21वीं सदी की स्‍कूल शिक्षा पर आधारित दो दिवसीय कॉन्‍क्‍लेव

21वीं सदी की स्‍कूल शिक्षा पर आधारित दो दिवसीय कॉन्‍क्‍लेव

 

दिनांक: 10 सितम्‍बर, 2020

 

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक

           

मेरे सहयोगी श्री संजय धोत्रे जी, सचिव उच्‍च शिक्षा, श्री अमितखरे जी, स्‍कूली शिक्षा की सचिव अनिता जी, हमारी राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति की ड्राफ्ट समिति के अध्‍यक्ष के. कस्‍तूरीरंगन जी, सभी राज्यों के सचिव, निदेशक और सभी अधिकारीगण, शिक्षकगण, अभिभावकों और छात्र-छात्राएं। आज स्‍कूल एजुकेशन कन्‍क्‍लेव में देश के 15 लाख से भी अधिकस्‍कूल जुड़े हुए हैं जिसमें हमको माननीय प्रधानमंत्री जी का आशीर्वाद मिलने वाला है। इसमें 26 लाख छात्र-छात्राएं जुड़े हुए हैं, इसमें हमारे सीबीएसई बोर्ड के दुनिया भर में चल रहे शीर्ष देशों के अध्‍यापक गण और उनके छात्र एवं अभिभावक जुड़े हैं। मैं इन सबको आज के इस महत्‍वपूर्ण दिवस पर जबकि हम एक नई शिक्षा नीति पर परामर्शकर रहे हैं उसका उत्‍सव मना रहे हैं जिस नीति पर हमारे देश के यशस्‍वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी का हमको हमेशा मार्गदर्शन मिलने वाला है, ऐसे अवसर पर मैं आप सबका अभिनंदन करना चाहता हूं आप सबका स्‍वागत करना चाहता हूं। आपको मालूम है कि नई शिक्षा नीतिऐसी नीति है जिसका उद्देश्‍य हमारे देश की कई जरूरतों को पूराकरना है। यह संयुक्‍त राष्‍ट्र के सतत विकास एजेंडा 2030 के अनुरूप है। राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति क्‍वालिटी, एक्‍सेस के मूलभूत स्‍तंभों पर खड़ी है यह सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए है। जहां वर्गीकृत करने की जरूरत थी वहांवर्गीकृत कियागया है और जहांनही थी वहां अवर्गीकृत भी किया गया है। शिक्षा को समकालीन बनाने की दिशामें अब हम आगे बढ़े हैं। इसमें जरूरी लचीलापन भी है तो जरूरी स्‍थायित्‍व भी है। जहां एक ओर हम भारतीय फाउंडेशन पर खड़े होंगे, वहीं दूसरी ओर हमारा दृष्‍टिकोण इंटरनेशनल होगा। दोनों के बीच संतुलन का एक नई  शिक्षा नीति के माध्यम से विशेष ध्यान रखा गया है। शिक्षा को राष्ट्र निर्माण का सबसे शक्तिशाली प्रयोग माना गया है। जिस बदलाव की प्रगति कि हम आशा करते हैं उसका रास्ता शिक्षा और विशेष रूप से स्कूली शिक्षा से ही हो करके गुजरता है। कहा भी जाता है कि बुनियाद जितनी मजबूत होगी, इमारत उतनी ही बुलंद होगी। छात्रों में बाल्यावस्था से ही निवेश करना होगा ताकि हम मजबूत पीढ़ी का निर्माण कर सकें। आज स्कूली शिक्षा कॉन्‍क्‍लेब के अवसर पर मैं विशेष करके अपने प्रधानमंत्री जी का धन्यवाद देना चाहता हूं जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति के निर्माण से लेकर अनुमोदन तक और अब क्रियान्वयन की प्रक्रिया तक निरंतर सुझाव और संवाद और चर्चा के जरिये देश तथा शिक्षा मंत्रालय का लगातार और लगातार मार्गदर्शन करते रहे। हमारी जो समिति है उस समिति सेभी बार-बार प्रधानमंत्री जी ने विमर्शकरके और अपने महत्वपूर्ण सुझावों से इसको समर्थवान बनाया है। इस पूरे एजुकेशन कॉन्क्लेव को हमने कुछ खास सत्रों में भी बांटा। एक सामूहिक परिचर्चा का केन्द्र भी बनाया। इन सत्रों की एक संक्षिप्त में रूपरेखा अनिता जी, सचिव स्कूली शिक्षा ने बताया कि कल भी दिनभर हमारापरामर्शहुआ है। कक्षा एक से तीन तक भाषा कौशल तथा गणितीय कौशल पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन की स्थापना की जाएगी। इसमें पढने-लिखने, बोलने, गिनती करने अंकगणित और गणितीय सोच पर विशेष ध्यान केन्द्रित करने बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान पर उच्च क्वालिटी वाले संसाधनों का विकास महत्वपूर्ण पहल की गई है। हर छात्र को स्कूल तक ले जाना और हर छोर तक शिक्षा को पहुंचाना यह हमारा संकल्प है। बच्चों को शिक्षिततो किया ही जाना चाहिए लेकिन खुद भी शिक्षित होने के लिए बच्चों को उन पर छोड़ देना चाहिए। मैं यह समझता हूं यह एक ऐसी शिक्षा पद्धति है जो बच्चों को एक समूह में सीखना और काम करना सिखाती है। टीम भावना व सामूहिक भावना का विकास बाल्यावस्था से ही हो इस दिशा में हमारा विशेष प्रयास है। इससे न केवल बच्चों को उनकी पांचों इंद्रियां विकसित होंगी बल्कि उनमें वैज्ञानिक स्वभाव और सामुदायिकता की भावना भी विकसित होगी। अर्ली चाइल्ड केयर एंड एजुकेशन की यदि हम बात करें तो नई शिक्षा नीति 2025 तक 3 से 6 वर्ष तक की आयु के बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक बाल्यकाल देखभाल और शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रारंभिक वर्षों के महत्व पर बहुत बल दिया गया है। इसलिए आपने देखा होगा कि हमने टेन प्लस टू को हटा करके फाइव प्लस थ्री, थ्री प्‍लस फोर प्रस्तुत किया है। आज एनसीईआरटी द्वारा आठ वर्ष की आयु तक के बच्चे के लिए प्रारंभिक बाल्यकाल देखभाल और शिक्षा के लिए एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम औरशिक्षाकी रूपरेखा तैयार की जा रही है। प्रारंभिक बाल्‍यावस्‍था शिक्षा की योजना बनाने और कार्यान्वयन का कार्य शिक्षा मंत्रालय, महिला और बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा जनजाति कार्य मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा। अंतर-मंत्रालय सहयोग से सहभागीता के साथ हम एनर्जी भी पाएंगे और सिनर्जी भी पाएंगे। मैं यह समझता हूं कि यह एक परिवर्तनकारी काम इस शिक्षा नीति के तहत किया जा रहा है। एक मुखी रिपोर्ट कार्ड नहीं होगा बल्कि आप 360 डिग्री होलिस्टिक मूल्यांकन होगा बच्चे का और वो एकमुखी नहीं बल्कि बहुमुखी, चहुंमुखी और रिपोर्ट कार्ड नहीं बल्कि प्रोग्रेस कार्ड उसको दिया जाएगा, बच्चा स्वयं अपना मूल्यांकन भी करेगा। अभिभावकभी मूल्यांकन करेंगे। अध्यापक भी मूल्यांकन करेंगे और उसका साथी भी उसका मूल्यांकन कर पाएगा । यह जो चौमुखी मूल्यांकन होगा इससे उसकी हर प्रकार की क्षमता निखर कर के सामने आएगी। जहां एक ओर इनपुट का आकलन होगा अब वहीं आउटपुट का भी आकलन इसी नीति के तहत किया जाएगा। लर्निंग आउटकम को वैज्ञानिक तरीकों से जांचा परखा और तय किया जाएगा। लक्ष्‍यआधारित कार्य योजना तैयार की जाएगी जिसको एक समय अवधि के अंदर बांटा जाएगा। भाषा की दृष्टि से बात करें तो भारतीय भाषाओं का प्रचार-प्रसार एवं संरक्षण-संवर्धन जीवंतता को सुनिश्चित करने के लिए बहुत सारी पहले इसमें की गई हैं। शास्त्रीय, जनजातीय और लुप्त प्राय: भाषाओं से सभी भारतीय भाषाओं को संरक्षित करने और उन्हें बढ़ावा देने के प्रयास किए जाएंगे। चाहे तेलगू है, मलयालम, गुजराती, मराठी है, बंगाली है, उड़िया है,उर्दू है, संस्कृत और हिन्दी है सभी भारतीय भाषाएं जो संविधान की अनुसूची 8 में जो हमारी 22 भारतीय भाषाएं हैं उनको और सशक्त किया जाएगा और किसी भी प्रदेश अथवा क्षेत्र पर कोई भाषा नहीं थोपी जाएगी, कोई भी सत्र पृथककरण नहीं होगा। सत्रमें शिक्षा का लचीलापन, इंटरएक्टिव तथा बहु पक्ष पर लगातार चर्चा की जाएगी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर में हमारी शिक्षा नीति आधुनिकता के सारे आयामों को बहु विषयक और बहुभाषी पक्षों को लेकर के आगे बढ़ रही है। आज कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से प्रभावित हमारी पीढ़ी को प्रभावी बुद्धिमत्ता की ओर ले जाए इसका भी विशेष ध्यान रखा गया है। छात्र प्रतिभावान हो सकता है परंतु यदि शिक्षा नीति उसकी प्रतिभा का विस्तार नहीं करती तो पूरी तरह हम अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो सकते। इसलिए जो प्रतिभाशाली है तो उसकी प्रतिभा को कैसे करके आगे बढ़ाया और किसदिशा में और किस सीमा तक बढ़ाना है यह भी इस शिक्षा नीति का एक बहुत अहम् हिस्सा है। इस शिक्षा नीति में टैलेंट की पहचान तो होगी और टैलेंट को विकास भी किया जाएगा और उसका विस्तार भी किया जाएगा। अपनी प्रतिभा को साबित करने के लिए उसको पूरा अवसर दिया जाएगा क्योंकि छात्र ही हमारी इस रणनीति का केन्द्र बिन्दु है। हमारी नीति और हमारी रणनीति काजो केन्द्र है, वह हमारा छात्र है। इसी प्रगतिवादी सोच को सामने रखकर ही स्कूली शिक्षा में मूलभूत बदलाव किए गए हैं। मैं समझता हूं जो अब सबके सामने है जिसने अपने आप को खुलापन दिया है। बच्चों को छठी से ही वोकेशनल स्ट्रीम के साथ ही शैक्षणिक गतिविधियों के साथ उसकी शिक्षणेत्तर गतिविधियां और व्यावसायिक को तोजोड़ा, वोकेशनल स्ट्रीम के साथ उसे बढ़ाने का हो और चाहे स्कूली शिक्षा से कृत्रिम बुद्धिमता को आगे करने का विषय हो, मैं समझता हूं कि भविष्य का सोचिए तो हम उस युग की ओर बढ़ रहे हैं जहां कोई व्यक्ति जीवन भर किसी एक जगह स्थिर नहीं होगा। उसे क्रिएटकरते रहना होगा वरना डिफेन्‍डहोने का खतरा बना रहेगा। आज के दौर में चाहे हमारे कंप्यूटर हो या मोबाइल हो आज छात्र हो या स्वयं शिक्षक हो, यदि खुद को अपडेट नहीं करेंगे तो आउटडेटेड होने की संभावनाएं बनी रहेंगी और इसलिए इस दिशा में भी हम चौकस हैं। आज नई शिक्षा नीति खुद को स्किल और वोकेशनल ट्रेनिंग के जरिए अपडेट रखने में ज्यादा कारगर साबित होगी। अपडेट करते रहने की संस्कृति और सोच के साथ यह शिक्षा नीति आगे बढने की दिशा में बहुत अद्भुत परिणाम भी देगी, ऐसा मेरा भरोसा है। अच्छे सेअसेसमेंट और इनफ्लेशन से इंटीग्रेशन तक प्राथमिक शिक्षा से रिसर्च तक और थिंकिंग से अब थॉट प्रोसेस तक की यह नई शिक्षा नीति की यात्रा है। यह नीति सोच को अब सारे रूप में परिणित करने का भी आधार खड़ा करेगी। अगर हम लोग कार्यान्वयन की बात करें तो नीति निर्माण यह एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसलिए नीति का जो क्रियान्वयन है यह स्‍वाभाविक ही है कि यह लीडर बहुतकुछ निर्भर करती है और इसलिए यह जो दोनों चीजें हैं यह लीडर पर ज्यादा निर्भर करेगी। ऐसी लीडरशिप जो नीति को जमीन पर उतार सकेगी। मैं आशा करता हूं कि शिक्षक से लेकर अभिभावक, संस्थान से लेकर के शिक्षाविद सचिव स्तर से लेकर के शिक्षा मंत्री हम सब मिलकर के अपने स्तर पर इस नीति को नेतृत्व देंगे, दिशा देंगे। हम इसी नीति का ऊर्जा के साथ क्रियान्वयन करेंगे और जिससे हमारे राष्ट्रीय स्तर पर एक क्रांतिकारी बदलाव आएगा।ऐसा बदलाव जिसका इंतजार इस देश को पिछले 75 वर्षों से है और निश्चित रूप से यह बदलाव भारत को ज्ञान की महाशक्ति के रूप में परिवर्तित भी करेगा। शिक्षा में राज्यों की भूमिका निश्चित रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति राज्यों को संविधान की समवर्तीप्रावधानों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न मामलों पर निर्णय लेने की स्‍वायत्‍ता का अधिकार भी देती है।हमें केंद और राज्यों के इस स्तर पर व्यापक सुनियोजित और समझने वाली रणनीति बनानी होगी। राज्य सरकारों से सभी हितधारकों के साथ चर्चा के बाद एक नये व्यापक राष्‍ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा का निर्माण एनसीईआरटी उस दिशा में काम कर रही है और राज्यों सेमैंनिवेदन करूँगा कि उनके जो एससीईआरटी हैं राज्यों में उन्होंने भीअपना काम करना शुरू कर दिया होगा। एनईपी 2020 के लक्ष्यों और उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए हमने प्रत्येक सिफारिश को मिशन मोड में लिया है। जितनी भी सिफारिशें हमारी समिति ने हमको दी हैंउन पर एक जुनूनी तरीके से हमनेमिशन मोड में लाने की कोशिश की है और इसको समय सीमा के साथ जोड़ते हुए और हम लोगोंने निश्चित कार्ययोजना उसमें बनाई है और लगातार हम बना रहे हैं। इस कार्यान्‍वयनयोजना का मुख्य फोकस इस बात पर है कि केंद्र और राज्यों द्वारा संयुक्त क्रियान्वन किया जा सके। राज्यों की भूमिका और केन्द्र के साथ हम राज्य और केंद्र दोनों मिलकर के इस और जो महत्वपूर्ण सूत्र है हमारा नई शिक्षा नीति का उसको निश्चित क्रियान्वित करेंगे,मिल करके करेंगे।जहां संवाद की आवश्यकता होगी, वहां संवाद भी किया जाएगा और विवाद को पीछे छोड़कर के संवाद को सहभागिता के साथ हम सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ेंगे। हम कोशिश करेंगे कि छोटी-छोटी चीजों में ना उलझें क्योंकि स्वाभाविकहीचाहे कोई व्यक्ति है, परिवार है,अथवा राष्‍ट्र है कभी प्रगति नहीं कर सकता। इसलिए हम छोटी छोटी बातों में न उलझ कर हम एक बड़े लक्ष्य की ओर  सब मिलकर इसको क्रियान्वित करेंगे। क्रियान्वन योजना में नीति की भावना और सहयोगात्मक संघवाद जैसी बुनियादी बातों के साथ हम इसको अमल में लाएंगे।शीघ्रही टास्क लिस्ट को आने वाले दिनों में राज्यों और केन्द्र शासित राज्यों को हम लोग साझा कर रहे हैं। लगभग 300 से अधिक बिंदु हम लोगों ने बनाए हैं जिसमेंराज्‍य और हम आपस में परामर्श करेंगे उनके सुझाव मिलेंगे और उनके क्रियान्वन की दिशा में चरणबद्ध तरीके से कैसे काम करेंगे उस पर भी विचार विमर्श होगा। बिना किसी संकोच और पूर्वाग्रह के जरूर हमको आप सुझाव भेजेंगे,ऐसी मैं आशा कर रहा हूं। जैसे हमारे देश के प्रधानमंत्री जीने पीछे के समय कहा कि यहकिसी एक सरकार की नीति नहीं है,यह किसी एक विभाग के नीति नही है यह देश की शिक्षा नीति है और इस नीति में सभी का हित निहित है। जिस प्रकार का विस्तृत विचार मंथन और चिंतन नीति के प्रथम चरण में मिला वैसी समावेशी सोच के साथ क्रियान्वयन में भी हमें ‘सबका साथ और सबका विश्वास’ मिलेगा। ऐसी मैं आशा कर रहा हूं। मुझे पूर्ण विश्वास है कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक कच्छ से अरुणाचल तक सभी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी और देश का हर छात्र शिक्षित होगा, ऐसी संपदा के रूप में ताकत बन कर के आत्मनिर्भर, शिक्षित और सशक्त भारत के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेगा। हमारे देश के प्रधानमंत्री ने कहा है कि 21वीं सदी भारत की स्वर्णिम सदी है तो जिस स्वर्णिम भारत की उन्होंने कल्पना की है जो स्‍वच्‍छ भारत,स्वस्थ भारत, सशक्त भारत होगा,श्रेष्‍ठ भारत होगा। ऐसा एक श्रेठएवंआत्मनिर्भर भारत जो 21वीं सदी का स्वर्णिम भारत होगा। उस भारत की नींव बनेगी यह नयी शिक्षा नीति। मैं सभी हितधारकों, अभिभावकों, शिक्षकों, स्कूली छात्रों, शिक्षाविदों से आह्वान करना चाहूंगा कि क्रियान्वन हेतु अपने सुझावदें, चर्चा करें, हर स्तर पर चर्चा करें, नीचे के स्तर पर चर्चा करें। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को जमीनी स्तर तक पहुँचाने के लिए जागरूकता अभियान और शिक्षा के संवाद आयोजित करें। हर छात्र, हर शिक्षक, हर संस्था, हर एक प्रदेश,अपनी-अपनी रणनीति बनाएं और हर छात्र, हर शिक्षक इसका ब्राण्ड एम्बेसडर बनें ताकि नीचे तक उस बात, उस भावना को लेकर की जा सकें। पूरे राष्ट के विमर्श और चिंतन के बाद पूरे राज्य की आकांक्षाओं को समेटे हुए राष्ट्र की शिक्षा नीति पर आप सबके क्रियान्वन का सुझाव फिर आमंत्रित करना चाहूंगा। जैसेकि हमारे माननीय मंत्री मेरे सहयोगी आदरणीय  शिक्षा राज्य मंत्री जी ने अपने विचारों में भी कहा कि हम चाहते हैं कि खुल कर के हम सब  मिल कर के साथ आगे बढ़े और हमारे प्रधानमंत्रीजी नेहमको समय समय पर आशीर्वाद दिया। मुझे विश्वास है कि आप सभी के सहयोग, समन्वय,सहभागिता और नेतृत्व से हम शिक्षा नीति का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन कर पाएंगे। भारत एक वैश्विक ज्ञान की महाशक्ति के रूप में उभरेगा जिसकी पूरी दुनिया प्रतीक्षा कर रही है। मैं कस्तूरीरंगन जी आपको, मंजुल भार्गव जी,डॉ.श्रीधर जी, डॉ.वसुधा तामत जी सहित मैं जितने भी आप के सदस्य हैं मुझे आपका बार-बार अभिनन्दन करने का मन होता है क्योंकि आपने रात-दिन एक मिशन मोड में आपने यह नहीं सोचा कि हमको कुछ काम सौंपा है, इसको केवल पूरा करना है बल्‍कि वो काम, उसका रिजल्ट कैसे अंतिम छोर तक पहुँच सकता यह आपकी सोच रही है। मैंने बहुतनिकटता से आपलोगों को देखा है। मंजुल जी मैं विशेष कर के आपको क्‍योंकि आप अमेरिका से जुड़े हैं और जैसे अनीता जो सचिव हैं उन्होंने कहाहै कि वहां अभी तो रात के दो-तीन बज रहे होगें लेकिन आपहमेशा से जुड़े रहे हैं। मंजुल ने इस देश का गौरव भी बढ़ाया है, दुनिया में और हमकोउनसे बहुत आशाएं भी हैं लेकिन जब-जब भी हमने उनसे अपेक्षा की उन्होंने बिना किसी संकोच के और चलकर के यहांआये और यहां भी सप्ताहों तक में एक-एक शब्द हमारे प्रधानमंत्री जी से होकर के गुजरा है, सब कमेटी से वो करके गुजरा है और इसीलिए इस पर इतनी ताकत है। मंत्री संजय जी ने कहा कि इतना बड़ा विमर्श तो शायद दुनिया में हुआही नहीं होगा। किसी भी नीति पर दुनिया में सबसे बड़ा विमर्श है। आज करोड़ों छात्रोंके साथ विमर्श,करोड़ों अभिभावकों के साथ विमर्श ग्रामप्रधान से ले कर के प्रधानमंत्री जी तक आज चाहे संसद का सदस्य हो या किसी विधान सभा का सदस्‍य हो,ग्राम प्रधान हो या उच्च शिक्षाका कोई अधिकारी हो, बेसिक शिक्षा का कोई अधिकारी हो,चाहे अपने शिक्षाविद् हों, विशेषज्ञ हों, एनजीओज हों, कोई क्षेत्र नहीं छोड़ा और मुझे लगता है उसी का परिणाम है कि यह जो अमृत हमारे सामने निकला है आज देश का कोना-कोना स्वागत कर रहाहैदुनिया के देश भी इस एनईपीको अपने देश में लागू करने के बारे में भी लगातार संवादकरते जा रहे हैं। यह इस नई शिक्षा नीति की ताकत है। मुझे भरोसा है कि इस नई शिक्षा नीति को हम तेजी से क्रियान्वित करेंगे और जो कल से लेकर के आज तक छह थीमों पर लगातार परामर्श हो रहा है जिसमें हमारे राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित हमारे अध्यापकगणजो लगातार कल से विमर्श कर रहे इन छह थीमोंपर जो आपने अपना सुझाव दिया है, परामर्श दिया, चर्चा की है। यह भी हमारी ताकत बनेगी और आज पूरे दिन भर उन छह थीमोंपर जिस पर कल हमारे अध्यापक दल ने अपनेसुझाव दिए हैं, आज विशेषज्ञों की टीम पूरे दिन भर उस पर संवाद करेगी और उससे भी कुछ ऐसा निकलेगा जिससे हम इस नयी शिक्षा नीति को नीचे तक क्रियान्‍वितकरने की दिशा में बहुत अहम भूमिका उन विषयों की सफलतापूर्वक संचालित हो सकेगी उसको रिजल्ट दे सकेगी जो हम चाहते हैं वह हमारी इच्छा को पूर्ति कर सकेगी तो एक बार मैं पूरे देश के कोने-कोने से जुड़े मेरे 27 करोड़ से भी अधिक छात्र छात्राओं को कहना चाहता हूं कि आपके लिए पूरा मैदान खाली है। हमारे देश के प्रधानमंत्री जी समय समय पर हमारे साथ मिलते भी रहे हैं,अपना आशीर्वाद भी देने के लिए हमेशाआए हैं। कभी परीक्षा पर चर्चा हो तो हमारे बीच आये हैं चाहे वो ध्रुव तारा को बनाने की दिशा में आपकामार्गदर्शन रहा हो विभिन्न प्रकार से अपना महत्वपूर्ण समय देकर अपना आशीर्वाद देने के लिए आते रहें हैं। अभी थोड़ी देर में प्रधानमंत्री जी आपके बीच आ रहे हैं हम सबको आशीर्वाद देने के लिए। इसलिए छात्र-छात्राओं मैं आपको शुभकामनाएं दे रहा हूं। मैं अभिभावकों को भी शुभकामना देता हूं और विशेष करके अध्यापकगण जो इसकी महत्‍वपूर्णकड़ी होंगे जिनके मार्गदर्शन में हम इस बड़ी संरचना को धरती पर क्रियान्वित कर सकेंगे । एक बार फिर हृदय की गहराइयों से इन सबका मैं आभार प्रकट करता हूं।

 

बहुत बहुत धन्यवाद!

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. श्री नरेन्‍द्र मोदी, माननीय प्रधानमंत्री, भारत
  2. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  3. श्री संजय शामराव धोत्रे, माननीय शिक्षा राज्‍य मंत्री, भारत सरकार
  4. श्री अमित खरे, सचिव, उच्‍चतर शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय
  5. सुश्री अनिता करवल, स्‍कूली शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय,
  6. प्रो. के. कस्‍तूरीरंगन, अध्‍यक्ष, ड्राफ्ट समिति, राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति