शिक्षा संवाद: केन्‍द्रीय विद्यालयों के विद्यार्थियों के साथ संवाद

शिक्षा संवाद: केन्‍द्रीय विद्यालयों के विद्यार्थियों के साथ संवाद

दिनांक: 18 जनवरी, 2021

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

केन्‍द्रीय विद्यालय संगठन के इसशिक्षा संवाद में पूरे देश से जुड़े मेरे सभी केंद्रीय विद्यालयों के छात्र-छात्राएं, सभी अध्‍यापकगण,सभी अभिभावकगण, यहां पर उपस्थित हमारे साथ केन्द्रीय विद्यालय संगठन की आयुक्त सुश्री निधि पाण्‍डे जी, केंद्रीय विद्यालय संगठन के उपाध्यक्ष और संयुक्‍त सचिव श्री राम चंद्र मीना जी, भारत सरकार की संयुक्त सचिव स्‍वीटी जी,अपर आयुक्त लक्ष्मीजी, यहां के सभी प्राचार्यगण,अध्यापकगण और छात्र-छात्राओं! इस अवसर पर मैं आप सबको बहुत बधाई और शुभकामनाएं देना चाहता हूं।मेरेप्रियछात्र-छात्राओंआपसब लोगों को और आपकेअभिभावकगण को भी।अभी केंद्रीय विद्यालय की आयुक्त जब बोल रही थी तो उन्होंने कहा कि अचानक कोरोना का संकट आया तथापूरी दुनिया इससे गुजरी और किसी को पता नहीं था, यहां तक की पूरी दुनिया को औरहमारे देश को भी पता नहीं था। हमको भी पता नहीं था, ना हमारे अध्यापकगण को पता था, ना अभिभावकको पता था, नाहमारे छात्र-छात्राओं को पता था लेकिन यह संकट अचानक आया और पूरी दुनिया संकट के गहरे बादल छा गए औरदेखते ही देखते पूरी दुनिया जैसे कैद हो गई। ऐसे समय में जब चुनौती होती है तो उस समय असली परीक्षा होती है जीवन की।किसी के भी महान जीवन को हम जबलिखते-पढ़ते हैं तो उन चीजों को अपने जीवन में ग्रहण करते हैं। व्‍यक्‍ति को साहसी भी होना चाहिए, पुरुषार्थी भी होना चाहिए, शालीन भी होना चाहिए, प्रखर भी होना चाहिए, आत्मविश्वासी भी होना चाहिए, विनम्र भी होना चाहिए और इनका समन्वय भी होना चाहिए। यह समन्‍वय हम कई प्रकार के माध्यम से करते हैं। यथा पाठ्यक्रम के माध्यम से, संवाद के माध्यम से, विचार-विमर्श के माध्यम से, प्रतियोगिताओं के माध्यम से से, परीक्षाओं के माध्यम से हम इन सब चीजों को करते हैं।लेकिनजब पढ़ाई पूरी होती है तो फिर मैदान खाली होता है और उस समय असली परीक्षा जीवन की वहां से शुरू होती है। जब अपनी पढ़ाई को पूरा करने के बाद उसको प्रदर्शित करने का आपको मौका मिलता है और इस समय इस कोरोना काल ने आपको वो मौका पहले ही दे दिया। इस समय सब की परीक्षाएं थी और स्वतः स्फूर्त परीक्षाएं थी। यह कोई अध्यापक नहीं ले रहा था तथाकोई शिक्षक नहीं ले रहा था या कोई माता-पिता आपकी परीक्षा नहीं ले रहे थे। आपके माता पिता की भी परीक्षा थी, तो आपकी भी थी, तो आपके जो इधर बैठे लोग हैं इनकी भी थी,तो मेरी भी थी, मेरे देश के प्रधानमंत्री की भी थी,पूरी दुनियाकी थी। सबकी परीक्षा थी सबको अपनी-अपनी परीक्षाएं देने में एक-एकक्षण,बल्कि एक-एक श्‍वांसक्योंकि जब संकट की घड़ी होती है तब दिन नहीं होता,महीनेनहीं होते, सप्ताह भी नहीं होता बल्कि घंटे भी नहींहोते हैं वो क्षण होते हैं। अगला क्षण ताकत के साथ संजोना है औरउसका मुकाबला करना है। एक-एक क्षण का मुकाबला करते हुए हम लोगों ने इस कोरोना काल में अपने को भी बचाया है, अपने परिवारिक जनों को भी बचाया है तथा अपने अड़ोस-पड़ौस को भी बचाया है और मैं लगातार आपसे संवाद करता रहा हूं। मैंने आपसे लगातार यहनिवेदन किया और आपका आह्वानकिया कि न केवल आप अपने को बचाएंगे बल्‍कि आपको अपने परिवार की लीडरशिप भी लेनी है। आपको अपने अगल बगल केपरिवारतथाजो निकटवर्तीहैं, उनकी भी लीडरशिप लेनी हैं और यह आपको साबित करना है कि हां, हम छात्र-छात्राएं न केवल अपने को सुरक्षित रखेंगे बल्‍कि अपने अगल-बगल को भी सुरक्षित रखने की आपमें ताकत है और वोआपने किया। मैं आपको बधाई देना चाहता हूं एवं शुभकामनाएं देना चाहता हूं कि आपमेंबहुत अच्छे तरीके से हर परीक्षा को किया। जब मैंने संवाद में कहाथा आप अकेले पड़ रहे हैं तब भी मैंने कहा था कि आप अकेले कभी नहीं पड़ेंगे। आपने‘माई बुक, माई फ्रेंड’ एक अभियान लिया था और बहुत सारे छात्र-छात्राओं ने मुझसे अपने अनुभवों को बांटा और कहा कि यह तो पहली बार हमने ऐसी पुस्तक पढ़ी और यह पुस्‍तक ही हमारी असली मित्र थी। अब बातचीत भले ही नहीं हो पा रही है लेकिन वो पुस्‍तक न केवल मित्रबनकर आपके साथ आई बल्कि उससे आपका ज्ञान एवं मित्रता भी बढ़ी ऐसी पुस्‍तकें ही जीवन में हमेशा आपकी ताकत बन करके चट्टान की तरह आपके साथ खड़ी होती है क्योंकि आपने देखा होगा दोअवसर ऐसे होते हैं जीवन में जब सबसे संकट का समय होता है और जीवन में जब बहुत परेशानी में व्यक्ति रहता है तब उसको याद रहते जब दुख की घड़ी रहती है तो वो समय उसको याद रहता है या जबप्रसन्नता शिखरतापर होती है और बहुत खुशी का कोई समय आ गया। यह दो अवसर मनुष्य को हमेशा ही याद रहते हैं और जो यह संकट का समय था उससेपूरी दुनिया कराह रही थी, मानवता कराह रही थी तब उसमानवता कोबचाने के लिए आगे आने का यह अभियान और संकल्प बड़ाथा, यह कभी जीवन में न भूलने वाले क्षण हैंऔर मुझे भरोसा है कि जिन-जिन लोगों ने भी जिन-जिन छात्रों ने अपने विशिष्‍ट क्षेत्रों में दायित्व निभाने वाले लोगों ने इन क्षणों को आत्मसात करके पूरी ताकत के साथ उसका मुकाबला किया मेरे देश के प्रधानमंत्री कहते हैं कि जब बड़ा संकट होता है और चुनौती बड़ी होती है तब उसका मुकाबला किया जाता है तो वही चुनौतियां अवसरों में तब्दील हो जाती है। ऐसा अवसर मिल जाता है जो हमारे जीवन को एक नई उपलब्धि हो जाती है और निश्चित रूप सेमैं कह सकता हूं कि जिन-जिन लोगों ने इन क्षणों को संजोया होगा, एक एक में मिनट को जियाहोगा वे क्षण निश्चित रूप में उनकी जिन्दगी में एक उपलब्धि बनकर के वे क्षण रहे हैं।हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और यहां शिक्षा काबड़ा व्याप है। एक हजार से भी अधिक विश्वविद्यालय हैं औरहमारे देश के अंदर जब हम अपनी शिक्षा के बारे में महसूस करते हैं तो सीना ऊँचा हो जाता है। एक हजार से अधिक विश्वविद्यालय हैं, 50 हजार से अधिक डिग्री कॉलेज हैं, 15-16 लाख स्कूल हैंएक करोड़ 10 लाख से भी अधिक अध्यापक हैं और छात्रों की संख्या देखेंगे तो कुल अमेरिका की जितनी जनसंख्या नहीं हैं उससेभी ज्यादा 33 करोड़ छात्र छात्राएं हैं यह है हिन्दुस्तान की ताकत,हमक्या नहीं कर सकते। 135 करोड़ लोगों का यहदेश है और एक कदम भी एक व्यक्ति जाएगा तो एक कदम आगे बढ़ने से यह देश 135 करोड़ कदम आगे बढ़ता है। हमेंइस ताकत को हमेशा महसूस करना चाहिए। मेरे देश की ताकत ऐसी है कि अभी आपको मालूम है कि इसी बीच इस कोरोनाकाल में हम नयी शिक्षा नीति भी लेकर आए। अब हम 10+2 को समाप्‍त कर देंगे और अब हम5+3+3+4 करेंगे। नई शिक्षा नीति में हमने मातृभाषा को प्राथमिकता दी है क्‍योंकि मातृभाषा में ही अभिव्यक्ति ज्यादा हो सकती है। यूनेस्को का भी हमेशा कहना है और सभी भाषा वैज्ञानिकों का भी यही मत है कि जो मातृभाषा में ही सशक्‍त अभिव्‍यक्‍ति  हो सकती हैतथादूसरी सीखी हुई भाषा में नहीं हो सकती और इसलिए हमअभिव्यक्ति को पूरी तरीके से बाहर लाना चाहते हैं। मातृभाषा में प्रारंभिक शिक्षा तो होगी ही और उच्च शिक्षा तक भी कोई राज्‍य करना चाहे तो कर सकता है। हम कक्षा 6 से ही वोकेशनल एजुकेशन ला रहे है और वह भी इन्टर्नशिप के साथ। अब केवल अंक ज्ञान और अक्षर ज्ञान नहीं बल्‍कि व्यावहारिक ज्ञान होगा। अब विद्यार्थी केवल कक्षा कक्ष में नहीं रहेंगे बल्‍कि अपने रूचि के क्षेत्रों जैसे उद्यानिकी के क्षेत्र में, वानिकी के क्षेत्र में, मशीन को बढ़ाने के क्षेत्र में जिसक्षेत्र में आपका मन जहां ज्यादा लग रहा है उसको आप प्रेक्टिकल करेंगे और छठवीं से लेकर कर 12वींतक यदि आपको वह मौका मिलेगा तो जिस समय आप जिस विधा में विज्ञता लेना चाहते हैं और आपकी रूची है, आपको 12वीं कक्षा पास करते एकऐसा आधार देगा जब आप किसी के कदमों पर खड़े न हो करके स्‍वयंआत्म बल पर खड़े होकर के और आत्म निर्भर भारत की कल्पना को पूरा कर सकते है। यह है शिक्षा, हम स्कूली शिक्षा से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ला रहे हैं क्योंकि अब इंटर करने के बाद याफिर बीए करने के बाद या फिरबीएससी करने के बाद फिरइंजीनियरिंग में जाएंगे तो कोई विषय चुनेंगे या दूसरे विधा में जाएंगे तब इसे चुनेंगे लेकिन नहीं,विषय अभी चुनना है हमको कि किस क्षेत्र में हम आगे बढ़ना चाहते हैं और आगे की क्लास में आपके लिए पूरा मैदान खाली है और आप कोई भी विषय ले सकते हैं तथा किसी भी विषय के साथ कोई भी विषय जोड़ सकते हैं। अब वो बंधन नहीं रहेगा कि आपको यही विषय लेने ही पड़ेंगे। जिस क्षेत्र में आप अच्छा करना चाहते  हैं जो आपका मन है उसेकरियेजरूर औरजिस क्षेत्र में आप जाना चाहते हैं जाओ, पूरा मैदान खाली छोड़ा है।इस शिक्षा नीति के अंतर्गत यदि कोई 4 वर्ष का कोर्स है और यदि कोई छात्र दो साल में परिस्‍थितिवशछोड़के जा रहा है  तो पहले उसका पैसा एवं वर्ष दोनों खराब हो जाते थे लेकिन अब उसकोनिराश नहीं होना पड़ेगा।यदिवह परिस्‍थितिवश एक वर्षमें छोड़ कर जा रहे हैं तो उसको सर्टिफिकेटदेंगे,दो साल में छोड़ कर जा रहा है तो डिप्लोमा देगें, तीन साल में छोड़कर जा रहा है तो उसकोडिग्री देंगे। लेकिन यदि फिर वह लौट कर अपने भविष्य को संवारना चाहता है तो फिर जहां से उसने छोड़ा था वहीं से शुरू कर सकता है। उसके लिए हम एक ऐसा क्रेडिट बैंक बनायेंगे जहां उसके सारे क्रेडिट जमा होंगेइसलिए उसके लिए आगे बहुत आपार संभावनाएं है।वह कहां जाना चाहता है, शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में जाना चाहता है।अब हम बच्चे को रिपोर्ट कार्ड नहींदेंगे बल्‍किप्रोग्रेस कार्ड देंगे कि वह क्‍या प्रगति कर रहा है। अब हम उसका360 डिग्री होलिस्टिक मूल्यांकन करेंगे,बच्‍चा स्‍वयं भी अपना मूल्यांकन करेगा, उसका अध्यापक भीमूल्यांकन करेगा, उसका अभिभावक भीमूल्‍यांकन करेगा और उसका साथी भी उसका मूल्यांकन कर सकेगा।आप जितना दौड़ना चाहते हों, उतना दौड़ों आपको कोई रोक नहीं सकेगा।अभी जो हमारी नई शिक्षा नीति आई है पूरी दुनिया ने इस नई शिक्षा नीति को माना है। अभी कैम्ब्रिज ने अपना एक मेल भेजकर हमको कहाहै  कि दुनिया का सबसे बड़ा जो ज्ञान का भंडार था वो हिन्दुस्तान था। कैम्ब्रिज जो दुनिया के शीर्षत्तम विश्वविद्यालयों में एक है। उसने हमको मेल भेज करके कहा है कि जो नयी शिक्षा नीति आयी है, यह बात खूबसूरत है और यह पूरे विश्व के फलक पर है। यह नेशनल भी है,इंटरनेशनल भी है, इम्पैक्टफुलभी है,इनोवेटिव भी है, इन्क्लूसिव भी है और यह इक्विटी,क्‍वालिटी और एक्‍सेसकी आधारशिला पर खड़ी है। यहसमावेशी है तथा अंतिम छोर तक केछात्र को भी पकड़ करके रखेगी और उसको शिखर तक ले करके जाएगी। पूरी दुनिया आज हमारी शिक्षा नीति से प्रभावित है और वो भी चाहते हैं कि जैसे हिंदुस्तान के बच्चे खुश हैं,अभिभावकखुश है, अध्यापक खुश हैं वे भीइस खुशी को बांटना चाहते हैं, पूरी दुनिया में और हमारा देश तो खुशियों का ही देश है।जबमैं कहता हूँ कि खुशियों का देश है तो कैसे पता चलता है कि यह खुशियों का देश है क्योकि 365दिनों में हम366उत्‍सवमनाते हैं। ये हमारे देश था 365 दिनों में 366उत्सव मनाने वाला दुनिया का पहला हमारा देश है। हमारा देश विश्वगुरु रहा है और सारी दुनिया के लोग हमसे ज्ञान विज्ञान अनुसंधान नवाचार तथा तकनीकी सीखने के लिए आते थे। आज तो आप मुझसे प्रश्न पूछेंगे, मैं उत्तर दूंगा। लेकिन यदि मैं यह सवाल पूछूं कि क्या मेरे देश के नवयुवकों को मेरे देश के छात्र छात्राओं को जिसके आधार पर मेरा देश सारे विश्‍वमेंविश्वगुरु रहा है और जिसके आधार पर हमने पूरी दुनिया में हर क्षेत्र में लीडरशिप दी है। क्या उस देश को उस भारत को जानते हैं कि नहीं उसके तक्षशिला नालंदाऔर विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालयों के बारे में जानकारी है कि नहीं। यदि नहीं तो कोई बात नहीं अबशुरू करेंगे क्योंकि अब नई शिक्षा नीति आई है। मेरे देश के प्रधानमंत्री जी ने बोला है कि 21वीं सदी का स्वर्णिम भारत लाना है और यहनई शिक्षा नीति नया भारत बनाएगीऔर ध्‍वजवाहकआपबनेंगे, आप से होकर के गुजरेगा वो जो नयास्वर्णिम भारत बनेगा। 21वीं सदी का स्वर्णिम भारत हमको बनाना है। हमारे जीवन मूल्य क्‍या थे,यह जानना भी ज़रूरी है। हमें हर क्षेत्र में आगे बढ़ना है ज्ञान के विज्ञान के अनुसंधान के और ऐसा नहीं कि यह देश पीछे था। सुश्रुत को पढ़िए,इस देश में शल्य चिकित्सा का जनक सुश्रुतइसदेश में पैदा हुआ, आयुर्वेद का जन्मदाता भी इस देश में पैदा हुआ। अभी मुझे खुशी हुई जब यहां पर सरस्वती वंदना हुई। मैंने निधि से पूछा कि आपके बच्‍चे बहुत अच्‍छा संगीत गा रहे हैं। निधिने बताया कि केन्द्रीय विद्यालय में संगीत सर्वोच्च स्तर पर है। मैं बधाई देना चाहता हूं संगीत के अध्यापक को भी और मैं देख रहा था जब सरस्वती बंदना हो रही थी तो आप भी झूम रहे थे। संगीत में बहुत ताकत है। संगीत में मन को बदलने की ताकत है विचारों को बदलने की ताकत है। प्राचीन भारत का जो संगीत है और जो उसकी नाट्य विधाएं हैं तथा जो उसकी कलाएंहैं, उन सभी 64 कलाओं से युक्त होना है, मेरे हर विद्यार्थी को। इसलिए अभी जब संगीत के बारे में हम देख रहे थे तब हम मां सरस्वती से क्या प्रार्थना कर रहे थे।हमकोइतना ताकतवर बना दो मां कि मैं दुनिया को ठीक कर दूं, मैं दुनिया को दिशा दिखा दूं।ऐसीताकत चाहिए कि मैं अपने देश कोविश्व के स्तर पर खड़ा कर सकूं। इसके लिए मां से प्रार्थना हम करते हैंक्योंकि कमजोर आदमी क्या परिवर्तन कर पाएगा। जो अपने आप ही रोता है वह दूसरो को क्‍या हंसा पाएगा। जब हम बड़ा लक्ष्य लेकर के चलते हैं तो हर हालत में फिर जो चीज हमारे सामने आती है हमउसको करते हुए आगे बढ़ते हैं। हम ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की बात करते हैं पूरी वसुधा को हम अपनापरिवार मानते हैं  जब हमारे परिवार में कोई दुखी रहता है तो हम चुपचाप उसके सामने से निकल जाते हैं। क्या कोई संकट परिवारमें रहता है तो हम चुपचाप खुशियां मनाते हैं क्या करते हैं। हम सब कुछ छोड़ के पहले उसके संकट को दूर करने की कोशिश करते हैं तो हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं तो विश्व पर आने वाले किसी भी प्रकार केसंकट को भी हम दूर करेंगे। ऐ इसलिए मेरे देश के प्रधानमंत्री बोलते हैं एक अच्छा नागरिक, अच्छा शिक्षित होने के साथ साथ विश्व मानव होना चाहिए और यह जो नई शिक्षा नीति है यह विश्व मानव बनायेगी। आचार व्यवहार संस्कार ज्ञान विज्ञान अनुसंधान नवाचार से युक्त विश्‍व मानव जो विश्व के बारे में न केवल सोचे बल्कि विषमपरस्थितियों में रास्ता निकालकरके हमें दें क्योंकि हमने तो हमेशा सर्वे भवन्तु सुखिनः कीबात की है। इसधरती पर सभी सुखी रहने चाहिए और यदिकोई दुखी है तो मैं सबसे पहले उसके दुख का निवारण करूंगा। यह ताकत होनी चाहिए इसलिए जो केन्द्रीय विद्यालय हैं वे हमारे देश की शान है। जब इसमें प्रवेश होता है तब इसकी शक्ति कामुझको भी अहसास होता है हमारे पास कितना दबाव रहता है एक प्रवेश के लिए,एक एडमिशन के लिए हजारों लोग लाइन पर खड़े रहते हैं। केंद्रीय विद्यालयों में लोग प्रवेश चाहतेहैं। उनको लगता है कि यदि मेरे बच्‍चेंकाकेंद्रीय विद्यालय में एक बार प्रवेश हो गया तो उसके जोआचार्यगण हैं,अध्यापकगण हैं उनके सानिध्‍य में मेरा बेटा पूरी दुनिया का नंबर एक हो जाएगा और यही केन्द्रीय विद्यालय की पहचान है। मुझे खुशी होती है और मैं इसलिए आपको कहनाचाहता हूं कि आपको भी यह महसूस होना चाहिए कि आप यहां उस केन्द्रीय विद्यालय में पढ़ रहे हैं जहां से हमें खुशी, ताकत एवं प्ररेणा मिलती है। हम कोशिश करेंगे कि इस केन्द्रीय विद्यालय की शिक्षा को नीचे तक ले करके जाएंगे। हमने जो नई शिक्षा नीति में परिवेश बनाने की कोशिश की हैउसमें हर बच्चा केन्द्रीय विद्यालय के बच्चे की तरह बन सकेगा आपके लिए तो सौभाग्‍य का क्षण हैं, आप तो केन्द्रीय विद्यालय तक पहुँचे हैं,इस क्षण को खराब मत होने देना। यह जो समय हैं आपकेलिए, यही समय आपको योद्धा बनानेकाहैऔर इसलिए इस कोरोना काल में भी हमने आपके लिए ‘मनोदर्पण’तैयार किया है आपको मालूम है यदिकोई दिक्कत है, मानसिक परेशानी है, तो चाहे अध्यापक हो,चाहे वो अभिभावक हो। वे सभी ‘मनोदपर्ण’ के तहत मनोवैज्ञानिकों सेचौबीसों घंटे ऑनलाइन परामर्श ले सकते हैं।हमनेआपका पाठ्यक्रम भी कम किया है। हमने हरसप्ताह में आपसे संवाद किया और आज भी उसी ‘शिक्षा संवाद’ के तहत हम आपसे जुड़े हुए है। कोविड के दौर में स्‍वयं ही भी सुरक्षा जरूरी है। जिन-जिन लोगों ने सुरक्षा का अनुशासनबद्ध तरीके से कार्य किया, उन राज्यों में अच्छा काम हुआ है।हमने कोराना काल में दुनिया की सबसे बड़ी परीक्षा नीट कराई है,यह हमारी ताकतहै। हम दुनिया की सबसे बड़ी परीक्षा भी इसी काल में करते हैं क्योंकि हमारे छात्र अनुशासित होते हैं। उनको मालूम है कि जो हमारे गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय ने निर्देश जारी किए हैं, वे उनका पालन करते हैं। जिन राज्यों ने भी अपने स्कूलों को खोला है और जिन्होंने उस गाइडलाइन का पालनकिया है वो राज्‍य दिक्कत में नहीं आया है। आपको तो मालूम ही है कि  हमारे देश के यशस्‍वीप्रधानमंत्री श्री नरेन्द मोदी जी ने दुनिया में कई अभूतपूर्व उदाहरणप्रस्तुत किए हैं जो दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हैं। हमारा देश दुनिया का पहला देश है जो दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन अभियान चला रहा है। अब चिंता की कोई बात ही नहीं है। औरमैं आपको शुभकामनाएं देना चाहता हूं कि आप अच्छे से रहिए तथा खूब मस्ती के साथ रहिए। बस इतना करिए कि अपनी सुरक्षा का ध्यान जरूर रखेंगे और दूसरों की भी सुरक्षा करेंगे। अभी बच्‍चे योग कर रहे थे। देश के प्रधानमंत्री जी ने विश्व के मंच पर ईश्वर की सबसे सुंदरतम कृति मनुष्य को सुरक्षित रखने के उसके तन मन को ठीक करने के लिए योग के बारे में बात की थी। सयुक्त राष्ट्र संघ के मंच पर तो पूरी दुनिया के 197 देशों ने एक साथ उस प्रस्ताव को मंजूर करके दुनिया का बहुत बड़ा उदाहरण पेश किया और आज दुनिया के 197 देश योग कर रहे हैं। जैसे अभी हमारे छात्र-छात्राओं यहां पर योग का अद्भुतप्रदर्शन किया इसके लिए योग के अध्यापक जो होंगे उनको भी मैं बधाई देना चाहता हूं। दो प्रदर्शन तो अभी हुए हैं संगीत और योग के केन्‍द्रीय विद्यालय का छात्र पढ़ाई के अतिरिक्त गतिविधियों में जिस तरीके से जो सक्रिय रहता है, उससे उसकी प्रतिभा का विकास होता है। मेरा अपना निजी अनुभव है कि विभिन्‍न गतिविधियों में संलग्‍न छात्र प्रखर होते है। जब मन की एकाग्रता होगी तो उतना ही जल्दी से सीखने का भी मनहोता है। योग मन की एकाग्रता का सबसे बड़ा सूत्र है। योगशरीर को भी ठीक रखता है तथा मन को भी ठीक रखता है। आज इस विद्यालय मेंसंगीत और योग का प्रदर्शन हुआ है। इन दोनों को जोड़ करके समझ सकता हूं कि इस विद्यालय के प्राचार्य और उनके अध्यापकगण कितनीअथक मेहनत कर रहे होंगे। मैं उनको शुभकामनाएं एवं बधाई देना चाहता हूं औरमुझे भरोसा है कि दूसरेविषयोंमें भी इसी तरीके से यह विद्यालय अपनी प्रगति के आयामों को बढ़ा रहा होगा। हमने तो पिछला वर्ष भी खराब नहीं जाने दिया और बहुत सारे देशों ने तो एक साल पीछे अपनी परीक्षाओं को कर दिया। दुनिया ने भले ही एक साल खराब कर दिया लेकिन हमने अपना साल खराब नहीं होने दिया और यह साल भी बेहद खराब नहीं होने देंगे। हम कोरोना कोदौड़ाएंगे औरकहेंगे कि तुम हमको छू नहीं सकते हम जो करेंगे वह ज़रूर करेंगे और स्वस्थ्य रहते हुए सुरक्षित रहते हुए अपने जीवन को संवारेंगेऔर दुनिया को भी बताएंगे। आपको शुभकामनाएं कि आज आप सब लोग पूरे देश के विभिन्न प्रदेशों से और देश के कोने-कोने से जुड़े हुए हैं।मैंअभिभावकों सेनिवेदन करना चाहता हूँ कि यह जो छात्रहैंइनकोआपने पीछे के समय में बहुत अच्छी मदद की है और यह भी दुनिया का पहला उदाहरण है कि 33करोड़ छात्रों को एक साथ आनलाइन पर हमलेकर आएहैं।यहदुनिया का अपने में एक उदाहरण है। मेरे अध्यापकगणका और अभिभावकगण का,छात्रों के साथ समन्‍वय रहा है। मैं अध्यापक और अभिभावक दोनों लोगों का अभिनंदन करता हूँ। मुझे भरोसा है कि यह संकट का समय जो अभी गया नहीं है हालांकित कम हो रहा है और तेजी से कम होगा। इस संकट के समय में निश्चित रूप से हम रास्ता निकालेंगे और हम अपनीपढ़ाई भी पूरी करेंगे। जिस फोन को हम केवल अपने मित्र से बात करने के लिए अब तक प्रयोग करते थे अबवो पढ़ाई के लिए प्रयोग आ रहा है, परिवेश बदला है और कोरोना काल ने नयी दुनिया को तैयार कियाहै, हम उसमें भी आगे बढ़ेंगे।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. सुश्री निधि पाण्‍डेय, आयुक्‍त, केन्‍द्रीय विद्यालय संगठन
  3. श्री रामचन्‍द्र मीना, उपाध्‍यक्ष, केन्‍द्रीय विद्यालय संगठन,
  4. श्रीमती लामचोघांई स्‍वीटी चांगसन, संयुक्‍त सचिव, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार
  5. देश भर से जुड़े छात्र-छात्राएं, अध्‍यापकगण, अभिभावकगण।