शिक्षक पर्व
दिनांक: 16 सितम्बर, 2020
माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
शिक्षकपर्व पर उपस्थित भारत सरकार के यशस्वी रक्षा मंत्री आदरणीय राजनाथ सिंह जी, अभी जिनका हमको बहुत ही प्रेरक उद्बोधन मिला है, भारत के युवा कल्याण एवं खेल मंत्री आदरणीय किरेन जी, मेरे सहयोगी शिक्षा राज्य मंत्री श्री संजय धोत्रे जी, उच्च शिक्षा के सचिवश्री अमित खरे जी और स्कूली शिक्षा की सचिव अनिता जी, खेल और युवा कल्याण की सचिव श्रीमती ऊषा जी, प्रो.डी.पी. सिंह अध्यक्ष विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, तमाम विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं निदेशक। हम सभी लोग देश के अंदर बेहतर तरीके से इस शिक्षा के उत्सव को मना रहे हैं और देश की आजादी के बाद 1968 में एवं 1986 में भी शिक्षा नीति आई लेकिन मूलभूत जो भारत की जड़ों पर खड़े हो करकेअंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में जाने की क्षमता रखती है और जो ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान, तकनीकी और नवाचार की दिशा में अपने को विश्व स्पर्धा में शीर्ष पर खड़ी करती है और जीवनमूल्यों की आधारशिला पर खड़ी हो करके विभिन्न आयामों को लेकर आगे बढ़ने वाली ऐसी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्रीनरेन्द मोदी जी के लगातार निर्देशन में सशक्त तरीके से उभर करके आई है जिसका पूरे देश नेअभिनंदन किया है और जिसको पूरी दुनिया के देशों ने स्वीकार किया है।दुनिया के तमाम देशों ने आज अपने देश में भी इस एनईपी को लागू करने की मंशा व्यक्त की है ऐसी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के इस शिक्षा के उत्सव में मैं आप सबका अभिनंदन कर रहा हूं। मुझे लगता है जैसा कि किरण भाई ने कहा कि आज 75 लाख से भी ज्यादा युवा हमसेजुड़े हैं और यदि एनसीसी एनएसएस और एनवाईकेएसऔर उन्नत भारत अभियान को देखेंगे तो कुल मिलाकर 1 करोड़ से भी अधिकलोग आज इससंवाद जुड़ेहैं जिन्होंने सेवा और समर्पण का संकल्प लिया है,जिन्होंने राष्ट्र की रक्षा का संकल्प लिया है, जिन्होंने सामाजिक उत्थान की दिशा में अहम भूमिका निभानेका संकल्प लिया है। यह सब लोग हैंजो रात-दिन खपकरके अभियान के रूप में, एक मिशन मोड में जुनून के साथ किसी भी बात को अंतिम छोर तक पहुँचाने का दम रखते हैं और इसलिए मैं समझता हूं यह ऐसा समय है जबकि पूरा देश उत्सव मना रहा हैं, ऐसा समय जबकि पूरा देश अपने अतीत को भी याद कर रहा हो, वर्तमान में जी रहा हो और भविष्य की उड़ान को भरने के लिए इस शिक्षा नीति को अपने हाथों में रखा हुआ हो, ऐसा समय जब भारतविश्वगुरु था जिसके ज्ञान विज्ञान और अनुसंधान को पाने के लिए पूरी दुनिया यहां तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालयों में ज्ञान अर्जन करने के लिए आते थे तब उसका स्मरण करके उस ज्ञान विज्ञान अनुसंधान कोवर्तमान से जोड़ कर के भविष्य की छलांग मारने का जो यह अभियान है उस अभियान की बीच की कड़ी के रूप में हम लोग जुड़ रहे हैं। जैसे कि अभी किरन भाई ने बताया कि यह दुनिया का किसी भी नीति को बनाने का सबसे बड़ा परामर्श है। जब हम ढाई लाख ग्राम समितियों तक जाते हैं, जब हम एक हजार विश्वविद्यालयों तक जाते हैं, जब हम पैंतालीस हजार डिग्री कॉलेजों तक जाते हैं, जब हम एक करोड़ नौ लाख से भी अधिक अध्यापकों तक जाते हैं, जब हम पन्द्रहलाख से भी अधिक स्कूलों तक जाते हैं, जब हम इस देश के 33 करोड़ छात्र-छात्राओं तक जाते हैं और उनके अभिभावकों से परामर्श करते हैं तो यह इस नीतिकी ताकत है। इसलिए हमारे देश के प्रधानमंत्री ने कहा है कि यह किसी एक विभाग की नीति नहीं है, यह केवल सरकारकी नीति नहीं है, यह देश की नीति हैऔर यह शिक्षा की नीति है क्योंकि शिक्षा किसी भी व्यक्ति की, परिवार की, समाज की और राष्ट्र की आधारशिला होती है और यदि वो ठीक है तो सब कुछ ठीक है। इसलिए इस अभियान मेंप्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से,हमारे रक्षा मंत्री जी के मार्गदर्शन में और जैसा कि अभी किरन भाईनेचर्चा की कि जितने भी हमारे स्वयंसेवी युवा हैं वो इस अभियान को ले करके किस तरीके से उन अंतिम छोर के व्यक्ति तक जा सकते हैं,उनको भीबधाई देने के लिए जाना है क्योंकि हमने सुझाव मांगा था, सुझाव दिए थे और सुझाव देने के बाद हमने उसको नीति में परिणित किया और आज वोनीति आपके हाथों में है। एक बार उन कोधन्यवाद देने की जरुरत है और हम क्या महत्वपूर्ण इस शिक्षा नीति में लाये हैं, इसे पूरे देश को बताने की जरूरत है। इस शिक्षा नीति को देश के 99 प्रतिशत लोगोंने स्वीकार किया है,देश की आजादी के बाद पहलीऐसी नीति आ रही है जब पूरा देश एकजुट हो करके खड़ा है और उसका अभिनंदन कर रहे हैं तो इसशिक्षा नीति की जो खुशबु है वह सर्वत्र प्रसारित हो रही है। आज हमें सुनिश्चित करना है कि वो कौन से ऐसे महत्वपूर्ण बिन्दु हैं उन्हीं को लेकर के उनसे संवाद करना है।मुझे मालूम है कि युवा कल्याण विभाग हरब्लॉक स्तर पर जो आपके स्वयंसेवी संगठन हैं उनसे मैं काफी निकटता से परिचित हूं वो एक मिशन मोड में काम करते हैं। हमारे एनएसए सेवा भाव को लेकर कामकरते हैं। एनसीसी का तो जो देश के प्रति समर्पण का भाव है वह अद्भुत है। हमाराउन्नत भारत अभियान है वह सामाजिक दायित्व के साथ जुड़ करके गांव और सब लोगों को साथ जोड़ करके उन्हें एक अभियान के रूप में आगे बढा रहा है और तमाम स्वयं सेवीसंगठनों के युवा आज इस अभियान के साथ जुड़े हुए हैं।इस शिक्षा नीति की संक्षिप्त चर्चा अब मैं आप लोगों के मध्य करना चाहता हूंइस नई शिक्षा नीति में पहले 10+2 होता था, अब 10+2 नहीं होगा, क्योंकि उसमें छात्र के ऊपर विषय थोपे जाते हैं, बस उन्हीं को वो पढ़ता रहता है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।अब हमने 10+2की जगह5+3+3+4 किया है और शुरू के 5 वर्षों को भी अब हमने3+2में बदल दिया है। इसमें तीन वर्ष का जो आंगनबाड़ी पाठ्यक्रमहोगा वह जो तीन वर्षबच्चा है क्योंकि वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों ने भी यह कहा है कि तीन वर्ष से छह वर्ष तक के बच्चे का मस्तिष्क के विकास सर्वाधिक तीव्र गति से होता है और हम उस मौके को चूकना नहीं चाहते हैं। इसलिए तीन वर्ष के बच्चे कोसांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से, खेल के माध्यम से उसके अंदर की प्रतिभा को बाहर निकाल सकते हैं, उस आधारशिला को और मजबूत कर सकते हैं। उसमें संस्कार भी होगा और उसमें विज्ञान भी होगा, उसका हर आधार सर्वांगीण होगा और इसीलिए वहां से बच्चे कोआगे ले जा रहे हैं और आपने देखा होगा कि हम इस शिक्षा नीति में वोकेशनल कक्षा छठवीं से ही लारहे हैंऔरअभी जब किरन भाई बोल रहे थे कि पुनानी पद्धति में यह होता था कि खेल नहीं तो पढाई करो, पढ़ाई नहीं तो खेल करो,खेल-कूद और पढ़ाई दोनों नहीं ले सकते। अब कितनी स्वतंत्रता है हम तो कक्षा 6 से ही वोकेशनल स्ट्रीम के साथ शिक्षण और शिक्षणेत्तर गतिविधियां जिसमें खेल,सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे तमाम गतिविधियों होंगी,इन तीनों का अद्भुत संगम होगा और जो वोकेशनल स्ट्रीम होगी वो इन्टर्नशिप के साथ होगी। अब बच्चास्कूल में जाएगा तो केवल पढ़ाई नहीं करेगा, वह गांव में जाएगा, क्षेत्र में जाएगा उसको प्रैक्टिकल करेगावहक्या बनना चाहते है। छोटी-छोटी चीजों को आत्मसात करेगा और उसको प्रैक्टिकल रूप में करेगा और उसके बाद जो उसका मूल्यांकन होगा वो भी 360 डिग्री होलिस्टिक मूल्यांकन होगा।उसमें बच्चा स्वयं भी अपना मूल्यांकन करेगा, उसका अध्यापक भी मूल्यांकन करेगा, अभिभावक भी करेगा और उसके साथी भी उसकामूल्यांकन करेगा। यह नई शिक्षा नीति उच्च शिक्षा में भी व्यापक परिवर्तनों के साथ आई है,विषय की पूरी छूट है, कोई भी विषय छात्र ले सकता है, वह साइंस के साथ साहित्य को ले सकते हैं,इंजीनियरिंग के साथ संगीत को ले सकते हैं। पूरा मैदान खाली है युवाओं के लिएवह किस क्षेत्र में दौड़ना चाहता है, बढ़ना चाहता हैउनके लिए टोटली छूट है। यह पहली बार ऐसा हो रहा है कि कोई भी छात्र कुछ भी ले सकता है और जिसमें उसकी चाह है उसको ले सकता है और इतना ही नहीं उच्च शिक्षा में भीयह कर दिया है। शोध और अनुसंधान की दिशा में भी हम तीव्र गति से काम कर रहे हैं। हमारे प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि अब अनुसंधान की जरूरत है। एक समय था जब हम खाद्यान्न एवंसीमाओं पर संकट से गुजर रहे थे, तो देश एकजुट हुआ था और दोनों संकटों का सामना हमने डटकर के किया था और देश फिर ताकत के साथ उभर कर आगे आया और जब अटल बिहारी वाजपेयी जी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने कहा कि अब विज्ञान को आगे लेकर जाने की जरूरत है तो उन्होंने ‘जय विज्ञान’ का नारा दिया था और आपको पता है कि अटल जी का परमाणु से संबंधित जो निर्णय था उसने हिन्दुस्तान को पूरी दुनिया में महाशक्ति के रूप में आगे बढ़ने का ऐसा रास्ता दिया था और जय विज्ञान की दिशा में हमने अद्भुत काम किया। जब हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी आये तो उनके मन में आया कि अब एक कदम और आगे जाने की जरूरत हैऔर उन्होंने‘जय अनुसंधान’ का नारा दिया।‘जय जवान, जय किसान’‘जय विज्ञान’ और ‘जय अनुसंधान’। अनुसंधान क्योंकि हमारे पास जो भी कुछ है उसे नवाचार के साथनये शोध के साथ विश्व के शिखर पर हमको पहुंचना है। इसलिए हम ‘नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’का गठन कर रहे हैं ताकि देश के अन्दर शोध की संस्कृति बन सके हमें अनुसंधान को लेकर आगे बढ़ना है क्योंकि हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने जो 21वीं सदी के स्वर्णिम भारत की बात की है। ऐसा भारत जो स्वच्छ हो, स्वस्थ हो, सशक्त हो, आत्मनिर्भर हो, श्रेष्ठ हो और एक भारत हो और इसका रास्ता ‘मेक इन इंडिया’,‘डिजिटलइंडिया’,‘स्किल इंडिया’,‘स्टार्ट अप इंडिया’ और ‘स्टैंड अप इंडिया’से होकर गुजरता है और इसलिए ‘जय अनुसंधान’,अब हम शोध और अनुसंधान की दिशा में पीछे नहीं रहेंगे, पूरी दुनिया में हम विश्व के शिखर पर पहुंचेगे और यह शिक्षा नीति उसी को लेकर के आयी है। प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आप सबको मालूम है कि किस तरीके से जो प्रौद्योगिकी है हम उसका ज्यादा से ज्यादा उपयोग कर सकते हैं। इसलिए प्रौद्योगिकी की उन्नति के लिए एक अलग से फोरम गठित किया जा रहा है। अभी हमने ऑनलाइन शिक्षा दी जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था। हिन्दुस्तान दुनिया का शायद पहला देश है जो 25 करोड़ से भी अधिक छात्रों को रातों-रात ऑनलाइन पर लेकर के आया है। हमको मालूम है कि हम अभी अंतिम छोर के बच्चे तक पहुंचने के लिए काफी छटपटा रहे हैं लेकिन हमारा लक्ष्य है कि अंतिम छोर पर बैठे रहने वाला छात्र भी, जिसके पास स्मार्ट टेलीफोन नहीं है, नेट की सुविधा नहीं है हम उस तक भी जायेंगे और जा रहे हैं। लेकिनमेरे युवा साथियो, यह एक ऐसा अवसर है जब आप तीनों-चारों संगठन जुड़कर के काम करेंगे। आप सामान्य नहीं है, आपके अन्दर समाज के प्रति असीम भावना है, आपमें ऊर्जा भी है तथा देश और समाज को जोड़ने की विविध कला भी है और आप सब एक साथ उसको ज्ञान के सागर से भी जोड़ेंगे। जो हमारी शिक्षा नीति के प्रमुख विषय है निश्चित रूप में उनको आप लोगों तक लेकर जाएंगे और जैसा कि इस नीति का लक्ष्य है नेशन फर्स्ट और केरेक्टर मस्ट। हमारे लिए राष्ट्र प्रमुख है। राष्ट्र व्यक्ति से भी अधिक महत्वपूर्ण है। इसलिए इस भावना को लेकर आप सब लोग जाएंगे। मैं समझता हूं कि कोविड काल में भी आपने जिस तरीके से काम किया है उससे हमारा सीना चौड़ा होता है। हमको मालूम है कि आपने किस तरीके से काम किया है और चाहे वृक्षारोपण हो या रक्त दान का विषय हो हर कदम पर आपने अहम् भूमिका निभाई है। मुझे भरोसा है कि यह नई शिक्षा नीति नये परिवेश को लेकर के नयी सोच और नई दिशा और नई उड़ान को लेकर के आयी है। जो मेरे युवाओं ने सपने संजोये हैं और सपने भी ऐसे जो सोने न दे,ऐसे सपनों की उड़ान को ले करके यह नई शिक्षा नीति आयी है। मुझे भरोसा है कि जो विवेकानन्द जी ने कहा था कि ‘उठो, जागो और तब तक मत रूको जब तक कि हमारा लक्ष्य हमको प्राप्त नहीं हो जाता। आप इस चरितार्थ करके दिखायेंगे। इस अभियान के साथ इस नई शिक्षा नीति के उत्सव को हम मनायेंगे, ऐसा मेरा भरोसा है। मैं एक बार फिर किरेन जी को भी धन्यवाद देता हूं लेकिन हमारे रक्षा मंत्री जिनका हमको लगातार मार्गदर्शन मिलता रहा है और उनके मार्गदर्शन में हमें इस अभियान को गांव के अंतिम छोर के व्यक्ति तक पहुंचाना है। यह नई शिक्षा नीति जो नये भविष्य को लेकर के छात्रों के हाथों में होगी, इस अभियान को हम अंतिम छोर तक ले जाने के लिए आज संकल्प लेंगे, ऐसा मेरा भरोसा है। आज जितने भी लाखों-लाखों लोग, माननीय रक्षा मंत्री के नेतृत्व में हम सबके साथ जुड़े हैं, मैं आप सबका अभिनन्दन करता हूं, शुभकामनाएं देता हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद!
कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थिति:-
- डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
- श्री राजनाथ सिंह, माननीय रक्षा मंत्री, भारत सरकार
- श्री किरेन रीजिजू, माननीय युवा कल्याण एवं खेल मंत्री, भारत सरकार
- श्री संजय शामराव धोत्रे, माननीय शिक्षा राज्य मंत्री, भारत सरकार
- श्री अमित खरे, सचिव, उच्चतर शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय
- सुश्री अनिता करवल, सचिव, स्कूली शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय
- प्रो. डी.पी. सिंह, अध्यक्ष, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग