विश्व हिन्दी सचिवालय,मॉरीसशमें आयोजित विश्व हिन्दी दिवस-2021
दिनांक: 11 जनवरी, 2021
माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
विश्व हिन्दी दिवस के इस अवसर पर मैं आज मॉरीशस की धरती से जुड़े तथा पूरे विश्व में फैले हिन्दी के सभी प्रेमियों का और जो हिन्दी के प्रचार और प्रसार के लिए पूरी दुनिया में जुटे हुए हैं उन सभी लोगों का मैं हृदय की गहराइयों से हिंदुस्तान की धरती से आपका अभिनंदन करता हूं। इस अवसर पर मॉरीशस के महामहिम राष्ट्रपति श्रीपृथ्वीराज सिंह रूपन जी, मॉरीशस में भारत की उच्चायुक्त श्रीमती के. नंदनी सिंगला जी, विश्व हिन्दी सचिवालय के महासचिव प्रो.विनोद कुमार मिश्र जी, मास्को राज्य विश्वविद्यालय के प्राध्यापक,उपस्थित सभी विद्वतगण और विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर पूरी दुनिया से जुड़े सभी भाइयोऔर बहनों का मैंइस दिवस के अवसर पर और नववर्ष के आगमन पर सबका अभिनंदन करता हूं, आपको हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। मैंसबसे पहले तो मॉरिशस का अभिनन्दन करना चाहता हूं औरमॉरीशस इस अभिनंदन का अलग से इसलिए भी पात्र है क्योंकि सैकड़ों वर्ष पहले हिन्दुस्तान की धरतीसे लोग मॉरीशस गए और उन्होंने अपने खून पसीने से जिस तरीके से मॉरीशसको सींचा, उससे आज मॉरीशस दुनिया के अच्छे और सुंदरतम देशों में स्थापित है। उस निर्जन द्वीप को अपनी मेहनत से हरा-भरा करने वाले उन सभी लोगों को जिन्होंने बहुत सारी यातनाएं भी सही उन्हें इस अवसर पर याद कर रहा हूं और मुझे यह कहना है कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक बंधुत्व और लंबे ऐतिहासिक संबंधों ने एक मजबूत कड़ी के रूप में भारत और मॉरीशस को जोड़ करके रखा है। भारत और मॉरीशस दोनों में अनेक सांस्कृतिक-ऐतिहासिक,भाषाईऔर साहित्यिक दृष्टिसे समरूपता है। कोई भारत का व्यक्ति मॉरीशस की धरती पर जाता है तो वो टैक्सी में बैठे हुए एफएम पर हिन्दी के गानों को गुनगुना सकता है, सुन सकता है, आम भारतीय व्यंजनों का आनंद उठा सकता है।यहांके कण-कण में भारतीयता की सुगंध आती है और सही मायने में भारत और मॉरीशस एक दूसरे के प्रतिबिम्बनज़र आते हैं। मुझे याद है किजब मैं उत्तराखंड के स्वस्थ्य मंत्री के रूप में था तब मॉरीसश के तत्कालीन राष्ट्रपतिश्री अनिरुद्ध जगन्नाथ जीमेरी पुस्तक का लोकार्पण करने के लिए देहरादून आए थे। उस समय उन्होंने कहा था कि आज हमारे में भारतीयताका खून बहता है और हमारे संस्कारों में भारतीय संस्कृति की सुगंध समाई हुई है तथा उनके इन शब्दों को सुनकर पूरा देश अभिभूत हुआ था। उसके बाद मुझे याद आता है कि मैं जब वर्ष 2010 में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में था तबमैंगंगोत्री केगंगातालाब से गंगा जल लेकर मॉरीशस तक गया और मुझे याद है कि तब मॉरीशस में गंगा तालाब पर उत्सवहुआ था जिसमें तत्कालीन राष्ट्रपति तथा तत्कालीन प्रधानमंत्री दोनों सहित पूरेमॉरिशस का मंत्रिमंडल उपस्थित था और हजारों-हजारों लोगों की उपस्थिति उस ऐतिहासिक क्षण की गवाह बनी। आज मुझे खुशी होती है कि मॉरीशस की जो संस्कृतिहै वो भारत की संस्कृति से ओत-प्रोत है और इसीलिए हम दोनों देश एक-दूसरे के अभिन्न अंग हैं बल्कि एक-दूसरे की संस्कृति, भाषा, परिवेश से बहुत अंदर तक जुड़े हुए हैं। मॉरीशस केवलदुनिया के सबसे खूबसूरत देशो में सेएक ही नहीं बल्किउसमें कई प्रकार की सुंदरता भी है और उसकी इस सफलता एवं सुन्दरता काकारण उसकी जड़ों में निहित है जिसने संकट के दिनों में भी अपनी भाषा तथा अपनी संस्कृति कोछोड़ा नहीं, भूला नहीं है। मुझे लगता है कि संघर्ष के दिनों में यहां के हमारे भारतवंशी भाई-बहनों ने गोस्वामी तुलसीदास की रामचरितमानस, गीता और गंगापर उन्होंने अपने को जीवंत रखा था। मॉरिशस से लौटने के बाद मैंने अपनी एक कृति ‘मॉरीशस की स्वर्णिम यात्रा’ को लिखा था, जिसमें मैंने उस समय के कालखंड को भी कुछ चित्रित किया था तथा साथ ही वर्तमान के उदयीमान होते मॉरिशस का भी जिक्र किया था और मुझे खुशी है कि आज उसको मॉरीशस में बेहतर लोकप्रियता मिली। मॉरीशस मेंपूरे विश्व का हिन्दी सचिवालय स्थापित होना अपने आप में यह दर्शाता है कि मॉरीशस का हिन्दी के प्रति किस सीमा तक का लगाव तथाजुड़ाव है और आज हम दोनों देश मॉरीशस औरहिंदुस्तान संयुक्त रूप से इस सचिवालय को आगे बढ़ा रहे हैं और अब सचिवालय के शासी परिषद के सदस्य के नाते मैं कह सकता हूं कि यह सचिवालय रात-दिन खप करके हिन्दी को पूरे वैश्विक पटल पर ले जाने के लिए जुटा हुआ है। मैं उस पूरी टीम को और जो महासचिव हैं विनोद मिश्रा जी उनकाभी अभिनन्दन करना चाहता हूं कि वो लोग को पूरी ताकत के साथ इस हिन्दी की खूबसूरती को निखारने का काम कर रहे हैं। हिन्दी की लगभग नौ से दस लाख शब्दों कीसंपदा पूरे विश्व में एक अलग प्रकार का वैभवखड़ा करती है। हिन्दी में लालित्य भी है, उसमें साहित्य भी है, उसने संस्कार भी हैं, उसमें जीवन मूल्य भी हैं, उसमे ज्ञान भी है, तो उसमें विज्ञान भी है, उसमें अनुसंधान भी है,उसमेंनवाचारभी है। यदि हिंदी को देखें तो बहुत सारी खूबसूरती उसमें भरी पड़ी हुई है जिसकी सुगंध पूरे विश्व के लोग लेना चाहते हैं और विश्वहिन्दीसचिवालय मॉरीशस इस दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है। मुझे खुशी है मेरे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी जब विश्व के किसी भी देश में जाते हैं तो हिंदी में भाषण दे करके, हिन्दी में अपनी अभिव्यक्ति को पूरे विश्व के पटल पर ला करके केवल हिन्दी को मान और सम्मान हीनहीं देते बल्कि उस हिन्दीकी खूबसूरती को विश्व पटल पर प्रसारित करने में भी हमको मार्गदर्शन देते हैं। मैं इस अवसर पर जहां भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रति बहुत आभार प्रकट करना चाहता हूं वहींमैं मॉरीशस की सरकार को भीजिन्होंने मॉरीशस में रह कर के और हिन्दी के लिए प्रतिबद्ध तथासमर्पित हो करके रात-दिन खप करके वर्ष2008से इस सचिवालय को बहुत ताकत के साथ कर आगे बढ़ाया है। वर्ष1973 में जब वर्धा समिति द्वारा हिन्दी को विश्व फलक पर लाने के लिए चर्चा हुई थी और1975 में पहला विश्व हिन्दी सम्मेलन नागपुर में हुआ था तब से लगातार अभी तक ग्यारहसम्मेलन हो चुके हैं और यह ग्यारह सम्मेलन विश्व के जितने भी देशों में हुए हैं उनमें से सर्वाधिक सम्मेलन इस मॉरीशस की धरती पर हुए हैं। हिन्दीएक भाषा नहीं है। आज हिन्दी जीवन शक्ति है और प्राण वायु है।उसका एक-एक शब्द जीवन को उदिप्तकरता है, भावनाओं को, विचारों को प्रज्जवलित करता है और इसीलिए हिन्दी सिर्फ हमारे लिए भाषा नहीं हो सकती है। यहहमें एक-दूसरे से जोड़ती है और यह अहसास भी कराती हैकि जब मन और आत्मा मिले हुए हों तो भौगोलिक दूरी कोई मायने नहीं रखते हैं। मुझे प्रसन्नता है कि पीढी दर पीढी हिन्दी अब लगातार आगे बढ़ रही है और हिन्दी नेदेश की सीमाओं को पार करके भीपूरे विश्व में एक बहुत खूबसूरत परिवारबनाया है। हिंदी उस विचार का प्रतिनिधित्व भी करती है जो ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की बात करता है।‘अयं निजः परो वेति गणना लघु चेतसाम्।उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्’ हमारी भाषा एवं संस्कृति ऐसी है जोपूरे विश्व को अपना कुटुंब मानतीहैऔर उसको ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामया’ के माध्यम से अपने कृतित्व और व्यक्तित्व के माध्यम से धरती के हर इंसान के कष्ट को दूर करने की कामना करती है इसलिए मैं समझता हूँ कि हिन्दी विचार प्रवाह है और उसका एक-एक शब्द जीवंत है और वो जीवन में जीने की प्रेरणा भी देता है। मैं मॉरीशस के प्रधानमंत्री श्रीप्रवीण जगन्नाथ जी को धन्यवाद देना चाहता हूं। मुझे याद आता है कि वर्ष2018 में जब हम मॉरीशस की धरती पर विश्वहिन्दी सम्मेलन के आयोजन में व्यस्त थे उसी समय अटल जी का देहांत हुआ था और उस समय सांस्कृतिक कार्यक्रमों को निरस्त करके अटल जी पर एक विशेष सत्र रखा गया था और मुझे याद आता है कि मॉरीशस के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री प्रवीण जगन्नाथ जी ने मंच पर खड़े होकर के उनके नाम पर साइबरटावर का नाम ही अटल टावर रखा था और अटल जी ने जो विश्व हिन्दी सचिवालय और हिंदी के बारे में जो कुछ कहा था मॉरीशस में आज भी हमारे लिए एक पाथेय है। आज पूरी दुनिया में हिन्दी के लालित्य से अभिभूत होने वाले जितने भी लोग हैं वो आज संकल्प ले रहे होंगे कि हां, हिन्दी में सामर्थ्य है। हिन्दी में न केवल शब्द संपदा हैबल्कि ज्ञान है, विज्ञान है, अनुसंधान है,नवाचार है, व्यवहार है और जीवन मूल्य हैं। सभी गुणों से युक्त हिन्दी की पूरे विश्व में खुशबू बहुत तेजी से फैलनी चाहिए। मुझे इस बात की भी खुशी है कि मॉरीशस में सैकड़ों भारतीय छात्र पढ़रहे हैं और मॉरीशस के भी छात्रहिन्दुस्तान में पढ़ रहे हैं। अभी ‘स्टडी इन इंडिया’ हमारा कार्यक्रम है जिसके तहत आज हजारों दुनियाके छात्र भारत में पढऩे के लिए आ रहे हैं और मुझे भरोसा है कि हिंदी पूरे विश्व को एकसूत्र में जोड़ने और उस मानवता के व्यापक विचार को फलीभूत करने की एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगी। आज मैं इस अवसर पर पूरे विश्व के उन लोगों को बधाई देना चाहता हूं और आपसबको मालूम है कि विश्व की आज सबसे महत्त्वपूर्ण भाषा यह हिन्दी है। इसमें ई-मेल है, एमएमएस है, ई-कॉमर्स है, ई-बुक है,इंटरनेट पर भी हिन्दी को स्वीकार्यताहै। ग्लोबल विश्व में हिंदी का बहुत बड़ा बाजार खड़ा हुआ है और चाहेगूगल हो और वो माइक्रोसॉफ्ट हो और चाहेआईबीएम जैसी बहुराष्ट्रीय और समर्थ कम्पनी हो, सभी ने आज हिंदी को बढ़ावा दिया है। यह हिन्दी की ताकत है और इसीलिए हिन्दीतेजी से तकनीकी की भाषा बन रही है। सम्पूर्ण विश्व में हिन्दी के शिक्षण एवं प्रचार-प्रसारके लिए विविध विश्वविद्यालय माध्यम बन रहे हैं। चाहे ब्रिटेन हो, जर्मनी हो, चीन हो, अमेरिका हो सभी तमाम बड़े देशों मेंहिन्दी को स्कूलोंसे लेकर कालेजों तक पढ़ायाजा रहा है और वो आकर्षण की भाषा बनी है।आज जो विश्व हिन्दी सचिवालय और भारत के हाई कमीशन की ओर से यह आयोजन आयोजित हुआ है, इस आयोजन के अवसर पर मैंजोभारत के उच्चायुक्त हैं उनको भी बधाई देना चाहता हूँ।विश्वहिंदी सचिवालय मॉरीशस को भी बधाई देना चाहता हूं और मुझे भरोसा है कि हम इस सचिवालय को और सशक्त करेंगे तथाबहुत ताकत के साथ इसको सशक्त करेंगे ताकि हिंदी की खुशबू पूरी दुनिया में प्रसारित हो सके। आओ, हम सबलोग एक बार संकल्प लें कि हिन्दी ऐसी लालित्यमयी और बोधमयी तथा सुगम एवंआम लोगों तक पहुंचाने वाली, एक-दूसरे को जोड़ने वाली, ऐसी समर्थ और सशक्त भाषा हो जिसे हम जन-जन तक पहुंचाएं। मैं इस अवसर पर एक बार पुनः पूरे विश्व के हिन्दी परिवार को अभिनंदन करता हूँ और स्वागत करता हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद
कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थिति:-
- डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
- श्री पृथ्वीराज सिंह रूपन, राष्ट्रपति, मॉरीसश गणराज्य
- श्रीमती के. नंदनी सिंगला, उच्चायुक्त, विश्व हिन्दी सचिवालय
- प्रो. विनोद कुमार मिश्र, महासचिव, विश्व हिन्दी सचिवालय