग्लोबल इंस्टीट्यूट ऑफ श्री स्टडीज न्यूयार्क अमेरिका के, इस विश्वविद्यालय के कुलपति, रजिस्ट्रार और उपाध्यक्ष, अध्यक्ष और सभी अध्यापकगण और पूरी दुनिया से लगभग 64 देशों से जो इस विश्वविद्यालय के अंदर पढ़ रहे हैं सभी छात्र-छात्राएं, सभी अभिभावक औरआज जो अपने विशिष्ट अन्य अतिथिगण हैं। मैं इस अवसर पर आपका अभिनंदन कर रहा हूँ, आपका स्वागत कर रहा हूं। मुझे इस बात की खुशी है कि वैश्विक सद्भावना और मानवता के लिए गुरुवाणी की कितनी आवश्यकता आज है। इस विषयपर अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार आपने सुनिश्चित किया है और मुझे भरोसा है कि जो गुरु की वाणी है वह निश्चित रूप से मानवता के लिए सार्थकता लाकर के लोगोंकोएक नया जीवन देगीऔर दुनिया से जो वैमनस्यता है, जो असहिष्णुता है, जो हिंसा है वो मिटेगी और मानवता के सृजन की एक नई आधारशिलाबहुत तेजी से आगे बढ़ेगी। मैं एक बार सभी जो लोग जुड़े हैं उनका अभिनंदन कर रहा हूँतथास्वागत कर रहा हूँ। मेरे हिन्दुस्तान की परंपरा रही है किहमने गुरु को हमेशा भगवान के तुल्य माना है और हमने कहा है‘गुरुर ब्रह्मा, गुरुर विष्णु,गुरुर देवो महेश्वरः गुरुः साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः।’ हमने हमेशा गुरू को ईश्वर का रूप माना है तथा हमने गुरू में भगवान के दर्शन किये हैं। हमारे कबीर कहते थे कि ‘गुरु गोविन्द दोनों खड़े, काके लागू पाय, बलिहारी गुरु आपने, गोविन्द दियो बताये’ यदि गुरु और भगवान आमने सामने खड़े हों तो पहले गुरु के चरणों में वंदनहोता है क्योंकि गुरु नेही भगवान तक पहुँचाने का मार्ग प्रशस्त किया है। इसलिए मेरे लिए आप पहले पूजनीय हैं क्योंकि वहां तक पहुँचाने का काम आपने किया है, आपके मार्ग-दर्शन में हुआ है तो यह हमारी परंपरा रही है और गुरु नानक जी ने जिस तरीके से, जिन विषम परस्थितियों में उस समय की स्थितियों में जिस तरीके से मानवता का हमको पाठ पढ़ाया, जिस तरीके से बहुत सहज-सरल बातों में करके और जिन्दगी का पाठ पढ़ाया, मानवता का पाठ पढ़ाया, वह वंदनीय है। हमारे विचारों को किस तरीके से मनुष्य को ईश्वर की सबसे सुन्दर कृति है।वो कैसे अच्छी रह सकती है तथा द्वेष भाव कैसे दूरहो सकता है। सारा विश्व एक परिवार है,वो परिवार कैसे अच्छा रह सकता है, यह हमारे गुरुदेव ने हमको सिखाया हमने यह उनकी वाणी से सीखा है। मुझे बहुत खुशी होती है कि इस विश्वविद्यालय के अशोक जी जिनको मैं बधाई देना चाहता हूं कि आप कहीं न कहीं रचनात्मक दिशा में जुड़े रहते हैं और मानवीय मूल्यों के शिखर पुरुष गुरुदेव के नाम पर आपने आश्चर्य स्थापित किया हैऔर मुझे भरोसा है कि आपका यह प्रयास पूरे देश और दुनिया में एक नए आयाम को स्थापित करेगा। आज पूरी दुनिया को गुरुजी की उस वाणी की आवश्यकता है। जो शांति और सुख इन दोनों का अमृत बरसायगी।उनकी वाणी आदमी को आगे बढ़ने की प्रेरणा देगी तो निश्चित रूप से आपके विश्वविद्यालय में जो आज यह स्थापित हुआ है इसके लिए मैं आपको बहुत बधाई देना चाहता हूँ औरधन्यवाद देना चाहता हूँ।मैंने गुरू नानक देव जी अमृत वाणी को बहुत सरल भाषा में बच्चों तक पहुंचाने के लिए यह छोटी सी पुस्तिका तैयार की थी, जिसके अंग्रेजी संस्करण को भी आज आपने किया है, उसके लिए धन्यवाद तथा बधाई देना चाहता हूँ और डॉक्टर राजेश नैथानी ने जिस तरीके से कहा कि पूरी दुनिया में यह पुस्तक छा रही है एवं लोगों में बहुत लोकप्रिय हो रही है देश के नहीं बल्कि दुनिया की विभिन्न भाषाओं में हमारी यह धरोहर बच्चों तक पहुंच रही है। पूरी दुनिया यह जो युवा हैं, यह जो बच्चे हैं इनकोहम अपनी कुछ चीजें दे सकते हैं, बांट सकते हैं तो मुझे ज्यादा अच्छा लगता है। वैसे भी आपको मालूम है कि हिन्दुस्तान दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और इस दुनिया के बड़े लोकतांत्रिक देश मेंएक हजार से अधिक विश्वविद्यालय हैं,45हजार से अधिक डिग्री कॉलेज हैं, यहां 16 लाख के लगभग स्कूल हैं और अध्यापकों को देखें तो 1 करोड़ 10 लाख से भी अधिक यहां पर अध्यापक हैं और छात्र-छात्राओं की संख्या को देखें तो कुल अमेरिका की जितनी आबादी नहीं है उससे भी ज्यादा 33करोड़ छात्र-छात्राएं हैं। यह है इस हिन्दुस्तान का विशाल दर्पण और इसलिए जो युवा है उसको गुरूजी के विचारों के निकट लाना है। हमारी कोशिश है और इसकीइस समय न केवल हिंदुस्तान को बल्कि पूरीदुनिया को जरूरत है क्योंकि पीछे के समय जब मैं यूनेस्को में गया था तभी मेरे मन में ऐसा विचार आया। यूनेस्को की डीजी ने कहा कि असहिष्णुता बढ़ रही है तथा लोगों में छोटी-छोटी बातों में पारस्परिक असमानता है एवं तमाम प्रकार की हिंसा का वातावरण बन रहा है।उनको तब ही मैंने यह कहा कि हिंसा की प्रवृत्ति बढ़ रही हो यास्वार्थ लोलुपता बढ़ रही हो और ऐसी तमाम बहुत सारी बातें हैं जिसकी जड़ में, जिसके मूल में, मानवीय मूल्य हैं। जब आदमी मानवीय मूल्यों से होकरके नहीं गुजरता है तथा जब उसको मनुष्य बनाने की जगह मशीन बनाते हैं और उसका एक ही लक्ष्य है कि कैसे करके वह अपनी सुख सुविधाओं को जुटा सकता है।हमने उसे लक्ष्य नहीं दिया कि कैसे वह अपने संस्कारों को पा सकता है एवं वो अपने विचारों को पा सकता है। अपने जीवन को सार्थक करने की दिशा में आगे बढ़ने की अभिलाषा पा सकता है तो जब इसका मानवीय मूल्यों से जुड़ाव नहीं होतातो नये संकट पैदा होते है और इसलिए मैं यह समझता हूँकिआज की परिस्थितियों में यह बहुत जरूरी है कि गुरूदेव की उस वाणी को जिसमें उन्होंनेपूरी दुनिया को अपना माना,उन्होंने ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की बात की है। गुरुदेव ने कहा पूरी वसुधा हमारा परिवार है और जब हम परिवार मानते हैं तो परिवार में सुख और दुख मिल करके कहते हैं ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्यद् दुख भागभवेत।‘अर्थात् जब तक धरती पर एक इंसान भी दुखी होगा तब तक मैं सुख का एहसास नहीं कर सकता। मैं दूसरों के दुखों को दूर करना चाहूंगा तभी मैं सुखी हो सकता हूं। यहहैंहमारे गुरुदेव के विचार, यह है मेरी संस्कृति जिसमें कहा गया है कि उतना ही ग्रहण करो जितनी जरूरत है। गुरुदेव ने भी यही तो दिखाया, यही तो सिखाया किजितना आपको उपयोग करना उतना करो बाकी सबको मिलकर के बांट दो। जिसके पास नहीं उसको मिल करके बांटो। इसीलिए जो लंगरकी प्रथा की, सामाजिक समरसता की बात की,जिसके पास जो कुछ है अपनीजितनीजरूरत है उसके बाद जो बचता है सब बांटो, यह है हमारा जीवन, यहहै गुरु की वाणी। यह बहुत सारे अहम्को खत्म करके समस्या का समाधान करती है। इसलिए इस वाणी की आज जरूरत है जब दुनिया आतंक के ढेर पर खड़ी हो जब दुनिया में वैमनस्यता बढ़ रही हो, स्वार्थ लोलुपता बढ़ रही हो। जबएक ओर पर्यावरण का संकट हो और दूसरी ओर तमाम दुख और दर्दों से घिरा मनुष्य हो, ऐसे वक्त पर गुरु नानक देव जी की यहवाणी बहुत सार्थक होती है और पूरी दुनिया की मानवता के लिए अमृत का काम कर सकती है। मेरा सौभाग्य है कि मैं उस हिमालय से आता हूँ जहां हिमकुण्ड साहिब है।उसका विकास किस तरीके से हो सकता है हम लोगों ने सभी गुरुद्वारों के साथ बैठ करके उसका विमर्श किया। मेरा सौभाग्य है कि उसी धरती पर रीठा साहिब भी है। मेरा सौभाग्य है कि उत्तराखंड की उसी धरती पर गुरु नानक मत्था भी है और इसलिए वो चाहे हेमकुंड साहिब हो, चाहे वो गुरु नानक मत्था हो, चाहे रीठा साहिब हो यह उस हिमालय की उस धरती पर है तब समझ आता है कि गुरुदेव का और हमारे गुरुओं का कितना बड़ा विजन रहा होगा। आज तो हिमालय से जीवन देने के लिए जो उनकी उत्सुकता और जो उनके अंदर छटपटाहट थी उसका दर्शन हम लोग कर सकते हैं और इसलिए मैं समझता हूं कि प्रमुख शिक्षा ‘वंड छको और नाम जपो’ हमेशा सार्थक रहेगी,मैं सोचता हूँ भक्तिकाल कीसर्वप्रमुख विभूतियों में सच्चा सौदा करने वाले गुरु नानक जी अद्भुत थे और हमेंगुरु नानकदेव के संदेश को जन-जन तक पहुंचाना है।पूरी दुनिया के लोग उनकीवाणी का रसास्वादन करअपने जीवन में आगे बढ़ा सकते हैं। मुझे इस बात की खुशी है कि हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने गुरुदेव के 550वें प्रकाशोत्सव में पूरे देश के लिए व्यापक तरीके से तमाम कार्यक्रमों को करने की बात की है और इतना ही नहीं राष्ट्रीय पुस्तक न्यास ने अभी तीन पुस्तकें गुरू नानक देव जी के जीवन और सीख पर प्रकाशित कर पूरे देश और दुनिया में व्यापक तरीके से प्रसार करने का सराहनीय कार्य किया है। इसी कड़ी में पंजाब के गुरु नानक देव विश्वविद्यालय में लगभग 400 करोड़ की लागत बहुत बड़े केंद्र की स्थापना की जा रही है। सौ करोड़ से भी अधिक उसके लिए अभी जारी हुआ है। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन भी किया जा रहा है ताकि गुरुदेव की 550वें प्रकाशोत्सव पर हम उनके विचारों को जन-जन तक पहुंचा सकें। आप सभी इस महत्वपूर्ण आयोजन में जुटे, आप सबका, बहुत-बहुत धन्यावाद।
धन्यवाद!
कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थिति:-
- डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
- श्री चरनजीत सिंह ‘चन्नी’, माननीय तकनीकी शिक्षा और औद्योगिकी प्रशिक्षण मंत्री, पंजाब सरकार
- श्री अशोक मित्तल, कुलाधिपति, लवली प्रोफेशनल युनिवर्सिटी, चंडीगढ़ (पंजाब)
- श्री रमेश कुमार, कुलपति,लवली प्रोफेशनल युनिवर्सिटी, चंडीगढ़ (पंजाब)
- विश्वविद्यालय के सभी संकाय सदस्य, छात्र-छात्राएं एवं अभिभावकगण।