आसियान-इंडिया हैकाथॉन का शुभारम्भ
दिनांक: 01 फरवरी, 2021
माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
आज इस कार्यक्रम में हमारे साथ जुड़े म्यांमार के शिक्षा मंत्री, माननीय सचिव शिक्षा, युवा एवं खेल मंत्रालय, कंबोडिया, माननीय प्रधानमंत्री कंबोडिया, प्रो.अब्दुल अजीज रहमान, पीवीसी, मलेशिया विश्वविद्यालय मलेशिया,भारत के विदेश मंत्रालय से जुड़ी हमारी विदेश सचिव सुश्री रीवा गांगुली दास जी, प्रो. अनिल सहस्त्रबुद्धे, अध्यक्ष एआईसीटीई, डॉ. राकेश रंजन अपर सचिव, शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार, डॉ. अभय जैरे, मुख्य नवाचार अधिकारी, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार और दुनिया के विभिन्न देशों से जुड़े मेरे भाइयो और बहनों! मैं समझता हूं कि यह कोविड काल में दुनिया का अपने आप में एक महत्वपूर्ण अवसर है जब बहुत सारे देश बहुत सारी महत्वपूर्ण चीजों पर हैकाथॉन कर रहे हैं। एक दृष्टिकोण एक पहचान के आदर्श का प्रतिनिधित्व करते आसियान देशों के छात्र, फैकल्टी, सदस्य और अधिकारियों के बीच उपस्थित होकर मैं हर्ष का अनुभव कर रहा हूं।
भारत आसियान देशों के संबंधों की नींव साझा मान्यताओं और सांस्कृतिक मूल्यों की आधारशिला पर खड़ी है। भारत से पनपे बौद्ध धर्म को दक्षिण एशियाई देशों ने आत्मसात किया। इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, वियतनाम व अन्य आसियान देशों को इसी संस्कृति एवं सभ्यताका अभिन्न अंग माना जाता रहा है। निश्चित तौर पर यह आयोजन सभ्यता और संस्कृति की परस्पर संबद्ध आधारभूत जड़ों को दर्शायगा एवं 21वीं सदी को और मजबूती प्रदान करेगा। मेरा मानना है कि बदलती सभ्यता और विश्व में भारत की भूमिका अलग मान्यता रखती है। भारत इस क्षेत्र में सबसे बड़ा जनसांख्यिकीय देश होने के नाते आसियान देशों के साथ मिल करके इस अभियान को आगे बढ़ायेगा। यह भारत के लुक ईस्ट पॉलिसी का मूल भी है। जो हमारी लुक ईस्ट पॉलिसी सुनिश्चित है और भारत, म्यांमार जैसे देशों को कोविड-19 टीके के निर्यात के साथ ही कोविड-19 के दौरान भी अपने सहयोगी राष्ट्रों को समर्थन करने में मजबूती प्रदान करता है।
मुझे इस बात की खुशी है कि हम उस बिन्दु पर पहुंच गये हैं जहां भारत आसियान देश आपसी संबंध, सामरिक, आर्थिक और बहुलताबादी, दुनिया के ढांचे तथा शैक्षणिक विकास की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहा है। प्रशांत क्षेत्र के बारे में भारत का दृष्टिकोण संग्रीला संवाद के दौरान हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा स्पष्ट रूप से व्यक्त किया गया था।इस क्षेत्र के सभी देशों को महत्वपूर्ण व उसके हितों की पहचान होनी चाहिए।
हमें विज्ञान प्रौद्योगिकी और शैक्षणिक सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए। अभीजैसे कि हमारी विदेश सचिव रीवा गांगुली जी ने बताया कि प्रधानमंत्री जी ने 2019 में सिंगापुर इंडिया हैकाथॉन पुरस्कार वितरण समारोह में यह इच्छा व्यक्त की थी कि आपदा में आसियान देशों के साथ ही हैकाथॉन किया जाना चाहिए और आज उसी की परिणति है कि हम हैकाथॉनकर रहे हैं। भारत का विदेश मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय प्रधानमंत्री जी के इस विजन पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत और आसियान के सदस्य देशों के बीच शैक्षणिक अनुसंधान, आर्थिक एवं सांस्कृतिक तथा वाणिज्यिक और हमारे अन्य सभी संबद्ध मजबूत करेंगे। कई भारतीय विश्वविद्यालय जैसे आईआईटी दिल्ली और केन्द्रीय विश्वविद्यालय तेजपुर में आसियान देशों के छात्रों को मेजबानी मिली है। भारत सरकार ने आसियाननागरिकों के लिए विशेष रूप से एक हजारआसियान पीएचडी फैलोशिप शुरू की है। जो आसियान देशों के एक हजार छात्र आज हमारे आईआईटीज में शोध के लिए कार्यरत हैभारत बहुत तेजी के साथ सुधारों और ढांचागत बदलाव के दौर से गुजर रहा है।
इन सुधारों की श्रृंखला में हमने 34 वर्ष के बाद नई शिक्षा नीति 2020 को लागू किया है। इस नीति से न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया के लिए विकल्प और अवसरों का पर्याप्त अवसर मिलेंगे।राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिश के अनुसार हम नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बनाकर अनुसंधान पारिस्थितिकीतंत्र को मजबूत करेंगे तथा तकनीकी की दिशा में नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम का गठन करेंगे। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि भारत ने 48वीं रैंक हासिल करके ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में अपनी रैंक में पर्याप्त सुधार किया है। मुझे विश्वास है कि नई शिक्षा नीति 2020 आने के बाद विश्वभारत को शिखरपर देखेगा। क्रेडिट हस्तान्तरण को सुनिश्चित करने के लिए अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट हमने बनाया है तथा साथ-साथ मल्टिपल एंट्री और एग्जिट का इसमें प्रावधान होगा। हम अंतरराष्ट्रीयकरण को भी मजबूती देंगे और साथ ही हम दुनिया के शीर्ष सौ विश्वविद्यालयों को भारत में संचालित करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। इस प्रकार भारत में अध्ययन की भावना को बढ़ावा देने और भारत में रह कर के संपूर्ण विश्व को नेतृत्व करने का बल प्रदान होगा।
आज एक कदम आगे बढ़ाते हुए शिक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय द्वारा‘आसियान भारत हैकाथॉन’लॉन्च करने की मुझे खुशी है। मुझेविश्वास है कि भारत आसियानदेशों की ब्लु इकोनॉमी और शिक्षा दो व्यापक विषयों के तहत अपनी साझी समस्याओं को पहचानकरने, उनका समाधान निकालने का अभूतपूर्व अवसर प्रदान करेगा। इस प्रकार प्रौद्योगिकी आधारित स्टार्ट अप को तेजी से बढ़ावा मिलेगा।यहहैकाथॉनसभी आसियान देशों यथाइंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपीन्स, सिंगापुर, थाईलैंड,लोआस, म्यांमार, कंबोडिया और वियतनाम के लिए शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सहयोग के माध्यम से आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने में सफलता अर्जित करेगा।
मुझे यह भी भरोसा है कि यह हैकाथॉनन केवल प्रतिभागी छात्रों के बीच सीखने और सहयोग को बढ़ावा देगा बल्कि एक-दूसरे की वैचारिक ताकत से प्रेरित होकर, सांस्कृतिक मूल्यों को सर्वोत्तम प्राथमिकतादे करके परिचित कराने और एक दूसरे का साझा मंच स्थापित करने में सफलसाबित होगा। यह वास्तव में उस शिक्षा का प्रतिबिम्ब है जो बहुलतावादी सहअस्तित्व आधारित खुलेपन तथा संवादधर्मी सभ्यता को आगे बढ़ाएगा। लोकतंत्र के आदर्श जो हमें एक राष्ट्र के रूप में परिभाषित करते हैं वे आदर्श उस मार्ग कानिर्माण करते हैं जिस पर चलकर हम पूरी दुनिया और आसियान देशों के साथजुड़ते हैं। यहहैकाथॉनहमारी सभ्यता के छ: मूल गुणों, सभ्यता, संवाद, सहयोग,शांन्ति, समद्धि और नवाचार को अधिनियमित करता है।
मैं अपनी अनंत शुभकामनाओं के साथ इस हैकाथॉनका विधिवत उद्घाटन करने की घोषणा करता हूं जो सभी की एकता पर आधारित है और विविधता में एकता का उद्घोषक है।सत्य एक ही है, भले ही लोग इसे कई तरीके से पुकारते हैं। भारत हमेशा से विश्व कुटुम्ब की भावना से प्रेरित रहा है जो हमारे दर्शन ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ में परिलक्षित होता है। इस दर्शन का अभिवादन करते हुए भारत आसियान देश और पूरी दुनिया के प्रति अपनी सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए हमेशा पूरी तरह तैयार रहेगा और इन्हीं शुभकामनाओं के साथ मैं आप सबको बधाई देना चाहता हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद!
कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थिति:-
- डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
- माननीय शिक्षा मंत्री, म्यांमार,
- माननीय सचिव, शिक्षा, युवा एवं खेल मंत्रालय, कंबोडिया,
- माननीय प्रधानमंत्री, कंबोडिया,
- प्रो. अब्दुल अजीज रहमान, पीवीसी, मलेशिया विश्वविद्यालय, मलेशिया,
- सुश्री रीवा गांगुली दास, सचिव, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार
- प्रो. अनिल सहस्त्रबुद्धे, अध्यक्ष, एआईसीटीई
- डॉ. राकेश रंजन, अपर सचिव, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार
- डॉ. अभय जैरे, मुख्य नवाचार अधिकारी, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार